आंतरिक बल 786
-कल्पना और निरोगता
- हमारा शरीर एक चक्र है ।
-हमारे शरीर मेंं खून एक चक्र मेंं चल रहा है ।
-नस नाड़ियां एक चक्र मेंं बनी हुई है ।
-सांस का आना जाना एक चक्र मेंं है ।
-ऊर्जा चक्र भी एक आवर्ती मेंं घूमते रहते है ।
-हमारा शरीर एक आवर्ती मेंं है अर्थात शरीर का हर कार्य एक निच्छचित चक्र मेंं घूम रहा है ।
-मुख्य नाड़ीया, हृदय, सांस और खून एक निच्छित गति मेंं कार्य कर रहें है ।
-शरीर के सभी अंगो से ऊर्जा प्रवाहित हो रही है ।
-इस आवर्तक चक्र को छोड़ते ही उस पर दूसरे शरीर का प्रभाव आ जाता है । अर्थात जब हम दूसरों कें बारे सोचते है तॊ उन से निकल रही ऊर्जा हमारे पर आक्रमण कर देती है ।
-इन्द्रियो कें माध्यम से हर शरीर एक दूसरे से जुड़ा है ।
-हमारे मुख से निकले शब्द दूसरे कें कानो के द्वारा उसे प्रभावित करते हैं ।
-हमारी आँखे दूसरे की आंखो द्वारा उसे प्राभावित करती हैं ।
-इन्द्रिया ही सातों ऊर्जा चक्रों को एक दूसरे से जोड़ती हैं ।
-मन ही इन्द्रियो और ऊर्जा चक्रों पर नजर रखता है ।
-मन ही क्रोध को क्षमा और हिंसा को अहिंसा मेंं बदलता है ।
-हमारे शरीर मेंं 70% पानी है ।
-मन मेंं उठती लहरे पानी को प्रभावित करती है और पानी सारे शरीर के अंगो को प्राभावित करता है ।
-कल्पना की लहरें हमारे शरीर मेंं हल चल उत्पन कर देती हैं जैसे चन्द्रमा सागर मेंं ।
-मन ज्यदातर गल्त कल्पनाओ मेंं पड़ा रहता है ।
-अगर हर व्यक्ति अच्छी कल्पनाएं करने लगे तॊ सिर्फ मानव का जीवन ही सुखी नहीं बनेगा परन्तु पूरा विश्व ही स्वर्ग बन जाएगा ।
-अगर हम हर समय अच्छी कल्पनाएं करते रहें तॊ सब से बड़ा फायदा यह होगा कि हम निरोगी रहेगे ।
-भगवान कें गुणो का मन मेंं जो सिमरन करते है वह अच्छी कल्पना ही है । इस से हमारे सभी रोग मिट जाते हैं । क्यो कि भगवान की शक्ति खून मेंं स्थित जल को शुद्ध कर देती है । शुद्ध जल शरीर की सब गंदगी साफ कर देता है ।
-अगर हमारे रोग ठीक नहीं हो रहें है तॊ इसका सीधा सा अर्थ है अभी हम नकारात्मक कल्पनाएं कर रहें है ।
-जीवन को नई दिशा देने वाली - आन्तरिक बल ( भाग -1 ) -
-आज्ञा चक्र -89- अवचेतन मन -2
-अवचेतन मन आंखो का इस्तेमाल किये बिना देखता है ।
-इस में अतिइंद्रिय दृष्टि और अतिइँद्रिय श्रवण क्षमता है ।
-अवचेतन मन शरीर को छोड़ सकता है और दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा सच्ची जानकारी ले कर लौट सकता है ।
-अवचेतन मन के जरिये दूसरो के सूक्ष्म विचार पढ़ सकते हैं ।
-आप बंद लिफाफे में और बंद तिजोरियों के विवरणों को भी जान सकते हैं ।
-अवचेतन मन में संचार के समान्य वस्तुपूरक साधनों का उपयोग किये बिना दूसरे के विचार समझने की योग्यता होती है ।
-भगवान को याद करने की, प्रार्थना की सच्ची कला सीखने के लिये चेतन और अवचेतन मन की अंतर्क्रिया को समझ लें ।
-अवचेतन मन में दुनियां को हिलाने की शक्ति है ।
-मस्तिष्क एक छोटी सी कोशिका से मिल कर बना है । अवचेतन मस्तिष्क ने शरीर को बनाया है । इस लिये वह शरीर को दुबारा बना सकता है ।
-जैसा भीतर, वैसा बाहर, जैसा ऊपर वैसा नीचे । मन में जो विचार करेगें वह बाहर प्रकट होंगे । जो मुख से बोलेंगे वह मन पर असर करेगा ।
-जब हम सो जाते हैं तब भी अवचेतन मन कार्य करता है, सांस को कंट्रोल करता है, हृदय को, खून को, नाड़ी को नियंत्रित करता है ।
-आप का पाला हर समय अवचेतन के बजाये चेतन मन से पड़ता है ।
-चेतन मन से सर्वश्रेष्ट की कामना करते रहो ।
-पानी उसी पाईप का आकार ले लेता है जिस में बहता है ।
-आप के विचार अनुसार मन रुप धारण करता जायेगा ।
-भाषण देने से पहले हमेशा तस्वीर की तकनीक आजमाता है ।
-अपनी कल्पना में यह देखते रहो कि लोग कह रहे है, मै ठीक हो गया हूं ।
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Meditation Commentary - आंतरिक बल || ब्रह्माकुमारी सुदेश बहन
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