#शुक्र ग्रह (#Venus) का #ज्योतिष में विशेष महत्व
शुक्र ग्रह (Venus) का ज्योतिष में विशेष महत्व है। यह सौंदर्य, प्रेम, विलासिता, कला, संगीत, विवाह, भौतिक सुख-सुविधाओं और रोमांस का कारक ग्रह है। यह धन, वैवाहिक जीवन, और रचनात्मकता का भी प्रतीक है। कुंडली में शुक्र का प्रभाव और उसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन में इन पहलुओं को गहराई से प्रभावित करती है। नीचे शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्र, यंत्र, तंत्र, टोटके, और कुंडली में इसके विभिन्न भावों और राशियों में स्थित होने के प्रभाव का विस्तृत विवरण दिया गया है।
1. शुक्र ग्रह के मंत्र
शुक्र ग्रह के दोष निवारण और शुभ फलों को प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:
- बीज मंत्र:
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
- वेद मंत्र:
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवमुपमाह्यहम्॥
- तांत्रिक मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः।
- जाप संख्या: 16,000 बार (कमल गट्टे की माला से)।
- जाप का समय: सुबह के समय, शुक्र ग्रह की होरा में।
2. शुक्र ग्रह यंत्र
यंत्र निर्माण का समय:
शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त में, विशेषतः शुक्र नक्षत्र में।यंत्र का स्वरूप:
चांदी या तांबे की प्लेट पर शुक्र यंत्र बनवाएं।
यंत्र का स्वरूप निम्न प्रकार हो सकता है:हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।
स्नेहकाँक्षी परिवार :- #मधुकर, #किरन, #शिवाँशी, #लक्षिता
उक्त जगह पर तथा यंत्र के नीचे अपने परिवार का नाम लिखें
यंत्र स्थापना की विधि:
- शुक्रवार को स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें।
- यंत्र को गुलाबजल और गंगाजल से पवित्र करें।
- इसे सफेद कपड़े पर स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
मंत्र का 108 बार जाप करें।
3. तांत्रिक उपाय (तंत्र)
- शुक्र ग्रह की शांति के लिए:
- शुक्र ग्रह की हवन सामग्री में कपूर, चंदन, गुलाब की पंखुड़ियां और केसर का उपयोग करें।
- हवन के दौरान "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।" मंत्र का जाप करें।
- विशेष उपाय:
- शुक्रवार को गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- लक्ष्मीजी की पूजा करें और सफेद मिष्ठान्न चढ़ाएं।
4. शुक्र ग्रह से जुड़े टोटके
- विवाह में देरी के लिए:
- हर शुक्रवार देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें।
- कन्याओं को सफेद वस्त्र और मिष्ठान्न का दान करें।
- धन और भौतिक सुख के लिए:
- शुक्रवार को कंजकों को खीर और मिश्री का प्रसाद बांटें।
- सौंदर्य और आकर्षण के लिए:
- रोजाना तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
5. कुंडली में शुक्र ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव
प्रत्येक भाव में शुक्र का प्रभाव
- प्रथम भाव (लग्न):
- व्यक्ति आकर्षक, सौंदर्य-प्रेमी, और कला में रुचि रखने वाला होता है।
- द्वितीय भाव:
- धन का योग बनता है। व्यक्ति की वाणी में मधुरता होती है।
- तृतीय भाव:
- रचनात्मकता और कला क्षेत्र में सफलता।
- चतुर्थ भाव:
- घर, वाहन, और सुख-सुविधा की प्राप्ति।
- पंचम भाव:
- प्रेम संबंधों में सफलता और सृजनात्मकता में वृद्धि।
- षष्ठम भाव:
- शुक्र कमजोर होता है; स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- सप्तम भाव:
- विवाह और वैवाहिक जीवन में समृद्धि।
- अष्टम भाव:
- गुप्त धन और अध्यात्म में रुचि।
- नवम भाव:
- भाग्य और धर्म क्षेत्र में उन्नति।
- दशम भाव:
- करियर में रचनात्मकता और भौतिक सुख।
- एकादश भाव:
- धन वृद्धि और मित्रों से सहयोग।
- द्वादश भाव:
- विदेश यात्रा, विलासिता और आध्यात्मिक विकास।
6. कुंडली में शुक्र की राशियों में स्थिति का प्रभाव
- मेष:
- अधिक खर्च और भौतिक सुखों की कमी।
- वृषभ (मूल त्रिकोण):
- अत्यधिक शुभ। व्यक्ति विलासप्रिय और धनी होता है।
- मिथुन:
- संचार और रचनात्मकता में वृद्धि।
- कर्क:
- परिवार और प्रेम में अस्थिरता।
- सिंह:
- नेतृत्व क्षमता और कला में रुचि।
- कन्या (नीच का शुक्र):
- वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
- तुला (स्वग्रही):
- अत्यंत शुभ। व्यक्ति सभी भौतिक सुखों का अनुभव करता है।
- वृश्चिक:
- गुप्त प्रेम संबंध और संघर्ष।
- धनु:
- धार्मिक कार्यों में रुचि।
- मकर:
- व्यावसायिक सफलता।
- कुंभ:
- व्यक्ति कलात्मक और दूरदर्शी होता है।
- मीन (उच्च का शुक्र):
- अत्यंत शुभ। व्यक्ति कला और धन के क्षेत्र में सफल होता है।
7. शुक्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति और प्रभाव
- सूर्य के साथ:
- व्यक्ति रचनात्मक और भौतिकवादी होता है।
- चंद्रमा के साथ:
- सौंदर्य, प्रेम और भावनात्मक आकर्षण।
- मंगल के साथ:
- वाणी में तेज, लेकिन वैवाहिक जीवन में संघर्ष।
- बुध के साथ:
- कला और लेखन में निपुणता।
- गुरु के साथ:
- धन और आध्यात्मिकता का संतुलन।
- शनि के साथ:
- विलासिता और अनुशासन का मिश्रण।
- राहु/केतु के साथ:
- भौतिक सुख और मानसिक भ्रम।
8. शुक्र ग्रह के कमजोर होने के लक्षण
- वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
- भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी।
- सौंदर्य और आकर्षण में कमी।
- आर्थिक समस्याएं।
9. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- रत्न:
- हीरा या ओपल (पंचधातु या चांदी में, मध्यमा अंगुली में पहनें)।
- दान:
- सफेद चंदन, चावल, चीनी, और मिश्री का दान करें।
- व्रत:
- हर शुक्रवार को व्रत रखें।
- सफेद वस्त्र:
- सफेद कपड़े पहनें और दान करें।
शुक्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को लाभदाता ग्रह कहा जाता है। यह प्रेम, जीवनसाथी, सांसारिक वैभव, प्रजनन और कामुक विचारों का कारक है। शुक्र ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन्हें जीवन में भौतिक संसाधनों का आनंद प्राप्त होता है। वहीं कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर होने से आर्थिक कष्ट, स्त्री सुख में कमी, डायबिटीज़ और सांसारिक सुखों में कमी आने लगती है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह शांति के लिए दान, पूजा-पाठ और रत्न धारण किये जाते हैं। शुक्र से जुड़े इन उपायों में शुक्रवार का व्रत, दुर्गाशप्तशी का पाठ, चावल और श्वेत वस्त्र का दान आदि करने का विधान है। अगर आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो उन उपायों को अवश्य करें। इन कार्यों को करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव दूर होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े शुक्र ग्रह शांति के उपाय
शुक्र ग्रह शांति के लिये उपाय
चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें।
प्रियतम एवं अन्य महिलाओं का सम्मान करें। यदि आप पुरुष हैं तो अपनी पत्नी का आदर करें।
कलात्मक क्रियाओं का विकास करें।
चरित्रवान बनें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले शुक्र ग्रह के उपाय
माँ लक्ष्मी अथवा जगदम्बे माँ की पूजा करें।
भगवान परशुराम की आराधना करें।
श्री सूक्त का पाठ करें।
शुक्र के लिये व्रत
अशुभ शुक्र की शांति के लिए शुक्रवार के दिन उपवास रखें।
शुक्र शांति के लिये दान करें
पीड़ित शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा एवं इसके नक्षत्रों (भरानी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा) के समय दान करना चाहिए।
दान करने वाली वस्तुएँ- दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि।
शुक्र के लिए रत्न
शुक्र ग्रह के लिए हीरा धारण किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार वृषभ और तुला दोनों शुक्र की राशि हैं। अतः इन राशि के जातकों के लिए हीरा पहनना शुभ होता है।
शुक्र यंत्र
शुक्र यंत्र की पूजा से प्रेम जीवन, व्यापार और धनलाभ में वृद्धि होती है। शुक्र यंत्र को शुक्रवार को शुक्र की होरा एवं शुक्र के नक्षत्र के समय धारण करें।
शुक्र ग्रह के लिये जड़ी
शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अरंड मूल अथवा सरपंखा मूल धारण करें। अरंड मूल/सरपंखा मूल को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा अथवा शुक्र के नक्षत्र में धारण किया जा सकता है।
शुक्र के लिये रुद्राक्ष
शुक्र के लिये 6 मुखी रुद्राक्ष / 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ रं मं यं ॐ।
शुक्र मंत्र
जीवन में आर्थिक संपन्नता, प्रेम और आकर्षण में बढ़ोत्तरी के लिए शुक्र बीज मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः" का उच्चारण करना चाहिए।
इस मंत्र को कम से कम 16000 बार उच्चारण करना चाहिए और देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को 64000 बार जपने के लिए कहा गया है।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ शुं शुक्राय नमः।
वैदिक ज्योतिष में दिए गए शुक्र शांति के उपाय को नियम के अनुसार करने से जातकों को भौतिक सुखों का आनंद प्राप्त होता है। इसके साथ ही जातकों के जीवन में ऐश्वर्य, धन, एवं समृद्धि का आगमन होता है और व्यक्ति के कलात्मक गुणों का विकास होता है। चूंकि ज्योतिष में शुक्र का संबंध कला से जोड़ा गया है। अतः जो व्यक्ति कला की विभिन्न विधाओं से जुड़ा है तो ऐसे लोगों को शुक्र दोष के उपाय करने चाहिए। इससे उन्हें इस क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होगी। इस आलेख में मजबूत शुक्र के टोटके बहुत ही सरल रूप में बताए गए हैं जिन्हें आप आसानी से कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला का स्वामी कहा जाता है। अर्थात इन राशियों के जातकों को शुक्र ग्रह के आसान उपाय करने चाहिए। शास्त्रो में कहा गया है कि शुक्र ग्रह माँ लक्ष्मी जी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जो व्यक्ति शुक्र व्रत का पालन करता है उसे माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
शुक्र को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैवैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।
ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रूपरेखा एवं स्वभाव - हिन्दू ज्योतिष में शुक्र ग्रह जिस व्यक्ति के लग्न भाव में होता है वह जातक रूप-रंग से सुंदर होता है। उसका व्यक्तित्व विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। शुक्र के प्रभाव से वह दीर्घायु होता है और स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है। लग्न में शुक्र व्यक्ति को गायन, वादन, नृत्य, चित्र कला के प्रति रूचि पैदा कराता है। शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति काम-वासना, भोग विलास संबंधी चीज़ों को अधिक प्राथमिकता देता है। जिस जातक की कुंडली में शुक्र प्रथम भाव में स्थित होता है वह चित्रकार, गायक, नर्तक, कलाकार, अभिनेता आदि बनता है।
बली शुक्र - बली शुक्र व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को सुखी बनाता है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है। वहीं प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस में वृद्धि करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होता है वह व्यक्ति जीवन में भौतिक सुखों का आनंद लेता है। बली शुक्र के कारण व्यक्ति साहित्य एवं कला में रुचि लेता है।
पीड़ित शुक्र - पीड़ित शुक्र के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ आती हैं। पती-पत्नि के बीच मतभेद होते हैं। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है और वह भौतिक सुखों के अभाव में जीता है। यदि जन्म कुंडली में शुक्र कमज़ोर होता है तो जातक को कई प्रकार की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। पीड़ित शुक्र के प्रभाव से बचने के लिए जातकों को शुक्र ग्रह के उपाय करने चाहिए।
रोग - कमज़ोर शुक्र के कारण जातक की कामुक शक्ति कमज़ोर होती है। इसके प्रभाव से व्यक्तियों को किडनी से संबंधित बीमारी होने का ख़तरा रहता है। व्यक्ति को आँखों से सबंधित वहीं स्त्री जातकों के लिए शुक्र गर्भपात का कारण बनता है।
कार्यक्षेत्र - ज्योतिष में शुक्र ग्रह कोरियोग्राफी, संगीतकार, पेंटर, फैशन, डिज़ाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, कपड़ा संबंधी व्यवसाय, होटल, रेस्ट्रोरेंट, टूर एंड ट्रेवल, थिएटर, साहित्यकार, फिल्म इंडस्ट्री आदि कार्यक्षेत्र को दर्शाता है।
उत्पाद - ज्योतिष में शुक्र ग्रह सौन्दर्य उत्पाद, विद्युत उत्पाद, फैन्सी प्रोडक्ट्स, इत्र, कन्फेक्शनरी, फूल, चीनी, कार, शिप, हवाई जहाज़, पेट्रोल आदि वस्तुओं को दर्शाता है।
स्थान - शयन कक्ष, सिनेमा, बगीचा, बैंकेट हॉल, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, बंदरगाह, हवाई हड्डा, खादानें, देह व्यापार क्षेत्र आदि
जानवर व पक्षी - बकरी, बैल, बत्तक, चिड़िया, तेंदुआ आदि।
जड़ी - अरंड मूल।
रत्न - हीरा।
रुद्राक्ष - छः मुखी रुद्राक्ष।
रंग - गुलाबी।
यंत्र - शुक्र यंत्र।
शुक्र ग्रह के मंत्र -
शुक्र का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र का बीज मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
धार्मिक दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शुक्र ग्रह असुरों के गुरू हैं इसलिए इन्हें शुक्राचार्य भी कहा जाता है। भागवत पुराण में लिखा गया है कि शुक्र महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं और बचपन में इन्हें कवि या भार्गव नाम से भी जाना जाता था। शास्त्रों में शुक्र देव के रूप का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है - शुक्र श्वेत वर्ण के हैं और ऊँट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार होते हैं। इनके हाथों में दण्ड, कमल, माला और धनुष-बाण भी है। शुक्र ग्रह का संबंध धन की देवी माँ लक्ष्मी जी से है, इसलिए हिन्दू धर्म के अनुयायी धन-वैभव और ऐश्वर्य की कामना के लिए शुक्रवार के दिन व्रत धारण करते हैं।
खगोलीय दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
खगोल विज्ञान के अनुसार, शुक्र एक चमकीला ग्रह है। अंग्रेज़ी में इसे वीनस के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थलीय ग्रह है। शुक्र आकार तथा दूरी में पृथ्वी के निकटतम है। कई बार इसे पृथ्वी की बहन भी कहते हैं। इस ग्रह के वायु मंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई ऑक्साइड गैस भरी हुई है। इस ग्रह से संबंधित दिलचस्प बात यह है कि शुक्र सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए सबसे तेज़ चमकता है। इसी कारण इसे भोर का तारा या सांझ का तारा कहा जाता है।
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि खगोलीय और धार्मिक दृष्टि के साथ साथ ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित 12 भाव उसके संपूर्ण जीवन को दर्शाते हैं और जब उन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति के जीवन में उसका असर भी दिखाई देता है।
हम यह आशा करते हैं कि शुक्र ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह की विशेष स्थिति का विश्लेषण करके और अधिक सटीक उपाय सुझाए जा सकते हैं।