बुधवार, 16 दिसंबर 2020

#समय प्रबंधन और #80 / 20 का नियम. #Time management and 80/20 #rules. #समयप्रबंधन #नियम


-समय प्रबंधन और 80 / 20 का नियम.

-यह संसार    विभिन्न तत्वों के अलग-अलग अनुपात से मिलकर के बना  हुआ है ।

- आकाश जो हम देखते हैं, यह सिर्फ 20% है, बाकी 80 परसेंट अदृश्य  है ।

-इसी तरह से संसार की जितनी भी चीजें हैं, उन सब पर यही 80 और 20 का नियम लागू होता है ।

-हमारे  शरीर में 20 परसेंट खून है, और 80% पानी है ।

-सारे विश्व में जितना  धन 20%  लोगों के पास है, उतना ही  धन बाकी 80% लोगों के पास है ।

-दुनियां में जितने भी धार्मिक लोग है, उनमे सिर्फ  20% योगी  है, बाकि  80% योगी  नियमों पर पूरे नहीं उतरते।

-इस नियम का यह मतलब हैं, कि  अगर हम किसी भी  कार्य में सफलता चाहते हैं, तो उस लक्ष्य से सम्बन्धित 20 % ज़रूरी  कार्य पूरा करो जो बाकी 80% कार्य है, वह  कुदरत कहो,  विज्ञान कहो या नियम कहो, अपने आप करता है।

-हम कार , रेलगाड़ी या हवाई जहाज या भारी  चीजो को उठाने के लिये, जैक का प्रयोग करते हैं । निर्माण कार्यों में  क्रेन  का  प्रयोग करते हैं । कही दूर जाना हो तो कार आदि यूज करते हैं । संदेश भेजना  हो तो मोबाइल या इंटरनेट प्रयोग करते हैं । इन सब साधनों पर हम सिर्फ 20% अपनी बुद्धी या पैसा, या अन्य एनेर्जी या तकनीकी का प्रयोग करते हैं, बाकी 80 % कार्य इन साधनों द्वारा अपने आप होता हैं । जिसके परिणाम स्वरूप आज संसार का विकास चरम सीमा पर हैं ।

- कहते हैं अगर हम एक  रुपया  दान  करें तो भगवान  बदले में 100 रुपया देता हैं ।

-यह एक नियम हैं ।

- हम गेहूँ का एक दाना उगाते है, तो उस से उपजे पौधे से लगभग 1000 दाने मिलते है ।

-यह प्रकृति का नियम है ॥

-ऐसे ही   80 / 20 नियम को अपने जीवन के विभिन्न  क्षेत्रों में प्रयोग करके हम मनचाहे  लक्ष्य पा सकते हैं ।

-हमें सिर्फ  प्रत्येक लक्ष्य से सम्बन्धित  20 % स्मार्ट  कार्य पूरा  करना है, बाकी का 80% कार्य यह नियम अपने आप कर देगा ।

-यदि आप बिजनेसमैन है, तो 80 / 20 का नियम प्रयोग करके, आप अपने बिजनेस को अच्छा करने की  कोशिश कर सकते हैं। उन 20%  कार्यों को ज्यादा करो, जो आपके बिजनेस को सफलता की  ऊंचाइयों तक ले जाएं । माल सस्ता हो, बढिया हो हर एक की  पहुंच में हो ।

-यदि आप स्टूडेंट हैं तो 80 / 20  नियम का उपयोग कर के, अपनी स्टडी को बेहतर करने के लिए कीजिए, उन टॉपिक्स पर ध्यान दीजिए, जो आपको अच्छे परिणाम दे सके । वह 20% कार्य है़,    एक्सपर्ट्स की कोचिंग लें, हेल्प बुक्स पढ़े, और नोट्स बनाये । हरेक विषय को हर रोज़ समय देना है ।

-आप अपने रिलेशनशिप को अच्छा करने के लिए 80 / 20 का नियम प्रयोग कीजिए, और उन पर अधिक समय दीजिए, जो आप को आगे बढ़ाए ।  वह  20% कार्य है़,   जो लोग आपको हैप्पी न्यू ईयर देते हो, या जो आपके दुख में आपका साथ देते हो ,   आप को शाबाश देते हो,  उन के संपर्क में रहें ,और उन लोगों से बचो  जो डांटते है , जो डिस्करेंज  करते हैं, मनोबल तोड़ते हैं ।

-अपनी दिनचर्या डेली रूटीन को बेहतर बनाने के लिए 80 / 20 रूल का उपयोग कीजिए ।  20%  उन कार्यों को टाइम दीजिए जो आपको अच्छे से रिज़ल्ट  देते हो । वह कार्य  हैं  सैर करो, अच्छा भोजन करो, प्रेरणादायक सत्संग सुनो ।

- अपनी सोच को अच्छा करने के लिए आप 80  / 20 का रूल उपयोग कीजिए ।  20%  अपने उन दोस्तों और अन्य लोगों से अधिक कांटेक्ट में रहिए, जो आपको खुशी देते हो, वह जो समय पर आपकी हेल्प करते हो, और जो चरित्रवान हो ।

- 80 / 20 प्रिंसिपल आपसे कभी यह नहीं कहता, कि आप कार्य करना स्टार्ट कर दें, बल्कि यह नियम बताता है, कि हमें उन कार्यों को नहीं करना चाहिए, जिनमें हमारा 80% टाइम वेस्ट होता है । वह कार्य न करने से हमारे पास काफी समय बचेगा, और इस बचे हुए समय का उपयोग हम ऐसे कामों में करें, जिससे 80% रिजल्ट मिलता है।  वह कार्य हैं, निन्दा चुगली से बचना । नेट का गलत इस्तेमाल न करना । समय नष्ट करने वाले दोस्तो से बचना ।

- आज से 80 / 20  का रूल  टाइम मैनेजमेंट  में  शुरू कर दो ,और याद रखो अच्छे  काम में देर नहीं करनी चाहिए, आप स्टार्ट करें  सफलता  आपके साथ हैं !

-हमारा दिमाग एक  शक्ति का भंडार है, अभी तक कोई भी महान व्यक्ति इस का 20 परसेंट प्रयोग कर सका है । बाकी  80 परसेंट दिमाग सोया पड़ा है, अर्थात 80% शक्तियों का कोई उपयोग नहीं हुआ । अगर आप  धनवान बनना चाहते हैं, तो अपनी 20 परसेंट शक्ति को अच्छे  कार्य में लगाओ, बाकी   80% अच्छा  रिजल्ट अपने आप  मिलने लगेगा ।

-इसके लिये सिर्फ  शांति और प्रेम के संकल्पों में रहो, भगवान  को याद करते रहो, किसी का  भी तन, मन  और धन से नुकसान नहीं करना ।

 80 / 20 के नियम से अपने जीवन के विभिन्न  पहलुओं को विकसित करते रहो ।

- यह सारे प्रयास आप के सामने आर्थिक, सम्पनता के रुप में  प्रत्यक्ष आयेगें । ओम शांति




👨‍👩‍👧‍👧-बच्चे और पिछले जन्म

-परिवार  संसार की इकाई हैं ।

-कौन से बच्चे आप के घर जन्म लेंगे, यह आप के बस में नहीँ है. ।  

-यह भगवान की मर्जी है, क़ि आप के घर कौन से बच्चे जन्म लेंगे ।

-बच्चे भगवान की नई प्लेनिंग है  ।

-बच्चे जो आप के घर जन्म लेते है, उनका आप के साथ पिछले जन्म के गहरे  संबंध हैं ।

- आप के घर में  बच्चे लड़के के रूप में जन्म लेते हैं  ।

-अगर बच्चे बहुत समझदार ,और मेहनती  है, और आप का नाम  र्रोशन करते है, तॊ इस का अर्थ यह है, क़ि  आप ने  जिन लोगों की बहुत मदद की   थी, जिन लोगों को महान बनाया था,  वही  लोग आप के घर में पैदा हो कर, आप को मान शान दिलाने के लिये, जी  जान से  कार्य करते हैं ।

- कई बार आप के घर अपंग, तथा मंद बुद्धी बच्चे पैदा हो जाते हैं  ।

-ये वे लोग है जिन्होंने पिछले जन्म में, आप को खुश करने के लिये, आप के  इछारे पर ऐसे गलत कार्य किए,  जिस  से अनेकों लोगों का नुकसान हो गया ।  उन गलत कार्यों के कारण वे अपंग हो गये  है ।  आप के घर इसलिए जन्म हुआ ,क्योंकि आप ने उन से गलत कार्य करवाए ।  अब आप उनकी   देख रेख करें । उनका बोझ उठाए ।

-कई बार ऐसे बच्चे पैदा हो जाते हैं, जो गुंडें मवाली बन जाते हैं। सारी जिंदगी दुखी करते रहते हैं  ।

-ये वे लोग हैं, जिनका  आप ने पिछले जन्म में शोषण किया,  प्रताड़ित किया ।  उन्हें सारी उम्र दुखी  रखा  ।   वही लोग आप के घर आये हैं, और आप की संपति चौपट कर देते हैं, और सारी जिंदगी आप के लिये मुसीबतें खड़ी करते रहते हैं  ।

-कुछ लोगों की आदत होती है, वह मित्रों और रिश्तेदारों की संपति हड़प कर लेते हैं। लोगों से उधार लेते है, परंतु लौटाते  नहीँ ।

-जिन लोगों का धन दौलत हड़प लिया था, वही लोग आप के घर में बेटी या बहिन के रूप में जन्म लेते है।

-यही कारण है, हमें नाक को बचाने लिये बेटियों, और बहिनों को दहेज देंना  पड़ता है ।  जब तक वह संसार में है, आप को सदा ही कुछ न कुछ देंना  ही पड़ता है ।

-कई  लोगों की   बेटियां  और बहिनें बहुत होती है ।  ये और कुछ नहीँ पिछले जन्म के वे  लोग हैं, जिनसे आप ने उधार तॊ लिया, परंतु उनके पैसे वापिस नहीँ दिए  । आप गरीब हैं फिर भी उनकी शादी  आदि के लिये जिंदगी भर  कर्ज उठाना पड़ता है ।  

-जिन  गरीब लड़कियों की  हम विद्या या अन्य साधनों से  मदद करते हैं ,  उन्हें धन आदि से मालामाल करते  हैं ,  वे भी अगले जन्म आप के घर में बेटी या बहिन के रूप में जन्म लेती हैं  ।  वह आप का नाम रोशन करती हैं  ।  खूब पढ़ती हैं ।  ऊंच पद  पाती है ।  आप का समाज में नाम बढ़ाती  हैं  ।

-कई बहुएं घर को स्वर्ग बना  देती हैं,  ये वह लोग हैं जिनकी आप ने  पिछले जन्म में आगे बढ़ने में बहुत मदद की ,  उन का सम्मान किया,  दिल से उनकी सेवा की थी,  अब वह आप की बहू बन  कर ,आप के घर को स्वर्ग बना रही हैं ।

 -कई बहुये बसते  घर को उजाड़ देती हैं, ये वह लोग हैं जिनको आप ने पिछले जन्म बसने नहीँ दिया,  उन्हें घर बेघर रखा ।  वे जहां रहते थे,  वहीँ उनके लिये  मुसीबतें खड़ी कर देते थे  ।  अगर वह तुम्हारे अधीन नौकरी करते थे, तॊ उनकी बार बार बदली कर देते थे, और ऐसी   जगह बदली करते थे जहां जीना बहुत मुश्किल था ।  उनके  घर को उजाड़  देते थे।  वे अब आप का घर बहु बन कर उजाड़ रही है ।  

-उपरोक्त विचार विश्वाश पर आधारित  हैं । इस पर शोध एवं अध्ययन की जरूरत है । ओम शांति

(१४०७) ☀️ श्रीरामचरितमानस ☀️
                        सप्तम सोपान
                          उत्तरकाण्ड
                          दोहा सं० ५
                (चौपाई सं० १ से ५ तक)

आए    भरत    संग     सब     लोगा ।
कृस     तन     श्रीरघुबीर     बियोगा ।।१।।
बामदेव         बसिष्ट      मुनिनायक ।
देखे   प्रभु  महि  धरि   धनु   सायक ।।२।।
धाइ     धरे    गुर     चरन     सरोरुह ।
अनुज  सहित  अति  पुलक तनोरुह ।।३।।
अर्थ –भरतजी के साथ सब लोग आये । श्रीरघुवीर के वियोग से सबके शरीर दुबले हो रहे हैं । प्रभु ने वामदेव, वशिष्ठ आदि मुनिश्रेष्ठों को देखा, तो उन्होंने धनुष-बाण पृथ्वी पर रखकर छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित दौड़कर गुरुजी के चरणकमल पकड़ लिये, उनके रोम-रोम अत्यन्त पुलकित हो रहे हैं ।
👉 'आए भरत संग सब लोगा' – श्रीरामजी के प्रेम और विरह में श्रीभरतजी सबसे अधिक हैं, इसीलिये श्रीरामजी के पास चलने में श्रीभरतजी की प्रधानता कही गयी है कि उनके साथ और सब लोग हैं । (इस समय राज्य-कार्यभार भी इन्हीं के हाथ में है एवं इन्हीं के कारण प्रभु श्रीअवध शीघ्र लौटकर आये हैं, अतः इनको अगुआ होना योग्य ही है ।)
👉 'महि धरि धनु सायक' – बड़ों को प्रणाम करने में अत्यन्त विनम्रता प्रकट करने के लिये साधारणतया टोपी या पगड़ी उतारकर चरणों पर सिर धरते हैं क्योंकि टोपी या पगड़ी व्यक्ति के सबसे बड़े सम्मान के चिह्न हैं । इनको अलग किया अर्थात् गुरुजन के सामने अपना सम्मान या प्रतिष्ठा कोई चीज नहीं है । यह धनुष-बाण धारण करना भी वही आत्म सम्मान की चीज है । क्षत्रिय जब किसी के सामने सिर झुकाता है और आत्मसमर्पण करता है तो अपने हथियार के द्वारा । यहांँ 'बड़ बसिष्ठ सम को जग माही', स्वयं प्रभु के ही गुरु हैं, इनसे अधिक सम्मान का पात्र कौन हो सकता है ? भरद्वाज वाल्मीकि आदि को जो सम्मान नहीं प्राप्त है, वह वशिष्ठ जी को सुलभ है । इसीलिये उन ऋषियों के प्रसंग में जो बात नहीं हुई, वह इनके प्रसंग में दिखायी गयी है । हालाँकि कुछ विद्वान उनके (भरद्वाज, वाल्मीकि, अगस्त्य आदि के)  विषय में ऐसा कहते हैं कि उनसे मिलाप के समय धनुष-बाण आदि उतारकर नहीं रखने का भाव यह था कि उन्हें काम में लेना है और अब इनका काम नहीं रह गया, केवल शोभा के लिये धारण करेंगे ।
👉 'धाइ धरे गुर चरन' – जब श्रीअवध से वन को चले थे तब गुरुपदकमल की वन्दना की थी और अब जब वन से लौटे हैं तब गुरुचरणारविन्द को जाकर पकड़ लिये । सरकार ने मुनिनायक को देखते ही दौड़कर  गुरुजी के चरणकमलों को पकड़ा  ताकि चित्रकूट के मिलन की भांँति गुरुजी को दौड़ना न पड़े । (चित्रकूट में – 'मुनिवर धाइ लिए उर लाई' )  मुनिजी ने प्रेम से अधीर होकर सरकार को उठाकर हृदय से लगा लिया ।
भेंटि     कुसल      बूझी     मुनिराया ।
हमरें      कुसल     तुम्हारिहिं    दाया ।।४।।
सकल  द्विजन्ह  मिलि नायउ  माथा ।
धर्म         धुरंधर          रघुकुलनाथा ।।५।।
अर्थ –मुनिराज वशिष्ठजी ने (उठाकर) उन्हें गले लगाकर कुशल पूछी । (प्रभु ने कहा –) आप ही की दया में हमारी कुशल है । धर्म की धुरी धारण करनेवाले रघुकुल के स्वामी श्रीरामजी ने सब ब्राह्मणों से मिलकर उन्हें मस्तक नवाया ।
👉 सरकार ने दो शब्दों में उत्तर दिया – 'हमरे कुसल तुम्हारिहि दाया ।' भाव यह है कि हमारी कुशल और आपकी दया दो वस्तु नहीं है । एक बीज (दया) है तो दूसरा फल (कुसल) है । सरकार के हृदय में यही भाव है कि रावण वध गुरुजी की कृपा से हुआ । उन्होंने सखाओं से कहा भी है – 'गुरु बसिष्ठ कुल पूज्य हमारे । इनकी कृपा दनुज रन मारे ।।'
👉 'सकल द्विजन्ह...' गुरुजी से मिलकर ब्राह्मणों से मिले क्योंकि आप ब्रह्मण्यदेव हैं । सभी ब्राह्मणों को सिर नवाते हैं, क्योंकि इससे बढ़कर पुण्य नहीं है – 'पुन्य एक जग महँ नहिं दूजा । मन क्रम बचन बिप्र पद पूजा ।।' [गुरुजी से पहले मिलने का कारण यह है कि ये ब्राह्मण ही नहीं, वरन ब्रह्माजी के पुत्र हैं और साथ ही साथ इक्ष्वाकुजी के समय से ही कुल के गुरु ये ही चले आ रहे हैं ।]
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 🙏 श्रीराम – जय राम – जय जय राम 🙏
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