मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें,शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं..*
mangal
*मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं :-*
*1) ॐ मंगलाय नमः*
*2) ॐ भूमि पुत्राय नमः*
*3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः*
*4) ॐ धन प्रदाय नमः*
*5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः*
*6) ॐ महा कायाय नमः*
*7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः*
*8) ॐ लोहिताय नमः*
*9) ॐ लोहिताक्षाय नमः*
*10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः*
*11) ॐ धरात्मजाय नमः*
*12) ॐ भुजाय नमः*
*13) ॐ भौमाय नमः*
*14) ॐ भुमिजाय नमः*
*15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः*
*16) ॐ अंगारकाय नमः*
*17) ॐ यमाय नमः*
*18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः*
*19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः*
*20) ॐ वृष्टि हराते नमः*
*21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः*
*ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-*
*भूमि पुत्रो महा तेजा*
*कुमारो रक्त वस्त्रका*
*ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम*
*ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे*
*हे भूमि पुत्र!..महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ..*
*1) ॐ मंगलाय नमः*
*2) ॐ भूमि पुत्राय नमः*
*3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः*
*4) ॐ धन प्रदाय नमः*
*5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः*
*6) ॐ महा कायाय नमः*
*7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः*
*8) ॐ लोहिताय नमः*
*9) ॐ लोहिताक्षाय नमः*
*10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः*
*11) ॐ धरात्मजाय नमः*
*12) ॐ भुजाय नमः*
*13) ॐ भौमाय नमः*
*14) ॐ भुमिजाय नमः*
*15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः*
*16) ॐ अंगारकाय नमः*
*17) ॐ यमाय नमः*
*18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः*
*19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः*
*20) ॐ वृष्टि हराते नमः*
*21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः*
*ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-*
*भूमि पुत्रो महा तेजा*
*कुमारो रक्त वस्त्रका*
*ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम*
*ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे*
*हे भूमि पुत्र!..महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ..*
*कोई कष्ट हो तो*
*हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
*ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
*ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
*ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*
*ॐ अविघ्नाय नम:*
*ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
*हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
*ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
*ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
*ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*
*ॐ अविघ्नाय नम:*
*ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*