#मन्त्र के जाप के वैदिक के गुण |
#मन्त्र के जाप के वैदिक के गुण
*जानिए की किस मन्त्र के जाप से किस दिशा का होगा वास्तु दोष( प्रभाव )दूर :-*
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वास्तु दोषों को दूर करने और संबंधित दिशाओं से कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्रों के जाप के साथ-साथ कुछ विशिष्ट उपाय भी किए जा सकते हैं। प्रत्येक दिशा से संबंधित दोष और उपाय निम्न प्रकार हैं:
1. उत्तर दिशा (कुबेर और चंद्र की दिशा)
- दोष: धन की कमी, मानसिक अस्थिरता।
- मंत्र:
- उपाय:
- उत्तर दिशा में धन के स्थान (तिजोरी) को व्यवस्थित रखें।
- कुबेर यंत्र की स्थापना करें।
- चांदी का सिक्का या चंद्रमा का प्रतीक उत्तर दिशा में रखें।
- इस दिशा को हमेशा साफ और हल्का रखें।
2. उत्तर-पूर्व (ईशान कोण - शिव की दिशा)
- दोष: आध्यात्मिक अवरोध, मानसिक और शारीरिक अशांति।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस स्थान पर शिवलिंग या जल से भरा कलश रखें।
- ईशान कोण में पूजा स्थल बनाएं।
- इस स्थान को कभी भारी सामान से न भरें।
- नियमित गंगाजल का छिड़काव करें।
3. पूर्व दिशा (सूर्य और इंद्र की दिशा)
- दोष: सम्मान की हानि, आलस्य।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस दिशा में खिड़कियां खुली रखें।
- सुबह के समय सूर्य को जल अर्पित करें।
- पूर्व दिशा में हल्के सुनहरे या नारंगी रंग का प्रयोग करें।
4. दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण - अग्नि देव की दिशा)
- दोष: स्वास्थ्य समस्याएं, पारिवारिक कलह।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस दिशा में रसोईघर या अग्नि का स्थान बनाएं।
- लाल या गुलाबी रंग का उपयोग करें।
- अगर रसोई इस दिशा में नहीं है, तो अग्नि यंत्र स्थापित करें।
5. दक्षिण दिशा (यम और मंगल की दिशा)
- दोष: भय, रोग, शत्रु बाधा।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस दिशा में स्थायित्व का प्रतीक भारी वस्तु रखें।
- नियमित लाल रंग का दीप जलाएं।
- दक्षिण दीवार पर यम यंत्र लगाएं।
6. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण - राहु और पितरों की दिशा)
- दोष: पारिवारिक अस्थिरता, नकारात्मक ऊर्जा।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस दिशा में भारी सामान रखें।
- राहु यंत्र या पितृ यंत्र स्थापित करें।
- काले तिल का दान करें और इस दिशा को रोशनी से भरपूर रखें।
7. पश्चिम दिशा (वरुण देव और शनि की दिशा)
- दोष: सफलता में बाधा, आलस्य।
- मंत्र:
- उपाय:
- इस दिशा में जल से भरी कटोरी रखें।
- नीले या हल्के रंग का प्रयोग करें।
- शनि यंत्र की स्थापना करें।
8. उत्तर-पश्चिम (वायु देव की दिशा)
- दोष: मानसिक अशांति, असंतोष।
- मंत्र:
- उपाय:
- वायु यंत्र स्थापित करें।
- इस स्थान को हल्का और खुला रखें।
- सफेद या हल्के रंग का उपयोग करें।
अतिरिक्त सामान्य उपाय:
- गंगाजल का छिड़काव: सभी दिशाओं में नियमित रूप से करें।
- सूर्य को जल चढ़ाना: सुबह की ऊर्जा को सक्रिय करता है।
- धूप और दीप जलाना: नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है।
- भजन और मंत्रोच्चार: नियमित रूप से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाते हैं।
इन उपायों के साथ नियमित रूप से मंत्र जाप करने से वास्तु दोष दूर होते हैं और दिशाओं के देवता की कृपा प्राप्त होती है।
आज में आपको सभी दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका बता रहा हूँ।। इन मंत्र जप के प्रभाव स्वरूप (फलस्वरूप) आप काफी हद तक अपने वस्तुदोषो से मुक्ति प्राप्त कर पायेंगें ।। ऐसा मेरा विश्वास हें।।
ध्यान रखें मन्त्र जाप में में आस्था और विश्वास अति आवश्य हैं। यदि आप सम्पूर्ण भक्ति भाव और एकाग्रचित्त होकर इन मंत्रो को जपेंगें तो निश्चित ही लाभ होगा।।
देश- काल और मन्त्र सधाक की साधना(इच्छा शक्ति) अनुसार परिणाम भिन्न भिन्न हो सकते हैं।।
तर्क कुतर्क वाले इनसे दूर रहें।। इनके प्रभाव को नगण्य मानें।।
ईशान दिशा
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इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं। और देवता हैं भगवान शिव। इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरू मंत्र ‘ओम बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें। शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करना भी लाभप्रद होता है।
पूर्व दिशा
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घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें। सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं। इस मंत्र के जप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्घि होती है। व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है। इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं। प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ओम इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है।।
आग्नेय दिशा
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इस दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है। शुक्र का मंत्र है ‘ओम शुं शुक्राय नमः’। अग्नि का मंत्र है ‘ओम अग्नेय नमः’। इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए।
दक्षिण दिशा
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इस दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं। दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ‘ओम अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है। ‘ओम यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है।
नैऋत्य दिशा
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इस दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं। घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है। इस दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र ‘ओम रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें। इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी उपचार हो जाता है।
पश्चिम दिशा
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यह शनि की दिशा है। इस दिशा के देवता वरूण देव हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें। यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है।
वायव्य दिशा
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चन्द्रा इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है। घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए चन्द्र मंत्र ‘ओम चन्द्रमसे नमः’ का जप लाभकारी होता है।
उत्तर दिशा
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यह दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आता है। इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है।। माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है। आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना होता है। इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ‘ओम बुधाय नमः या ‘ओम कुबेराय नमः’ मंत्र का जप करें। आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है ।
- मुख्य द्वार के आस-पास हमेशा सफ़ाई रखें.
- प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज़ बनवाएं.
- मेन गेट पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर लगाएं.
- दरवाज़े के सामने फूलों की सुंदर फ़ोटो लगाएं
- एक बांस का बंबू कम से कम 8 से 10 फिट लंबा होना ही चाहिए, उस पर केसरी ध्वज चढ़ाकर नैऋत्य कोण में, घर की छत पर लहरा दीजिए। पर्वत उठाते हुए हनुमान जी की आकृति उस ध्वज पर अवश्य ही सिलाई की गई होनी चाहिए।
घर में मधुर संगीत बजने दे ।
पश्चिम दिशा में एरो केरिया का पौधा लगाएं।
दक्षिण दिशा मे पित्रों की तस्वीर लगावें उन्हें प्रणाम करे।
उत्तर पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएं यह भी वास्तु दोष दूर करते हैं।
1- नया मकान बनवाते या नया फ्लैट खरीदते समय गृह प्रवेश के दौरान वास्तु के देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
2- घर से वास्तु दोष को दूर करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह जरूर लगाएं। यहीं से सबसे पहले नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं।
3- घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ अशोक के पेड़ लगाने से सुख-शान्ति आती है। इसके अलावा ऐसा करने से वंश की वृद्धि होती है।4 - घर के प्रवेश द्वार पर घोड़े की नाल (लोहे की) लगाने से भी वास्तु दोष दूर हो जाती है।
5- जिस घरों पर गेंदे का पौधा या तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां कभी भी किसी तरह का वास्तुदोष उत्पन्न नहीं होता।
6-घर पर बने मंदिर में नियमित रूप से घी का दीपक जलाने से कभी भी नकारात्मक ऊर्जाएं घर के अंदर प्रवेश नहीं करती।
7- सुबह पूजा के दौरान शंख बजान से नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है।
8- घर पर झाडू को हमेशा उचित स्थान पर ही रखें और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कभी भी झाडू को पैर से स्पर्श ना करें।
9- ईशान कोण में कोई भी भारी वस्तु और कचरा न रखें ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
10- घर पर उत्तर दिशा में कभी भी स्टोररूम ना बनाएं है।
11-अगर घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो मुख्य द्धार पर श्वेतार्क गणपति की प्रतिमा लगानी चाहिए।
12- घर के मंदिर में देवताओं की मूर्तिया या तस्वीरों को आमने-सामने नहीं रखना चाहिए।
13- कमरे में सूखे हुए फूल नहीं रखना चाहिए। सूखे फूल रखने से आपकी किस्मत भी सूखने लगती है।
14- घर में वास्तुदोष निवारण यंत्र की स्थापना जरूर करनी चाहिए।
15- घर पर तिजोरी इस स्थान पर रखे की खोलते समय तिजोरी का द्वार पूर्व दिशा की ओर खुले।
16- इस बात का जरूर ध्यान रखें कि खाने की टेबल चौकोर होना चाहिए न की गोल या ओवल।
17-घर पर पूर्वजो की तस्वीर हमेशा दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए भूलकर भी पूर्व दिशा या मंदिर में न लगाए।
18-घर के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
19- घर में आइना पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए।
20- घर पर मोरपंख और गंगाजल जरूर होना चाहिए।
आइए जानते हैं कि वास्तु दोष क्यों होता है:
1. दिशा का गलत चुनाव:
- मुख्य द्वार की दिशा: यदि मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में नहीं होता है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
- कमरों की दिशा: रसोई, शयनकक्ष, पूजा कक्ष, और बाथरूम जैसे महत्वपूर्ण कमरों की दिशा का गलत चुनाव भी वास्तु दोष पैदा कर सकता है।
2. पंच तत्वों का असंतुलन:
- अग्नि तत्व का असंतुलन: रसोई और अन्य अग्नि तत्व से जुड़े स्थानों का गलत दिशा में होना।
- जल तत्व का असंतुलन: जल स्रोत जैसे कि पानी की टंकी, वॉटर फिल्टर, और बाथरूम का गलत दिशा में होना।
3. निर्माण की त्रुटियाँ:
- विकृत या असमान भवन: भवन का आकार विकृत या असमान होना, जैसे त्रिकोणीय या अन्य अजीब आकार का होना।
- भवन में दरारें: भवन में दरारें और फर्श की दरारें वास्तु दोष का संकेत होती हैं और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
4. स्थान का गलत उपयोग:
- पूजा स्थान: पूजा स्थान का गलत दिशा में होना।
- शयनकक्ष: शयनकक्ष का गलत दिशा में होना और उसमें प्रतिबिंबित दर्पण का होना।
5. प्राकृतिक तत्वों का अवरोध:
- वायु और प्रकाश: वायु और प्रकाश का सही प्रवाह न होना, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- पेड़-पौधे: भवन के आसपास पेड़-पौधों का गलत स्थान पर होना या उनका अवरोध उत्पन्न करना।
6. भवन की बाहरी संरचना:
- मुख्य द्वार: मुख्य द्वार के सामने अवरोध जैसे पेड़, खंभे, या अन्य संरचनाओं का होना।
- छत और छज्जे: छत और छज्जों का गलत डिजाइन और दिशा।
वास्तु दोष को दूर करने के लिए कई मन्त्रों और उपायों का उपयोग किया जा सकता है। यहाँ कुछ मन्त्र और उपाय बताए जा रहे हैं जो विभिन्न दिशाओं के वास्तु दोष को दूर करने में मदद कर सकते हैं:
उत्तर दिशा का वास्तु दोष:
मन्त्र: "ॐ शं शनैश्चराय नमः"
उपाय:
उत्तर दिशा में एक पानी का फव्वारा या एक छोटा तालाब बनाएं।
उत्तर दिशा में एक पेड़ लगाएं, जैसे कि पीपल या बरगद।
उत्तर दिशा में एक शनि मंदिर या एक शनि यंत्र स्थापित करें।
दक्षिण दिशा का वास्तु दोष:
मन्त्र: "ॐ यमाय नमः"
उपाय:
दक्षिण दिशा में एक यम द्वार या एक यम यंत्र स्थापित करें।
दक्षिण दिशा में एक पेड़ लगाएं, जैसे कि नीम या आम।
दक्षिण दिशा में एक मिट्टी का दीया या एक मिट्टी का बर्तन रखें।
पूर्व दिशा का वास्तु दोष:
मन्त्र: "ॐ सूर्याय नमः"
उपाय:
पूर्व दिशा में एक सूर्य यंत्र या एक सूर्य मंदिर स्थापित करें।
पूर्व दिशा में एक पेड़ लगाएं, जैसे कि तुलसी या नारियल।
पूर्व दिशा में एक पानी का फव्वारा या एक छोटा तालाब बनाएं।
पश्चिम दिशा का वास्तु दोष:
मन्त्र: "ॐ वरुणाय नमः"
उपाय:
पश्चिम दिशा में एक वरुण यंत्र या एक वरुण मंदिर स्थापित करें।
पश्चिम दिशा में एक पेड़ लगाएं, जैसे कि पीपल या बरगद।
पश्चिम दिशा में एक पानी का फव्वारा या एक छोटा तालाब बनाएं।
केंद्र दिशा का वास्तु दोष:
मन्त्र: "ॐ ब्रह्मणे नमः"
उपाय:
केंद्र दिशा में एक ब्रह्म यंत्र या एक ब्रह्म मंदिर स्थापित करें।
केंद्र दिशा में एक पेड़ लगाएं, जैसे कि तुलसी या नारियल।
केंद्र दिशा में एक पानी का फव्वारा या एक छोटा तालाब बनाएं।
यह ध्यान रखें कि वास्तु दोष को दूर करने के लिए किसी भी उपाय को करने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होगा।