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सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

#आंतरिक बल #कल्पना और #निरोगता #आज्ञाचक्र # Inner force # imagination and # health # command


आंतरिक बल 786

-कल्पना और निरोगता 

- हमारा शरीर एक चक्र है ।  

-हमारे शरीर मेंं खून एक चक्र मेंं चल रहा है ।  

-नस नाड़ियां एक चक्र मेंं बनी हुई है । 

-सांस का आना जाना एक चक्र मेंं है । 

-ऊर्जा चक्र भी एक आवर्ती मेंं  घूमते रहते है । 

-हमारा शरीर एक आवर्ती मेंं है अर्थात शरीर का हर कार्य एक निच्छचित चक्र  मेंं घूम रहा है ।  

-मुख्य नाड़ीया,  हृदय,   सांस और खून एक निच्छित  गति मेंं कार्य कर रहें है । 

-शरीर के   सभी अंगो से ऊर्जा प्रवाहित हो रही है । 

-इस आवर्तक चक्र को छोड़ते ही उस पर दूसरे शरीर  का प्रभाव आ जाता है ।  अर्थात जब हम दूसरों कें बारे सोचते है तॊ उन से निकल रही ऊर्जा हमारे पर आक्रमण कर देती है । 

-इन्द्रियो कें माध्यम से हर शरीर एक दूसरे से जुड़ा है । 

-हमारे मुख से निकले शब्द दूसरे कें कानो  के  द्वारा उसे प्रभावित करते हैं  । 

-हमारी आँखे दूसरे की आंखो द्वारा उसे प्राभावित करती हैं  । 

-इन्द्रिया  ही सातों ऊर्जा चक्रों को एक दूसरे से जोड़ती हैं  । 

-मन  ही इन्द्रियो और ऊर्जा चक्रों पर नजर रखता है । 

-मन ही क्रोध को क्षमा और हिंसा को अहिंसा मेंं बदलता है । 

-हमारे शरीर मेंं 70% पानी है । 

-मन मेंं उठती लहरे पानी को प्रभावित करती है  और पानी सारे शरीर के  अंगो को प्राभावित करता है । 

-कल्पना की  लहरें हमारे शरीर मेंं हल चल उत्पन कर देती हैं   जैसे चन्द्रमा सागर मेंं । 

-मन ज्यदातर  गल्त कल्पनाओ मेंं पड़ा रहता है । 

-अगर हर व्यक्ति अच्छी कल्पनाएं करने लगे तॊ सिर्फ मानव का जीवन ही सुखी नहीं  बनेगा परन्तु पूरा विश्व ही स्वर्ग बन जाएगा । 

-अगर हम हर समय अच्छी कल्पनाएं करते रहें तॊ सब से बड़ा  फायदा यह होगा कि  हम निरोगी रहेगे । 

-भगवान कें गुणो का  मन मेंं जो सिमरन करते है   वह अच्छी कल्पना ही है ।  इस से हमारे सभी रोग मिट जाते हैं  । क्यो कि भगवान की  शक्ति खून मेंं स्थित जल को शुद्ध कर देती है ।   शुद्ध जल शरीर की  सब गंदगी साफ कर देता है ।  

-अगर हमारे रोग ठीक नहीं हो रहें है तॊ इसका सीधा सा अर्थ है अभी हम नकारात्मक कल्पनाएं कर रहें है । 

-जीवन को नई दिशा देने वाली  - आन्तरिक बल ( भाग -1 ) -  

-आज्ञा चक्र -89- अवचेतन मन -2

-अवचेतन मन आंखो का इस्तेमाल किये बिना देखता  है ।

-इस में अतिइंद्रिय दृष्टि और अतिइँद्रिय श्रवण क्षमता है ।

-अवचेतन मन शरीर को छोड़ सकता है और दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा  सच्ची जानकारी ले कर लौट सकता है ।

-अवचेतन मन के जरिये दूसरो के सूक्ष्म विचार  पढ़  सकते हैं ।

-आप बंद लिफाफे में और बंद तिजोरियों  के विवरणों को भी जान  सकते हैं ।

-अवचेतन मन में संचार के समान्य वस्तुपूरक साधनों का उपयोग किये बिना दूसरे के विचार  समझने की योग्यता होती है ।

-भगवान को याद करने की, प्रार्थना की सच्ची कला सीखने के लिये चेतन और अवचेतन मन की अंतर्क्रिया को समझ लें  ।

-अवचेतन मन में दुनियां को हिलाने की शक्ति है ।

-मस्तिष्क एक छोटी सी कोशिका से मिल कर बना है । अवचेतन मस्तिष्क ने शरीर को बनाया है । इस लिये वह शरीर को दुबारा बना सकता है ।

-जैसा  भीतर, वैसा बाहर, जैसा  ऊपर वैसा नीचे । मन में जो विचार  करेगें वह बाहर प्रकट होंगे । जो मुख से बोलेंगे वह मन पर असर  करेगा ।

-जब हम सो  जाते हैं  तब भी  अवचेतन मन कार्य करता  है, सांस को कंट्रोल करता है, हृदय को, खून को, नाड़ी को नियंत्रित करता है ।

-आप का पाला हर समय अवचेतन के बजाये चेतन मन से पड़ता  है ।

-चेतन मन से सर्वश्रेष्ट की कामना करते रहो ।

-पानी उसी पाईप  का आकार  ले लेता है जिस में बहता है ।

-आप के विचार अनुसार मन रुप धारण  करता जायेगा ।

-भाषण देने से पहले हमेशा तस्वीर की तकनीक  आजमाता है ।

-अपनी कल्पना में यह देखते रहो कि लोग कह रहे है, मै ठीक हो गया हूं ।

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Meditation Commentary - आंतरिक बल || ब्रह्माकुमारी सुदेश बहन

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