श्री दुर्गा द्वात्रिशन्नाम् माला
दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥१॥
दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥२॥
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥२॥
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥३॥
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥३॥
दुर्गमज्ञान संस्थाना दुर्गमध्यान भासिनी
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ॥४॥
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ॥४॥
दुर्गमासुर संहंत्रि दुर्गमायुध धारिणी
दुर्गमांगी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥५॥
दुर्गमांगी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥५॥
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानव: ॥६॥
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानव: ॥६॥
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशय:।
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..
तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥ जगजननी ..
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥ जगजननी ..
आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥ जगजननी ..
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥ जगजननी ..
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥ जगजननी ..
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥ जगजननी ..
तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥ जगजननी ..
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥ जगजननी ..
राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा।
तू वाँछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाघा॥ जगजननी ..
तू वाँछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाघा॥ जगजननी ..
दश विद्या, नव दुर्गा नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥ जगजननी ..
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥ जगजननी ..
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥ जगजननी ..
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥ जगजननी ..
सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥ जगजननी ..
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥ जगजननी ..
तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥ जगजननी ..
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥ जगजननी ..
मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वरदे॥ जगजननी ..
कालातीता काली, कमला तू वरदे॥ जगजननी ..
शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥ जगजननी ..
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥ जगजननी ..
हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥ जगजननी ..
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥ जगजननी ..
निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥ जगजननी .. (2)
करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥ जगजननी .. (2)