आन्तरिक बल -390
-आज्ञा चक्र -90- अवचेतन मन -3
-विचार अपने स्तर पर उतना ही वास्तविक है जितना कि आप का हाथ या हृदय ।
-आप जमीन में निशचित प्रकार के बीज बोते है तो आप को उसी चीज़ का फल मिलेगा, जिसका बीज आप ने बोया है ।
- जिस विचार को आप का चेतन मन पूरी तरह स्वीकार कर लेता है, वह आप के अवचेतन मन में साकार रुप में प्रकट होगा ।
-ईश्वर की याद से बीमारियों के उपचार सम्बन्धी विचार धारा किसी को न बताये । अगर लोगो को बताते हैं तो अविश्वास करने वाले लोग संदेह करते है और अपमान जनक आलोचना कर के स्ताते हैं । जिस से मनोबल टूटता है ।
- आन्तरिक मानसिक बदलाव से उपचार अपने आप हो जाता है ।
-आप की समस्या या बीमारी, चाहे जो भी हो, आप के अवचेतन मन में रहने वाले भयाक्रांत और नाकारात्मक विचारो के कारण उत्पन्न हुई हैंं । इन विचारो की सफाई कर दो तो आप ठीक हो जायेंगे ।
-आप की प्रार्थना या ध्यान में किये गये विचार भगवान तक पहुंच जाते हैं ।
-मस्तिष्क के आगे समय या स्थान का कोई महत्व नहीं है ।
-शांति महसूस करते ही शरीर की हर कोशिका से शांति की धारा प्रवाहित होने लगती है ।
- अपनी बीमारी के बारे बोलना बंद करो या उनका नाम न ले । खासतौर पर सोने से ठीक पहले के घंटों में । उन्हे जिस एक मात्र स्त्रोत से जीवन मिलता है, वह है आप का डर और आप का ध्यान ।
-हमें अपना सर्जन आप बनना है । यदि आप लगातार अपने दर्द और लक्षणों की रट लगाये रखते हैं तथा उनके बारे बात करते हैं तो उनकी शक्ति बढा देते हैं फिर कहते हैं वही चीज़ हो गई जिसका डर था ।
-अपने मस्तिष्क में जीवन की महान सचाईया लबालब भर लें और फिर प्रेम की रोशनी की ओर बढे । बीमारी या नुकसान या चोट पहुचाने वाली किसी चीज़ में विश्वास करना मूर्खता है ।
-सम्पूर्ण स्वास्थ्य, समृध्दि, शांति, दौलत और दैवी मार्ग दर्शन में विशवास करें ।
-नया घर बना रहे हैं तो आप उसकी ब्लू प्रिंट में गहरी रुचि लें । भवन निर्माता आप के ब्लू प्रिंट का अक्षरशः पालन करेगा ।
-इतना ही ध्यान मानसिक घर पर रखो । खुशी और समृध्दि का ब्लू प्रिंट तैयार करें । मानसिक ब्लू प्रिंट डर, चिंता व तनाव का कभी न हो ।
-अगर आप निराश, शंकालु और दोषदर्शी हैं तो आप के जीवन में थकान, शंका, तनाव, चिंता सभी तरह की परेशानियां दिखाई देगी ।
-आप हर समय मानसिक घर बना रहे हैं और आप के विचार ब्लू प्रिंट हैं ।
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आन्तरिक बल 1391
-आज्ञा चक्र -91-अवचेतन मन -4
- हर घंटे, हर पल आप बेहतरीन सेहत, सफलता और खुशी का निर्माण कर सकते है ।
-मन में भिन्न भिन्न दृश्यों की कल्पना जो हम साधारण रुप से करते रहते है, यह न हो जायें, वह न हो जायें और वही हो जाता है ।
-आप की आखिरी इच्छा अवचेतन मन पूरी करता है ।
-आप का दोस्त से झगडा हो गया और आप सोचते हैं अब हमारी कभी नहीं बनेगी तो सच में आप की कभी नहीं बनेगी । अगर आप सोचते हैं आप की फिर आपस में बन जायेगी तो आप की फिर मित्रता हो जायेगी ।
-ऐसे ही जीवन में जो भिन भिन चेलेंज आते हैं उस समय आखिरी शब्द क्या गूँजता है । मै मरूगा, मै फसूगा, मुसीबत पड़ेगी, बुरे दिन आयेंगे, विरोधी बढेगे, कड़की आयेगी अगर ये आप के अंतिम शब्द मन में गूंजते है तो अवचेतन मन आप को यही सब कुछ हकीकत में दे देगा ।
-अगर आखिरी शब्द मै जिऊगा , सेहत ठीक हो जायेगी, खुशहाली आयेगी, मेरी जीत होगी, मै सफल होऊगा, मुझे भरपूर प्यार और सत्कार मिलेगा तो अवचेतन मन सच में यही आप को देगा ।
-इस लिये शांति, खुशी, सदभावना के अहसास से हर पल नया ब्लू प्रिंट बनाये ।
-अवचेतन मन की शक्ति सीधी प्रतिक्रिया करती है । अगर आप रोटी माँगे तो पत्थर नहीं मिलेगा । मन विचार से वस्तु की ओर चलता है ।
-चेतन मन की गति विधि पर गहरा ध्यान दो ।
-आप स्थूल आँख से वही देख सकते हैं जो संसार में पहले से मैजूद है ।
-ऐसे ही मन की आँख से जो तस्वीर देख सकते हैं वह मन के अदृश्य क्षेत्रों में पहले से ही मैजूद होती है ।
-विचार वास्तविक होते हैं और आप की दुनियां में परिवर्तन ला देते हैं ।
-जो बात आप को गहरे तल पर जँच जाती है, जिसे हम लोरी की तरह दोहराते रहते हैं , वह काम होने लगता है । उसके खरीददार और बेचने वाले आकर्षित हो कर एक दूसरे के समक्ष आ जाते है ।
-90% से अधिक मानसिक जीवन अवचेतन है । अगर हम इस शक्ति का उपयोग नहीं करेगें तो सधारण जीवन जियेंगे ।
-अवचेतन मन मास्टर मेकेनिक है । बहुत समझदार है । आप के शरीर को ठीक करने के ढंग व रास्ते जानता है । सेहत का आदेश दे तो सेहत का निर्माण कर देगा । लेकिन इस काम को आराम से करने की जरूरत है । मन की यह शक्ति पढ़ने से जागृत होगी । इसलिए जब तक जीवित हैंं पढ़ना नहीं छोड़ना ।
-सोच सोच कर हताश होने की जरूरत नहीं । अंतिम परिणाम सुखद समाधान अनुभव करते रहो वह चाहे सेहत हो, चाहे पैसे या व्यवहार से सम्बन्धित हो या आध्यात्मिक जीवन हो या योगी जीवन हो ।
-इस पल आप क्या सोच रहे हैं , आप के साथ क्या घट रहा है, बस उस विचार को पॉज़िटिव विचार में बदल दो, जो घट रहा है वह नहीं, जो आप चाहते है वह सोचो, जस्ट रिपीट करो और उसे कल्पना में देखो ।
आज्ञा चक्र ध्यान - श्री कमल नारायण सीठा
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