चंद्र ग्रह (Moon) का ज्योतिषीय विवरण एवं उपाय
चंद्र ग्रह मन, भावना, माता, मानसिक शांति, जल तत्व, कल्पनाशक्ति और स्त्रियों का कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा मजबूत हो तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित, सौम्य और कल्पनाशील होता है। लेकिन यदि यह कमजोर हो तो मानसिक तनाव, अस्थिरता, चिंता, और माता से संबंध में तनाव आ सकता है।
दिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व
चन्द्रमा को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आँख, छाती आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है। लाल के किताब के अनुसार चंद्र एक शुभ ग्रह है। यह सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह कहा गया है।
ज्योतिष के अनुसार मनुष्य जीवन पर चंद्रमा का प्रभाव
शारीरिक बनावट एवं स्वभाव - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के लग्न भाव में चंद्रमा होता है, वह व्यक्ति देखने में सुंदर और आकर्षक होता है और स्वभाव से साहसी होता है। चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने सिद्धांतों को महत्व देता है। व्यक्ति की यात्रा करने में रुचि होती है। लग्न भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को प्रबल कल्पनाशील व्यक्ति बनाता है। इसके साथ ही व्यक्ति अधिक संवेदनशील और भावुक होता है। यदि व्यक्ति के आर्थिक जीवन की बात करें तो धन संचय में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
बली चंद्रमा के प्रभाव - यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा बली हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते है। बली चंद्रमा के कारण जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा उसकी कल्पना शक्ति भी मजबूत होती है। बली चंद्रमा के कारण जातक के माता जी संबंध मधुर होते हैं और माता जी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
पीड़ित चंद्रमा के प्रभाव: पीड़ित चंद्रमा के कारण व्यक्ति को मानसिक पीड़ा होती है। इस दौरान व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है। माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। वहीं घर में पानी की कमी हो जाती है। कई बार जातक इस दौरान आत्महत्या करनी की कोशिश करता है।
रोग - यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा किसी क्रूर अथवा पापी ग्रह से पीड़ित होता है तो जातक की सेहत पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इससे जातक को मस्तिष्क पीड़ा, सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित विकार, मिर्गी के दौरे, पागलपन अथवा बेहोशी आदि की समस्या होती है।
कार्यक्षेत्र - ज्योतिष में चंद्र ग्रह से सिंचाई, जल से संबंधित कार्य, पेय पदार्थ, दूध, दुग्ध उत्पाद (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, मछली, नौसेना, टूरिज्म, आईसक्रीम, ऐनीमेशन आदि का कारोबार देखा जाता है।
उत्पाद - सभी रसदार फल तथा सब्जी, गन्ना, शकरकंद, केसर, मक्का, चांदी, मोती, कपूर जैसी वस्तुए चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
स्थान - ज्योतिष में चंद्र ग्रह हिल स्टेशन, पानी से जुड़े स्थान, टंकियाँ, कुएं, जंगल, डेयरी, तबेला, फ्रिज आदि को दर्शाता है।
जानवर तथा पक्षी - कुत्ता, बिल्लू, सफेद चूहे, बत्तक, कछुआ, मछली आदि पशु पक्षी ज्योतिष में चंद्र ग्रह द्वारा दर्शायी जाती हैं।
जड़ - खिरनी।
रत्न - मोती।
रुद्राक्ष - दो मुखी रुद्राक्ष।
यंत्र - चंद्र यंत्र।
रंग - सफेद
चंद्र ग्रह के उपाय के तहत व्यक्ति को सोमवार का व्रत धारण और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
चंद्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य
पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
चंद्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः
चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
खगोल विज्ञान में चंद्रमा का महत्व
खगोल शास्त्र में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का उपग्रह माना गया है। जिस प्रकार धरती सूर्य के चक्कर लगाती है ठीक उसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। पृथ्वी पर स्थित जल में होने वाली हलचल चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण होती है। सूर्य के बाद आसमान पर सबसे चमकीला चंद्रमा ही है। जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो यह सूर्य को क लेता है तो उस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
चंद्रमा का पौराणिक महत्व
हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रह को चंद्र देवता के रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म के अनुसार चंद्रमा जल तत्व के देव हैं। चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है। सोमवार का दिन चंद्र देव का दिन होता है। शास्त्रों में भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना जाता है। अतः जो व्यक्ति भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन्हें चंद्र देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। श्रीमद्भगवत के अनुसार, चंद्र देव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त हैं। पौराणिक शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता कहा जाता है और दिशाओं में यह वायव्य दिशा का स्वामी होता है।
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि हिन्दू ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। मनुष्य के शरीर में 60 प्रतिशत से भी अधिक पानी होता है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि चंद्रमा मनुष्य पर किस तरह का प्रभाव डालता होगा।
1. चंद्र ग्रह के मंत्र
चंद्रमा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
(क) चंद्र बीज मंत्र
👉 ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
(ख) चंद्र गायत्री मंत्र
👉 ॐ पद्मद्वीजाय विद्महे हिमरूपाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात्।
(ग) चंद्र वेद मंत्र
👉 दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम्। नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्॥
(घ) महा चंद्र मंत्र
👉 ॐ सोम सोमाय नमः।
👉 जाप संख्या: 11,000 बार
👉 समय: रात 8 से 10 बजे, सोमवार को
👉 माला: मोती (पर्ल) या रुद्राक्ष माला
2. चंद्र यंत्र
चंद्र यंत्र को धारण या पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है।
- यंत्र निर्माण का समय: सोमवार, पूर्णिमा तिथि
- यंत्र धातु: चांदी या तांबे की प्लेट
- यंत्र का स्वरूप:
- स्थापना विधि:
- चंद्र यंत्र को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं।
- इसे सफेद कपड़े पर रखें।
- दीपक जलाकर "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" मंत्र का जाप करें।
3. चंद्र ग्रह से संबंधित तांत्रिक उपाय (तंत्र)
- चंद्र ग्रह के लिए तांत्रिक प्रयोग:
- सोमवार को चांदी की अंगूठी में मोती धारण करें।
- जल में दूध और चावल मिलाकर चंद्र को अर्घ्य दें।
- मानसिक शांति के लिए:
- पूर्णिमा की रात चंद्रमा के नीचे बैठकर ध्यान करें।
- रोग निवारण तांत्रिक उपाय:
- किसी भी मंदिर में सफेद वस्त्र, चावल और दूध का दान करें।
4. चंद्र ग्रह से जुड़े टोटके
- मानसिक शांति के लिए:
- सोमवार को सफेद चीजें जैसे दूध, चावल, शक्कर, मोती दान करें।
- माता से संबंध सुधारने के लिए:
- हर सोमवार को माता के चरण छूकर आशीर्वाद लें।
- जल तत्व को संतुलित करने के लिए:
- गंगाजल का सेवन करें और स्नान करें।
- चंद्र दोष निवारण के लिए:
- हर पूर्णिमा को खीर बनाकर गरीबों को बांटें।
5. कुंडली में चंद्र ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव
(क) चंद्र का 12 भावों में फल
- प्रथम भाव (लग्न): मनोबल ऊंचा, लेकिन भावुकता अधिक।
- द्वितीय भाव: मीठी वाणी, लेकिन धन की अस्थिरता।
- तृतीय भाव: भाइयों से अच्छा संबंध, लेकिन मानसिक द्वंद्व।
- चतुर्थ भाव: माता से प्रेम, घर में सुख-शांति।
- पंचम भाव: कल्पनाशीलता, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
- षष्ठम भाव: स्वास्थ्य संबंधी चिंता, पेट संबंधी रोग।
- सप्तम भाव: जीवनसाथी से प्रेम, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
- अष्टम भाव: गूढ़ ज्ञान, अचानक परिवर्तन।
- नवम भाव: भाग्यशाली, धार्मिक प्रवृत्ति।
- दशम भाव: सरकारी नौकरी, प्रतिष्ठा।
- एकादश भाव: अच्छी आय, भावनात्मक संतुलन।
- द्वादश भाव: विदेश यात्रा, मानसिक तनाव।
6. चंद्र ग्रह की विभिन्न राशियों में स्थिति का प्रभाव
- मेष: ऊर्जा अधिक, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
- वृषभ: शुभ, धैर्यवान और धनवान।
- मिथुन: बुद्धिमान, लेकिन अस्थिर विचार।
- कर्क: उच्च स्थिति, मानसिक शांति।
- सिंह: आत्मविश्वास, लेकिन क्रोध अधिक।
- कन्या: विश्लेषणात्मक सोच, लेकिन मानसिक चिंता।
- तुला: संतुलित स्वभाव, लेकिन भावुकता अधिक।
- वृश्चिक: गूढ़ ज्ञान, लेकिन मानसिक द्वंद्व।
- धनु: भाग्यशाली, आध्यात्मिक झुकाव।
- मकर: जिम्मेदार, लेकिन कम भावुकता।
- कुंभ: नवाचार, लेकिन मूडी स्वभाव।
- मीन: आध्यात्मिक, कल्पनाशील।
7. चंद्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का प्रभाव
- चंद्र + सूर्य: मानसिक स्थिरता, लेकिन अहंकार।
- चंद्र + मंगल: गुस्सा, ऊर्जा अधिक।
- चंद्र + बुध (चंद्र-बुद्धि योग): बुद्धिमान, संचार में कुशल।
- चंद्र + गुरु: धार्मिक प्रवृत्ति, ज्ञानवान।
- चंद्र + शुक्र: कला, सौंदर्य प्रेम।
- चंद्र + शनि: मानसिक तनाव, चिंता।
- चंद्र + राहु: भ्रम, मानसिक अस्थिरता।
- चंद्र + केतु: आध्यात्मिक, अंतर्ज्ञान प्रबल।
8. चंद्र ग्रह के कमजोर होने के लक्षण
- मानसिक तनाव और चिंता।
- माता से संबंध खराब।
- नींद की समस्या।
- त्वचा और जल तत्व संबंधी रोग।
9. चंद्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- रत्न: मोती (पर्ल) चांदी में धारण करें।
- धारण मंत्र:
ॐ सोम सोमाय नमः।
- दिन: सोमवार, चंद्र होरा में।
- धारण मंत्र:
- दान:
- सफेद वस्त्र, दूध, चावल, शंख दान करें।
- व्रत:
- सोमवार को व्रत रखें, दूध और फलाहार लें।
- जल अर्घ्य:
- चंद्रमा को दूध और जल अर्पित करें।
- चंद्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह मन, मॉं और सुंदरता का कारक होता है। चंद्र ग्रह शांति से संबंधित कई उपाय हैं। इनमें सोमवार का व्रत, चंद्र यंत्र, चंद्र मंत्र, चंद्र ग्रह से संबंधित वस्तु का दान, खिरनी की जड़ और दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना समेत कई उपाय हैं। कुंडली में चंद्रमा की शुभ स्थिति से जीवन में प्रसन्नता, सुख, माता का बेहतर स्वास्थ्य और अच्छा जीवन साथी प्राप्त होता है। वहीं चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से मानसिक विकार, मन का भटकना, माता को कष्ट आदि परेशानी आती है। यदि कुंडली में चंद्रमा किसी बुरे ग्रह से पीड़ित है, तो चंद्र ग्रह से संबंधित कार्यों को अवश्य करना चाहिए। इन उपायों को करने से चंद्रमा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा से संबंधित वस्त्र और उत्पाद आदि को ग्रहण और धारण करना भी चंद्र ग्रह से जुड़े अहम उपाय हैं।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े चंद्र ग्रह शांति के उपाय
चंद्र ग्रह शांति के लिये उपाय
सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
माता जी, सास एवं बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान करें।
रात को दूध का सेवन करें।
चाँदी के बर्तनों का प्रयोग करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले चंद्र ग्रह के उपाय
माँ दुर्गा की पूजा करें।
भगवान शिव की आराधना करें।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
शिव चालिसा/दुर्गा चालिसा का जाप करें।
चंद्र ग्रह के लिये व्रत
शुभ चंद्र सुख, शांति, समृद्धि और दयालुता का द्यौतक है। चंद्र ग्रह की कृपा दृष्टि पाने के लिए सोमवार को उपवास रखें।
चंद्र ग्रह शांति के लिये दान करें
चंद्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान सोमवार को चंद्र की होरा और चंद्र के नक्षत्रों (रोहिणी, हस्त, श्रवण) में प्रातः किया जाना चाहिए।
दान करने वाली वस्तुएँ- दूध, चावल, चांदी, मोती, सफेद कपड़े, सफेद पुष्प एवं शंख आदि।
चंद्रमा के लिए रत्न
ज्योतिष में चंद्र ग्रह के लिए मोती रत्न को धारण करने का विधान है। यदि किसी जातक की कर्क राशि है तो उसे मोती को धारण करना चाहिए। इससे जातक को चंद्रमा के अच्छे फल प्राप्त होंगे।
श्री चंद्र यंत्र
चंद्र ग्रह शांति के लिए चंद्र यंत्र को सोमवार को चंद्र की होरा और चंद्र के नक्षत्रों के समय धारण करें।
चंद्र के लिये जड़ी
खिरनी की जड़ को धारण करने से आप चंद्र ग्रह से शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इस जड़ को सोमवार के दिन चंद्र की होरा एवं चंद्र के नक्षत्रों में धारण करें।
चंद्र के लिये रुद्राक्ष
चंद्र के लिए 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्षौं व्रीं।।
चंद्र मंत्र
चंद्र देव की कृपा दृष्टि पाने के लिए आपको चंद्र बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र - ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः!
11000 बार चंद्र मंत्र का उच्चारण करें। हालाँकि देश-काल-पात्र के सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को (11000X4) 44000 बार जपने की सलाह दी गई है।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ सों सोमाय नमः!
इस आलेख में दिए गए चंद्र ग्रह शांति के उपाय वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, जो कि बहुत ही कारगर और आसान हैं। यदि आप चंद्र को मजबूत करने के उपाय को विधि पूर्वक करते हैं तो इससे आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा। चंद्र ग्रह शांति मंत्र मन में सकारात्मक विचारों को जन्म देता है जिससे व्यक्ति सही दिशा में सोचकर आगे की ओर क़दम बढ़ाता है। चंद्र दोष के उपाय से जातक को माता का सुख प्राप्त होता है। चंद्रमा मजबूत होने से माता को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रह को कर्क राशि का स्वामी कहा जाता है। अतः इस राशि के जातक चंद्र ग्रह के उपाय कर सकते हैं। कई बार लोगों को यह लगता है कि कुंडली में ग्रह के कमज़ोर होने पर ही ग्रह शांति के उपाय करने चाहिए। लेकिन यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत है तो इसके शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए आप चंद्र ग्रह शांति के उपाय भी कर सकते हैं। इस लेख में चंद्र ग्रह के उपाय जैसे चंद्र ग्रह का मंत्र जाप, चंद्र ग्रह के लिए दान, चंद्र व्रत आदि को करने की विधि भी बहुत सरल तरीके से बतायी गई है।
निष्कर्ष:
चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए इसे शांत और स्थिर रखना आवश्यक है। इसके लिए चंद्र मंत्र जाप करें, सफेद वस्तुओं का दान करें, मोती धारण करें, और पूर्णिमा को विशेष रूप से चंद्र पूजन करें।