सूर्य ग्रह (Sun) का ज्योतिषीय विवरण एवं उपाय
सूर्य ग्रह आत्मा, आत्मविश्वास, नेतृत्व, ऊर्जा, स्वास्थ्य, और पिता का कारक ग्रह है। यदि सूर्य शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को प्रसिद्धि, सत्ता, उन्नति और आत्मबल प्रदान करता है। किंतु यदि अशुभ स्थिति में हो तो अहंकार, क्रोध, सरकारी मामलों में बाधा, पिता से मतभेद, और स्वास्थ्य समस्याएं देता है।
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में सूर्य ग्रह
सूर्य को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता माना गया है जिसके अनुसार, सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मा स्वरूप हैं। इसके द्वारा व्यक्ति को जीवन, ऊर्जा एवं बल की प्राप्ति होती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। माता का नाम अदिति होने के कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
हिन्दू ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है। इस दौरान लोग आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्य की उपासना करते हैं। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं। राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है। सूर्य हमारे जीवन से अंधकार को नष्ट करके उसे प्रकाशित करता है। यह हमें सदैव सकारात्मक चीज़ों की ओर प्रेरित करता है। इसकी किरण मनुष्यों के लिए आशा की किरण होती हैं। साथ ही यह हमें ऊर्जावान रहने की प्रेरणा देता है जिससे हम अपने उद्देश्य को पाने के लिए अनवरत रूप से कार्य करते रहे हैं।
सूर्य के विभिन्न नाम : आदित्य, अर्क, अरुण, भानु, दिनकर, रवि, भास्कर आदि।
सूर्य की प्रकृति: सूर्य नारंगी रंग का शुष्क, गर्म, आग्नेय और पौरुष प्रवृत्ति वाला ग्रह है। दिशाओं में यह पूर्व दिशा का स्वामी होता है जबकि धातुओं में यह तांबा और सोने का स्वामी होता है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य का महत्व
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है।
शारीरिक रूपरेखा: जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न में हो तो उसका चेहरा बड़ा और गोल होता है। उसकी आँखों का रंग शहद के रंग जैसा होता है। व्यक्ति के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। इसलिए काल पुरुष कुंडली में सिंह राशि हृदय को दर्शाती है। सूर्य पुरुषों की दायीं आँख और स्त्रियों की बायीं आँख को दर्शाता है।
रोग: यदि जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आँख से संबंधित रोगों को जन्म देता है। यदि सूर्य शनि ग्रह से पीड़ित हो तो यह निम्न रक्त दाब जैसी बीमारी को पैदा करता है। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। यह चेहरे में मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी, पित्त की शिकायत आदि बीमारियों का कारक होता है।
सूर्य की विशेषताएँ
यदि जन्मपत्री में सूर्य शुभ स्थान पर अवस्थित हो तो जातक को इसके शुभ परिणाम परिणाम मिलते हैं। सूर्य की यह स्थिति जातकों के लिए सकारात्मक होती है। इसके प्रभाव से लोगों को मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जातक स्वयं के अच्छे कार्यों से प्रेरित होते हैं। जातक का स्वयं पर पूरा नियंत्रण होता है।
बली सूर्य: ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है।
बली सूर्य के प्रभाव: लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति आदि को प्रदान करता है।
पीड़ित सूर्य के प्रभाव: अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है।
सूर्य से संबंधित कार्य/व्यवसाय: सामान्य तौर पर सूर्य जीवन में स्थायी पद का कारक होता है। यह हमारी जन्मपत्री में सरकारी नौकरी को दर्शाता है। यदि जिस नौकरी में सुरक्षा भाव सुनिश्चित होता है, वहाँ पर सूर्य का आधिपत्य भी सुनिश्चित होता है। कार्यक्षेत्र में सूर्य स्वतंत्र व्यवसाय को दर्शाता है। हालाँकि किसी व्यक्ति का करियर कैसा होगा, यह सूर्य की दूसरे ग्रहों से युति या संबंध से ज्ञात होता है। यहाँ कुछ ऐसे कार्य व व्यवसायिक क्षेत्र हैं जो सूर्य से संबंधित हैं - प्रशासनिक अधिकारी, राजा, अथवा तानाशाह।
उत्पाद: चावल, बादाम, मिर्च, विदेशी मुद्रा, मोती, केसरिया, जड़ी आदि।
बाज़ार: सरकारी देनदारी, स्वर्ण, रिज़र्व बैंक, शेयर बाज़ार आदि।
पेड़ पौधे: कांटेदार पेड़, घास, नारंगी के पेड़, औषधीय जड़ी बूटियों आदि।
स्थान: वन, पहाड़, किले, सरकारी भवन इत्यादि।
जानवर और पक्षी: शेर, घोड़ा, सूअर, नागिन, हंस आदि।
जड़: बेल मूल।
रत्नः माणिक्य।
रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष।
यंत्र: सूर्य यंत्र।
रंग: केसरिया
सूर्य के मंत्र
ज्योतिष में सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं। जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं।
सूर्य का वैदिक मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
ज्योतिष में सूर्य ग्रह कितना महत्वपूर्ण है, यह आपने समझ ही लिया होगा। हमारी पृथ्वी पर सूर्य के द्वारा जीवन संभव है। इसी कारण सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा जाता है।
1. सूर्य ग्रह के मंत्र
सूर्य को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
(क) सूर्य बीज मंत्र
👉 ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
(ख) सूर्य गायत्री मंत्र
👉 ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।
(ग) सूर्य वेद मंत्र
👉 जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
(घ) आदित्य हृदय स्तोत्र
- यह मंत्र सूर्य देवता की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे प्रभावी है।
- प्रतिदिन 11 बार पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
👉 जाप संख्या: 7,000 / 10,000 बार
👉 समय: प्रातःकाल, सूर्योदय के समय
👉 माला: रुद्राक्ष माला
2. सूर्य यंत्र
सूर्य यंत्र को धारण या पूजन करने से सूर्य ग्रह की कृपा मिलती है।
- यंत्र निर्माण का समय: रविवार को, पुष्य नक्षत्र या रविपुष्य योग में।
- यंत्र धातु: तांबे या सोने की प्लेट पर बनाएं।
- यंत्र का स्वरूप:
- स्थापना विधि:
- सूर्य यंत्र को गंगाजल और केसर मिले जल से स्नान कराएं।
- इसे लाल कपड़े पर रखें।
- दीपक जलाकर "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
3. सूर्य ग्रह से संबंधित तांत्रिक उपाय (तंत्र)
- सूर्य ग्रह के लिए तांत्रिक प्रयोग:
- रविवार को पीपल के वृक्ष के नीचे 12 बार "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
- गुड़, गेहूं, और तांबे के टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित करें।
- पितृ दोष निवारण हेतु:
- हर अमावस्या को तर्पण करें।
- पिता और बुजुर्गों का सम्मान करें।
- रोग निवारण तांत्रिक उपाय:
- एक तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
4. सूर्य ग्रह से जुड़े टोटके
- स्वास्थ्य सुधार के लिए:
- प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
- पिता से संबंध सुधारने के लिए:
- रविवार को गुड़ और गेहूं का दान करें।
- सरकारी नौकरी प्राप्ति के लिए:
- नित्य आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए:
- प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें।
- सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए:
- हर रविवार को सूर्य मंदिर में तांबे का दीपक जलाएं।
5. कुंडली में सूर्य ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव
(क) सूर्य का 12 भावों में फल
- प्रथम भाव (लग्न): आत्मविश्वासी, नेतृत्व क्षमता, लेकिन अहंकार।
- द्वितीय भाव: वाणी प्रभावशाली, धन संचय में बाधा।
- तृतीय भाव: साहसी, लेकिन भाइयों से संबंध तनावपूर्ण।
- चतुर्थ भाव: माता से मतभेद, घर में शांति की कमी।
- पंचम भाव: संतान को लाभ, उच्च शिक्षा में सफलता।
- षष्ठम भाव: शत्रुओं पर विजय, लेकिन पेट संबंधी रोग।
- सप्तम भाव: दांपत्य जीवन में अहंकार की समस्या।
- अष्टम भाव: दुर्घटना या अचानक धन हानि का योग।
- नवम भाव: धर्म-कर्म में रुचि, भाग्य प्रबल।
- दशम भाव: सरकारी नौकरी, उच्च पद की प्राप्ति।
- एकादश भाव: धन लाभ, आय के अच्छे स्रोत।
- द्वादश भाव: विदेश यात्रा, खर्च अधिक।
6. सूर्य ग्रह की विभिन्न राशियों में स्थिति का प्रभाव
- मेष: ऊर्जावान, लेकिन गुस्सैल।
- वृषभ: स्थिरता, लेकिन जिद्दी स्वभाव।
- मिथुन: बुद्धिमान, लेकिन अस्थिर विचार।
- कर्क: भावुक, माता से प्रेम।
- सिंह: अत्यंत शुभ, राजसी ठाट-बाट।
- कन्या: बुद्धिमत्ता, लेकिन अहंकार।
- तुला: कमजोर, स्वास्थ्य संबंधी समस्या।
- वृश्चिक: गूढ़ ज्ञान, रिसर्च में सफलता।
- धनु: धार्मिक प्रवृत्ति, भाग्यशाली।
- मकर: मेहनती, लेकिन संघर्ष अधिक।
- कुंभ: क्रांतिकारी विचार, लेकिन अहंकारी।
- मीन: आध्यात्मिक, लेकिन कम आत्मविश्वास।
7. सूर्य ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का प्रभाव
- सूर्य + चंद्र: मानसिक स्थिरता, उच्च पद।
- सूर्य + मंगल: गुस्सैल, सेनापति स्वभाव।
- सूर्य + बुध (बुद्धादित्य योग): बुद्धिमान, प्रशासनिक सफलता।
- सूर्य + गुरु: धर्म और ज्ञान में रुचि।
- सूर्य + शुक्र: भोग-विलास की अधिकता।
- सूर्य + शनि: पिता से तनाव, सरकारी समस्या।
- सूर्य + राहु: अहंकार, अचानक उन्नति।
- सूर्य + केतु: आध्यात्मिक झुकाव।
8. सूर्य ग्रह के कमजोर होने के लक्षण
- आत्मविश्वास की कमी।
- सरकारी कार्यों में बाधा।
- पिता से संबंध खराब।
- आंखों और हृदय संबंधी रोग।
9. सूर्य ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- रत्न: माणिक्य (रूबी) सोने या तांबे में धारण करें।
- धारण मंत्र:
ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
- दिन: रविवार, सूर्योदय के समय।
- धारण मंत्र:
- दान:
- गेहूं, गुड़, और तांबे का दान करें।
- सूर्यमुखी फूल अर्पित करें।
- व्रत:
- रविवार को व्रत रखें, नमक न खाएं।
- सूर्य को अर्घ्य:
- हर दिन जल में गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- सूर्य ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के प्रभाव से मनुष्य को सम्मान और सफलता मिलती है। सूर्य ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गए हैं। सूर्य मंत्र, सूर्य यंत्र और सूर्य नमस्कार समेत कई उपायों को करने से लाभ मिलता है। हर दिन नियमित रूप से सूर्य मंत्र उच्चारित करने और सूर्य नमस्कार करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य ग्रह सरकारी एवं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च सेवा का कारक माना गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति व्यक्ति को जीवन में उन्नति प्रदान करती है लेकिन यदि सूर्य अशुभ प्रभाव देता है, तो सम्मान की हानि, पिता को कष्ट, उच्च पद प्राप्ति में बाधा, ह्रदय और नेत्र संबंधी रोग होते हैं। जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित किसी भी परेशानी के समाधान के लिए करें सूर्य ग्रह से जुड़े विभिन्न उपाय।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े सूर्य ग्रह शांति के उपाय
सूर्य ग्रह शांति के लिये उपाय
लाल और केसरिया रंग के वस्त्र धारण करें।
पिता जी, सरकार एवं उच्च अधिकारियों का सम्मान करें।
प्रातः सूर्योदय से पहले उठें और अपनी नग्न आँखों से उगते हुए सूरज का दर्शन करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले सूर्य के उपाय
भगवान विष्णु की पूजा करें।
सूर्य देव की पूजा करें।
भगवान राम की पूजा करें।
आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करें।
सूर्य देव के लिये व्रत
सूर्य देव का आशीर्वाद पाने हेतु रविवार को व्रत धारण किया जाता है।
सूर्य ग्रह शांति के लिये दान करें
सूर्य ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान रविवार को सूर्य की होरा और सूर्य के नक्षत्रों (कृतिका, उत्तरा-फाल्गुनी, उत्तरा षाढ़ा) में प्रातः 10 बजे से पूर्व किया जाना चाहिए।
दान करने वाली वस्तुएँ: गुड़, गेहूँ, तांबा, माणिक्य रत्न, लाल पुष्प, खस, मैनसिल आदि।
सूर्य ग्रह के लिए रत्न
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह के लिए रूबी माणिक्य को धारण किया जाता है। यदि किसी जातक की सूर्य प्रधान राशि सिंह है तो उसे माणिक्य रत्न को पहनना चाहिए।
श्री सूर्य यंत्र
सूर्य ग्रह शांति के लिए रविवार के दिन सूर्य यंत्र को सूर्य की होरा एवं इसके नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
सूर्य के लिये जड़ी
सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए बेल मूल धारण करें। इस जड़ को रविवार के दिन सूर्य की होरा अथवा सूर्य के नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
सूर्य के लिये रुद्राक्ष
सूर्य के लिए 1 मुखी रुद्राक्ष / 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ यें हं श्रों ये।।
तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ क्लीं नमः।
ॐ रें हूं ह्रीं हूं।।
बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ क्रों श्रों रों नमः।
ॐ ह्रीं श्रीं घृणि श्रीं।।
सूर्य मंत्र
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप सूर्य बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
वैसे तो सूर्य बीज मंत्र को 7000 बार जपना चाहिए परंतु देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र का (7000x4) 28000 बार उच्चारण करना चाहिए।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ घृणि सूर्याय नमः!
सूर्य ग्रह शांति के उपाय करने से जातकों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। चूंकि सूर्य आत्मा, राजा, कुलीनता, उच्च पद, सरकारी नौकरी का कारक है। अतः सूर्य ग्रह शांति मंत्र का जाप अथवा सूर्य यंत्र को स्थापित करने से जातक एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। वह सरकारी क्षेत्र में प्रशासनिक स्तर का पद पाता है। इस लेख में दिए गए सूर्य दोष के उपाय वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, जो बहुत ही कारगर और सरल हैं।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को एक क्रूर ग्रह माना गया है। इसके नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति अहंकारी, आत्म केन्द्रित, ईर्ष्यालु और क्रोधी स्वभाव का हो जाता है और स्वास्थ्य जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में सूर्य शांति के उपाय करने से जातकों को लाभ होता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। अतः सिंह राशि वाले जातकों के लिए सूर्य मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। सूर्य ग्रह के उच्च होने पर भी आपको सूर्य को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। इससे आपको दोगुना लाभ होगा।
आशा करते हैं कि सूर्य ग्रह शांति से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
निष्कर्ष:
सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास बनाए रखें, सत्य बोलें, पिता का सम्मान करें और नियमित सूर्य आराधना करें। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो विशेष रूप से माणिक्य धारण करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।