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मंगलवार, 14 मार्च 2023

चन्द्र_ग्रहण_के_दौरान_खाना_क्यों_नहीं_खाना_चाहिये #Sadhguru Hindi #सद्‌गुर

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सदगुरु से प्रभावित हो कर उनके विचारो, कार्यों के प्रचार एवं जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह पोस्ट डाली गयी है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया https://isha.sadhguru.org/in/hi  पर जा कर और खोज करें ?

Note: - आपके विचार उपरोक्त लेख से भिन्न हो सकते है, हम आपके विचारों का सम्मान करते है, पाठकगण कृपया अपने विवेक का उपयोग करें।

शुभकामनाएं एवम् धन्यवाद..

 

चंद्र ग्रहण के दौरान खाना न खाने की परंपरा का आधार ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। इन तीनों पहलुओं को नीचे विस्तार से समझाया गया है:


1. ज्योतिषीय कारण:

चंद्र ग्रहण ज्योतिष में अशुभ माना जाता है क्योंकि यह राहु और केतु जैसे छाया ग्रहों के कारण होता है। इस दौरान चंद्रमा अपनी पूर्ण ऊर्जा नहीं दे पाता, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।

  • नकारात्मक प्रभाव: ग्रहण के समय चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है, जिससे मानसिक और शारीरिक संतुलन पर प्रभाव पड़ता है। भोजन ग्रहण करने से यह नकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश कर सकती है।
  • शरीर और मन पर प्रभाव: चंद्रमा का संबंध मन और जल तत्व से है। ग्रहण के दौरान चंद्रमा के कमजोर होने से मनोभाव अस्थिर हो सकते हैं, और खाना पचाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • ज्योतिष और धार्मिक कारण

    1. पाप का निवारण: चन्द्र ग्रहण को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान खाने से बचने से पाप का निवारण होता है।
    2. चंद्रमा की शांति: चन्द्र ग्रहण के समय चंद्रमा की शांति के लिए उपवास और पूजा-पाठ किया जाता है।
    3. कर्मों की शुद्धि: उपवास से कर्मों की शुद्धि होती है और आत्मा को शांति मिलती है।
    4. पूर्वजों की शांति: चन्द्र ग्रहण के दौरान पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है।

2. धार्मिक कारण:

हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को अशुद्ध और अपवित्र समय माना गया है। इस समय पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है।

  • अशुद्धता का सिद्धांत: ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा बाधित होती है, जिसे धर्मशास्त्रों में अशुद्ध समय माना गया है। इस दौरान भोजन को भी दूषित माना जाता है।
  • मंत्र और ध्यान का महत्व: ग्रहण के समय ध्यान, जप और प्रार्थना को सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए अनुकूल होता है।
  • भोजन पर प्रतिबंध: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ग्रहण से पहले पका हुआ भोजन दूषित हो जाता है, और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

3. वैज्ञानिक कारण:

विज्ञान के दृष्टिकोण से भी ग्रहण के दौरान खाना न खाने के पीछे कुछ तर्क हैं।

  • पराबैंगनी और विकिरण प्रभाव: ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा से आने वाली किरणों में बदलाव होता है। यह विकिरण भोजन को दूषित कर सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • पाचन तंत्र पर प्रभाव: ग्रहण के समय पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन होता है, जो पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। ग्रहण के दौरान पाचन धीमा हो जाता है, जिससे खाना पचाने में दिक्कत हो सकती है।
  • संरक्षण दृष्टिकोण: पुराने समय में जब भोजन को संरक्षित करने की सुविधाएं नहीं थीं, तो ग्रहण के दौरान भोजन जल्दी खराब हो जाता था। इसे असुरक्षित मानकर खाने से मना किया जाता था।
  • वैज्ञानिक कारण

    1. चंद्रमा की ऊर्जा: चन्द्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा की ऊर्जा पृथ्वी पर कम होती है, जिससे जीवों की ऊर्जा भी प्रभावित होती है।
    2. पाचन तंत्र: ग्रहण के समय पाचन तंत्र कमजोर होता है, इसलिए खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
    3. विकिरण: चन्द्र ग्रहण के दौरान विकिरण का स्तर बढ़ सकता है, जिससे खाने से शरीर को नुकसान हो सकता है।
    4. हार्मोनल परिवर्तन: ग्रहण के समय हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे खाने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

4. आधुनिक दृष्टिकोण:

आज के समय में विज्ञान ने यह स्पष्ट किया है कि ग्रहण के दौरान खाना स्वास्थ्य के लिए सीधा हानिकारक नहीं है। हालाँकि, यह प्राचीन मान्यताओं और शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता के कारण अभी भी कई लोग पालन करते हैं।

  • भावनात्मक और मानसिक प्रभाव: ग्रहण के समय नकारात्मक विचारों से बचने और ध्यान केंद्रित करने के लिए उपवास करना एक सकारात्मक उपाय हो सकता है।
  • साफ-सफाई का ध्यान: ग्रहण के दौरान भोजन को सुरक्षित और स्वच्छ रखना आज के समय में अधिक महत्वपूर्ण है।
  • सावधानियां


निष्कर्ष:

चंद्र ग्रहण के दौरान खाना न खाने की परंपरा ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक सभी दृष्टिकोणों में महत्वपूर्ण है। यह निर्णय व्यक्ति की मान्यता और समझ पर निर्भर करता है। यदि आप धार्मिक या ज्योतिषीय मान्यताओं को मानते हैं, तो इस परंपरा का पालन कर सकते हैं। अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए भोजन करना सुरक्षित है।


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