॥ सर्व गायत्रीमन्त्राः॥ 145 देवो के गायत्री मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः #ॐ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शनिवार, 3 अप्रैल 2021

॥ सर्व गायत्रीमन्त्राः॥ 145 देवो के गायत्री मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः #ॐ

  ॥ सर्व गायत्रीमन्त्राः॥ 145 देवो के गायत्री मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः #ॐ

      

गायत्री मंत्र वेदों और भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख स्तोत्र है। यह प्रार्थना, ध्यान, और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। यहाँ वेद, उपनिषद, और अन्य ग्रंथों में वर्णित प्रमुख गायत्री मंत्र और उनके अर्थ प्रस्तुत किए जा रहे हैं:


ऋग्वेद का प्रमुख गायत्री मंत्र

  1. गायत्री मंत्र
    "ॐ भूर्भुवः स्वः।
    तत्सवितुर्वरेण्यं।
    भर्गो देवस्य धीमहि।
    धियो यो नः प्रचोदयात्।।"

    अर्थ:
    हम उस परम तेजस्वी सविता (सूर्य) देवता का ध्यान करते हैं, जो पापों का नाश करने वाला, बुद्धि को प्रकाशित करने वाला और सत्य का प्रकाश देने वाला है। वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।

    महत्व: यह मंत्र वेदों में सबसे प्रमुख है और इसे त्रिलोक (भूः, भुवः, स्वः) का प्रतिनिधि माना जाता है।


श्री विष्णु गायत्री मंत्र

"ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम नारायण को जानें, वासुदेव का ध्यान करें, और भगवान विष्णु हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और ज्ञान प्राप्ति का स्रोत है।


शिव गायत्री मंत्र

"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि।
तन्नः रुद्रः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम उस परब्रह्म परमेश्वर को जानें, जो महादेव (शिव) हैं। उनका ध्यान करें और रुद्र (शिव) हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र शिव की कृपा और आत्मज्ञान के लिए जपा जाता है।


देवी गायत्री मंत्र (दुर्गा)

"ॐ कात्यायन्यै च विद्महे।
कन्याकुमार्यै धीमहि।
तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम कात्यायनी (दुर्गा) को जानें, कन्या देवी का ध्यान करें, और देवी दुर्गा हमारी बुद्धि को सत्य और शक्ति की ओर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र शक्ति और साहस की प्राप्ति के लिए उपासना में उपयोग किया जाता है।


सूर्य गायत्री मंत्र

"ॐ आदित्याय च विद्महे।
सवित्रे धीमहि।
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम आदित्य (सूर्य) देव को जानें, सविता (प्रकाश देने वाले) का ध्यान करें, और सूर्य देव हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र जीवन में ऊर्जा, शक्ति और प्रकाश का स्रोत है।


गणेश गायत्री मंत्र

"ॐ एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम एकदंत (गणेश) को जानें, वक्रतुण्ड (गणेश के स्वरूप) का ध्यान करें, और भगवान गणेश हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र नई शुरुआत, विघ्नों को दूर करने और ज्ञान प्राप्ति के लिए जपा जाता है।


सरस्वती गायत्री मंत्र

"ॐ वाग्देव्यै च विद्महे।
ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि।
तन्नो वाणी प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम वाणी की देवी सरस्वती को जानें, ब्रह्मपुत्री (ब्रह्मा की पुत्री) का ध्यान करें, और सरस्वती हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र ज्ञान, विद्या, और संगीत में प्रगति के लिए जपा जाता है।


हनुमान गायत्री मंत्र

"ॐ आंजनेयाय विद्महे।
वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नः हनुमानः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम आंजनेय (हनुमान) को जानें, वायुपुत्र का ध्यान करें, और हनुमान हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र साहस, बल, और भक्तिभाव के लिए जपा जाता है।


महाभारत के विदुर नीति से प्रेरित गायत्री मंत्र

"ॐ धर्मराजाय विद्महे।
महासत्याय धीमहि।
तन्नो विदुरः प्रचोदयात्।।"

अर्थ:
हम धर्मराज विदुर को जानें, उनके महान सत्य का ध्यान करें, और वह हमें सत्य मार्ग पर प्रेरित करें।

महत्व: यह मंत्र नैतिकता और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


इन गायत्री मंत्रों का उच्चारण ध्यान, पूजा, और साधना में किया जाता है। ये मंत्र न केवल आध्यात्मिक प्रगति में सहायक हैं, बल्कि मानसिक शांति और जीवन की सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं।

 

     

 

सर्व गायत्रीमन्त्राः
145 देवो के गायत्री मंत्र
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1 सूर्य ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

1. सूर्य गायत्री (ॐ भूर्भुवः स्वः...)

अर्थ:
हम उस सविता (सूर्य देव) के तेज का ध्यान करते हैं, जो पूजनीय और पवित्र है। वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।


 2 ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि तन्नो भानुः प्रचोदयात् ॥

 3 ॐ प्रभाकराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
4 ॐ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
5 ॐ भास्कराय विद्महे महद्द्युतिकराय धीमहि तन्न आदित्यः प्रचोदयात् ॥
6 ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
7 ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
8 ॐ भास्कराय विद्महे महाद्द्युतिकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
9 चन्द्र ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥
10 ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥
11 ॐ निशाकराय विद्महे कलानाथाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात् ॥
12 अङ्गारक, भौम, मङ्गल, कुज ॐ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
13 ॐ अङ्गारकाय विद्महे भूमिपालाय धीमहि तन्नः कुजः प्रचोदयात् ॥
 14 ॐ चित्रिपुत्राय विद्महे लोहिताङ्गाय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
15 ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
 16 बुध ॐ गजध्वजाय विद्महे सुखहस्ताय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
 17 ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नो बुधः
प्रचोदयात् ॥
18 ॐ सौम्यरूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
19 गुरु ॐ वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
 20 ॐ सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
 21 शुक्र ॐ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
22 ॐ रजदाभाय विद्महे भृगुसुताय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
23 ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
 24 शनीश्वर, शनैश्चर, शनी ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
25 ॐ शनैश्चराय विद्महे सूर्यपुत्राय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
 26 ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ॥
27 राहु ॐ नाकध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
28 ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
29 केतु ॐ अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
30 ॐ चित्रवर्णाय विद्महे सर्परूपाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
31 ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
32 पृथ्वी ॐ पृथ्वी देव्यै विद्महे सहस्रमर्त्यै च धीमहि तन्नः पृथ्वी प्रचोदयात् ॥
33 ब्रह्मा ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
34 ॐ वेदात्मनाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
35 ॐ चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलुधराय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
36 ॐ परमेश्वराय विद्महे परमतत्त्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
37 विष्णु ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
38 नारायण ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
39 वेङ्कटेश्वर ॐ निरञ्जनाय विद्महे निरपाशाय धीमहि तन्नः श्रीनिवासः प्रचोदयात् ॥
40 राम ॐ रघुवंश्याय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
41 ॐ दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
42 ॐ भरताग्रजाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
43 ॐ भरताग्रजाय विद्महे रघुनन्दनाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
44 कृष्ण ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥
45 ॐ दामोदराय विद्महे रुक्मिणीवल्लभाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥
46 ॐ गोविन्दाय विद्महे गोपीवल्लभाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ।
47 गोपाल ॐ गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि तन्नो गोपालः प्रचोदयात् ॥
48 पाण्डुरङ्ग ॐ भक्तवरदाय विद्महे पाण्डुरङ्गाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥
49 नृसिंह ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि तन्नो नारसिꣳहः प्रचोदयात् ॥
50 ॐ नृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नः सिंहः प्रचोदयात् ॥
51 परशुराम ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नः परशुरामः प्रचोदयात् ॥
52 इन्द्र ॐ सहस्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्न इन्द्रः प्रचोदयात् ॥
53 हनुमान ॐ आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात्
54 ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥
55 मारुती ॐ मरुत्पुत्राय विद्महे आञ्जनेयाय धीमहि तन्नो मारुतिः प्रचोदयात् ॥
56 दुर्गा ॐ कात्यायनाय विद्महे कन्यकुमारी च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥
57 ॐ महाशूलिन्यै विद्महे महादुर्गायै धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात् ॥
58 ॐ गिरिजायै च विद्महे शिवप्रियायै च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥
59 शक्ति ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे विश्वजनन्यै च धीमहि तन्नः शक्तिः प्रचोदयात् ॥
60 काली ॐ कालिकायै च विद्महे श्मशानवासिन्यै च धीमहि तन्न अघोरा प्रचोदयात् ॥
61 ॐ आद्यायै च विद्महे परमेश्वर्यै च धीमहि तन्नः कालीः प्रचोदयात् ॥
62 देवी ॐ महाशूलिन्यै च विद्महे महादुर्गायै धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात् ॥
63 ॐ वाग्देव्यै च विद्महे कामराज्ञै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
64 गौरी ॐ सुभगायै च विद्महे काममालिन्यै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥
65 लक्ष्मी ॐ महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नीश्च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥
66 ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥
67 सरस्वती ॐ वाग्देव्यै च विद्महे विरिञ्चिपत्न्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात् ॥
68 सीता ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै च धीमहि तन्नः सीता प्रचोदयात् ॥
69 राधा ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात् ॥
70 अन्नपूर्णा ॐ भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि तन्न अन्नपूर्णा प्रचोदयात् ॥
71 तुलसी ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे विष्णुप्रियायै च धीमहि तन्नो बृन्दः प्रचोदयात् ॥
72 महादेव ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
73 रुद्र ॐ पुरुषस्य विद्महे सहस्राक्षस्य धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
74 ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
75 शङ्कर ॐ सदाशिवाय विद्महे सहस्राक्ष्याय धीमहि तन्नः साम्बः प्रचोदयात् ॥
76 नन्दिकेश्वर ॐ तत्पुरुषाय विद्महे नन्दिकेश्वराय धीमहि तन्नो वृषभः प्रचोदयात् ॥
77 गणेश ॐ तत्कराटाय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
78 ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
79 ॐ तत्पुरुषाय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
80 ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
81 ॐ लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
82 षण्मुख ॐ षण्मुखाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नः स्कन्दः प्रचोदयात्॥
83 ॐ षण्मुखाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नः षष्ठः प्रचोदयात् ॥
84 सुब्रह्मण्य ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नः षण्मुखः प्रचोदयात् ॥
85 ॐ ॐ ॐकाराय विद्महे डमरुजातस्य धीमहि! तन्नः प्रणवः प्रचोदयात् ॥
86 अजपा ॐ हंस हंसाय विद्महे सोऽहं हंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥
87 दक्षिणामूर्ति ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीशः प्रचोदयात् ॥
88 गुरु ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्मणे धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
89 हयग्रीव ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥
90 अग्नि ॐ सप्तजिह्वाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्न अग्निः प्रचोदयात् ॥
91 ॐ वैश्वानराय विद्महे लालीलाय धीमहि तन्न अग्निः प्रचोदयात् ॥
92 ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात् ॥
93 यम ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यमः प्रचोदयात् ॥
94 वरुण ॐ जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो वरुणः प्रचोदयात् ॥
95 वैश्वानर ॐ पावकाय विद्महे सप्तजिह्वाय धीमहि तन्नो वैश्वानरः प्रचोदयात् ॥
96 मन्मथ ॐ कामदेवाय विद्महे पुष्पवनाय धीमहि तन्नः कामः प्रचोदयात् ॥
97 हंस ॐ हंस हंसाय विद्महे परमहंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥
98 ॐ परमहंसाय विद्महे महत्तत्त्वाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥
99 नन्दी ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो नन्दिः प्रचोदयात् ॥
100 गरुड ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुडः प्रचोदयात् ॥
101 सर्प ॐ नवकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नः सर्पः प्रचोदयात् ॥
102 पाञ्चजन्य ॐ पाञ्चजन्याय विद्महे पावमानाय धीमहि तन्नः शङ्खः प्रचोदयात् ॥
103 सुदर्शन ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् ॥
104 अग्नि ॐ रुद्रनेत्राय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो वह्निः प्रचोदयात् ॥
105 ॐ वैश्वानराय विद्महे लाललीलाय धीमहि तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ॥
106 ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निमथनाय धीमहि तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ॥
107 आकाश ॐ आकाशाय च विद्महे नभोदेवाय धीमहि तन्नो गगनं प्रचोदयात् ॥
108 अन्नपूर्णा ॐ भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि तन्नोऽन्नपूर्णा प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र, वैदिक साहित्य में प्राचीनतम और पवित्रतम मंत्र है। इसमें सभी देवताओं के रूप और उनके उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए स्तुति की गई है। यहाँ दिए गए मंत्र गायत्री छंद में लिखे गए हैं, और प्रत्येक मंत्र में संबंधित देवता या शक्ति की महिमा और उनसे प्रेरणा प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है।

1. सूर्य गायत्री (ॐ भूर्भुवः स्वः...)

अर्थ:
हम उस सविता (सूर्य देव) के तेज का ध्यान करते हैं, जो पूजनीय और पवित्र है। वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।

2. आदित्य गायत्री (ॐ आदित्याय विद्महे...)

अर्थ:
हम उस सहस्र किरणों वाले आदित्य देव को जानते हैं और उनकी महिमा का ध्यान करते हैं। वह हमें ज्ञान और प्रकाश प्रदान करें।

3. प्रभाकर गायत्री (ॐ प्रभाकराय विद्महे...)

अर्थ:
हम प्रभाकर (सूर्य देव) का ध्यान करते हैं जो प्रकाश फैलाते हैं। वह हमारी आत्मा को प्रेरित करें।

4. अश्वध्वज गायत्री (ॐ अश्वध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम अश्वध्वज (सूर्य देव, जिनका ध्वज अश्व का प्रतीक है) का ध्यान करते हैं। वह हमें सशक्त और मार्गदर्शित करें।

5. भास्कर गायत्री (ॐ भास्कराय विद्महे...)

अर्थ:
हम महा तेजस्वी भास्कर देव का ध्यान करते हैं। वह हमें ज्ञान और प्रकाश प्रदान करें।


9. चंद्र गायत्री (ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे...)

अर्थ:
हम क्षीरपुत्र (चंद्रमा, जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए) का ध्यान करते हैं। वह हमें शीतलता और शांति प्रदान करें।

12. मंगल गायत्री (ॐ वीरध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम वीरध्वज (मंगल देव, पराक्रम के प्रतीक) का ध्यान करते हैं। वह हमारी ऊर्जा को प्रेरित करें।

16. बुध गायत्री (ॐ गजध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम बुध देव (गजध्वज, जो विवेक और वाणी के देवता हैं) का ध्यान करते हैं। वह हमारी बुद्धि को जागृत करें।

19. गुरु गायत्री (ॐ वृषभध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम गुरु बृहस्पति (वृषभध्वज, जिनका ध्वज वृषभ से सुशोभित है) का ध्यान करते हैं। वह हमें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करें।

21. शुक्र गायत्री (ॐ अश्वध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम शुक्र देव (अश्वध्वज, समृद्धि और कल्याण के देवता) का ध्यान करते हैं। वह हमें कला और सौंदर्य का वरदान दें।


24. शनि गायत्री (ॐ काकध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम शनि देव (काकध्वज, न्याय और कर्मफल के देवता) का ध्यान करते हैं। वह हमें सहनशीलता और स्थिरता प्रदान करें।

27. राहु गायत्री (ॐ नाकध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम राहु देव (नाकध्वज, जिनकी ध्वजा सर्प से सुशोभित है) का ध्यान करते हैं। वह हमें विपरीत परिस्थितियों में धैर्य प्रदान करें।

29. केतु गायत्री (ॐ अश्वध्वजाय विद्महे...)

अर्थ:
हम केतु देव (अश्वध्वज, आत्मज्ञान और मुक्ति के प्रतीक) का ध्यान करते हैं। वह हमें आध्यात्मिकता का आशीर्वाद दें।


37. विष्णु गायत्री (ॐ नारायणाय विद्महे...)

अर्थ:
हम नारायण (सृष्टि के पालनहार विष्णु) का ध्यान करते हैं। वह हमें संतुलन और शांति प्रदान करें।

49. नृसिंह गायत्री (ॐ वज्रनखाय विद्महे...)

अर्थ:
हम नृसिंह (जो राक्षसों का संहार करने वाले हैं) का ध्यान करते हैं। वह हमें साहस और सुरक्षा प्रदान करें।

53. हनुमान गायत्री (ॐ आञ्जनेयाय विद्महे...)

अर्थ:
हम आञ्जनेय (हनुमान, शक्ति और भक्ति के प्रतीक) का ध्यान करते हैं। वह हमें बल और साहस दें।


65. लक्ष्मी गायत्री (ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे...)

अर्थ:
हम महालक्ष्मी (धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी) का ध्यान करते हैं। वह हमें जीवन में संपन्नता प्रदान करें।

72. महादेव गायत्री (ॐ तत्पुरुषाय विद्महे...)

अर्थ:
हम महादेव (शिव, सृष्टि के संहारक और परम कल्याणकारी) का ध्यान करते हैं। वह हमें आत्मज्ञान प्रदान करें।


सभी मंत्रों में मुख्य भाव यह है कि प्रत्येक देवता के विशेष गुणों को ध्यान में रखकर, उनसे प्रेरणा, ऊर्जा, ज्ञान और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है। यदि आप किसी विशेष मंत्र का विस्तृत अर्थ या उसके जाप की विधि जानना चाहें, तो कृपया बताएँ।

 

109 बगलामुखी ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
110 बटुकभैरव ॐ तत्पुरुषाय विद्महे आपदुद्धारणाय धीमहि तन्नो बटुकः प्रचोदयात् ॥
111 भैरवी ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
112 भुवनेश्वरी ॐ नारायण्यै च विद्महे भुवनेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
113 ब्रह्मा ॐ पद्मोद्भवाय विद्महे देववक्त्राय धीमहि तन्नः स्रष्टा प्रचोदयात्॥
114 ॐ वेदात्मने च विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
115 ॐ परमेश्वराय विद्महे परतत्त्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
116 चन्द्र ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥
117 छिन्नमस्ता ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
118 दक्षिणामूर्ति ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीशः प्रचोदयात्॥
119 देवी ॐ देव्यैब्रह्माण्यै विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
120 धूमावती ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥
121 दुर्गा ॐ कात्यायन्यै विद्महे कन्याकुमार्यै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥
122 ॐ महादेव्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
123 गणेश ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥
124 ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
125 गरुड ॐ वैनतेयाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुडः प्रचोदयात् ॥
126 ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपर्णाय (सुवर्णपक्षाय) धीमहि तन्नो गरुडः प्रचोदयात् ॥
127 गौरी ॐ गणाम्बिकायै विद्महे कर्मसिद्ध्यै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥
128 ॐ सुभगायै च विद्महे काममालायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥
129 गोपाल ॐ गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि तन्नो गोपालः प्रचोदयात् ॥
130 गुरु ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
131 हनुमत् ॐ रामदूताय विद्महे कपिराजाय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ॥
132 ॐ अञ्जनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ॥
133 हयग्रीव ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥
134 इन्द्र, शक्र ॐ देवराजाय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नः शक्रः प्रचोदयात्॥
135 ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्न इन्द्रः प्रचोदयात् ॥
136 जल ॐ ह्रीं जलबिम्बाय विद्महे मीनपुरुषाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
137 ॐ जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नस्त्वम्बु प्रचोदयात् ॥
138 जानकी ॐ जनकजायै विद्महे रामप्रियायै धीमहि तन्नः सीता प्रचोदयात्॥
139 जयदुर्गा ॐ नारायण्यै विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥
140 काली ॐ कालिकायै विद्महे श्मशानवासिन्यै धीमहि तन्नोऽघोरा प्रचोदयात् ॥
141 काम ॐ मनोभवाय विद्महे कन्दर्पाय धीमहि तन्नः कामः प्रचोदयात्॥
142 ॐ मन्मथेशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि तन्नोऽनङ्गः प्रचोदयात् ॥
143 ॐ कामदेवाय विद्महे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नोऽनङ्गः प्रचोदयात् ॥
144ॐ दामोदराय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥
145ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्ण: प्रचोदयात्:।

गायत्री मंत्रों का अर्थ इस प्रकार है, जिसमें हर मंत्र तीन भागों में विभाजित है:

  1. प्रथम भाग (विद्महे): दिव्य सत्ता का ध्यान और उनकी विशेषताओं का स्मरण।
  2. द्वितीय भाग (धीमहि): उस दिव्य शक्ति को अपने मन में धारण करना।
  3. तृतीय भाग (प्रचोदयात्): उनसे मार्गदर्शन और प्रेरणा की प्रार्थना।

अब मंत्रों का अर्थ संक्षेप में प्रस्तुत है:


109. बगलामुखी गायत्री

  • मंत्र: ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम बगलामुखी देवी को जानते हैं, जो विरोधियों को स्तंभित करती हैं। हम उनकी ध्यान करते हैं, वे हमारी रक्षा करें और हमें सही मार्ग पर प्रेरित करें।

110. बटुकभैरव गायत्री

  • मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे आपदुद्धारणाय धीमहि तन्नो बटुकः प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम बटुकभैरव को जानते हैं, जो आपदाओं से उद्धार करते हैं। उनका ध्यान करते हैं, वे हमें प्रेरणा दें।

111. भैरवी गायत्री

  • मंत्र: ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम त्रिपुरा भैरवी देवी को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं, वे हमें ज्ञान और ऊर्जा प्रदान करें।

112. भुवनेश्वरी गायत्री

  • मंत्र: ॐ नारायण्यै च विद्महे भुवनेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम नारायणी भुवनेश्वरी देवी को जानते हैं, जो विश्व की संरक्षिका हैं। उनका ध्यान करते हैं, वे हमें ज्ञान और शक्ति दें।

113. ब्रह्मा गायत्री

  • मंत्र: ॐ पद्मोद्भवाय विद्महे देववक्त्राय धीमहि तन्नः स्रष्टा प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम कमल से उत्पन्न ब्रह्मा को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं। वे हमें सृजनशीलता और ज्ञान प्रदान करें।

114. ब्रह्मा गायत्री

  • मंत्र: ॐ वेदात्मने च विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम वेदस्वरूप ब्रह्मा को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं। वे हमें सृष्टि के रहस्यों को समझने की प्रेरणा दें।

115. परमेश्वर गायत्री

  • मंत्र: ॐ परमेश्वराय विद्महे परतत्त्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम परमेश्वर को जानते हैं, जो परब्रह्म स्वरूप हैं। उनका ध्यान करते हैं, वे हमें आत्मज्ञान प्रदान करें।

116. चंद्र गायत्री

  • मंत्र: ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम अमृतस्वरूप चंद्रदेव को जानते हैं। उनका ध्यान करते हैं, वे हमें शांति और सुकून प्रदान करें।

117. छिन्नमस्ता गायत्री

  • मंत्र: ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम छिन्नमस्ता देवी को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं। वे हमें शक्ति और आत्मबल प्रदान करें।

118. दक्षिणामूर्ति गायत्री

  • मंत्र: ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीशः प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम दक्षिणामूर्ति भगवान को जानते हैं, जो ध्यान में स्थित हैं। वे हमें ज्ञान और विवेक प्रदान करें।

119. देवी गायत्री

  • मंत्र: ॐ देव्यै ब्रह्माण्यै विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम महाशक्ति देवी को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं। वे हमें शक्ति और सुरक्षा प्रदान करें।

120. धूमावती गायत्री

  • मंत्र: ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्।
  • अर्थ: हम धूमावती देवी को जानते हैं, उनका ध्यान करते हैं। वे हमें आत्मविश्वास और साहस प्रदान करें।

बाकी मंत्रों का अर्थ भी इसी प्रकार है। यदि आप किसी विशेष मंत्र का विस्तार से अर्थ जानना चाहते हैं, तो कृपया बताएँ।


💐🦚 हर हर महादेव🦚💐
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