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गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

#यक्ष ने पूछा यक्ष के १०० प्रश्न स्रोत - #महाभारत #Yaksha asked 100 questions of Yaksha Source - #Mahabharata

1 (यक्ष ने पूछा) कौन हूं मैं?

तुम न शरीर हो न इंद्रियां न मन न बुद्धी तुम शुद्ध चेतना हो, वह चेतना जो सर्व साक्षी है।


  2 (यक्ष ने पूछा) जीवन का उद्देश्य क्या है?
 चेतना को जानना व जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना ।
3 (यक्ष ने पूछा) जन्म का कारण क्या है ?
कामनाएं, वासनाएं और कर्म फल।
 4 (यक्ष ने पूछा) जन्म और मरण के बंधन से मुक्त कौन है?
 जिसने स्वयं को जान लिया हो।
 5 (यक्ष ने पूछा)वासना और जन्म का संबंध क्या है?
 जैसी वासनाएं वैसा जन्म।
6 (यक्ष ने पूछा)संसार में दुख क्यों है?
संसार के दुख का कारण लालच स्वार्थ और भय है।
7 (यक्ष ने पूछा) तो फिर ईश्वर ने दुख की रचना क्यों की?
 ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुख और सुख की रचना की। 8 (यक्ष ने पूछा)क्या ईश्वर है? कौन है? वह क्या वह स्त्री है? या पुरुष है ?
कारण के बिना कार्य नहीं यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है।तुम हो इसलिए वह भी है, उस महान कारण को अध्यात्म में ईश्वर कहा गया है वह ना स्त्री है, ना पुरुष है ।
9 (यक्ष ने पूछा) ईश्वर का स्वरूप क्या है?
 वह सत् , चित व आनंद है। वह निराकार ही सभी रूपों में अपने आप ही स्वयं व्यक्त रहता है।
 10 (यक्ष ने पूछा) वह निराकार स्वयं क्या करता है? वह ईश्वर संसार की रचना,पालन और संहार करता है
 11 (यक्ष ने पूछा) यदि ईश्वर ने संसार की रचना की तो ईश्वर की रचना किसने की?
वह अजन्मा,अमृत और अकारण है।
 12(यक्ष ने पूछा) भाग्य क्या है?
आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।
 13(यक्ष ने पूछा) सुख और शांति का रहस्य क्या है?
 सत्य, सदाचार, प्रेम और क्षमा सुख का कारण है। इसके विपरीत दुख का कारण है।
 (यक्ष ने पूछा) चित पर नियंत्रण कैसे संभव है?
इच्छाएं, कामनाएं मन में उद्वेग पैदा करती हैं, इच्छाओं पर विजय चित्त पर विजय है।
 15 (यक्ष ने पूछा) सच्चा प्रेम क्या है?
स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है, स्वयं को सर्वव्याप्त देखना सच्चा प्रेम है। स्वयं को सभी के साथ देखना सच्चा प्रेम है।
 16 (यक्ष ने पूछा) तो फिर मनुष्य सभी से प्रेम क्यों नहीं करता?
जो स्वयं को सभी में नहीं देख सकता वह सभी से प्रेम नहीं कर सकता ।
17 (यक्ष ने पूछा) आसक्ति क्या है?
 प्रेम में मांग, अपेक्षा, अधिकार आसक्ति है।
 18 (यक्ष ने पूछा) नशा क्या है?
आसक्ति ही नशा है।
19 (यक्ष ने पूछा) मुक्ति क्या है? अनासक्ति ही मुक्ति है।
 20 (यक्ष ने पूछा) बुद्धिमान कौन है?
 जिसके पास विवेक है।
 21(यक्ष ने पूछा) चोर कौन है?
इंद्रियों के आकर्षण जिसको हर लेते हैं, वह चोर है।
 22(यक्ष ने पूछा) नरक क्या है?
इन्द्रियों की दासता ही नरक है।
23(यक्ष ने पूछा) जागते हुए कौन सोया है?
जो आत्मा को नहीं जानता।
24(यक्ष ने पूछा) कमल के पत्ते में पड़े जल की तरह अस्थायी क्या है?
 जवानी ,जीवन और धन।
25(यक्ष ने पूछा) दुर्भाग्य का कारण क्या है?
मद व अहंकार।
26(यक्ष ने पूछा) सौभाग्य  का कारण क्या है ?
सत्संग और सबके  प्रति मैत्री भाव।
27(यक्ष ने पूछा) सारे दुखों का नाश कौन करता है?
 जो सब छोड़ने को तैयार हो।
28(यक्ष ने पूछा)  मृत्यु के बाद यातना कौन देता है?
गुप्त रूप से किया गया अपराध।
29(यक्ष ने पूछा) दिन रात किस बात का विचार करना चाहिए?
सांसारिक सुखों की क्षणभंगुरता का
30(यक्ष ने पूछा) संसार को कौन जीतता है?
 जिसमें सत्य और श्रद्धा हो।
31(यक्ष ने पूछा) भय से मुक्ति कैसे संभव है?
वैराग्य से।
32(यक्ष ने पूछा) मुक्त कौन है?
जो अज्ञान से परे है।
33(यक्ष ने पूछा) अज्ञान क्या है?
आत्म ज्ञान का अभाव अज्ञान है।
34(यक्ष ने पूछा) दुखों से मुक्त कौन है?
जो कभी क्रोध नहीं करता।
35(यक्ष ने पूछा) वह क्या है जो अस्तित्व में है और नहीं भी?
माया।
36(यक्ष ने पूछा) माया क्या है?
नाम और रूप धारी नाशवान जगत।
37(यक्ष ने पूछा) परम सत्य क्या है?
ब्रह्म (ईश्वर) परमात्मा।
38(यक्ष ने पूछा) सूर्य किस की आज्ञा से उदय होता है?
परमात्मा यानी कि ब्रह्म की आज्ञा से।
39(यक्ष ने पूछा) मनुष्य का साथ कौन देता है?
 धैर्य ही मनुष्य का साथी है।
40(यक्ष ने पूछा) स्थायित्व किसे कहते हैं ?
 अपने धर्म पर स्थिर रहना ही स्थायित्व है।
41(यक्ष ने पूछा) धैर्य क्या है?
 अपनी इंद्रियों पर  नियंत्रण रखना ही धैर्य।
42(यक्ष ने पूछा) स्नान किसे कहते हैं?
 मन की मलिनता का त्याग करना ही स्नान है।
43(यक्ष ने पूछा) कौन सा शास्त्र है जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है?
कोई भी शास्त्र ऐसा नहीं है ।महान लोगों की संगति से मनुष्य बुद्धिमान बनता है।

44)   (यक्ष ने पूछा)  पृथ्वी से भी भारी क्या है?

माता भूमि से भारी (बढ़कर) है

45)  (यक्ष ने पूछा)  आकाश से भी ऊंचा क्या है?

पिता आकाश से भी ऊंचा (बढ़कर) है

46)  (यक्ष ने पूछा)  वायु से भी तेज गति किसकी है?

मन की गति वायु से भी अधिक है

47)  (यक्ष ने पूछा)  घास से भी तुच्छ क्या है ?
चिंता  
48(यक्ष ने पूछा)  विदेश जाने वाले का साथी कौन है?
विद्या।
49(यक्ष ने पूछा) घर में रहने वाले का साथी कौन है?
पत्नी


50)  (यक्ष ने पूछा)  मरने वाले  का मित्र कौन है?

 दान मरने वाले व्यक्ति का मित्र है।
51)  (यक्ष ने पूछा)  प्रतिष्ठा चाहने वालो के लिए कौन वस्तु श्रेष्ठ है ?

प्रतिष्ठा चाहने वालो के लिए गौ श्रेष्ठ है।

52)  (यक्ष ने पूछा)  संतान चाहने वालो के लिए क्या श्रेष्ठ है ?

संतान चाहने वालो के लिए पुत्र श्रेष्ठ है।

53)   (यक्ष ने पूछा)  ऐसा कौन सा पुरुष है जो इन्द्रियों के विषयो को अनुभव करते हुए, श्वास लेते हुए, बुद्धिमान, लोक में सम्मानित और सब प्राणियों का माननीय होकर भी वास्तव में जीवित नहीं है ?

जो,पुरुष, देवता, अतिथि, सेवक, माता-पिता, और आत्मा इन पांचो का पोषण नहीं करता। वह श्वास लेने पर भी जीवित नहीं है।

54)  (यक्ष ने पूछा)  सो जाने पर कौन पलक नहीं मूँदता?

मछली सोने पर आँखे नहीं मुंदती।

55)  (यक्ष ने पूछा)  उत्पन्न होने पर कौन चेष्टा नहीं करता?
अंडा उत्पन्न होने पर भी चेष्टा नहीं करता।

56)  (यक्ष ने पूछा)  हृदय किस में नहीं है ?

पत्थर में ह्रदय नहीं है।

57)  (यक्ष ने पूछा)  वेग से कौन बढ़ती है?

 नदी वेग से बढ़ती है।

58)  (यक्ष ने पूछा)  रोगी का मित्र कौन है?
वैद्य रोगी का मित्र है।

59)   (यक्ष ने पूछा)   समस्त प्राणियों का अतिथि कौन है?

अग्नि समस्त प्राणियों का अथिति है।
60(यक्ष ने पूछा) सनातन धर्म क्या है?

 अविनाशी नित्य धर्म-कर्म।

61)   (यक्ष ने पूछा)अमृत क्या है ?

गौ का दूध अमृत है।

62)   (यक्ष ने पूछा)  अकेला कौन विचरता (घूमता ) है ?   

सूर्य अकेला विचरता है।

63) (यक्ष ने पूछा) एक बार उत्पन्न होने पर दोबारा उत्पन्न नहीं होता?
चन्द्रमा
64)   (यक्ष ने पूछा)  शीत की औषधि क्या है ?

अग्नि शीत की औषधि है।

65)  (यक्ष ने पूछा)  स्वर्ग का मुख्य स्थान क्या है

स्वर्ग का मुख्य स्थान सत्य है।

66)   (यक्ष ने पूछा)  धनो में उत्तम धन क्या है?

जिसके पास शास्त्र ज्ञान है वह धनवान है।

67(यक्ष ने पूछा) लोक में श्रेष्ठ धर्म क्या है?

 दया ।
68)   (यक्ष ने पूछा)   सत्पुरुषों का सा धर्म क्या है

यज्ञ सत्पुरुषों सा धर्म है

69)   (यक्ष ने पूछा) असत्पुरुषो का सा आचरण क्या है?

निंदा (बुराई ) करना असत्पुरुषो का सा आचरण है।

70(यक्ष ने पूछा) किस को वश में करने से शोक नहीं होता?

मन को।

71)   (यक्ष ने पूछा)  किन के साथ हुयी संधि नष्ट नहीं होती।?

सत्पुरुषों के साथ हुयी संधि कभी नहीं टूटती है।
72)   (यक्ष ने पूछा)  ब्राहम्णो को दान क्यों दिया जाता है ?

ब्राहम्णो को दान धर्म के लिए दिया जाता है।

73)  (यक्ष ने पूछा)   नट और नर्तकों को दान क्यों दिया जाता है?

नट और नर्तकों को दान यश के लिए देते है।

74)  (यक्ष ने पूछा) सेवक को दान क्यों दिया जाता?

सेवको को उनके भरण और पोषण के लिए दान दिया जाता है।

75)  (यक्ष ने पूछा)  राजा को दान क्यों दिया जाता है ?

राजा को भय के कारण दान दिया जाता है।

76(यक्ष ने पूछा) जगत किस वस्तु से ढका हुआ है?

अज्ञान से।

77)    (यक्ष ने पूछा) किस प्रकार का मनुष्य मरा हुआ कहा जाता है?

दरिद्र पुरुष मरा हुआ है।

78)   (यक्ष ने पूछा)   राष्ट्र किस प्रकार मरा हुआ कहलाता है?

बिना राजा का राज्य मरा हुआ है

79)    (यक्ष ने पूछा)  यज्ञ कैसे मृत हो जाता है?

बिना दान दक्षिणा के यज्ञ मृत हो जाता है।

80)   (यक्ष ने पूछा)  लज्जा किसे कहते है ?

न करने योग्य काम से दूर रहना लज्जा है।

81)   (यक्ष ने पूछा)  तप का लक्षण क्या है ?

अपने धर्म में रहना तप है।

82)   (यक्ष ने पूछा)  शम क्या कहलाता है?

चित्त की शान्ति ही शम है।

83)   (यक्ष ने पूछा)   उत्तम दया किसका नाम है?

सबके सुख की इच्छा रखना ही उत्तम दया है।

84)   (यक्ष ने पूछा)  साधु कौन माना जाता है?

जो समस्त प्राणियों का हित करने वाला हो, वही साधु है

85)    (यक्ष ने पूछा)  असाधु किसे कहते हैं?

निर्दयी पुरुष को ही असाधु माना गया है।

86)   (यक्ष ने पूछा)  मोह किसे कहते हैं?

धर्म मूढ़ता ही मोह है।
87)   (यक्ष ने पूछा)  सरलता किसे कहते हैं?

समचित्त होना ही सरलता है।

88)    (यक्ष ने पूछा)  मान क्या कहलाता है?

आत्माभिमान ही मान है,

88)    (यक्ष ने पूछा) आलस्य किसे जानना चाहिये?

धर्म का पालन न करना आलस्य है।

89)    (यक्ष ने पूछा)  शोक किसे कहते हैं?

 अज्ञान को ही शोक कहते हैं।
90)   (यक्ष ने पूछा)  मत्सर (ईष्या) किसे कहते हैं?

हृदय की जलन ही मत्सर है।

91)    (यक्ष ने पूछा)  अहंकार किसे कहते हैं?

महान् अज्ञान अहंकार है।

92)   (यक्ष ने पूछा)  दम्भ (पाखंडी) कौन है?

अपने को झूठ-मूठ बड़ा धर्मात्मा प्रसिद्ध करना(पाखंडी) दम्भ है।

93)   (यक्ष ने पूछा)  लाभों में प्रधान लाभ क्या है।

निरोगी होना सबसे बड़ा लाभ है।

94)   (यक्ष ने पूछा)सुखो में श्रेष्ठ सुख क्या है?

 सुखो में संतोष सबसे श्रेष्ठ सुख है।
95)   (यक्ष ने पूछा)  मनुष्य किसके कारण प्रकाशित नहीं होता?

तमोगुण के कारण वह प्रकाशित नहीं होता है।

96)   (यक्ष ने पूछा)  सुख का मुख्य स्थान क्या है ?

सुख का मुख्य स्थान शील है।

97)  (यक्ष ने पूछा)  मनुष्य किसे से त्यागने पर वह अर्थवान होता है ?

काम को त्याग कर अर्थवान होता है।

98)   (यक्ष ने पूछा)  किसे त्यागकर वह सुखी होता है।

लोभ को त्यागकर सुखी होता है।


99)   (यक्ष ने पूछा)  किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है?

अहंभाव।

100 (यक्ष ने पूछा) संसार में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात क्या है?

 प्रतिदिन आंखों के सामने कितने ही प्राणियों को मरते हुए देखकर भी व्यक्ति स्वयं अपनी मृत्यु के बारे में विचार नहीं करता।
निवेदक-
स्रोत -  महाभारत

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यह पोस्ट में दी गयी जानकारी धार्मिक विश्वास एवं आस्था एवं ग्रन्थों से पर आधारित है जो पूर्णता वैज्ञानिक नहीं है

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क्या थे यक्ष के प्रश्न? | महाभारत (Mahabharat) | B. R. Chopra | Pen Bhakti

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