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मंगलवार, 14 जनवरी 2025

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[रात 3:37 बजे, 23/8/2025] 🙏🙏🙏:  यंत्र का महत्व (अर्थ)

शिव तत्व आधारित – यह यंत्र भगवान शिव की ऊर्जा को आकर्षित कर साधक को सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

रक्षा-कवच शक्ति – इसे धारण करने या घर में रखने से शत्रु का प्रभाव कम होता है, बुरी नज़र व तंत्र-मंत्र प्रयोग निष्फल हो जाते हैं।

सौभाग्य व स्वास्थ्य – शिव शक्ति के कारण यह यंत्र मानसिक शांति, स्वास्थ्य और घर-परिवार में समृद्धि भी लाता है।

🔹 पूजन विधि (कैसे सिद्ध करें)

शुभ मुहूर्त – सोमवार, प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि या किसी शुभ तिथि को।

स्थान – पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

सामग्री –

शुद्ध जल, गंगाजल

दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत)

सफेद फूल, बिल्वपत्र

धूप, दीप, रुद्राक्ष माला

अक्षत (चावल) और चंदन

प्रक्रिया –

स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।

यंत्र को गंगाजल या पंचामृत से स्नान करायें।

साफ कपड़े/लाल या सफेद आसन पर स्थापित करें।

दीपक और धूप जलाकर यंत्र के सामने रखें।

मंत्र जप करें:

“ॐ नमः शिवाय” (108 बार या 11 माला)

यदि तंत्र-बाधा हो तो कालभैरव मंत्र या “ॐ हौं जूं सः” भी जप सकते हैं।

अंत में फूल और बिल्वपत्र अर्पित कर प्रणाम करें।

स्थापना –

घर के पूजा स्थल, तिजोरी, दरवाजे या अपने पास (कपास/लाल कपड़े में लपेटकर) रखें।

🔹 विशेष उपाय (मेरे सुझाव से)

जलाभिषेक उपाय – सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और शहद से अभिषेक कर यंत्र पास रखें। इससे इसकी शक्ति कई गुना बढ़ती है।

रूद्राक्ष धारण – यंत्र के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

नजर दोष निवारण – हर सोमवार को यंत्र पर कपूर जलाकर घुमाएं और फिर उसे अपने घर में चारों कोनों में ले जाएं।

शत्रु शांति हेतु – “ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥” मंत्र जपते हुए यंत्र की स्थापना करें।

धन और समृद्धि हेतु – दीपावली या महाशिवरात्रि की रात इस यंत्र को पूजन के बाद तिजोरी/धन स्थान पर स्थापित करें।

👉 यह यंत्र केवल सुरक्षा ही नहीं देता बल्कि साधक के चारों ओर शिव कवच तैयार करता है।
👉 यदि नियमित रूप से “ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मंत्र” का जप करते हुए इसे पूजा स्थल पर रखा जाए, तो जीवन में शांति, समृद्धि और रक्षा दोनों मिलती हैं।

🙏🙏🙏: हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों सहित हमारी रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें


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इस यंत्र का महत्व

यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष और तांत्रिक क्रियाओं से रक्षा करने के लिए बनाया जाता है।

इसमें विशेष बीज मंत्र और रेखांकन (ज्यामितीय आकृतियां) होते हैं, जिनमें देवताओं के आवाहन और बीजाक्षर अंकित होते हैं।

इसको धारण करने से व्यक्ति की आभा (Aura) मजबूत होती है और मनोबल बढ़ता है।

पूजा विधि (Raksha Yantra Puja Vidhi)

स्थान और समय

शुभ मुहूर्त (जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, मंगलवार या शनिवार) पर इसका पूजन करें।

यंत्र को लाल कपड़े या पीले कपड़े पर स्थापित करें।

शुद्धिकरण

पहले यंत्र को गंगाजल या कच्चे दूध से धोकर शुद्ध करें।

उस पर चंदन, हल्दी और कुंकुम का तिलक करें।

आवाहन

दीपक और अगरबत्ती जलाकर यंत्र के सामने रखें।

पुष्प, अक्षत (चावल), दूर्वा, और तुलसी पत्र अर्पित करें।

मंत्र जाप

यदि यह मधु रक्षा यंत्र है तो “ॐ ह्लीं मधु रक्षा ह्लीं फट्” या

सामान्य रक्षा यंत्र के लिए “ॐ ह्लीं वज्र कवचाय हुम् फट्” का 108 बार जाप करें।

स्थापना या धारण

पूजन के बाद यंत्र को ताबीज बनवाकर गले, दाहिने हाथ या कमर पर बांधा जा सकता है।

अथवा इसे घर/दुकान के पूजास्थल में रखें।

अन्य उपाय (Yantra के साथ मिलाकर)

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ रोज़ करें।

शनिवार को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।

घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रोज़ सुबह गंगाजल का छिड़काव करें।

घर के मुख्य द्वार पर नींबू-मिर्च का तोरण बांधें – यह नज़र दोष दूर करता है।

अपने पास लाल चंदन की माला रखें और संकट के समय “ॐ हनुमते नमः” का जप करें।

साधारण प्रार्थना विधि (Daily Prayer Method)

प्रातःकाल स्नान के बाद शुद्ध आसन पर बैठें।

दीपक (घी या तिल का तेल) और धूप जलाएं।

सामने ईष्ट देव (हनुमानजी, माता लक्ष्मी, भगवान शिव अथवा कुलदेवता) का ध्यान करें।

दोनों हथेलियों को जोड़कर यह प्रार्थना बोलें –

“हे महाबली देवी-देवता, मेरी पत्नी और पुत्रियों सहित हमारी रक्षा व सुरक्षा करें,
हमारे धन-सम्पत्ति और सौभाग्य में वृद्धि करें,
हमसे पुण्य कर्म और देवकर्म करायें,
और हमारे माध्यम से सुख-शांति का भोग करें।”

अंत में परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर हाथ फेरते हुए “ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः” का उच्चारण करें।

🌺 विशेष उपाय

हनुमान रक्षा – मंगलवार/शनिवार को हनुमान चालीसा या बजरंग बाण पूरे परिवार के साथ मिलकर पढ़ें।

धन व सौभाग्य वृद्धि – शुक्रवार को माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को खीर, कमल या सफ़ेद फूल अर्पित करें।

गृह सुरक्षा – घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, ॐ, अथवा श्री लिखें।

यंत्र स्थापना – रक्षा यंत्र (जैसा आपने साझा किया है) को पूजा करके लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी या पूजाघर में रखें।

पुण्य कर्म – हर महीने गरीबों को अन्न, वस्त्र दान करें या गौसेवा/पौधारोपण करें।

👉 यह सब उपाय करने से आपके परिवार पर देव कृपा बनी रहेगी, नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होगा और घर में सुख-शांति व सौभाग्य की वृद्धि होगी।

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"बीसा यंत्र (Bissa Yantra)" एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी तांत्रिक यंत्र माना जाता है। यह मुख्यतः सुरक्षा (Raksha), विजय (Victory), शत्रु नाश (Shatru Vinash), एवं भय निवारण के लिए प्रयोग होता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार यह यंत्र “मां बगलामुखी, हनुमान जी और भगवान भैरव” की कृपा को आकर्षित करता है। इसे सही विधि से स्थापित और पूजित करने पर व्यक्ति चारों ओर से दिव्य सुरक्षा कवच से ढक जाता है।

✨ बीसा यंत्र का महत्व

शत्रु बाधा नाशक – यह यंत्र शत्रुओं के षड्यंत्र को नष्ट करता है।

भूत-प्रेत, नजर दोष से रक्षा – नकारात्मक ऊर्जाएं पास नहीं आतीं।

धन-व्यापार में वृद्धि – व्यापारिक हानि या रुकावट दूर करता है।

कानूनी विजय – कोर्ट केस, मुकदमे में जीत दिलाने वाला माना जाता है।

आध्यात्मिक सुरक्षा कवच – यह साधक के चारों ओर अदृश्य सुरक्षा घेरा बना देता है।

🕉 बीसा यंत्र स्थापना एवं पूजा विधि

शुभ मुहूर्त

मंगलवार, शनिवार, या किसी शुभ तिथि/अमावस्या/पूर्णिमा को।

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

स्थान चयन

घर/दुकान के पूजा स्थान, तिजोरी, या जेब में (छोटा यंत्र)।

यंत्र को लाल कपड़े पर स्थापित करें।

शुद्धिकरण

यंत्र को गंगाजल, दूध, शहद से धोकर पवित्र करें।

हल्दी-कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं।

पूजन सामग्री

दीपक, धूप, लाल फूल, रोली, गुड़, चने, सिंदूर।

हनुमान जी या मां बगलामुखी का ध्यान करें।

बीज मंत्र जप
यंत्र स्थापना के समय यह मंत्र ११, २१ या 108 बार जपें –
"ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः"
अथवा
"ॐ हं हनुमते नमः"

आरती एवं प्रार्थना

हनुमान चालीसा / संकटमोचन पाठ करें।

यंत्र से रक्षा, विजय व समृद्धि की प्रार्थना करें।

🔮 विशेष तांत्रिक उपाय

व्यापार वृद्धि हेतु – बीसा यंत्र को दुकान की तिजोरी में रखकर प्रतिदिन धूप-दीप करें।

शत्रु निवारण हेतु – यंत्र पर लाल मिर्च चढ़ाकर शनिवार को बहते जल में प्रवाहित करें।

भय निवारण हेतु – यंत्र को घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर स्थापित करें।

नजर दोष से बचाव हेतु – बीसा यंत्र के साथ "काली मिर्च और सरसों" हर मंगलवार को जलाकर घर के बाहर घुमाएं।

सदैव साथ रखने हेतु – छोटे ताम्र पत्र पर अंकित बीसा यंत्र को गले में ताबीज या जेब में रख सकते हैं।

👉 बीसा यंत्र साधक को साहस, विजय, और दिव्य सुरक्षा प्रदान करता है। यदि इसे नियमित रूप से पूजा, मंत्रजाप और श्रद्धा से किया जाए, तो जीवन की अनेक कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

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हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।

                              स्नेहकाँक्षी परिवार :- #मधुकर, #किरन, #शिवाँशी, #लक्षिता 

उक्त जगह पर तथा यंत्र के नीचे अपने परिवार का नाम लिखें

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यहाँ दो बातें जुड़ी हैं:

यंत्र – यह सुरक्षा कवच का प्रतीक है, जिसमें परिवार, देवनाम और मंत्रों का संरक्षण चक्र बना है।

मंत्र – आपने जो “ॐ नमो बज्र का कोठा…” रक्षा मंत्र रखा है, यह वास्तव में हनुमानजी का संकटमोचन कवच है।

🔱 इस रक्षा मंत्र का महत्व

यह मंत्र अजेय कवच की तरह काम करता है।

“बज्र का कोठा” का अर्थ है – लोहे, वज्र और दिव्य शक्ति से बना किला, जिसमें साधक और परिवार सुरक्षित रहते हैं।

“ईश्वर की कुंजी ब्रह्म का ताला” – यानी इस सुरक्षा कवच की चाबी सिर्फ भगवान के हाथ में है।

इसमें हनुमानजी को “संकटमोचन” और “सर्वरक्षक” के रूप में बुलाया गया है।

नियमित जप से भूत-प्रेत, बाधा, नज़र दोष, अकाल मृत्यु, भय, कर्ज़ और रोग से सुरक्षा मिलती है।

🙏 पूजा विधि (रोज़ाना 5–10 मिनट)

तैयारी

सुबह स्नान करके पूजा स्थान पर दीपक (तिल या घी का) जलाएँ।

हनुमानजी का चित्र/यंत्र सामने रखें।

यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और पुष्प अर्पित करें।

पूजन क्रम

3 बार ॐ नमः शिवाय बोलें (शुद्धिकरण हेतु)।

3 बार ॐ राम रामाय नमः बोलें (राम स्मरण से हनुमान प्रसन्न होते हैं)।

अब हनुमानजी का ध्यान करें और रक्षा मंत्र पढ़ें:

ॐ नमो बज्र का कोठा,
जिसमें पिंड हमारा पाता,
ईश्वर की कुंजी ब्रह्म का ताला…

इसे कम से कम 3 बार या समय हो तो 11 बार पढ़ें।

अंत में

“ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जप करें।

परिवार की सुरक्षा और मंगल की प्रार्थना करें।

अंत में हनुमान चालीसा का पाठ सप्ताह में कम से कम एक दिन अवश्य करें।

🕉️ विशेष उपाय (सुरक्षा और रक्षा हेतु)

मंगलवार/शनिवार विशेष साधना

शुद्ध लाल आसन पर बैठकर दीपक जलाएँ।

रक्षा मंत्र का 21 या 51 बार जप करें।

यंत्र पर सिंदूर, चमेली का तेल, और गुड़-चना अर्पित करें।

रात्रि रक्षा

सोने से पहले रक्षा मंत्र 3 बार पढ़ें।

यंत्र को सिरहाने रखें, इससे डरावने सपने, बुरी नज़र और नकारात्मकता दूर होगी।

दृष्टि दोष निवारण

अगर बार-बार बीमारी, झगड़े, या आर्थिक संकट आ रहा हो, तो

शनिवार को नींबू-लौंग यंत्र पर रखकर हनुमानजी के सामने घुमाएँ और चौराहे पर छोड़ दें।

सर्वांग सुरक्षा कवच

“संकटमोचन नाम तुहारी, होय संकट नहीं अघकारी” – इस चौपाई का रोज़ 11 बार जप घर के मुख्य द्वार पर खड़े होकर करें।

इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती।

👉 यह यंत्र और मंत्र दोनों मिलकर पारिवारिक सुरक्षा कवच बनाते हैं।
👉 यदि रोज़ाना 5–10 मिनट का समय दिया जाए, तो धीरे-धीरे घर में शांति, भय-निवारण और संकट से मुक्ति का अनुभव होता है।


दिखाया गया चित्र एक व्यक्तिगत पारिवारिक रक्षा-यंत्र है। इसमें त्रिकोणों और षट्कोण (षट्कोण = शिव-शक्ति का मिलन) का प्रयोग हुआ है। बीच में परिवार का चित्र स्थापित है, और चारों ओर शिव, राम, हनुमान, दुर्गा, काली, भैरव आदि देवताओं के नाम लिखे हैं।

यह यंत्र वास्तव में “सुरक्षा कवच यंत्र” की तरह है, जो परिवार को नकारात्मक शक्तियों, रोग, भय, दुर्घटना और अकाल मृत्यु से बचाने हेतु बनाया गया है।

🔱 इस यंत्र का महत्व

षट्कोण संरचना – ऊपर का त्रिकोण शिव का, नीचे का त्रिकोण शक्ति (माता) का प्रतीक है। जब दोनों मिलते हैं, तो संतुलन और रक्षा शक्ति उत्पन्न होती है।

बीज मंत्र – इसमें “ॐ ह्रीं क्लीं” आदि बीजाक्षर लिखे हैं, जो ऊर्जा को सक्रिय करते हैं।

देव नाम – प्रत्येक कोण पर अलग-अलग देवता (शिव, राम, हनुमान, काली, दुर्गा, भैरव) का आह्वान किया गया है, ताकि परिवार हर दिशा से सुरक्षित रहे।

मध्य भाग में परिवार – इसका अर्थ है कि पूरा परिवार इस दिव्य सुरक्षा चक्र के भीतर है।

🙏 पूजा विधि

तैयारी

स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्वच्छ स्थान पर इस यंत्र को रखें।

पास में दीपक, धूप और गंगाजल अवश्य रखें।

पूजन क्रम

यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और अक्षत (चावल), पुष्प अर्पित करें।

दीपक जलाकर प्रार्थना करें।

पहले शिवजी को स्मरण करें – ॐ नमः शिवाय 11 बार।

फिर हनुमानजी का स्मरण – ॐ हनुमते नमः 11 बार।

माता दुर्गा व काली का स्मरण – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे 11 बार।

श्रीराम व भैरव का स्मरण 11 बार करें।

मूल मंत्र जप
परिवार की रक्षा हेतु रोज़ कम से कम 21 बार यह मंत्र बोलें –
ॐ हौं जूं सः शिवायै नमः, सर्वरक्षाय सर्वशत्रु-भञ्जनाय स्वाहा।

प्रार्थना
अंत में परिवार के चित्र पर पुष्प अर्पित कर यह प्रार्थना करें –
“हे प्रभु, हमारा परिवार आपके दिव्य कवच में सदा सुरक्षित रहे।”

🕉️ विशेष उपाय (प्रभाव बढ़ाने हेतु)

सोमवार व शनिवार विशेष –

सोमवार को शिवलिंग पर दूध-अभिषेक करके यह यंत्र सामने रखें।

शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाकर हनुमानजी से रक्षा माँगें।

मंगलकारी दान –

सोमवार को सफेद वस्त्र, चावल, दूध का दान करें।

शनिवार को तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल दान करें।

रात्रि रक्षा प्रयोग –

रात को सोने से पहले इस यंत्र को शय्या के पास रखें और “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करें।

दृष्टि-दोष निवारण –

यदि परिवार में अक्सर झगड़े, रोग या बुरे सपने आते हों, तो यंत्र पर नींबू-लौंग रखकर मंगलवार या शनिवार को किसी पीपल/चौराहे पर छोड़ दें।

👉 यह यंत्र भौतिक और आध्यात्मिक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
👉 इसे नियमित पूजा और मंत्र-जप से “सक्रिय” (Activated) रखना ज़रूरी है।


यह भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र से सम्बंधित है और विशेष रूप से आयु वृद्धि, रोग निवारण, अकाल मृत्यु से रक्षा और मानसिक-शारीरिक शांति के लिए प्रयोग किया जाता है।

🔱 महामृत्युंजय यंत्र का महत्व

रोग, दुर्घटना, नकारात्मक ऊर्जा और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।

लम्बी आयु, उत्तम स्वास्थ्य, भय का नाश और मानसिक शक्ति प्रदान करता है।

घर, ऑफिस या पूजा स्थान पर रखने से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है।

ध्यान व साधना से आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

🙏 पूजा विधि (सरल चरण)

तैयारी

गुरुवार या सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त (सुबह सूर्योदय से पहले) यंत्र स्थापित करें।

स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।

पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर यंत्र स्थापित करें।

स्थापना

यंत्र को स्वच्छ कपड़े या लाल/पीले आसन पर रखें।

गंगाजल या दूध से शुद्ध करके साफ कर लें।

यंत्र पर अक्षत (चावल), पुष्प, बेलपत्र, धूप, दीप अर्पित करें।

मंत्र जाप

महामृत्युंजय मंत्र का जप करें (कम से कम 108 बार या जितना संभव हो)।
👉 मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

जप करते समय रुद्राक्ष की माला का प्रयोग उत्तम है।

अर्पण

जल से अर्घ्य दें (कांस्य/ताम्बे के पात्र से)।

भगवान शिव का ध्यान करें और परिवार के स्वास्थ्य, सुरक्षा व दीर्घायु की प्रार्थना करें।

🕉️ विशेष उपाय (अधिक प्रभावी बनाने हेतु)

बेलपत्र उपाय – रोज़ शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएँ और उस पर “ॐ नमः शिवाय” लिखकर अर्पित करें।

रुद्राक्ष धारण – विशेषकर पंचमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य और भय से रक्षा करता है।

गौ-सेवा व दान – रोग-शांति और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए भोजन/दूध/सफेद वस्त्र दान करें।

घर में स्थापना – यंत्र को पूजन स्थल या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखें।

दूध व जल अर्पण – सोमवार को शिवलिंग पर कच्चे दूध व जल का अभिषेक करें।

शिव पंचाक्षरी जप – प्रतिदिन कम से कम 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।

रोग मुक्ति हेतु – रोगी के पास यह यंत्र रखकर प्रतिदिन एक माला महामृत्युंजय मंत्र जपने से शीघ्र लाभ होता है।

👉 यह यंत्र केवल दिखने का साधन नहीं है बल्कि साधना, मंत्र जप और श्रद्धा से ही प्रभावी होता है।
👉 अगर नियमित रूप से इसे श्रद्धा से किया जाए तो स्वास्थ्य, भय, मृत्यु और रोगों से रक्षा निश्चित रूप से मिलती है।


यह यंत्र भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र से सम्बंधित है और विशेष रूप से आरोग्य (स्वास्थ्य), आयु वृद्धि, आकस्मिक दुर्घटनाओं से सुरक्षा, रोग निवारण, पारिवारिक सुख-शांति व नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा के लिए पूजित किया जाता है।

1. महामृत्युंजय यंत्र का महत्व

यह यंत्र शिवतत्व से जुड़ा होता है।

घर या ऑफिस में इसे रखने से अचानक संकट, रोग, शत्रु बाधा, अकाल मृत्यु जैसी अशुभ शक्तियों से रक्षा होती है।

इसके मध्य भाग में आपने परिवार की तस्वीर लगाई है, इससे यह पूरे परिवार के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करेगा।

2. पूजा विधि

👉 यह पूजा सुबह (शुभ मुहूर्त/सोमवार/प्रदोष/शिवरात्रि) को करनी उत्तम है।

स्थान चयन –
यंत्र को पूजा कक्ष, बैठक कक्ष या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखें।

शुद्धि –

यंत्र को सबसे पहले गंगाजल/कच्चे दूध से शुद्ध करें।

सफेद/पीला वस्त्र बिछाकर यंत्र रखें।

आराधना –

यंत्र पर चंदन, अक्षत, फूल, धूप-दीप अर्पित करें।

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

नैवेद्य –
बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, मधु, घी, गन्ने का रस आदि चढ़ाएँ।

आरती –
अंत में भगवान शिव की आरती करें और परिवार की मंगलकामना करें।

3. विशेष प्रयोग (तंत्र प्रभाव)

यदि किसी सदस्य पर अचानक स्वास्थ्य संकट आए, तो उनके नाम से यह यंत्र रखकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप 21, 51 या 108 माला करें।

घर में नकारात्मक ऊर्जा या भय हो तो यंत्र के पास दीपक जलाकर हर रोज़ कम से कम 11 बार महामृत्युंजय मंत्र बोलें।

पारिवारिक फोटो बीच में रखने से यंत्र एक सुरक्षा कवच (Protective Shield) बन जाता है।

4. अन्य उपाय (मेरे अनुसार जोड़ने योग्य)

रुद्राभिषेक – समय-समय पर घर में रुद्राभिषेक करवाएँ।

पंचाक्षरी मंत्र – “ॐ नमः शिवाय” का नियमित जाप करें।

पौधे – घर में तुलसी, बेलपत्र का पौधा लगाएँ।

धातु उपाय –

तांबे का जलपात्र (लोटा) उत्तर-पूर्व में रखें।

रात्रि को तांबे के पात्र में जल भरकर रखें और सुबह पीएं।

दान – सोमवार को शिवालय में सफेद वस्त्र, चावल, दूध का दान करें।

घर का वातावरण – प्रतिदिन शाम को धूप-बत्ती (गुग्गुल, लोबान) जलाकर पूरे घर में घुमाएँ।

🔮 इस यंत्र का मूल उद्देश्य है – “परिवार पर आने वाली मृत्यु तुल्य बाधाओं को टालना और जीवन में स्वास्थ्य, सुख-शांति, आयु वृद्धि तथा भय-निवारण करना।”

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