*गुरु पूर्णिमा*
१) गुरु पूर्णिमा तिथि व महूर्त
२) गुरु पौर्णिमा महत्व
३) गुरु पूर्णिमा के ज्योतिष उपाय
४) *"विद्या मंत्र साधको के लिए.." गुरु पौर्णिमा के कुछ विशेष उपाय *
५) *विद्या मंत्र क्या है ? और कैसे आप इसे अपने घर बैठे सीख सकते है ?
*१) गुरु पूर्णिमा तिथि व महूर्त*
गुरु पूर्णिमा तिथि - _27 जुलाई 2018_
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - _23:16 बजे (26 जुलाई 2018)_
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त - _01:50 बजे (28 जुलाई 2018)_
गुरु पूर्णिमा तिथि - _27 जुलाई 2018_
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - _23:16 बजे (26 जुलाई 2018)_
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त - _01:50 बजे (28 जुलाई 2018)_
*२) गुरु पौर्णिमा महत्व *
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी.
प्रराचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं किन्तु अपने घर में अपने से जो बड़ा है अर्थात पिता और माता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझ कर उनकी पूजा की जाती है।
गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में मनाई जाती है। इस दिन से प्रारम्भ कर, अगले चार महीने तक परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर, गुरू से ज्ञान प्राप्त करते हैं। क्योकि यह चार महीने मौसम के हिसाब से अनुकूल रहते हैं, इसलिए गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी.
प्रराचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं किन्तु अपने घर में अपने से जो बड़ा है अर्थात पिता और माता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझ कर उनकी पूजा की जाती है।
गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में मनाई जाती है। इस दिन से प्रारम्भ कर, अगले चार महीने तक परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर, गुरू से ज्ञान प्राप्त करते हैं। क्योकि यह चार महीने मौसम के हिसाब से अनुकूल रहते हैं, इसलिए गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
*ज्योतिष विद्या के अनुसार यदि आपके कोई गुरु नहीं है तो भगवान विष्णु को गुरु मानकार आप उन्हें नमन कर सकते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन उन्हें नमन करके उनसे कृपा की प्रार्थना करें और फूल-प्रसाद चढ़ाएं.*
*३) गुरु पूर्णिमा के ज्योतिष उपाय*
1) सुबह स्नान के समय पानी में नागरमोथा या नमक डालकर स्नान करें।
2) गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को नमन करें। आपने किसी को गुरु नहीं बनाया है तो भगवान विष्णु को गुरु समझें। वे समस्त ब्रह्मांड के गुरु हैं। इस दिन विष्णुजी का पूजन करें और उनसे जीवन में कृपा करने की प्रार्थना करें।
3) किसी को उपहार में पीले रंग की चीजें दें और पीले रंग के फूलों का पौधा घर में लगाएं।
4) जो छात्र अध्ययन संबंधी बाधा से परेशान चल रहे हैं, उनके लिए गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ कर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन जरूरी है और गाय की सेवा करना बताया गया है।
5) जिसका भाग्योदय नहीं हो पा रहा है, कारोबार मंद चल रहा है, बहुत हानि हो रही है, ऐसे में किसी जरूरतमंद को पीले अनाज, वस्त्र और पीली मिठाई का दान करना चाहिए।
6) ज्योतिष के अनुसार जिस जातक की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति हैं तो उसे जीवन संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में उसे किसी सदाचारी, विद्वान ब्राह्मण को पुखराज का दान करना चाहिए।
7) *ऊं बृं बृहस्पतये नमः* का जाप करते हुए इसी दिन सिद्ध करने का खास दिन है। इस दिन *गायत्री मंत्र* का भी जाप करने से शुभ फल मिलता हैं।
8) यदि कई प्रयासों के बावजूद आपको अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं या कोई कार्य बिगड रहे हैं तो गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के चित्र के समक्ष या ठाकुरजी के मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर भगवान से प्रार्थना करना चाहिए। शीघ्र ही शुभ प्रभाव नजर आने लगेगा।
9) भाग्योदय के लिए किसी विद्वान की सहायता से शुभ मुहूर्त में गुरु यंत्र की स्थापना करें। और उसका पूजन करें।
10) जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु का दोष है, उसके लिए आज का दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। आज के दिन गुरु का ध्यान कर वह जीवन में आ रही सभी समस्याओं से पार पा सकता है।
* गुरु पूर्णिमा पूजन विधि*
- प्रातः घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।
- घर के किसी पवित्र स्थान पर पटिए पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यासपीठ बनाना चाहिए।
- फिर हमें *गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये* मंत्र से पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
- तत्पश्चात दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।
- फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी, गोविंद स्वामीजी और शंकराचार्यजी के नाम, मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।
- अब अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करके उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए।
*"विद्या मंत्र साधको के लिए.." गुरु पौर्णिमा के कुछ विशेष उपाय *
मेष राशि :- विद्या मंत्र नं 3 की 1 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें
वृष राशि :- विद्या मंत्र नं 4 की 1 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
मिथुन राशि :- विद्या मंत्र नं 4 की 1 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
कर्क राशि :- विद्या मंत्र नं 4 की 5 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें , विशेष सप्कलाता प्राप्त होगी |
सिंह राशि :- विद्या मंत्र नं 1 की 1 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
कन्या राशि :- विद्या मंत्र नं 5 की 3 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
तुला राशि :- विद्या मंत्र नं 3 की 1 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
वृश्चिक राशि :- विद्या मंत्र नं 2 की 5 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
धनु राशि :- विद्या मंत्र नं 4 की 3 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
मकर राशि :- विद्या मंत्र नं 1 की 11 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
कुम्भ राशि : – विद्या मंत्र नं 5 की 5 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
मीन राशि :- विद्या मंत्र नं 2 की 3 माला पूर्व दिशा की ओर मुख कर के करें |
*कुछ विशेष एवं शिघ्र लाभकारी उपाय (अत्यंत प्रभावी तथा शैकडो सधको द्वारा अनुभूत) हमारे सेंटर द्वारा दिक्षा प्राप्त साधकों के लिये *
-इन उपायों को करने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त हो कर, शुचिर्भूत वस्त्र पहन कर अपने पूजा स्थान पर बैठ जाये.
-यदि *पुरुष साधक है तो श्वेत वस्त्र, तथा स्त्री साधिकाएं पित वस्त्र* धारण करें तो विशेष लाभ प्राप्त होता है.
- मंत्र साधना के लिए *पूर्व या उत्तर दिशा* की ओर मुख कर के बैठे
-सर्वप्रथम अपने इष्ट देव का और अपने कुलदैवत का आवाहन/प्रार्थन करें.
-भगवान रूद्र, आदित्य वरुणादि देवतों का आवाहन करें
- माँ दुर्गा का आवाहन करें
- और *स्फटिक, रुद्राक्ष अथवा तुलसी माला पर दिए गए मन्त्रों का ११ माला जाप करें.*
- मालाएं पूरी होने पर क्षमाप्रार्थना तथा धन्यवाद व्यक्त करें.
1. *जीवन में शत्रु और बाधाएं कम करने के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 2
2. *पति की आयु बढ़ाने और दाम्पत्य सुख बढ़ाने के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 2 और 4
3. *तरक्की, संकट नाश और कार्य सिद्धि के लिए*: विद्या मंत्र नंबर 4
4. *बुरी आदतें त्यागने और पश्चाताप हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 5
5. *सफलता और बुरी नजर से बचाव हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 3 और 1
6. *बाधाएं दूर करने के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 4 और 3
2. *पति की आयु बढ़ाने और दाम्पत्य सुख बढ़ाने के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 2 और 4
3. *तरक्की, संकट नाश और कार्य सिद्धि के लिए*: विद्या मंत्र नंबर 4
4. *बुरी आदतें त्यागने और पश्चाताप हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 5
5. *सफलता और बुरी नजर से बचाव हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 3 और 1
6. *बाधाएं दूर करने के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 4 और 3
7. *चहुंमुखी प्रगति और संपन्नता के लिए* : विद्या मंत्र नंबर 1
8 . *धन वृद्धि और आजीविका वृद्धि हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 1 और 4
9. * अध्ययन संबंधी बाधा से परेशान चल रहे हैं, उनके लिए* विद्या मंत्र नंबर 1 और 3
*विद्या मंत्र क्या है ? और कैसे आप इसे अपने घर बैठे सीख सकते है ? *
8 . *धन वृद्धि और आजीविका वृद्धि हेतु* : विद्या मंत्र नंबर 1 और 4
9. * अध्ययन संबंधी बाधा से परेशान चल रहे हैं, उनके लिए* विद्या मंत्र नंबर 1 और 3
*विद्या मंत्र क्या है ? और कैसे आप इसे अपने घर बैठे सीख सकते है ? *
* विद्या मंत्र साधना ऑनलाइन कोर्स...*
यह विद्या मंत्र हमारे महाराष्ट्र का प्राचीन विद्या है जिसके माध्यम से आप कोई भी कार्य सम्पन्न कर सकते हो और आसानी के साथ, इसमे मंत्र और यन्त्र सिद्धि के बारे में सिखाया जाता है. यह गारंटी तो जो कोई भी इस विद्या को जानता है वह दे सकता है,परंतु इस विद्या को देने का एक विधि होता है जो हनुमान जी के क्रुपा से शुभ अवसर पर किया जाता है और वह साधक उसी दिन से इस विद्या का पूर्ण अधिकारी होता है साथ ही ज्ञानी भी बन जाता है॰यह विद्या हर कोई प्राप्त नहीं कर सकता है क्यूके अब इस विद्या को जानने वाले लोग बहोत कम बचे है क्यूके सिद्धों ने कभी मन ही नहीं बनाया इसे किसिकों देने का परंतु मेरे प्राण-प्रिय सदगुरुजी के कृपा से मुजे प्राप्त हुआ और मैंने अब तक गुरु जी की आज्ञा से २०१५ में 30-40 व्यक्तिओ को इसे फोन काॅल साधना तथा दिक्षा कोर्स द्वारा प्रदान किया है और उन्हे पूर्ण लाभ प्राप्त हुआ,आज वह लोग भी जनकल्याण कर रह है इस बात का मुजे और मेरे सदगुरुजी को आनंद है. इसीलिये यह कोर्स हमारे सेंटर द्वारा सभी के लिये खुला किया गया है
_विद्या मंत्र साधना उपासना के लाभ_
1) शीघ्र फलदायी एवं साधक की सात्विक मनोकामनाएं पूर्ण करने में सहायक.
2) विपत्ति नाश, शत्रुनाश, वाक्-शक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए.
3) पासक को भक्ति और मुक्ति दोनों प्रदान करने वाली.
4) विपत्ति नाश, रोग निवारण, युद्ध जय आदि के लिए.
5) दैवी प्रकोप की शांति, धन-धान्य के लिए.
6) काल सर्प दोष, पितृ दोष, निवारण, वास्तु दोष निवारण के लिए आसान उपाय.
7) जो व्यक्ति विद्या साधना को पूर्णता के साथ संपन्न कर लेता है। वह निश्चय ही जीवन में ऊंचा उठता है परंतु ध्यान रहे विधिवत् उपासना के लिए गुरु दीक्षा नितांत आवश्यक है।
2) विपत्ति नाश, शत्रुनाश, वाक्-शक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए.
3) पासक को भक्ति और मुक्ति दोनों प्रदान करने वाली.
4) विपत्ति नाश, रोग निवारण, युद्ध जय आदि के लिए.
5) दैवी प्रकोप की शांति, धन-धान्य के लिए.
6) काल सर्प दोष, पितृ दोष, निवारण, वास्तु दोष निवारण के लिए आसान उपाय.
7) जो व्यक्ति विद्या साधना को पूर्णता के साथ संपन्न कर लेता है। वह निश्चय ही जीवन में ऊंचा उठता है परंतु ध्यान रहे विधिवत् उपासना के लिए गुरु दीक्षा नितांत आवश्यक है।