लॉ ऑफ कर्मा, लॉ ऑफ अट्रैक्शन जैसे नियमों को शोध करके मूल विज्ञान के आधार पर सत्यापित नियमों को बतायें जो जीवन व समाज में धारण करने योग्य हो जिससे समाज व व्यक्ति का विकास हो?
लॉ ऑफ अट्रैक्शन (आकर्षण का सिद्धांत), लॉ ऑफ कर्मा (कर्म का सिद्धांत)
लॉ ऑफ अट्रैक्शन (आकर्षण का सिद्धांत) एक ऐसा सिद्धांत है जो मानता है कि हमारी सोच और भावनाएं हमारे जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों को प्रभावित करती हैं। यह विचार इस विश्वास पर आधारित है कि जो हम सोचते हैं और जिस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वही हमारी वास्तविकता में बदलता है।
लॉ ऑफ अट्रैक्शन कैसे काम करता है?
विचारों की शक्ति: आपकी सोच आपकी ऊर्जा को संचालित करती है। सकारात्मक सोच से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है और नकारात्मक सोच से नकारात्मक ऊर्जा।
केंद्रित ध्यान: जिस चीज़ पर आप लगातार ध्यान केंद्रित करते हैं, वह आपके जीवन में आकर्षित होती है। उदाहरण के लिए, अगर आप धन और समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप ऐसे अवसरों को आकर्षित करेंगे जो आपको समृद्ध बनाएंगे।
भावनाओं का महत्व: आपकी भावनाएं ब्रह्मांड को यह संकेत देती हैं कि आप क्या चाहते हैं। यदि आप खुशी, प्यार और कृतज्ञता महसूस करते हैं, तो आप इन्हीं भावनाओं से भरी परिस्थितियों को आकर्षित करेंगे।
कर्म और प्रयास: केवल सोचने और महसूस करने से ही चीज़ें हासिल नहीं होतीं। आपको अपने लक्ष्य की दिशा में कार्रवाई करनी होगी। लॉ ऑफ अट्रैक्शन को आपके कर्मों के साथ काम करने की ज़रूरत होती है।
वैज्ञानिक आधार
लॉ ऑफ अट्रैक्शन का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन कुछ मनोवैज्ञानिक और न्यूरोसाइंस के सिद्धांत इसे आंशिक रूप से समर्थन देते हैं:
प्लेसिबो इफ़ेक्ट (Placebo Effect): यदि आप विश्वास करते हैं कि कुछ अच्छा होगा, तो आपका मस्तिष्क उसी के अनुसार काम करता है और आपके शरीर में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।
रीटिकुलर एक्टिवेटिंग सिस्टम (RAS): यह मस्तिष्क का हिस्सा है जो आपकी सोच के अनुसार बाहरी जानकारी को फ़िल्टर करता है। अगर आप किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो RAS आपको उसे हासिल करने के अवसरों की ओर निर्देशित करता है।
पॉजिटिव साइकोलॉजी (Positive Psychology): यह कहती है कि सकारात्मक सोच और आभार की आदतें आपके मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती हैं, जिससे आपकी सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं।
लॉ ऑफ अट्रैक्शन के टिप्स
स्पष्ट लक्ष्य बनाएं: अपने लक्ष्यों को स्पष्ट और लिखित रूप में तय करें। आप क्या चाहते हैं, इसे विस्तार से लिखें।
पॉजिटिव सोच रखें: अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से बचें।
विज़ुअलाइज़ेशन (Visualization): खुद को पहले से ही अपने लक्ष्य को हासिल करते हुए कल्पना करें। इसे रोज़ाना कुछ समय दें।
आभार व्यक्त करें: जो आपके पास है, उसके लिए आभार प्रकट करें। इससे आप सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
सकारात्मक पुष्टि (Affirmations): "मैं खुश और सफल हूं" जैसे सकारात्मक वाक्य रोज़ाना दोहराएं।
ध्यान (Meditation): ध्यान के माध्यम से अपनी ऊर्जा को केंद्रित करें और मानसिक शांति प्राप्त करें।
कर्म करें: अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं।
धैर्य रखें: लॉ ऑफ अट्रैक्शन समय ले सकता है। अपनी सोच और कार्यों के प्रति समर्पित रहें।
उदाहरण
- यदि आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहते हैं, तो:
- धन से संबंधित सकारात्मक पुष्टि लिखें और दोहराएं।
- आर्थिक स्वतंत्रता का अनुभव करते हुए खुद की कल्पना करें।
- धन कमाने के लिए नई स्किल्स सीखें या नए अवसरों की तलाश करें।
निष्कर्ष
लॉ ऑफ अट्रैक्शन एक मानसिक दृष्टिकोण है जो आपके जीवन की दिशा बदल सकता है। हालांकि इसका वैज्ञानिक आधार सीमित है, लेकिन सकारात्मक सोच और लक्ष्यों के प्रति समर्पण से यह काफी प्रभावी साबित हो सकता है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ
ॐ श्रीम महालक्ष्म्यै नमः
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मामगृहे धन पूरय चिन्ताम्तूरय स्वाहा
ॐ धनाय नमः
ॐ वसुधरे स्वाहा
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों सहित भूत भविष्य वर्तमान तीनों काल में हमारी रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।
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ऊँ केशवाय नमः
ऊँ माधवाय नमः
ऊँ शिवाय नमः
ऊँ नमों नरायणायः नमः
ऊँ ह्मैं जूं सः ऊँ नमः शिवाय
श्री मधुकर, किरन, शिवांशी एवं लक्षिता को
रक्षय-रक्षय, पालय-पालय
ऊँ सः जूं ह्मैं ऊँ शिवायै नमः ऊँ
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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