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मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

#सूर्य और सात घोडो का #रहस्य

सूर्य और सात घोडो का रहस्य 
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रोचक तथ्य
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#सूर्य और सात घोडो का #रहस्य
#सूर्य और सात घोडो का #रहस्य

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़ी कहानियों का इतिहास काफी बड़ा है या यूं कहें कि कभी ना खत्म होने वाला यह इतिहास आज विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए है। विभिन्न देवी-देवताओं का चित्रण, उनकी वेश-भूषा और यहां तक कि वे किस सवारी पर सवार होते थे यह तथ्य भी काफी रोचक हैं।

सूर्य रथ
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हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता गणेश जी की सवारी काफी प्यारी मानी जाती है। गणेश जी एक मूषक यानि कि चूहे पर सवार होते हैं जिसे देख हर कोई अचंभित होता है कि कैसे महज एक चूहा उनका वजन संभालता है। गणेश जी के बाद यदि किसी देवी या देवता की सवारी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है तो वे हैं सूर्य भगवान।

क्यों जुते हैं सात घोड़े
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सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान जिन्हें आदित्य, भानु और रवि भी कहा जाता है, वे सात विशाल एवं मजबूत घोड़ों पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथ होती है और स्वयं सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं।

सात की खास संख्या
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लेकिन सूर्य देव द्वारा सात ही घोड़ों की सवारी क्यों की जाती है? क्या इस सात संख्या का कोई अहम कारण है? या फिर यह ब्रह्मांड, मनुष्य या सृष्टि से जुड़ी कोई खास बात बताती है। इस प्रश्न का उत्तर पौराणिक तथ्यों के साथ कुछ वैज्ञानिक पहलू से भी बंधा हुआ है।

कश्यप और अदिति की संतानें
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सूर्य भगवान से जुड़ी एक और खास बात यह है कि उनके 11 भाई हैं, जिन्हें एकत्रित रूप में आदित्य भी कहा जाता है। यही कारण है कि सूर्य देव को आदित्य के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य भगवान के अलावा 11 भाई ( अंश, आर्यमान, भाग, दक्ष, धात्री, मित्र, पुशण, सवित्र, सूर्या, वरुण, वमन, ) सभी कश्यप तथा अदिति की संतान हैं।

वर्ष के 12 माह के समान
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पौराणिक इतिहास के अनुसार कश्यप तथा अदिति की 8 या 9 संतानें बताई जाती हैं लेकिन बाद में यह संख्या 12 बताई गई। इन 12 संतानों की एक बात खास है और वो यह कि सूर्य देव तथा उनके भाई मिलकर वर्ष के 12 माह के समान हैं। यानी कि यह सभी भाई वर्ष के 12 महीनों को दर्शाते हैं।

सूर्यदेव की दो पत्नियां
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सूर्य देव की दो पत्नियां – संज्ञा एवं छाया हैं जिनसे उन्हें संतान प्राप्त हुई थी। इन संतानों में भगवान शनि और यमराज को मनुष्य जाति का न्यायाधिकारी माना जाता है। जहां मानव जीवन का सुख तथा दुख भगवान शनि पर निर्भर करता है वहीं दूसरी ओर शनि के छोटे भाई यमराज द्वारा आत्मा की मुक्ति की जाती है। इसके अलावा यमुना, तप्ति, अश्विनी तथा वैवस्वत मनु भी भगवान सूर्य की संतानें हैं। आगे चलकर मनु ही मानव जाति का पहला पूर्वज बने।

सूर्य भगवान का रथ
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सूर्य भगवान सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होते हैं। इन सात घोड़ों के संदर्भ में पुराणों तथा वास्तव में कई कहानियां प्रचलित हैं। उनसे प्रेरित होकर सूर्य मंदिरों में सूर्य देव की विभिन्न मूर्तियां भी विराजमान हैं लेकिन यह सभी उनके रथ के साथ ही बनाई जाती हैं।

कोणार्क मंदिर
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विशाल रथ और साथ में उसे चलाने वाले सात घोड़े तथा सारथी अरुण देव, यह किसी भी सूर्य मंदिर में विराजमान सूर्य देव की मूर्ति का वर्णन है। भारत में प्रसिद्ध कोणार्क का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य तथा उनके रथ को काफी अच्छे से दर्शाता है।

सात से कम या ज्यादा क्यों नहीं
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लेकिन इस सब से हटकर एक सवाल काफी अहम है कि आखिरकार सूर्य भगवान द्वारा सात ही घोड़ों की सवारी क्यों की जाती हैं। यह संख्या सात से कम या ज्यादा क्यों नहीं है। यदि हम अन्य देवों की सवारी देखें तो श्री कृष्ण द्वारा चालए गए अर्जुन के रथ के भी चार ही घोड़े थे, फिर सूर्य भगवान के सात घोड़े क्यों? क्या है इन सात घोड़ों का इतिहास और ऐसा क्या है इस सात संख्या में खास जो सूर्य देव द्वारा इसका ही चुनाव किया गया।

सात घोड़े और सप्ताह के सात दिन
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सूर्य भगवान के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम हैं - गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति। कहा जाता है कि यह सात घोड़े एक सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं। यह तो महज एक मान्यता है जो वर्षों से सूर्य देव के सात घोड़ों के संदर्भ में प्रचलित है लेकिन क्या इसके अलावा भी कोई कारण है जो सूर्य देव के इन सात घोड़ों की तस्वीर और भी साफ करता है।

सात घोड़े रोशनी को भी दर्शाते हैं
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पौराणिक दिशा से विपरीत जाकर यदि साधारण तौर पर देखा जाए तो यह सात घोड़े एक रोशनी को भी दर्शाते हैं। एक ऐसी रोशनी जो स्वयं सूर्य देवता यानी कि सूरज से ही उत्पन्न होती है। यह तो सभी जानते हैं कि सूर्य के प्रकाश में सात विभिन्न रंग की रोशनी पाई जाती है जो इंद्रधनुष का निर्माण करती है।

बनता है इंद्रधनुष
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यह रोशनी एक धुर से निकलकर फैलती हुई पूरे आकाश में सात रंगों का भव्य इंद्रधनुष बनाती है जिसे देखने का आनंद दुनिया में सबसे बड़ा है।

प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न
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सूर्य भगवान के सात घोड़ों को भी इंद्रधनुष के इन्हीं सात रंगों से जोड़ा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि हम इन घोड़ों को ध्यान से देखें तो प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न है तथा वह एक-दूसरे से मेल नहीं खाता है। केवल यही कारण नहीं बल्कि एक और कारण है जो यह बताता है कि सूर्य भगवान के रथ को चलाने वाले सात घोड़े स्वयं सूरज की रोशनी का ही प्रतीक हैं।

पौराणिक गाथा से इतर
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यदि आप किसी मंदिर या पौराणिक गाथा को दर्शाती किसी तस्वीर को देखेंगे तो आपको एक अंतर दिखाई देगा। कई बार सूर्य भगवान के रथ के साथ बनाई गई तस्वीर या मूर्ति में सात अलग-अलग घोड़े बनाए जाते हैं, ठीक वैसा ही जैसा पौराणिक कहानियों में बताया जाता है लेकिन कई बार मूर्तियां इससे थोड़ी अलग भी बनाई जाती हैं।

अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति
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कई बार सूर्य भगवान की मूर्ति में रथ के साथ केवल एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है। इसका मतलब है कि केवल एक शरीर से ही सात अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति होती है। ठीक उसी प्रकार से जैसे सूरज की रोशनी से सात अलग रंगों की रोशनी निकलती है। इन दो कारणों से हम सूर्य भगवान के रथ पर सात ही घोड़े होने का कारण स्पष्ट कर सकते हैं।

सारथी अरुण
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पौराणिक तथ्यों के अनुसार सूर्य भगवान जिस रथ पर सवार हैं उसे अरुण देव द्वारा चलाया जाता है। एक ओर अरुण देव द्वारा रथ की कमान तो संभाली ही जाती है लेकिन रथ चलाते हुए भी वे सूर्य देव की ओर मुख कर के ही बैठते है !

केवल एक ही पहिया
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रथ के नीचे केवल एक ही पहिया लगा है जिसमें 12 तिल्लियां लगी हुई हैं। यह काफी आश्चर्यजनक है कि एक बड़े रथ को चलाने के लिए केवल एक ही पहिया मौजूद है, लेकिन इसे हम भगवान सूर्य का चमत्कार ही कह सकते हैं। कहा जाता है कि रथ में केवल एक ही पहिया होने का भी एक कारण है।

पहिया एक वर्ष को दर्शाता है 
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यह अकेला पहिया एक वर्ष को दर्शाता है और उसकी 12 तिल्लियां एक वर्ष के 12 महीनों का वर्णन करती हैं। एक पौराणिक उल्लेख के अनुसार सूर्य भगवान के रथ के समस्त 60 हजार वल्खिल्या जाति के लोग जिनका आकार केवल मनुष्य के हाथ के अंगूठे जितना ही है, वे सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही गांधर्व और पान्नग उनके सामने गाते हैं औरअप्सराएं उन्हें खुश करने के लिए नृत्य प्रस्तुत करती हैं।

ऋतुओं का विभाजन
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कहा जाता है कि इन्हीं प्रतिक्रियाओं पर संसार में ऋतुओं का विभाजन किया जाता है। इस प्रकार से केवल पौराणिक रूप से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों से भी जुड़ा है भगवान सूर्य का यह विशाल रथ।
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सूर्य और सात घोड़ों का रहस्य वैदिक और पौराणिक साहित्य में गहराई से वर्णित है। यह प्रतीकात्मकता, वैज्ञानिकता और दार्शनिक अर्थों से जुड़ा हुआ है। आइए इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझें:


1. वेदों में सूर्य और सात घोड़े:

ऋग्वेद में सूर्य:

  • सूर्य को जीवन और प्रकाश का स्रोत माना गया है। इसे "सविता" या "सूर्यनारायण" कहा गया है।
  • सात घोड़ों को "सप्त अश्व" के रूप में वर्णित किया गया है, जो सूर्य के रथ को खींचते हैं।
  • यह सात घोड़े "सप्त छन्द" (वेद के सात छंद: गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, बृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती) का प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि सूर्य सभी वैदिक ज्ञान के स्रोत हैं।

सात घोड़ों का प्रतीक:

  • सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक हैं।
  • यह सात रंगों का भी प्रतीक है, जैसा कि प्रकाश के वर्णक्रम (इंद्रधनुष) में देखा जाता है।
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2. पुराणों में सूर्य और सात घोड़े:

सूर्य का रथ:

  • पुराणों में सूर्य को एक दिव्य रथ पर सवार दिखाया गया है, जिसमें एक पहिया और सात घोड़े हैं।
  • "सात घोड़े" समय और गति के प्रतीक हैं। वे जीवन के सतत प्रवाह और परिवर्तन को दर्शाते हैं।
  • रथ का एक पहिया "कालचक्र" का प्रतीक है, जो समय को दर्शाता है।

सारथी अरुण:

  • सूर्य के रथ के सारथी अरुण हैं, जो आधा उगता हुआ सूर्य (सूर्योदय और सूर्यास्त) का प्रतीक हैं। यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और संतुलन को दर्शाता है।
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3. दर्शन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

आध्यात्मिक रहस्य:

  • सात घोड़े सात चक्र (मूलाधार से सहस्रार तक) का प्रतीक माने गए हैं।
  • सूर्य आत्मा (आत्मतत्त्व) का प्रतीक है, और घोड़े शरीर, मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति का।

वैज्ञानिक दृष्टि:

  • प्रकाश का विक्षेपण (dispersion) सात रंगों में विभक्त होता है। सूर्य के सात घोड़े इन्हीं सात रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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4. सात घोड़ों का पौराणिक महत्व:

  • सूर्य को धर्म, सत्य और जीवन का पालनकर्ता माना गया है। सात घोड़े इस बात का प्रतीक हैं कि जीवन में सात गुण या सद्गुण (धैर्य, तप, सत्य, दया, ज्ञान, क्षमा, और प्रेम) के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
  • यह भी माना जाता है कि सूर्य के सात घोड़े "सप्तलोक" (भू, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, सत्य) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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5. सात घोड़ों की गति और ऊर्जा:

  • सूर्य का रथ अनवरत गति का प्रतीक है। यह सिखाता है कि जीवन में निरंतर कर्मशील रहना चाहिए।
  • सात घोड़ों की ऊर्जा जीवन में संतुलन और गतिशीलता बनाए रखने का प्रतीक है।

 

प्राचीन भारतीय वैदिक सनातन परंपरा में सूर्य तंत्र और सूर्य विज्ञान:

सूर्य तंत्र और सूर्य विज्ञान वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सूर्य की ऊर्जा, उसकी प्रतीकात्मकता, और आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व को समझने और उपयोग करने की प्रक्रिया को दर्शाते हैं। यह तंत्र और विज्ञान न केवल आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।


सूर्य तंत्र क्या है?

सूर्य तंत्र वैदिक तंत्र शास्त्र की एक शाखा है, जिसमें सूर्य को जीवनदायी ऊर्जा का स्रोत माना गया है। यह तंत्र सूर्य देवता के उपासना पद्धति, मंत्र, यंत्र, और ध्यान की विधियों पर आधारित है।

प्रमुख तत्व:

  1. सूर्य मंत्र:

    • सूर्य तंत्र में विभिन्न मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
      • आदित्य ह्रदय स्तोत्रम्
      • गायत्री मंत्र का सूर्य संस्करण: "ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।"
      • बीज मंत्र: "ॐ घृणि सूर्याय नमः।"
  2. सूर्य यंत्र:

    • सूर्य यंत्र एक ज्यामितीय आकृति है जो सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित और संचालित करता है।
    • इसका उपयोग ध्यान, पूजा, और ऊर्जा संतुलन के लिए किया जाता है।
  3. सूर्य उपासना:

    • प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना।
    • तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य की ओर मुख करके जल अर्पण करना।
  4. ध्यान और प्राणायाम:

    • सूर्य ध्यान (सूर्य की ओर देखकर ध्यान लगाना)।
    • सूर्य नमस्कार और सूर्य से जुड़े प्राणायाम।

सूर्य विज्ञान क्या है?

सूर्य विज्ञान वैदिक ग्रंथों और आधुनिक विज्ञान के मेल से विकसित एक दृष्टिकोण है, जिसमें सूर्य की ऊर्जा को जीवन के विभिन्न पहलुओं में उपयोगी बनाया जाता है। इसे वैदिक खगोलशास्त्र और चिकित्सा पद्धति से जोड़ा गया है।

मुख्य सिद्धांत:

  1. सूर्य: ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत

    • सूर्य से मिलने वाली सौर ऊर्जा (सूर्य किरण) जीवन के लिए आवश्यक है।
    • सूर्य से आने वाली प्रकाश किरणें (यूवी, इंफ्रारेड आदि) शरीर में विटामिन डी का निर्माण करती हैं, जो हड्डियों और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है।
  2. सूर्य की स्थिति और स्वास्थ्य:

    • सूर्य की स्थिति और राशियों में उसकी चाल व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन पर प्रभाव डालती है।
    • उदाहरण: कुंडली में कमजोर सूर्य को मजबूत करने के लिए सूर्य तंत्र का उपयोग किया जाता है।
  3. सूर्य का रंग विज्ञान:

    • सूर्य के सात रंग (इंद्रधनुष) मानव चक्र प्रणाली से जुड़े हैं।
    • यह शरीर के विभिन्न अंगों और चक्रों को सक्रिय और संतुलित करता है।
  4. सूर्य चिकित्सा:

    • सूर्य की किरणों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है।
    • "सूर्य क्रिया" के माध्यम से आँखों, त्वचा और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का इलाज।

सूर्य तंत्र और विज्ञान का लाभ:

  1. शारीरिक लाभ:

    • प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
    • हड्डियों और त्वचा संबंधी रोगों का उपचार।
    • पाचन तंत्र और चयापचय को सुधारता है।
  2. मानसिक लाभ:

    • मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता को बढ़ाता है।
    • अवसाद और चिंता को कम करता है।
  3. आध्यात्मिक लाभ:

    • आत्मा को ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करता है।
    • आंतरिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है।
  4. सांसारिक लाभ:

    • कुंडली में कमजोर सूर्य के कारण आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
    • समाज में मान-सम्मान, धन और सफलता दिलाने में सहायक।

सूर्य तंत्र के अभ्यास के चरण:

  1. सूर्य उपासना:

    • प्रतिदिन सूर्य को प्रणाम और अर्घ्य देना।
    • सूर्य के बीज मंत्र का जाप।
  2. सूर्य ध्यान:

    • सूर्योदय या सूर्यास्त के समय ध्यान करना।
  3. सूर्य नमस्कार:

    • शरीर को सुदृढ़ और ऊर्जावान बनाने के लिए यह योगासन।
  4. सूर्य चिकित्सा:

    • प्रातःकालीन सूर्य किरणों के संपर्क में आना।
  5. सूर्य यंत्र की स्थापना:

    • इसे पूजा स्थल में स्थापित करना और नियमित पूजा करना।

निष्कर्ष:

सूर्य तंत्र और सूर्य विज्ञान मानव जीवन को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने के साधन हैं। यह केवल पूजा और ध्यान तक सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर यह स्वास्थ्य और कल्याण का भी एक सशक्त माध्यम है।

सूर्य और सात घोड़ों का रहस्य गहन और बहुस्तरीय है। यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा, वैदिक ज्ञान, जीवन के सात पहलुओं और संतुलित जीवन की शिक्षा देता है। वेद और पुराणों के माध्यम से यह प्रतीक हमें आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और नैतिक दृष्टि से प्रेरित करता है।

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सूर्य देव के रथ में जुड़े सात घोड़े, सूर्य की किरणों के सात रंगों को दर्शाते हैं. ये रंग हैं- बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल, और जामुनी. आधुनिक विज्ञान में इन्हें वाइब्रोरियम (VIBGYOR) कहते हैं
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सूर्य देव के रथ में जुड़े सात घोड़े, सप्ताह के सात दिनों का भी प्रतीक माने जाते हैं. 
  • सूर्य देव के रथ में जुड़े सात घोड़े, मानव शरीर के सात चक्रों और सप्त ऋषियों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. 
  • सूर्य देव के रथ में जुड़े सात घोड़े, ग्रहों और रत्नों को ऊर्जा देते हैं
  • सूर्य देव के रथ में जुड़े सात घोड़े, अविरल गतिमान रहते हैं. यह जीवन में कर्म और प्रयत्न के महत्व को दर्शाता है.
  • सूर्य देव के रथ के सारथी अरुण हैं. अरुण, भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई हैं
  • सूर्य देव के रथ को सात घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथों में होती है
  • वास्तु के अनुसार, घोड़े की पेंटिंग में सात घोड़े शक्ति व सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। घोड़ों को दौड़ते हुए दिखाया गया है, जो सफल और सकारात्मक जीवन की ओर बढ़ने तथा प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। आपके घर या ऑफिस में 7 घोड़ों की पेंटिंग होने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है। दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर सफलता, उन्नति और ताकत का प्रतीक मानी जाती है। घर में इस तरह की सुंदर तस्वीर लगाने से परिवार के सदस्यों की किस्मत चमक सकती है, लेकिन इस तस्वीर को कहां और किस दिशा में लगाना है।
  • सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है क्योंकि सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। ऋग्वेद में देवताओं में सूर्यदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें भगवान का नेत्र माना गया है। इसमें उषा को उनकी भार्या कहा गया है।
  • विज्ञान की प्राथमिक किताबों में यह बताया जाता है कि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित होता है, परंतु क्या सूर्य एक जगह स्थिर रहता है या गति करता है, सूर्य, सौरमंडल के केंद्र में स्थित होता है परन्तु स्थिर नहीं होता यह विभिन्न प्रकार की गति कर रहा है, सूर्य वास्तव में कितने प्रकार की गति कर रहा है इसकी कल्पना करना और इस गति की गणना करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है.

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    सूर्य की घूर्णन गति

    पृथ्वी की तरह सूर्य भी अपने अक्ष पर घूमता है हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटों में एक बार घूर्णन करती है, सूर्य भी अपने अक्ष पर घूमता है, सूर्य गैस का एक गोला है यह पृथ्वी की तरह ठोस नहीं है इसीलिए इसके अलग अलग हिस्सों में अलग अलग घूर्णनकाल होता है यह 24 से 27 दिनों में अपने अक्ष में एक चक्र पूर्ण कर लेता है, सूर्य के मध्य का हिस्सा तेज़ गति से घूमता है तथा ध्रुवीय हिस्सा धीमी गति से घूमता है.

    सूर्य की डगमगाहट

    कई ग्रह, उपग्रह और द्रव्यमान पिंड सूर्य का चक्कर लगाते हैं इनके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से सूर्य अपने स्थान से थोड़ा डगमगा जाता है इससे whobling कहते हैं, यह बहुत कम मात्रा में होता है, क्योंकि सूर्य का द्रव्यमान ग्रहों के द्रव्यमान की तुलना में बहुत अधिक है.

    सूर्य गैलेक्सी के केंद्र का चक्कर लगाता है

    सूर्य मिल्की वे गैलेक्सी का एक तारा है, यह मिल्की वे के केंद्र का चक्कर लगाता है इसकी गति लगभग 250 किलोमीटर प्रति सेकंड है, गैलेक्सी के सभी तारे केंद्र की परिक्रमा करते हैं केंद्र के पास स्थित तारे धीमी गति से जबकि गैलेक्सी के केंद्र से दूर स्थित तारे अधिक गति से परिक्रमा करते हैं सूर्य के केंद्र से अधिक दूरी पर है इसलिए इसकी 250 किलोमीटर प्रति सेकंड है.

    सूर्य मिल्की वे गैलेक्सी के साथ गति करता है

    ब्रह्मांड में हमारी गैलेक्सी मिल्की वे स्थिर नहीं है यह एंड्रोमेडा गैलेक्सी की ओर बढ़ रही है इस में स्थित सभी तारे भी एंड्रोमेडा गैलेक्सी की ओर जा रहे हैं इसलिए सूर्य भी मिल्की वे गैलेक्सी के साथ एंड्रोमेडा गैलेक्सी की ओर गति कर रहा है, वैज्ञानिक इस गति का मापन नहीं कर पाए हैं.

    सूर्य की इन विभिन्न प्रकार की गतियों के अलावा भी कई प्रकार की गति होती है क्योंकि मिल्की वे गैलेक्सी का क्लस्टर और यह क्लस्टर जिस सुपरक्लस्टर का हिस्सा है वह भी गति कर रहे हैं, इसलिए सूर्य और पृथ्वी भी इस प्रकार की गति करते हैं, इन विभिन्न प्रकार की गतियों की एक साथ कल्पना कर पाना या इसका कंप्यूटर मॉडल बना पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है.

    कोणार्क मंदिर में विशाल रथ और साथ में उसे चलाने वाले सात घोड़े तथा सारथी अरुण देव, यह किसी भी सूर्य मंदिर में विराजमान सूर्य देव की मूर्ति का वर्णन है। भारत में प्रसिद्ध कोणार्क का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य तथा उनके रथ को काफी अच्छे से दर्शाता है। लेकिन इस सब से हटकर एक सवाल काफी अहम है कि आखिरकार सूर्य भगवान द्वारा सात ही घोड़ों की सवारी क्यों की जाती हैं। यह संख्या सात से कम या ज्यादा क्यों नहीं है। यदि हम अन्य देवों की सवारी देखें तो श्री कृष्ण द्वारा चालए गए अर्जुन के रथ के भी चार ही घोड़े थे, फिर सूर्य भगवान के सात घोड़े क्यों? क्या है इन सात घोड़ों का इतिहास और ऐसा क्या है इस सात संख्या में खास जो सूर्य देव द्वारा इसका ही चुनाव किया गया।

    सूर्य भगवान के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम हैं - गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति। कहा जाता है कि यह सात घोड़े एक सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं। यह तो महज एक मान्यता है जो वर्षों से सूर्य देव के सात घोड़ों के संदर्भ में प्रचलित है लेकिन क्या इसके अलावा भी कोई कारण है जो सूर्य देव के इन सात घोड़ों की तस्वीर और भी साफ करता है।

    पौराणिक दिशा से विपरीत जाकर यदि साधारण तौर पर देखा जाए तो यह सात घोड़े एक रोशनी को भी दर्शाते हैं। एक ऐसी रोशनी जो स्वयं सूर्य देवता यानी कि सूरज से ही उत्पन्न होती है। यह तो सभी जानते हैं कि सूर्य के प्रकाश में सात विभिन्न रंग की रोशनी पाई जाती है जो इंद्रधनुष का निर्माण करती है। यह रोशनी एक धुर से निकलकर फैलती हुई पूरे आकाश में सात रंगों का भव्य इंद्रधनुष बनाती है जिसे देखने का आनंद दुनिया में सबसे बड़ा है।

    सूर्य भगवान के सात घोड़ों को भी इंद्रधनुष के इन्हीं सात रंगों से जोड़ा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि हम इन घोड़ों को ध्यान से देखें तो प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न है तथा वह एक-दूसरे से मेल नहीं खाता है। केवल यही कारण नहीं बल्कि एक और कारण है जो यह बताता है कि सूर्य भगवान के रथ को चलाने वाले सात घोड़े स्वयं सूरज की रोशनी का ही प्रतीक हैं।

    यदि आप किसी मंदिर या पौराणिक गाथा को दर्शाती किसी तस्वीर को देखेंगे तो आपको एक अंतर दिखाई देगा। कई बार सूर्य भगवान के रथ के साथ बनाई गई तस्वीर या मूर्ति में सात अलग-अलग घोड़े बनाए जाते हैं, ठीक वैसा ही जैसा पौराणिक कहानियों में बताया जाता है लेकिन कई बार मूर्तियां इससे थोड़ी अलग भी बनाई जाती हैं। कई बार सूर्य भगवान की मूर्ति में रथ के साथ केवल एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है। इसका मतलब है कि केवल एक शरीर से ही सात अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति होती है। ठीक उसी प्रकार से जैसे सूरज की रोशनी से सात अलग रंगों की रोशनी निकलती है। इन दो कारणों से हम सूर्य भगवान के रथ पर सात ही घोड़े होने का कारण स्पष्ट कर सकते हैं।

         
 

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       हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि क...