भूत-प्रेत बाधा के मजबूत निदान ,
Strong diagnosis of the revenant
*कैसे समझें ऊपरी बाधाओं को :- .....*
1- बार-बार किसी को एक ही प्रकार के स्वप्न दिखते हैं।
2- एक ही प्रकार की घटना परिवार में बार-बार हो रही है।
3- आस-पास किसी के उपस्थित होने का और दिखने का आभास होता है।
4-परिवार में कोई डरा हुआ, गुमसुम , विकल, वे बजह झगडालू , परिवार विरोधी , या निरंकुश हो रहा है।
5- परिवार में निरंतर असंतुष्टी, कलह , मतभेद , मनभेद , अपमानजनक स्थिती, अशांती , तथा असगंत हालात का वातावरण बनने लगा है।
6- कोई सदस्य दूसरे के बोली बोलता है, झूमने लगता है, अपने अंदर अजीब शक्ती का आभास करता है या खेलता है।
7- घर में रखी वस्तुऐं गुम होती हैं, स्थान परिवर्तन करतीं हैं, या रंग-रूप परिवर्तन करतीं हैं।
8- आसपास या घर आरदि में कुत्ता-बिल्ली , सियार, उल्लू , चिमगादड , टीटूरी (पंछी) आदि रोते हैं या विचित्र सी आवाजें करते हैं।।
9- अचानक और अजीब-अजीब गंध फैल जाती है... या अकारण स्मैल आती है।
10- घर में रखे अचार, फल-सब्जी, या अन्य खाद्यान्न जल्दी खराब होते हैं।
11- कोई ना कोई बीमार रहता है बीमारी का सही कारण समझ में नहीं आता.... या दवाओं का उचित असर नहीं मिलता।।
12-पिछले कुछ वर्षों से जन-धन या पालतू जीवो की अकारण हानि हो रही है।
13-आपके परिवार में अक्सर दुर्घटनाऐं होती रही हैं...।।
14- आपसी रिस्तों में अकारण तनाव या दूरिंयां पैदा होने लगी हैं।
15- पूर्ण योग्यता और परिश्रम होने पर भी उचित लाभ या तरक्की में बाधाऐं आ रहीं हैं।
16-तरक्की के रास्ते बंद होते चले जा रहे हैं... और सही रास्ता समझ में नहीं आ रहा है।
17- अपने वंश को एक सुत्र में आगे बढाने में असफलता मिल रही है कोई सदस्य निरंतर विद्रोह पर उतारू होकर अचानक मर्यादाओं को भंग करने पर आमादा हो जाता है।
18- दैहिक, मानसिक, परिवारि, व्यापारिक या भौतिक संतुलन अकारण डगमगाने लगा है... और आप असहाय सा महसूस करने लगे हैं।।
20- बहुत से करीबी... लोग ही शत्रू बनते जा रहे हैं... और अकारण दुख देने लगे हैं।
21- ऐसा कुछ होने लगा है... जो आमतौर पर घटित नहीं होना चाहिये।
*अगर इन 21 में से एकधिक घटनाक्रम आपके परिवार में है तो सतर्क हो जाइऐ ...और समय रहते सही उपाय करिये.... (बरना क्या वर्षा जब कृषी सुखानी).... ये अन्य बाधाऔं के संकेत हो सकते हैं।।
*अब कुंंडली से देखें प्रेत बाधाऐं।*
(जीवन में कई लोग तमाम कोशिशों के बाद भी परेशान रहते हैं... और समस्या का समाधान नहीं मिलता .... अजीब-अजीब हालात सामने आते रहते है..... तो एक बार अपनी कुंंडली किसी योग्य ज्योतिर्विद से चैक करवा लें....
*कहीं आपकी कुंंडली में कोई प्रेत-बाधा योग तो नहीं है।)*
*प्रेत-बाधा योग*
1 नीच राशि में स्थित राहु के साथ लग्नेश हो तथा सूर्य, शनि व अष्टमेश से दृष्ट हो।
2 पंचम भाव में सूर्य तथा शनि हो, निर्बल चन्द्रमा सप्तम भाव में हो तथा बृहस्पति बारहवें भाव में हो।
3 जन्म समय चन्द्रग्रहण हो और लग्न, पंचम तथा नवम भाव में पाप ग्रह हों तो जन्मकाल से ही पिशाच बाधा का भय होता है।
4 षष्ठ भाव में पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट राहु तथा केतु की स्थिति भी पैशाचिक बाधा उत्पन्न करती है।
5 लग्न में शनि, राहु की युति हो अथवा दोनों में से कोई भी एक ग्रह स्थिति हो अथवा लग्नस्थ राहु पर शनि की दृष्टि हो।
6 लग्नस्थ केतु पर कई पाप ग्रहों की दृष्टि हो।
7 निर्बल चन्द्रमा शनि के साथ अष्टम में हो तो पिशाच, भूत-प्रेत मशान आदि का भय।
8 निर्बल चन्द्रमा षष्ठ अथवा बाहरहवें में मंगल, राहु या केतु के साथ हो तो भी पिशाच भय।
9 चर राशि (मेष, कर्क, तुला, मकर) के लग्न पर यदि षष्ठेश की दृष्टि हो।
एकादश भाव में मंगल हो तथा नवम भाव में स्थिर राशि (वृष, सिंह,वृश्चिक, कुंभ) और सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि(मिथुन, कन्या, धनु मीन) हो।
लग्न भाव मंगल से दृष्ट हो तथा षष्ठेश, दशम, सप्तम या लग्न भाव में स्थिति हों।
मंगल यदि लग्नेश के साथ केंद्र या लग्न भाव में स्थिति हो तथा छठे भाव का स्वामी लग्नस्त हो।
पापग्रहों से युक्त या दृष्ट केतु लग्नगत हो।
शनि राहु केतु या मंगल में से कोई भी एक ग्रह सप्तम स्थान में हो।
जब लग्न में चन्द्रमा के साथ राहु हो और त्रिकोण भावों में क्रूर ग्रह हों।
अष्टम भाव में शनि के साथ निर्बल चन्द्रमा स्थित हो।
राहु शनि से युक्त होकर लग्न में स्थित हो।
लग्नेश एवं राहु अपनी नीच राशि का होकर अष्टम भाव या अष्टमेश से संबंध करे।
राहु नीच राशि का होकर अष्टम भाव में हो तथा लग्नेश शनि के साथ द्वादश भाव में स्थित हो।
द्वितीय में राहु द्वादश मं शनि षष्ठ मं चंद्र तथा लग्नेश भी अशुभ भावों में हो।
चन्द्रमा तथा राहु दोनों ही नीच राशि के होकर अष्टम भाव में हो।
चतुर्थ भाव में उच्च का राहु हो वक्री मंगल द्वादश भाव में हो तथा अमावस्या तिथि का जन्म हो।
नीचस्थ सूर्य के साथ केतु हो तथा उस पर शनि की दृष्टि हो तथा लग्नेश भी नची राशि का हो।
दशमेश अगर अषटम या ऐकादश भाव में हो और इन भावपतियों से सम्बंध बना रहा हो।
यदि परिवार में एक से अधिक सदस्यों की कुंंडली में ... कालशर्प, पित्रदोष, अल्पायु योग, पित्रश्राप, विषयोग, दरिद्र योग, या इस तरह के अशुभ योग स्पस्ट बन रहे हैं.... तो फिर समझो आपका परिवार पूर्व से ही... किसी बाधा से ग्रषित या श्रापित हो सकता है ।।