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बुधवार, 8 अगस्त 2018

स्त्रीया कैसी होती ह्रै - ज्योतिष शास्त्र, How is a woman - astrology

astrology                                    
स्त्रीया कैसी होती ह्रै
बुद्ध होना आसान है। 
स्री होना कठिन है।।

एक रात चुपके से घर द्वार स्त्री बच्चे कोछोड़ कर सत्य की खोज में 
निकल जाना आसान है,,
क्योंकि 
कोई  उंगली  उठती नहीं आप पर
न ही ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं 
कोई लांछन नहीं लगाता 
शब्दों के बाणों  से 
तन मन छलनी नहीं किया जाता
उल्टे
महानता को प्राप्त हुआ जा सकता है 
समाज का उध्दारक बनने का गौरव प्राप्त हो सकता है 
सत्य की खोज सार्थक होगी या नही मालूम नही 

लेकिन

कभी सोचा है 
उनकी जगह एक स्त्री होती तो 
वो गर चुपके से निकल जाती
एक रात घर द्वार पति नवजात शिशु 
को छोड़ कर सत्य की खोज में

क्या कोई विश्वास करता
उसकी इस बात पर
कि वह सत्य की खोज 
करने निकली है
तोहमतें लगायी जाती
उसके स्त्रीत्व को 
लाँछित किया जाता 

पूरे का पूरा समाज 
खड़ा हो जाता 
उसके विरुद्ध 
और यही खत्म हो 
 उसकी सत्य की खोज

बुद्ध होना आसान है 
पर स्त्री होना कठिन....!!!

ज्योतिष शास्त्र में महिलाओं के बारें का काफी बखान किया गया है। महिलायें कैसे होगी, उनके शुभ-अशुभ लक्षणों की पहचान क्या है, उनकी प्रकृति क्या है, उनका आने वाला भविष्य कैसा होगा आदि। आज हम आपको महिलाओं के विषय में कुछ रोचक जानकारी देने का प्रयास कर रहा है। सामुद्रिक शास्त्र में पाॅच प्रकार की स्त्रियों के बारें में चर्चा की गई है। उन पाॅच प्रकार की महिलाओं के लक्षण क्या कहते है।

1-शंखिनी स्त्रियाॅ-
जो थोड़ी दुर्बल, थोड़ी मोटी, नाक मोटी व आॅखे अस्थिर और आवाज थोड़ी गम्भीर होती है। ऐसी स्त्रियाॅ शंखिनी की श्रेणी में आती है। ये हमेशा दुःखी, नाक पर क्रोध रहना, बात-बात पर झगड़ना, अपने-आपको नियन्त्रित न कर पाने वाली होती है। पति की बातों को नजरअंदाज करना, सदैव भोग-विलास के बारे में सोचना, सवेदनशीलता की कमी, दूसरों की बातों पर टीका-टिप्पणी करना, अपने पड़ोसियों का लताड़ना इनकी आदत में शामिल होता है। ऐसी स्त्रियों को वृद्धावस्था में काफी कष्टों का भी सामना करना पड़ता है। इनकी मृत्यु भी पति के बाद ही होती है।

2-चित्रिणी स्त्रियाॅ-
लक्षण-इनका मस्तक गोलाकार, अंग कोमल, आॅखें सुन्दर, आवाज मधुर, बाल घने व काले और सुगठित नाक होती है। ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत कम होती है। अगर इनका जन्म गरीब परिवार में हुआ है फिर भी इनका अपने गुणों के कारण अच्छे परिवार में विवाह होता है, जिससे ये राजसुख का भोग करती है।
चित्रिणी स्त्रियाॅ बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। अपने पति की सेवा करने वाली, स्वजनों से प्रेम, हर कार्य को शीघ्र व अच्छे ढंग से करना, श्रंगार की शौकीन, संगीत कला में निपुण, अतिथियों की सेवा करने वाली व अपने कर्मो से सबकी चहेती बनने वाली स्त्रियों को चित्रिणी स्त्रियाॅ कहते है।

3- हस्तिनी स्त्रियाॅ-
लक्षण-इन महिलाओं के गाल, नाक, कान व मस्तक गौर वर्ण के होते है। इकनी आॅखें छोटी होती है, नाक नुकीली होती है, मस्तक उपर से ढलान लिए होता है, पैरों की अॅगुलियाॅ इनकी टेढ़ी-मोढ़ी होती है और कद में छोटी होती है।
ऐसे लक्ष्णों वाली स्त्रियों को हस्तिनी कहा जाता है। इन्हें गुस्सा बहुत आता है, इनके लड़कियों की अपेक्षा लड़के अधिक होते है, धार्मिक रूचि की इनमें कमी होती है, घूमना-फिरना व शाॅपिंग करना, अच्छा भोजन करना काफी पसन्द होता है। इनके कई बार गर्भ खंडित होता है, इनके रूखें स्वभाव के कारण सबसे पटती नहीं है। इन्हें अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते है, जिनकी कभी उम्मीद नहीं होती है।


4-पुश्चली स्त्रियाॅ-
लक्षण-मस्तक का रंग मलीन, चेहरे पर उदासी, इनकी आॅखें बड़ी और हाथ पैर छोटे होते है। हाथों की अॅगुलियाॅ बेढंगी और बाल रूखे होते है। इनके हाथ में दो शंख वा नाक पर तिल होता है।
इन स्त्रियों में लज्जा भाव की कमी होती, बोलने में स्पष्टवादी, अपना काम निकलवाने में चतुर होती है। ये अपने पति की अपेक्षा दूसरों पुरूषों के प्रति ज्यादा आकर्षित रहती है। इनका साधारण सा बातचीत करना भी ऐसा लगता है मानव किसी से लड़ रही है। इनके स्वभाव के कारण लोग इन्हें ज्यादा पसन्द नहीं करते है।

5-पदमिनी स्त्रियाॅ-
लक्षण-इनकी गर्दन शंख के समान होती है, नाक, कान, आॅखे व मस्तक आदि छोटे होते है। पैर का अॅगुठा माॅसल व सुगठित होता है। इनके बाल काले, घने लम्बे होते है।
ऐसी स्त्रियाॅ प्रत्येक पुरूष को सम्मान करती है, अपने से छोटों को प्यार देती है और परिवार को साथ लेकर चलने वाली वाली होती है। यह सौभाग्यशाली, अल्प सन्तान वाली, पति की सेवा करने वाली, दूसरों की मद्द करने वाली व अपने गुणों से सबको प्रसन्न करने वाली होती है।
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