शनिवार, 16 नवंबर 2019

इन शुभ योग में करें कोई भी कार्य, होगा लाभ, Do any work in these auspicious yoga, there will be benefit


*इन शुभ योग में करें कोई भी कार्य,
होगा लाभ और मिलेगी सफलता*

शुभ मुहूर्त या योग को लेकर मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि शास्त्र हैं। हिन्दू पंचांग में मुख्य 5 बातों का ध्यान रखा जाता है। इन पांचों के आधार पर ही कैलेंडर विकसित होता है। ये 5 बातें हैं- 1. तिथि, 2. वार, 3. नक्षत्र, 4. योग और 5. करण। आज हम बात करते हैं योग की।

*योग क्या है?*

सूर्य-चन्द्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। योग 27 प्रकार के होते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.इन्द्र और 27.वैधृति।
*अशुभ योग कौन से हैं?*

27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये 9 अशुभ योग हैं- विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति।

*शुभ योग में क्या करें?*

शुभ योग में योगानुसार शुभ या मंगल कार्य कर सकते हैं। प्रत्येक कार्य के लिए अलग अलग योग का निर्धारण किया गया है। शुभ योग में यात्रा करना, गृह प्रवेश, नवीन कार्य प्रारंभ करना, विवाह आदि करना शुभ होता है।

*1.विष्कुम्भ योग : इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है। जिस प्रकार विष पान करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है अर्थात इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ ही होते हैं।

*2.प्रीति योग : जैसा कि इसका नाम है प्र‍ीति योग इसका अर्थ यह है कि यह योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है। अक्सर मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से सफलता मिलती है। इसके अलावा झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
*3.आयुष्मान योग : भारतीय संस्कृति में किसी की लंबी आयु के लिए उसे आयुष्यमान भव: का आशीर्वाद देते हैं। कहने का तात्पर्य यह कि इस योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते रहते हैं या उनका असर लंबे समय तक रहता है। इस योग में किया गया कार्य जीवन भर सुख देने वाला होता है।

*4.सौभाग्य योग : यह योग सदा मंगल करने वाला होता है। नाम के अनुरूप यह भाग्य को बढ़ाने वाला है। इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसीलिए इस मंगल दायक योग भी कहते हैं। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते। अत: सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए सौभाग्य योग में ही विवाह के बंधन में बंधने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।

*5.शोभन योग : शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए यह योग उत्तम माना गया है। इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है। मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी होकर आनंद की अनुभूति होती है। इसीलिए इस योग को बड़ा सजीला एवं रमणीय भी कहते हैं। 

*6.अतिगण्ड : इस योग को बड़ा दुखद माना गया है। इस योग में किए गए कार्य दुखदायक होते हैं। इस योग में किए गए कार्य से धोखा, निराशा और अवसाद का ही जन्म होता है। अत: इस योग में कोई भी शुभ या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही कोई नया कार्य आरंभ करना चाहिए। 

*7.सुकर्मा योग : जैसा कि नाम से ही विदित होता है कि इस योग में कोई शुभ कार्य करना चाहिए। मान्यता अनुसार इस योग में नई नौकरी ज्वाइन करें या घर में कोई धार्मिक कार्य का आयोजन करें। इस योग में किए गए कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है और कार्य शुभफलदायक होता है। ईश्वर का नाम लेने या सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम है। 

*8.धृति योग:* किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास, भूमी पूजन या नींव पत्थर रखने के लिए घृति योग को उत्तम माना गया है। इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात यदि रहने के लिए किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता हुआ आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
*9.शूल योग : शूल एक प्रकार का अस्त्र है और इसके चूभने से बहुत बहुत भारी पीड़ा होती है। जैसे नुकीला कांटा चूभ जाए। इस योग में किए गए कार्य से हर जगह दुख ही दुख मिलते हैं। वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: इस योग में कोई भी कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताते रहेंगे।

*10.गण्ड : इस योग में किए गए हर कार्य में अड़चनें ही पैदा होगी और वह कार्य कभी भी सफल नहीं होगा ना ही कोई मामला कभी हल होगा। मामला उलझता ही जाएगा। इस योग किया गया कार्य इस तरह उलझता है कि व्यक्ति सुलझाते सुलझाते थक जाता है लेकिन कभी वह मामला सही नहीं हो पाता। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गण्ड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।

*11.वृद्धि : जैसा कि इसका नाम है वृद्धि। इस योग में किए गए कार्य में वृद्धि ही होती है। अत: यदि आप नया रोजगार या व्यापार शुरू करने का सोच रहे हैं तो यह योग सबसे बढ़िया है। इस योग में किए गए काम में न तो कोई रुकावट आती है और न ही कोई झगड़ा होता है।
*12.ध्रुव योग : किसी भी स्थिर कार्य जैसे किसी भवन या इमारत आदि का निर्माण करने से इस योग में सफलता मिलती है। लेकिन कोई भी अस्थिर कार्य जैसे कोई गाड़ी अथवा वाहन लेना इस योग में सही नहीं है।
*13.व्याघात योग : किसी प्रकार का होने वाला आघात या लगने वाला धक्का। यदि इस योग में कोई कार्य किया गया तो बाधाएं तो आएगी ही साथ ही व्यक्ति को आघात भी सहन करना होगा। यदि व्यक्ति इस योग में किसी का भला करने जाए तो भी उसका नुकसान होगा। इस योग में यदि किसी कारण कोई गलती हो भी जाए तो भी उसके भाई-बंधु उसका साथ सोचकर छोड़ देते हैं कि उसने यह जानबूझ कर ऐसा किया है।
*14.हर्षण योग : हर्ष का अर्थ होता है खुशी, प्रसन्नता। अत: इस योग में किए गए कार्य खुशी ही प्रदान करते हैं। हालांकि इस योग में प्रेत कर्म यानि पितरों को मनाने वाले कर्म नहीं करना चाहिए।

*15.वज्र योग : वज्र का अर्थ होता है कठोर। इस योग में वाहन आदि नहीं खरीदे जाते हैं अन्यथा उससे हानि या दुर्घटना हो सकती है। इस योग में सोना खरीदने पर चोरी हो जाता है और यदि कपड़ा खरीदा जाए तो वह जल्द ही फट जाता है या खराब निकलता है।

*16.सिद्धि योग : किसी भी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करने, प्रभु का नाम जपने के लिए यह योग बहुत उत्तम है। इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा वह सिद्ध होगा अर्थात सफल होगा। 

*17.व्यतिपात योग : इस योग में किए जाने वाले कार्य से हानि ही हानि होती है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। किसी का भला करने पर भी आपका या उसका बुरा ही होगा।
*18.वरीयान योग : यदि कोई मंगलदायक कार्य करने जा रहे हैं तो वरियान नामक योग में करें, निश्तिच ही सफलता मिलेगी। हालांकि इस योग में किसी भी प्रकार से पितृ कर्म नहीं करते हैं।

*19.परिध योग : इस योग में शत्रु के विरूद्ध किए गए कार्य में सफलता मिलती है अर्थात शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है।

*20.शिव योग : शिव का अर्थ होता है शुभ। यह योग बहुत ही शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है।
*21.सिद्ध योग : एक होता है सिद्धि योग और यह दूसरा है सिद्ध योग। कोई भी कार्य सीखने का सोच रहे हैं तो इस योग में शुरुआत करेंगे तो सिद्ध होगा। यह योग गुरु से मंत्र दीक्षा लेकर मंत्र जपने का उत्तम योग है। 

*22.साध्य योग : आपको यदि किसी से विद्या या कोई विधि सीखनी हो तो यह योग अति उत्तम है। इस योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और पूर्ण सफलता मिलती है।
*23.शुभ योग :किसी भी प्रकार का महान या जनहित का कोई कार्य करना इस योग में शुभफलदायी होता है। इस योग में कोई कार्य करने से मनुष्य महान बनता है तथा प्रसिद्धि को प्राप्त करता है।

*24.शुक्ल योग : शुक्ल पक्ष का नाम तो आपने सुना ही होगा। जब तक आसमान में बढ़ता हुआ चंद्र दिखाई देता है तब तक शुक्ल पक्ष होता है। अत: इस योग को मथुर चांदनी रात की तरह माना गया है अर्थात जैसे चांदनी की किरणें स्पष्ट बरसती हैं वैसे ही कार्य में सफलता जरूर मिलती है। इस योग में गुरु या प्रभु की कृपा अवश्य बरसती है तथा मंत्र भी सिद्ध होते हैं।

*25.ब्रह्म योग : यदि कोई शांतिदायक कार्य करना हो तो यह योग अति उत्तम है और यदि किसी का झगड़ा आदि सुलझाना हो तो यह योग सफलता प्रदान करता है।

*26.इन्द्र योग :यदि कोई राज्य पक्ष का कार्य रुका हो तो उसे इस योग में पुरा करने का प्रयास करेंगे तो पूर्ण होगा। परंतु ऐसे कार्य प्रात:, दोपहर अथवा शाम को ही करें। रात को ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए।

*27.वैधृति योग : यह योग स्थिर कार्यों हेतु ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए।
उपरोक्त योग के आधार पर ही अन्य योग भी होते हैं:- जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु-पुष्य योग, रवि-पुष्य योग, पुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग, राजयोग, द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योग आदि। आओ उनके बारे में भी जानते हैं।

*सिद्ध योग क्या है?*

वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है।

*सर्वार्थ सिद्धि योग क्या है?*

यह अत्यंत शुभ योग है। यह वार और नक्षत्र के मेल से बनने वाला योग है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होने पर यह योग नष्ट भी हो जाता है। सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह शुभ योग अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है।
*अमृत सिद्धि योग क्या है?*

अमृतसिद्धि योग रवि को हस्त, सोम को मृगशिर, मंगल को अश्‍विनी, बुध को अनुराधा, गुरु को पुष्य नक्षत्र का संबंध होने पर रविपुष्यामृत-गुरुपुष्यामृत नामक योग बन जाता है जो कि अत्यन्‍त शुभ माना गया है। अमृत सिद्धि योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। लेकिन यदि इस योग के बीच अगर तिथियों का अशुभ मेल हो जाता है तो अमृत योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है। सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है।

*गुरु-पुष्य योग क्या है?*

गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को गुरु-पुष्य योग के नाम से जाना जाता है। यह योग गृह प्रवेश, गृह शांति, शिक्षा सम्बन्धी मामलों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग अन्य शुभ कार्यों के लिए भी शुभ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है।

*रवि-पुष्य योग क्या है?*

रविवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को रवि-पुष्य योग के नाम से जाना जाता है। यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है जिसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस योग को मुहूर्त में गुरु-पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है।
*रवि योग क्या है?*

सूर्य जिस नक्षत्र में चौथे, छट्ठे, नौवें, दसवें, तेरहवें अथवा बीसवें नक्षत्र पर जब चन्द्रमा संचरण करता है तब रवि योग होता है। शुभ योग में रवि योग बहुत ही शुभ माना जाता है। रवि योग में 13 प्रकार के कुयोगों का स्वतः ही विनाश होता है, अतः रवि योग में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। 

*पुष्कर योग क्या है?*

इस योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जबकि सूर्य विशाखा नक्षत्र में होता है और चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में होता है। सूर्य और चंद्र की यह अवस्था एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ होने से इसे शुभ योगों में विशेष महत्व दिया गया है। यह योग सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम मुहूर्त होता है।

*त्रिपुष्कर और द्विपुष्कर योग क्या है?

वार, तिथि और नक्षत्र तीनों के संयोग से बनने वाले योग को दविपुष्कर योग कहते हैं। इसके अलाव यदि रविवार, मंगलवार या शनिवार में द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि के साथ पुनर्वसु, उत्तराषाढ़ और पूर्वाभाद्रपद इन नक्षत्रों में से कोई नक्षत्र आता है तो त्रिपुष्कर योग बनता है। त्रिपुष्कर और द्विपुष्कर योग विषेश बहुमूल्य वस्तुओं की खरीददारी करने के लिए हैं। इन योगों में खरीदी गई वस्तु नाम अनुसार भविष्य में दिगुनी व तिगुनी हो जाती है।

*संयुक्त ग्रहों के उपाय-

*यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में शुक्र और सूर्य की युति किसी भी भाव में हो तो जातक को दुर्गा पूजन लाभदायक होगा ।

*सूर्य.शनि की युति कुण्डली के किसी भी भाव में होने पर जातक बादाम,नारियल बहते पानी में बहाए।

*सूर्य.राहू की युति होने पर जातक जौ को दूध या गौ मूत्र से धोकर बहते पानी में बहायें।

*यदि जातक की कुण्डली में बुध अशुभ या नीच राशि का हो तब जातक मंगल एवं राहू के उपाय करके बुध के दुश्प्रभाव को दूर करें।

*सूर्य.केतु की युति होने पर सूर्य ग्रहण के समय तिल,नींबू,पका केला बहते पानी जैसे नदी में बहायें।

*गौ मूत्र घर में छिड़कने से केतु.शुक्र एवं बुध का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है ।

*जातक की जन्म कुण्डली में चंद्र.शुक्र की युति हो तो चांदी की ठोस गोली हमेशा अपने जेब में रखें ।

*चंद्र.शनि की युति होने पर शनि एवं केतु के उपाय लाभकारी होते है। चंद्रग्रहण के समय शनि की वस्तुएं बहते पानी में बहाने से लाभ होता है।

*शनि.चंद्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सूर्य का उपाय करें ।

*कुण्डली में मंगल.राहू की युति होने पर मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर बहते पानी जैसे नदी में बहाये तथा मंगल का उपाय करें ।

*बुध.शनि की युति में जातक को शराब मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।

*बुध.राहू की युति हो तो जातक को कच्ची मिट्टी की सौ गोलियां बनाकर एक गोली प्रतिदिन धर्म स्थल में पहुंचानी चाहिएं।

*गुरू.बुध की युति में खांड से भरा मिट्टी का बर्तन भूमि में दबाना चाहिए।

*चंद्र.राहु की युति हो, तब चंद्रग्रहण पर जौं,कोयला, सरसों आदि राहु की वस्तुएं बहते पानी में बहायें और मंगल,गुरू का उपाय करें।

*चंद्र.केतु की युति होने पर जातक बुध एवं केतु की वस्तुओं का दान करें । तीन केले प्रतिदिन ४८ दिन तक मंदिर में दान करें।

*मंगल.बुध की अशुभ युति में जातक मंगल का उपाय करें ।

*मंगल. शनि की युति होने पर मंगल या शनि का उपाय करें साथ ही चंद्र का उपाय करें।

*शुक्र.राहु की युति होने पर दूध एवं हरे नारियल का दान करें ।

*यदि कुण्डली में सूर्य.चंद्र.राहु की युति हो तो जातक दुर्गा उपासना करें एवं बुध का उपाय करें ।

*इसी तरह सूर्य.चंद्र.केतु की युति होने पर भी दुर्गा उपासना करें एवं बुध का उपाय करें ।

*कुण्डली में सूर्य.बुध.शुक्र की युति होने पर जातक कान में स्वर्ण धारण करें तथा काला,सफेद कुत्ता पाले । शुध्द चांदी का छल्ला भी धारण कर सकते है।

*गुरू. शनि की युति में, शराब,मांस,मदिरा का उपयोग न करे। शिव उपासना करें। चंद्र का उपाय करें ।

*गुरू.राहु की युति में अशुभता से बचने के लिए सोना धारण करें। चितकबरें कुत्ते की सेवा करें। जौं को दूध से धोकर लगातार ४३ दिन तक बहते पानी में बहायें।

*शुक्र. शनि की युति हो तो तांबे का पैसा बहते पानी में बहायें और दशम भाव में जो भी ग्रह बैठा हो उसका उपाय करें।

*सूर्य.बुध.राहु की युति हो तो जातक चंद्रमा का उपाय करें।

*यदि सूर्य.बुध की युति हो तो गायत्री पाठ करें । हरे तोते पाले ।

*चंद्र.मंगल और शनि की युति में मंगल का उपाय करें।

*चंद्र.मंगल.राहु की युति हो तो दूध में मीठा हलुआ बनाकर स्वयं खाये तथा दुसरों को खिलाएं।

*गुरू.शनि.राहु की युति हो तो शनि की वस्तुएं भूमि में दबायें।

*यदि शनि.राहु.शुक्र की युति हो तो जातक रोटी के तीन टुकड़े करके एक गाय को एक कुत्ता और एक कौएं को खिलाएं।

*गुरू.शनि.बुध की युति हो तो बुध की वस्तुएं जैसे हरा मूंग कुएं में गिराये तथा बुध को उच्च करें।

गुरू.मंगल.बुध की युति हो तो जातक सोना धारण करे।

शुक्र.शनि.बुध की युति हो,तो काली गाय या काला कुत्ते को रोटी दें.

ग्रह पीड़ा निवारक टोटके -

सूर्य
१॰ सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
२॰ रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
३॰ ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
४॰ लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
५॰ किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
६॰ हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
७॰ लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

चन्द्रमा
१॰ व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
२॰ रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
३॰ ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
४॰ वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
५॰ वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
६॰ सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पूना चाहिए।
७॰ सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मंगल
१॰ लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
२॰ ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
३॰ बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
४॰ लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
५॰ मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
६॰ बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
७॰ अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

बुध
१॰ अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
२॰ बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
३॰ हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
४॰ बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
५॰ घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
६॰ अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
७॰ तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

गुरु
१॰ ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
२॰ सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
३॰ ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
४॰ किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
५॰ ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
६॰ गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
७॰ गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

शुक्र
१॰ काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
२॰ शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
३॰ किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
४॰ किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
५॰ अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
६॰ किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
७॰ शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

शनि १॰ शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
२॰ शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
३॰ शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
४॰ भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
५॰ भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
६॰ किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
७॰ घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

राहु
१॰ ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
२॰ हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
३॰ अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
४॰ जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
५॰ दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीम करना चाहिए।
६॰ यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
७॰ झुठी कसम नही खानी चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

केतु
१॰ भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।
२॰ नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
३॰ बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
४॰ ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
५॰ घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
६॰ चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
७॰ किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।
केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा तथा मूल) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।


ज्योतिष व शास्त्रो के अनुसार नौ आदते आपके जीवन में अवशय होनी चाईए –

घरेलू उपचार
१)👉::
अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है
कि आपको यश, सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं . wash basin में ही यह काम कर आया करें ! यश,मान-सम्मान में अभिवृध्दि होगी।

२)👉::
जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन वहीं उसी जगह पर छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती.!
बहुत मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते.! अगर आप अपने जूठे बर्तनों को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते हैं तो चन्द्रमा और शनि का आप सम्मान करते हैं ! इससे मानसिक शांति बढ़ कर अड़चनें दूर होती हैं।

३)👉::
जब भी हमारे घर पर कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी ज़रुर पिलाएं !
ऐसा करने से हम राहु का सम्मान करते हैं.!
जो लोग बाहर से आने वाले लोगों को हमेशा स्वच्छ पानी  पिलाते हैं उनके घर में कभी भी राहु का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.! अचानक आ पड़ने वाले कष्ट-संकट नहीं आते।

४)👉::
घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है.!
जिस घर में सुबह-शाम पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध, सूर्य और चन्द्रमा का सम्मान करते हुए परेशानियों का डटकर सामना कर पाने का सामर्थ्य आ पाता है ! परेशानियां दूर होकर सुकून आता है।
जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं, उन लोगों को depression, anxiety जैसी परेशानियाँ नहीं पकड़ पातीं.!

५)👉::
जो लोग बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए अपने चप्पल-जूते करीने से लगाकर रखें, आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी।

६)👉::
उन लोगों का राहु और शनि खराब होगा, जो लोग जब भी अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा, सिलवटें ज्यादा होंगी, चादर कहीं, तकिया कहीं, कम्बल कहीं ?
उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहने हुए कपडे़ तक फैला कर रखते हैं ! ऐसे लोगों की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती, जिसकी वजह से वे खुद भी परेशान रहते हैं और दूसरों को भी परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए उठते ही स्वयं अपना बिस्तर समेट दें.! जीवन आश्चर्यजनक रूप से सुंदर होता चला जायेगा।

७)👉::
पैरों की सफाई पर हम लोगों को हर वक्त ख़ास ध्यान देना चाहिए, जो कि हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते हैं ! नहाते समय अपने पैरों को अच्छी तरह से धोयें, कभी भी बाहर से आयें तो पांच मिनट रुक कर मुँह और पैर धोयें.!
आप खुद यह पाएंगे कि आपका चिड़चिड़ापन कम होगा, दिमाग की शक्ति बढे़गी और क्रोध
धीरे-धीरे कम होने लगेगा.! आनंद बढ़ेगा।

८)👉::
रोज़ खाली हाथ घर लौटने पर धीरे-धीरे उस घर से लक्ष्मी चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं.!
इसके विपरीत घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है.!
उस घर में लक्ष्मी का वास होता जाता है.! हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है.!
ऐसे घर में सुख, समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है.!

९)👉..
जूठन बिल्कुल न छोड़ें । ठान लें । एकदम तय कर लें। पैसों की कभी कमी नहीं होगी।
अन्यथा नौ के नौ गृहों के खराब होने का खतरा सदैव मंडराता रहेगा। कभी कुछ कभी कुछ । करने के काम पड़े रह जायेंगे और समय व पैसा कहां जायेगा पता ही नहीं चलेगा।

अच्छी बातें बाँटने से दोगुनी तो होती ही हैं
– अच्छी बातों का महत्त्व समझने वालों में आपकी इज़्जत भी बढ़ती है


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