Positive Ideas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Positive Ideas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

Positive Thoughts

Lady beauty product

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो मुझे चिंतित करती है।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
जिन्होंने मुझे चोट दी है मुझे उन्हें चोट नहीं देनी चाहिए क्योंकि वह मेरी उर्जा खा जाती  है।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
शायद सबसे बड़ी समझदारी का लक्षण भिड़ में जाने के बजाय अलग हट जाने में है।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
अपने साथ हुए प्रत्येक बुरे और अच्छे बर्ताव पर प्रतिक्रिया करने में हमारी जो ऊर्जा खर्च होती है वह हमको खाली कर देती है ।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
मैं हर आदमी से वैसा व्यवहार नहीं पा सकूंगी जिसकी मैं अपेक्षा करती हूँ। और धीरे धीरे, में ये समझने लगी हूं कि दूसरे की अपेक्षा पूरी करना मूर्खता हैं ।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
किसी का दिल जीतने के लिए बहुत कठोर प्रयास करना, समय और ऊर्जा की बर्बादी है और यह हमको कुछ नहीं देता, केवल खालीपन से भर देता है।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
जवाब नहीं देने का अर्थ यह कदापि नहीं कि यह सब मुझे स्वीकार्य है, बल्कि यह कि मैं इससे ऊपर उठ जाना बेहतर समझती हूँ।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
कभी-कभी कुछ नहीं कहना सब कुछ बोल देता है।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
किसी परेशान करने वाली बात पर प्रतिक्रिया देकर हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति किसी दूसरे को दे बैठते हैं।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
मैं कोई प्रतिक्रिया दे दूँ तो भी कुछ बदलने वाला नहीं है। इससे लोग अचानक मुझे प्यार और सम्मान नहीं देने लगेंगे। यह उनकी सोच में कोई जादुई बदलाव नहीं ला पायेगा।

*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
जिंदगी तब बेहतर हो जाती है जब हम अपना ध्यान ,  अपने आसपास की घटनाओं पर केंद्रित न करने के बजाय उसपर केंद्रित कर देते हैं जो हमारे अंतर्मन में घटित हो रहा है।

में *धीरे धीरे शिख रही हूं कि...*
फिर हम ने चिंतित करने वाली हर छोटी-छोटी बात पर प्रतिक्रिया 'नहीं' देना ओर ओशो , Gurdjieff, और Krisnamurthy का बताया हुआ ,ध्यान करना चालू कर दिया है, ध्यान एक स्वस्थ और प्रसन्न जीवन का 'प्रथम अवयव' है

*मैं धीरे धीरे सीख रही हूं,* कि बिना ध्यान, ये सब उपर की बात संभालना मुश्किल है, अशक्य है, इस लिए मैं धीरे धीरे ज्यादा ध्यान में रहने लगी हू ।  । ....

Lady beauty product

बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

Osho Prvachan in Hindi Whatsapp ke liye, Positive Ideas


सकारत्मक विचार,  Positive Ideas

सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें– आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण– जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा– कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।
जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो…जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो , तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।
किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही। तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।
*तो जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें उसे।*
एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो— बिना किसी कारण के।
ओशो: द पैशन फॉर द इम्पॉसिबल, #3
1. क़ाबिल लोग तो किसी को दबाते हैं और ही किसी से दबते हैं।
2. ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं।
3. कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं।
4. इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म।
5. सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।
6. हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा।
7. खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो।
8. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही।
9. इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही, अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं।
10. जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं।
11. हर मित्रता के पीछे कोई कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ छिपा हो।
12. दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे.. (Source : www.gazabhindi.com)
13. जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं।
14. जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए।
15. हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो..(run away) भाग लो..(participate) पसंद आपको ही करना हैं।
16. इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास करे।
17. अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं।
18. यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादाआपशब्द का, उसके बादहमशब्द का और सबसे कममैंशब्द का उपयोग करना चाहिए।
19. इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा।
20. दुनिया के दो असम्भव काम- माँ कीममताऔर पिता कीक्षमताका अंदाज़ा लगा पाना।
21. कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो।
22. यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं।
23. मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें।
24. यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं।
25.जिन्दगीएक आइसक्रीम की तरह हैं टेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं और वेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं। इसलिये जिन्दगी को वेस्ट नही टेस्ट करो।
26. गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं।
27. दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं।
28. कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर।
29. जीना हैं, तो उस दीपक की तरह जियो जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता हैं जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में।
30. जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा।
31. हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती। com)
32. दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा. अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता।
33. जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा करना। (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)
34. अगर कोई आपको नीचा दिखाना चाहता हैं तो इसका मतलब हैं आप उससे ऊपर हैं।
35. जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती हैं वही दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।
36. मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते।
37. अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो ये मत सोचिए वो बेवकूफ कितना हैं बल्कि ये सोचिए उसे आप पर विश्वास कितना हैं।
38. बहुत दूर तक जाना पड़ता हैं सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन हैं।
39. अपनी उम्र और पैसे पर कभी घमंड़ मत करना Q कि जो चीजें गिनी जा सके वो यक़िनन खत्म हो जाती हैं।
40. मैनें धन से कहा.. तुम एक कागज़ के टुकड़े हो.. धन मुस्कराया और बोला मैं बेश्क एक कागज़ का टुकड़ा हूँ लेकिन मैनें आज तक कूड़ेदान का मुँह नही देखा।
41. इंसान कहता हैं.. अगर पैसा हो तो मैं कुछ कर के दिखाऊँ, लेकिन पैसा कहता हैं तू कुछ कर के दिखा तभी तो मैं आऊँ। (Source: www.gazabhindi.com)
42. जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना Q कि बंद पड़ी घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती हैं।
43. बचपन में सबसे ज़्यादा पूछा गया सवालबड़े होकर क्या बनना हैं ? जवाब अब मिला.. फिर से बच्चा बनना हैं।
44. कंडक्टर सी हो गई हैं जिंदगी.. सफर भी रोज़ का हैं और जाना भी कही नही।
45. जिंदगी मज़दूर हुई जा रही हैं और लोगसाहबकहकर तानें मार रहे हैं।
46. एक रूपया एक लाख नही होता.. फिर भी एक रूपया अगर एक लाख से निकल जाए तो वो लाख भी नही रहता.
47. जो लोग दिल के अच्छे होते हैं, दिमाग वाले उनका जमकर फायदा उठाते हैं।
48. जली रोटियाँ देखकर बहुत शोर मचाया तुमनें.. अगर माँ की जली उंगलियों को देख लेते, तो भूख उड़ गई होती।
49. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चुका हैं।
50. नमक की तरह हो गई हैं जिंदगी.. लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं।
51. हे! स्वार्थ, तेरा शुक्रिया करता हैं एक तू ही हैं जिसने लोगो को आपस मे जोड़ कर रखा हुआ हैं।



..........🌹प्रिया आत्मन🌹..............
                       इस जगत में वरदानों को अभिशाप बनाने वाले लोग हैं; इस जगत में अभिशापों को वरदान बना लेने वाले लोग भी हैं। अगर काम-क्रोध बहुत हो, तो भी परमात्मा को धन्यवाद देना कि शक्ति पास में है। अब रूपांतरित करना अपने हाथ में है। काम-क्रोध बिलकुल हो, तो बहुत कठिनाई है। बहुत कठिनाई है। शक्ति ही पास में नहीं है, रूपांतरित क्या होगा!
इसलिए काम-क्रोध बहुत होने से परेशान हो जाना, सिर्फ विचारमग्न होना। और काम-क्रोध को रूपांतरित करने की यह बहुत वैज्ञानिक विधि है। कहनी चाहिए जितनी वैज्ञानिक हो सकती है उतनी कृष्ण ने कही है, श्वास सम, ध्यान आज्ञा-चक्र पर। इसका अभ्यास करते रहें। धीरे-धीरे, धीरे-धीरे जो मैंने कहा है, वह आपके खयाल में आना शुरू हो जाएगा। धीरे-धीरे एक दिन वह जाएगा कि भीतर की सारी ऊर्जा रूपांतरित हो जाएगी।
ऐसा भी नहीं है किलोग मुझसे पूछते हैं कि अगर ऐसा हो गया कि सारा क्रोध खो गया, सारा काम खो गया, सारी ऊर्जा संकल्प बन गई, तो इस जगत में जीएंगे कैसे? इस जगत में क्रोध की भी कभी जरूरत पड़ती है।
निश्चित पड़ती है। लेकिन ऐसा व्यक्ति भी क्रोध कर सकता है, पर ऐसा व्यक्ति क्रोधित नहीं होता। ऐसा व्यक्ति क्रोध कर सकता है, लेकिन ऐसा व्यक्ति क्रोधित नहीं होता। ऐसा व्यक्ति क्रोध का भी उपयोग कर सकता है; लेकिन वह उपयोग है। जैसे आप अपने हाथ को ऊपर उठाते हैं, नीचे गिराते हैं। यह बीमारी नहीं है। लेकिन हाथ ऊपर-नीचे होने लगे, और आप कहें कि मैं रोकने में असमर्थ हूं; यह तो होता ही रहता है; यह मेरे वश के बाहर हैतब बीमारी है।
क्रोध उपयोग किया जा सकता है। लेकिन केवल वे ही उपयोग कर सकते हैं, जो क्रोध के बाहर हैं। हमारा तो क्रोध ही उपयोग करता है; हम क्रोध का उपयोग नहीं करते। हमारे ऊपर तो हमारी इंद्रियां ही हावी हो जाती हैं।
क्या काम का उपयोग नहीं हो सकता? इस मुल्क ने तो बहुत वैज्ञानिक प्रयोग किए हैं इस दिशा में भी। बहुत सैकड़ों वर्षों तक, अगर किसी को पुत्र हो, तो ऋषि-मुनि से भी पुत्र मांगा जा सकता था अपनी पत्नी के लिए। ऋषि-मुनि से भी प्रार्थना की जा सकती थी कि एक पुत्र दान दे दो। बहुत हैरानी की बात है!
जब पश्चिम के लोगों को पहली दफा पता चला, तो उन्होंने कहा, कैसे अजीब लोग रहे होंगे! पहली तो बात कि वे ऋषि-मुनि, वे क्या संभोग के लिए राजी हुए होंगे? और दूसरी बात, यह कैसा अनैतिक कृत्य कि कोई आदमी अपनी पत्नी के लिए पुत्र मांगने जाए! उनकी समझ के बाहर पड़ी बात। मिस मियो ने और जिन लोगों ने भारत के खिलाफ बहुत कुछ लिखा, इस तरह की सारी बातें इकट्ठी कीं। पर उन्हें कुछ पता नहीं। अब मिस मियो अगर जिंदा होती, तो उसको पता चलता कि अब पश्चिम भी सोच रहा है।
पश्चिम सोच रहा है कि सभी लोग अगर बच्चे पैदा करें, तो बेहतर है। क्योंकि पश्चिम कह रहा है कि जब हम बीज चुनकर बेहतर फूल, बेहतर फल पैदा कर सकते हैं, तो हम वीर्य चुनकर भी बेहतर व्यक्ति क्यों पैदा नहीं कर सकते हैं! आज नहीं कल पश्चिम में वीर्य भी चुना हुआ होगा। उनके रास्ते टेक्नोलाजिकल होंगे।
लेकिन एक ऋषि के पास जाकर कोई प्रार्थना करे, तो ऋषि का तो काम विसर्जित हो गया है। इसीलिए ऋषि से प्रार्थना की जा सकती थी। जिसकी कोई कामना नहीं रही, जिसकी कोई वासना नहीं रही, उसी से तो पवित्रतम वीर्य की उपलब्धि हो सकती है। जिसकी कोई इच्छा नहीं है, शरीर को भोगने का जिसका कोई खयाल नहीं है, वह भी अपने शरीर को दान कर सकता है।
ध्यान रहे, वीर्य कोई आध्यात्मिक चीज नहीं है, शारीरिक, फिजियोलाजिकल घटना है। और जब आप मरेंगे, तो आपका सारा वीर्य आपके शरीर के साथ नष्ट हो जाएगा। वह कोई आत्मिक चीज नहीं है कि आपके साथ चली जाएगी। शरीर का दान है।
ऋषि-मुनि जानते हैं कि उनका शरीर तो खो जाएगा, लेकिन अगर उनके शरीर से कुछ भी उपयोग हो सकता है, तो उतना उपयोग भी किया जा सकता है। ये बहुत हिम्मतवर लोग रहे होंगे। साधारण हिम्मत से यह काम होने वाला नहीं था।
इस संकल्प की स्थिति के बाद भी काम और क्रोध का उपयोग किया जा सकता है, इंस्ट्रूमेंट की तरह। किया जाए, तो कोई मजबूरी नहीं है। फिर व्यक्तियों पर निर्भर करता है कि उपयोग करेंगे, नहीं करेंगे। एक बात पक्की है कि काम और क्रोध आपका उपयोग नहीं कर सकते।
इसीलिए इस चक्र को आज्ञा-चक्र नाम दिया गया कि जिस व्यक्ति का इस चक्र पर कब्जा हो जाता है, उसकी इंद्रियां उसकी आज्ञा मानने लगती हैं। और जिस व्यक्ति का इस चक्र पर अधिकार नहीं है, उसे अपनी इंद्रियों की आज्ञा माननी पड़ती है। इस चक्र के इस पार इंद्रियों की आज्ञा है; उस पार अपनी मालकियत शुरू होती है। इसलिए उस चक्र को दि आर्डर, आज्ञा ही नाम दे दिया गया। इस तरफ रहोगे, तो इंद्रियों की आज्ञा माननी पड़ेगी। उस तरफ रहोगे, तो इंद्रियों को आज्ञा दे सकते हो।
                                                                                   Osho
                                         गीता दर्शन–(प्रवचन–047)


ओशो के उपरोक्त पुरे प्रवचन सुनने के लिए उनके ऑफिसियल वेब साईट पर जाए. 

शास्त्रों के अनुसार मित्रता वाले नक्षत्र, शत्रुता वाले नक्षत्र एवं ग्रहों से सम्बन्ध

शास्त्रों के अनुसार किस नक्षत्र की किस नक्षत्र से मित्रता तथा किस नक्षत्र से शत्रुता एवं किस से सम भाव रहता है?   शास्त्रों में नक्षत्रों के...