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बुधवार, 20 जनवरी 2021

#सनातन धर्म के 10 सात्विक #चमत्कारिक #मंत्र से , सुख,समृद्धि बढ़ाये मंत्र


*🌸चमत्कारी सात्विक मंत्र🌸*

'मंत्र' का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं।

मंत्र 3 प्रकार के हैं- सात्विक, तांत्रिक और साबर। सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है। जानते हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है।
 
इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे।

*1) क्लेशनाशक मंत्र :*
*कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥*

*मंत्र प्रभाव :* 
इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। 

*2) शांतिदायक मंत्र :* 
*श्री राम, जय राम, जय जय राम*
 
*मंत्र प्रभाव :* 
हनुमानजी भी राम नाम का ही जप करते रहते हैं। कहते हैं राम से भी बढ़कर श्रीराम का नाम है। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से मन में शांति का प्रसार होता है, चिंताओं से छुटकारा मिलता है तथा दिमाग शांत रहता है। राम नाम के जप को सबसे उत्तम माना गया है। यह सभी तरह के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है और हृदय को निर्मल बनाकर भक्ति भाव का संचार करता है।
*3) चिंता मुक्ति मंत्र :* 
*ॐ नम: शिवाय।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। यह मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोलें व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का यह मंत्र महामंत्र है।

*4) संकटमोचन मंत्र :*  
*ॐ हं हनुमते नम:।*
 
*मंत्र प्रभाव :* 
यदि दिल में किसी भी प्रकार की घबराहट, डर या आशंका है तो निरंतर प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें और फिर निश्चिंत हो जाएं। किसी भी कार्य की सफलता और विजयी होने के लिए इसका निरंतर जप करना चाहिए। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है।
 
हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता व यश देने वाला माना गया है। यदि मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा है, तो इस मंत्र का तुरंत ही जप करना चाहिए।
*5) शांति, सुख और समृद्धि हेतु :* 
भगवान विष्णु के वैसे तो बहुत मंत्र हैं, लेकिन यहां कुछ प्रमुख प्रस्तुत हैं।
 
*➡️ॐ नमो नारायण। या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि।*
 
*➡️ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।*
*ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।*
 
*➡️ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।  तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।*
 
*➡️त्वमेव माता च पिता त्वमेव।*
*त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।।*
*त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव।*
*त्वमेव सर्व मम देवदेव।।*
 
*➡️शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।*
*विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।*
*लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।*
*वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा। विष्णु और लक्ष्मी की पूजा एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है। 

*6) मृत्यु पर विजय के लिए महामृंत्युजय मंत्र :*
*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
शिव का महामृंत्युजय मंत्र मृत्यु व काल को टालने वाला माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर यह मंत्र हर रोज बोलना संकटमोचक होता है। यदि आपके घर का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती है या बहुत ज्यादा बीमार है तो नियमपूर्वक इस मंत्र का सहारा लें। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है।

*7) सिद्धि और मोक्षदायी गायत्री मंत्र :*
*।।ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।*
 
*अर्थ :*
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
 
*मंत्र प्रभाव :*
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र है, जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिए है। यह मंत्रों का मंत्र सभी हिन्दू शास्त्रों में प्रथम और 'महामंत्र' कहा गया है। हर समस्या के लिए मात्र यह एक ही मंत्र कारगर है। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है।

*8) समृद्धिदायक मंत्र :*
*ॐ गं गणपते नम:।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना गया है। सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत में श्री गणेशाय नम: मंत्र का उत्चारण किया जाता है। उक्त दोनों मंत्रों का गणेशजी को दूर्वा व चुटकीभर सिंदूर व घी चढ़ाकर कम से कम 108 बार जप करें। इससे जीवन में सभी तरह के शुभ और लाभ की शुरुआत होगी।

*9) अचानक आए संकट से मुक्ति हेतु :*
कालिका का यह अचूक मंत्र है। इसे माता जल्द से सुन लेती हैं, लेकिन आपको इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। आजमाने के लिए मंत्र का इस्तेमाल न करें। यदि आप काली के भक्त हैं तो ही करें।
 
*1) ॐ कालिके नम:।*
*2) ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से आर्थिक लाभ मिलता है। इससे धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है। माता काली की कृपा से सब काम संभव हो जाते हैं। 15 दिन में एक बार किसी भी मंगलवार या शुक्रवार के दिन काली माता को मीठा पान व मिठाई का भोग लगाते रहें।

*10) दरिद्रतानाशक मंत्र :*
*ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।*
 
*मंत्र प्रभाव :*
इस मंत्र की 11 माला सुबह शुद्ध भावना से दीप जलाकर और धूप देकर जपने से धन, सुख, शांति प्राप्त होती है। खासकर धन के अभाव को दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए।
 श्रीगणेश के कल्याणकारी मन्त्र   
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 मंत्रो मे से कोई भी एक मंत्र का जाप करे।
1  गं ।  
2 ग्लं ।   
3  ग्लौं ।
4 श्री गणेशाय नमः ।  
5 ॐ वरदाय नमः ।
6 ॐ सुमंगलाय नमः ।  
7  ॐ चिंतामणये नमः ।
8  ॐ वक्रतुंडाय हुम् ।
9 ॐ नमो भगवते गजाननाय ।  
10 ॐ गं गणपतये नमः ।  
11ॐ ॐ श्री गणेशाय नमः ।

इन मंत्रो के जप से व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है परिस्थितिवश अगर कष्ट आता भी है तो उनसे पार पाने का सामर्थ्य मिलता है। आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है।
एवं सर्व प्रकार की रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।

भगवान गणपति के अन्य दुर्भाग्य नाशक मंत्र
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ॐ गं गणपतये नमः
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ऐसा शास्त्रोक्त वचन हैं कि गणेश जी का यह मंत्र चमत्कारिक और तत्काल फल देने वाला मंत्र हैं। इस मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं। षडाक्षर का जप आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक है ।

ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌
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किसी के द्वारा कि गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं की शीघ्र पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति कि साधना की जाती हैं। उच्छिष्ट गणपति के मंत्र का जाप अक्षय भंडार प्रदान करने वाला हैं।

ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
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आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपे

ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
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मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं। समस्त विघ्न दूर होकर धन, आध्यात्मिक चेतना के विकास एवं आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्बं गणपति का मंत्र जपे।

ॐ गूं नम:
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रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक समृध्दि प्राप्त होकर सुख सौभाग्य प्राप्त होता हैं।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पतये वर वरदे नमः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात
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लक्ष्मी प्राप्ति एवं व्यवसाय बाधाएं दूर करने हेतु उत्तम मान गया हैं।

ॐ गीः गूं गणपतये नमः स्वाहा
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इस मंत्र के जाप से समस्त प्रकार के विघ्नो एवं संकटो का का नाश होता हैं।

ॐ श्री गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा

अथवा

ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लीं हीं श्रीं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा
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विवाह में आने वाले दोषो को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः
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इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।

ॐ गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लम्बोदराय ह्रीं गं नमः
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वाद-विवाद, कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्ति, शत्रु भय से छुटकारा पाने हेतु उत्तम।

ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा
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इस मंत्र के जाप को यात्रा में सफलता प्राप्ति हेतु प्रयोग किया जाता हैं।

ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा
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यह हरिद्रा गणेश साधना का चमत्कारी मंत्र हैं।

ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः
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गृह कलेश निवारण एवं घर में सुखशान्ति कि प्राप्ति हेतु।

ॐ गं लक्ष्म्यौ आगच्छ आगच्छ फट्
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इस मंत्र के जाप से दरिद्रता का नाश होकर, धन प्राप्ति के प्रबल योग बनने लगते हैं।

ॐ गणेश महालक्ष्म्यै नमः
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व्यापार से सम्बन्धित बाधाएं एवं परेशानियां निवारण एवं व्यापर में निरंतर उन्नति हेतु।

ॐ गं रोग मुक्तये फट्
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भयानक असाध्य रोगों से परेशानी होने पर, उचित ईलाज कराने पर भी लाभ प्राप्त नहीं होरहा हो, तो पूर्ण विश्वास सें मंत्र का जाप करने से या जानकार व्यक्ति से जाप करवाने से धीरे-धीरे रोगी को रोग से छुटकारा मिलता हैं।

ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा
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इस मंत्र के जाप से मनोकामना पूर्ति के अवसर प्राप्त होने लगते हैं।

गं गणपत्ये पुत्र वरदाय नमः
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इस मंत्र के जाप से उत्तम संतान कि प्राप्ति होती हैं।

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः
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इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।

ॐ श्री गणेश ऋण छिन्धि वरेण्य हुं नमः फट
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यह ऋण हर्ता मंत्र हैं। इस मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते है और साधक का ऋण चुकता होता है। कहा जाता है कि जिसके घर में एक बार भी इस मंत्र का उच्चारण हो जाता है है उसके घर में कभी भी ऋण या दरिद्रता नहीं आ सकती।

इन मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेशकवच, संतान गणपति स्त्रोत, ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत, मयूरेश स्त्रोत, गणेश चालीसा का पाठ करते रहने से गणेश जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है।

जप विधि
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प्रात: स्नानादि शुद्ध होकर कुश या ऊन के आसन पर पूर्व की ओर मुख कर बैठें। सामने गणॆश‌जी का चित्र, यंत्र या मूर्ति स्थाप्ति करें फिर षोडशोपचार या पंचोपचार से भगवान गजानन का पूजन कर प्रथम दिन संकल्प करें। इसके बाद भगवान गणेश का एकाग्रचित्त से ध्यान करें। नैवेद्य में यदि संभव हो तो बूंदि या बेसन के लड्डू का भोग लगाये नहीं तो गुड का भोग लगाये । साधक गणेश‌जी के चित्र या मूर्ति के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जलाए। रोज १०८ माला का जाप करने से शीघ्र फल कि प्राप्ति होती हैं। यदि एक दिन में १०८ माला संभव न हो तो ५४, २७,१८ या ९ मालाओं का भी जाप किया जा सकता हैं। मंत्र जाप करने में यदि आप असमर्थ हो, तो किसी ब्राह्मण को उचित दक्षिणा देकर उनसे जाप करवाया जा सकता हैं अथवा प्रथम दिन अजपाजाप का संकल्प लेकर दिन भर अन्य कार्य भी करते हुए मन ही मन कामना अनुसार मन्त्र जाप करते रहने से पूर्वजनित प्रारब्ध कटता है जिससे आपके द्वारा किये गए मंत्रजप धीरे धीरे फल देने लगते है।
 

सनातन धर्म में मंत्रों का अत्यधिक महत्व है। मंत्रों की शक्ति से मन और आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। यहां 10 सात्विक और चमत्कारिक मंत्रों का चयन अर्थ सहित दिया गया है, जो सुख-समृद्धि बढ़ाने में सहायक हैं:


1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः

  • अर्थ: "मैं देवी लक्ष्मी को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र धन, ऐश्वर्य, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। नियमित जप से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

2. ॐ नमः शिवाय

  • अर्थ: "मैं शिव को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए उपयोगी है। शिव का स्मरण हर प्रकार के कष्ट और नकारात्मकता को दूर करता है।

3. ॐ गण गणपतये नमः

  • अर्थ: "हे गणपति, मुझे आशीर्वाद दें।"
  • महत्त्व: यह मंत्र बाधाओं को दूर करने और नए कार्यों में सफलता के लिए अत्यंत प्रभावी है। किसी भी शुभ कार्य से पहले इसका जप शुभ माना जाता है।

4. ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः

  • अर्थ: "मैं महालक्ष्मी देवी को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र धन, वैभव, और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का आह्वान करता है। यह आर्थिक परेशानियों को दूर करता है।

5. श्रीराम जय राम जय जय राम

  • अर्थ: "भगवान श्रीराम की जय हो।"
  • महत्त्व: यह मंत्र जीवन में शांति, भक्ति, और सदाचार लाने में सहायक है। राम नाम के जप से हर प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

6. ॐ हनुमते नमः

  • अर्थ: "मैं हनुमान जी को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र साहस, बल, और ऊर्जा को बढ़ाता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं को दूर करता है।

7. ॐ वासुदेवाय नमः

  • अर्थ: "मैं भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र भगवान विष्णु का स्मरण करता है और सुख-शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

8. ॐ सूर्याय नमः

  • अर्थ: "मैं सूर्य देव को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र स्वास्थ्य, ऊर्जा, और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। प्रातःकाल सूर्य को अर्घ्य देकर इस मंत्र का जप शुभ होता है।

9. ॐ नमो नारायणाय

  • अर्थ: "मैं भगवान नारायण को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह मंत्र विष्णु भगवान का ध्यान करता है और जीवन में समृद्धि, शांति, और संतोष प्रदान करता है।

10. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं नमः

  • अर्थ: "मैं देवी महालक्ष्मी को प्रणाम करता/करती हूँ।"
  • महत्त्व: यह बीज मंत्र सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, और धन प्राप्ति के लिए प्रभावशाली है। यह नकारात्मकता को दूर करता है और जीवन में शुभता लाता है।

मंत्र जाप के नियम:

  1. मंत्रों का जप प्रातःकाल या संध्या के समय शुद्ध मन और स्थान पर करें।
  2. एकाग्रता के साथ जप करें।
  3. कम से कम 108 बार जप करें।
  4. मंत्र जाप करते समय अपनी इच्छा और श्रद्धा को ध्यान में रखें।

इन मंत्रों के नियमित जप से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

गायत्री मंत्र वेदों और भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख स्तोत्र है। यह प्रार्थना, ध्यान, और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। यहाँ वेद, उपनिषद, और अन्य ग्रंथों में वर्णित प्रमुख गायत्री मंत्र और उनके अर्थ प्रस्तुत किए जा रहे हैं:


ऋग्वेद का प्रमुख गायत्री मंत्र

  1. गायत्री मंत्र
    "ॐ भूर्भुवः स्वः।
    तत्सवितुर्वरेण्यं।
    भर्गो देवस्य धीमहि।
    धियो यो नः प्रचोदयात्।।"

    अर्थ:
    हम उस परम तेजस्वी सविता (सूर्य) देवता का ध्यान करते हैं, जो पापों का नाश करने वाला, बुद्धि को प्रकाशित करने वाला और सत्य का प्रकाश देने वाला है। वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
    महत्व: यह मंत्र वेदों में सबसे प्रमुख है और इसे त्रिलोक (भूः, भुवः, स्वः) का प्रतिनिधि माना जाता है।

श्री विष्णु गायत्री मंत्र

"ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम नारायण को जानें, वासुदेव का ध्यान करें, और भगवान विष्णु हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और ज्ञान प्राप्ति का स्रोत है।


शिव गायत्री मंत्र

"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि।
तन्नः रुद्रः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम उस परब्रह्म परमेश्वर को जानें, जो महादेव (शिव) हैं। उनका ध्यान करें और रुद्र (शिव) हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र शिव की कृपा और आत्मज्ञान के लिए जपा जाता है।


देवी गायत्री मंत्र (दुर्गा)

"ॐ कात्यायन्यै च विद्महे।
कन्याकुमार्यै धीमहि।
तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम कात्यायनी (दुर्गा) को जानें, कन्या देवी का ध्यान करें, और देवी दुर्गा हमारी बुद्धि को सत्य और शक्ति की ओर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र शक्ति और साहस की प्राप्ति के लिए उपासना में उपयोग किया जाता है।


सूर्य गायत्री मंत्र

"ॐ आदित्याय च विद्महे।
सवित्रे धीमहि।
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम आदित्य (सूर्य) देव को जानें, सविता (प्रकाश देने वाले) का ध्यान करें, और सूर्य देव हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र जीवन में ऊर्जा, शक्ति और प्रकाश का स्रोत है।


गणेश गायत्री मंत्र

"ॐ एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम एकदंत (गणेश) को जानें, वक्रतुण्ड (गणेश के स्वरूप) का ध्यान करें, और भगवान गणेश हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र नई शुरुआत, विघ्नों को दूर करने और ज्ञान प्राप्ति के लिए जपा जाता है।


सरस्वती गायत्री मंत्र

"ॐ वाग्देव्यै च विद्महे।
ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि।
तन्नो वाणी प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम वाणी की देवी सरस्वती को जानें, ब्रह्मपुत्री (ब्रह्मा की पुत्री) का ध्यान करें, और सरस्वती हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र ज्ञान, विद्या, और संगीत में प्रगति के लिए जपा जाता है।


हनुमान गायत्री मंत्र

"ॐ आंजनेयाय विद्महे।
वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नः हनुमानः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम आंजनेय (हनुमान) को जानें, वायुपुत्र का ध्यान करें, और हनुमान हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र साहस, बल, और भक्तिभाव के लिए जपा जाता है।


महाभारत के विदुर नीति से प्रेरित गायत्री मंत्र

"ॐ धर्मराजाय विद्महे।
महासत्याय धीमहि।
तन्नो विदुरः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम धर्मराज विदुर को जानें, उनके महान सत्य का ध्यान करें, और वह हमें सत्य मार्ग पर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र नैतिकता और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


इन गायत्री मंत्रों का उच्चारण ध्यान, पूजा, और साधना में किया जाता है। ये मंत्र न केवल आध्यात्मिक प्रगति में सहायक हैं, बल्कि मानसिक शांति और जीवन की सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं।

 
 
#DhanLaxmiMaa #LaxmiMaa #MaaLaxmi धन लक्ष्मी माँ के चमत्कारी मंत्र | श्री सूक्त | ॐ महालक्ष्मी नमो नमः | ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः

#ज्योतिष, #तंत्र, #मंत्र, #यंत्र, @ज्योतिष, @तंत्रमंत्रयंत्र, @तंत्र, @मंत्र, @यंत्र

       हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि क...