#सनातन परम्पराओं के #वैदिक एवं #वैज्ञानिक कारण
#सनातन परम्पराओं के #वैदिक एवं #वैज्ञानिक कारण
इन सभी धार्मिक परंपराओं के पीछे गहरे वैदिक और वैज्ञानिक कारण हैं। आइए इन परंपराओं के वैज्ञानिक और धार्मिक कारणों पर विस्तार से चर्चा करें:
1. तुलसी के पेड़ की पूजा का वैज्ञानिक कारण
तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है, और इसके पूजा के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं।
- वैज्ञानिक कारण:
तुलसी के पौधे में उच्चतम स्तर के ऑक्सीजन उत्सर्जन की क्षमता होती है, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध और ताजगी से भरपूर रहता है। यह पौधा एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। तुलसी के सेवन से मानसिक शांति भी मिलती है और यह हृदय और श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी है।
2. पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं
- वैज्ञानिक कारण:
पीपल का पेड़ रात में भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है, जबकि अधिकांश पेड़ रात में ऑक्सीजन की बजाय कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं। इसके अलावा, पीपल का पेड़ वातावरण को शुद्ध करता है और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसकी छांव में बैठने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। इसलिए, यह विश्वास उत्पन्न हुआ कि पीपल के पेड़ की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और यह भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
3. महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं
- वैज्ञानिक कारण:
तिलक या कुमकुम माथे पर लगाने की परंपरा में विज्ञान भी छिपा हुआ है।- अर्थ: तिलक लगाने से शरीर के 'आज्ञा चक्र' (Third Eye) को सक्रिय किया जाता है, जो कि मस्तिष्क के केंद्र से जुड़ा होता है। इस क्षेत्र पर दबाव डालने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर होती है और व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर रहता है।
- वैज्ञानिक कारण: यह प्रथा सिर पर दबाव बनाने और मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए है, जिससे ध्यान और एकाग्रता में सुधार होता है।
4. मंदिर में घंटा लगाने का कारण
- वैज्ञानिक कारण:
मंदिर में घंटा बजाने से वातावरण में उच्च ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
घंटी की ध्वनि में विशिष्ट प्रकार की तरंगें होती हैं जो मस्तिष्क को शांति प्रदान करती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं। यह प्रथा ध्यान में एकाग्रता और मानसिक शांति बढ़ाने के लिए है।
5. हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परंपरा
- वैज्ञानिक कारण:
सूर्योदय के समय सूर्य की किरणों में अमृत तुल्य ऊर्जा होती है। यह प्राचीन समय से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।- सूर्य की किरणों में विटामिन D और अन्य खनिज होते हैं जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं।
- सूर्य को जल अर्पित करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- सूर्य नमस्कार शरीर के लिए व्यायाम का कार्य करता है और यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
6. दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण
- वैज्ञानिक कारण:
दीपक जलाने से वातावरण में प्रचुर मात्रा में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।- जब हाथ दीपक के ऊपर घुमाए जाते हैं, तो यह सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने जैसा होता है।
- यह शुद्धता और नकारात्मकता को समाप्त करने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।
- दीपक की ज्योति मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से जागरूक करती है और उसे सही दिशा में प्रेरित करती है।
7. परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
- वैज्ञानिक कारण:
परिक्रमा करने की प्रक्रिया को "धार्मिक ध्यान" के रूप में देखा जा सकता है, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करता है।- इस प्रक्रिया में एक निरंतरता होती है जो मानसिक तनाव को कम करती है और ध्यान की स्थिति उत्पन्न करती है।
- घूमते वक्त शरीर के अंदर की ऊर्जा का संचार संतुलित होता है, और यह मानसिक और शारीरिक स्थिति को स्थिर करता है।
- परिक्रमा के दौरान जो ऊर्जा का संचरण होता है, वह व्यक्ति को शारीरिक रूप से ताजगी और मानसिक रूप से शांति प्रदान करता है।
इन सभी परंपराओं और उपायों में न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि उनके वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं जो शरीर, मस्तिष्क और मानसिक शांति के लिए लाभकारी हैं। यह परंपराएं प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम हैं।
*तुलसी के पेड़ की पूजा*
तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। सुख शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क-
तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।
*पीपल की पूजा*
तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है.
*एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं*
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़ जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है ..आखिर हिन्दूधर्म में हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ? जो "विज्ञान पर आधारित" है ! हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते है और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे..
*माथे पर कुमकुम का तिलक*
महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है.
*मंदिर में घंटा लगाने का कारण*
मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
*सूर्य नमस्कार*
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
*दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण*
दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
*चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं ?*
चप्पल बाहर क्यों उतारते है ?
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
*परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण*
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
सनातन परम्पराओं में कई वैदिक और वैज्ञानिक कारण हैं जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यहाँ कुछ वैदिक और वैज्ञानिक कारण बताए जा रहे हैं:
१) पूजा और आराधना: पूजा और आराधना करने से हमारे मन में शांति और संतुष्टि आती है। यह हमारे मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर को बढ़ाता है, जो हमारे मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
२) यज्ञ और हवन: यज्ञ और हवन करने से हमारे आसपास के वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और वायु प्रदूषण कम हो जाता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
३) सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ जाती है, जो हमारे हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
४) प्राणायाम और ध्यान: प्राणायाम और ध्यान करने से हमारे मस्तिष्क में स्ट्रेस हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
५) व्रत और उपवास: व्रत और उपवास करने से हमारे शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया होती है, जिससे हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
६) दान और पुण्य: दान और पुण्य करने से हमारे मन में संतुष्टि और शांति आती है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
७) स्नान और शुद्धि: स्नान और शुद्धि करने से हमारे शरीर में शुद्धि और पवित्रता आती है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
८) आहार और विहार: आहार और विहार करने से हमारे शरीर में स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती आती है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
९) संगति और साथी: संगति और साथी करने से हमारे मन में संतुष्टि और शांति आती है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
१०) धार्मिक अनुष्ठान: धार्मिक अनुष्ठान करने से हमारे मन में शांति और संतुष्टि आती है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
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