बुधवार, 29 जनवरी 2025

#चंद्र ग्रह (#Moon) का #ज्योतिषीय विवरण

चंद्र ग्रह (Moon) का ज्योतिषीय विवरण एवं उपाय

चंद्र ग्रह मन, भावना, माता, मानसिक शांति, जल तत्व, कल्पनाशक्ति और स्त्रियों का कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा मजबूत हो तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित, सौम्य और कल्पनाशील होता है। लेकिन यदि यह कमजोर हो तो मानसिक तनाव, अस्थिरता, चिंता, और माता से संबंध में तनाव आ सकता है।

दिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व

चन्द्रमा को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आँख, छाती आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है। लाल के किताब के अनुसार चंद्र एक शुभ ग्रह है। यह सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह कहा गया है।
ज्योतिष के अनुसार मनुष्य जीवन पर चंद्रमा का प्रभाव

शारीरिक बनावट एवं स्वभाव - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के लग्न भाव में चंद्रमा होता है, वह व्यक्ति देखने में सुंदर और आकर्षक होता है और स्वभाव से साहसी होता है। चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने सिद्धांतों को महत्व देता है। व्यक्ति की यात्रा करने में रुचि होती है। लग्न भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को प्रबल कल्पनाशील व्यक्ति बनाता है। इसके साथ ही व्यक्ति अधिक संवेदनशील और भावुक होता है। यदि व्यक्ति के आर्थिक जीवन की बात करें तो धन संचय में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

बली चंद्रमा के प्रभाव - यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा बली हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते है। बली चंद्रमा के कारण जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा उसकी कल्पना शक्ति भी मजबूत होती है। बली चंद्रमा के कारण जातक के माता जी संबंध मधुर होते हैं और माता जी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

पीड़ित चंद्रमा के प्रभाव: पीड़ित चंद्रमा के कारण व्यक्ति को मानसिक पीड़ा होती है। इस दौरान व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है। माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। वहीं घर में पानी की कमी हो जाती है। कई बार जातक इस दौरान आत्महत्या करनी की कोशिश करता है।

रोग - यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा किसी क्रूर अथवा पापी ग्रह से पीड़ित होता है तो जातक की सेहत पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इससे जातक को मस्तिष्क पीड़ा, सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित विकार, मिर्गी के दौरे, पागलपन अथवा बेहोशी आदि की समस्या होती है।

कार्यक्षेत्र - ज्योतिष में चंद्र ग्रह से सिंचाई, जल से संबंधित कार्य, पेय पदार्थ, दूध, दुग्ध उत्पाद (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, मछली, नौसेना, टूरिज्म, आईसक्रीम, ऐनीमेशन आदि का कारोबार देखा जाता है।

उत्पाद - सभी रसदार फल तथा सब्जी, गन्ना, शकरकंद, केसर, मक्का, चांदी, मोती, कपूर जैसी वस्तुए चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।

स्थान - ज्योतिष में चंद्र ग्रह हिल स्टेशन, पानी से जुड़े स्थान, टंकियाँ, कुएं, जंगल, डेयरी, तबेला, फ्रिज आदि को दर्शाता है।

जानवर तथा पक्षी - कुत्ता, बिल्लू, सफेद चूहे, बत्तक, कछुआ, मछली आदि पशु पक्षी ज्योतिष में चंद्र ग्रह द्वारा दर्शायी जाती हैं।

जड़ - खिरनी।

रत्न - मोती।

रुद्राक्ष - दो मुखी रुद्राक्ष।

यंत्र - चंद्र यंत्र।

रंग - सफेद

चंद्र ग्रह के उपाय के तहत व्यक्ति को सोमवार का व्रत धारण और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
चंद्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य
पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।

चंद्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः

चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

खगोल विज्ञान में चंद्रमा का महत्व

खगोल शास्त्र में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का उपग्रह माना गया है। जिस प्रकार धरती सूर्य के चक्कर लगाती है ठीक उसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। पृथ्वी पर स्थित जल में होने वाली हलचल चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण होती है। सूर्य के बाद आसमान पर सबसे चमकीला चंद्रमा ही है। जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो यह सूर्य को क लेता है तो उस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
चंद्रमा का पौराणिक महत्व

हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रह को चंद्र देवता के रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म के अनुसार चंद्रमा जल तत्व के देव हैं। चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है। सोमवार का दिन चंद्र देव का दिन होता है। शास्त्रों में भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना जाता है। अतः जो व्यक्ति भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन्हें चंद्र देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। श्रीमद्भगवत के अनुसार, चंद्र देव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त हैं। पौराणिक शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता कहा जाता है और दिशाओं में यह वायव्य दिशा का स्वामी होता है।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि हिन्दू ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। मनुष्य के शरीर में 60 प्रतिशत से भी अधिक पानी होता है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि चंद्रमा मनुष्य पर किस तरह का प्रभाव डालता होगा।


1. चंद्र ग्रह के मंत्र

चंद्रमा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

(क) चंद्र बीज मंत्र

👉 ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।

(ख) चंद्र गायत्री मंत्र

👉 ॐ पद्मद्वीजाय विद्महे हिमरूपाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात्।

(ग) चंद्र वेद मंत्र

👉 दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम्। नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्॥

(घ) महा चंद्र मंत्र

👉 ॐ सोम सोमाय नमः।

👉 जाप संख्या: 11,000 बार
👉 समय: रात 8 से 10 बजे, सोमवार को
👉 माला: मोती (पर्ल) या रुद्राक्ष माला


2. चंद्र यंत्र

चंद्र यंत्र को धारण या पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है।

  • यंत्र निर्माण का समय: सोमवार, पूर्णिमा तिथि
  • यंत्र धातु: चांदी या तांबे की प्लेट
  • यंत्र का स्वरूप:
  • स्थापना विधि:
    1. चंद्र यंत्र को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं।
    2. इसे सफेद कपड़े पर रखें।
    3. दीपक जलाकर "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" मंत्र का जाप करें।

3. चंद्र ग्रह से संबंधित तांत्रिक उपाय (तंत्र)

  1. चंद्र ग्रह के लिए तांत्रिक प्रयोग:
    • सोमवार को चांदी की अंगूठी में मोती धारण करें।
    • जल में दूध और चावल मिलाकर चंद्र को अर्घ्य दें।
  2. मानसिक शांति के लिए:
    • पूर्णिमा की रात चंद्रमा के नीचे बैठकर ध्यान करें।
  3. रोग निवारण तांत्रिक उपाय:
    • किसी भी मंदिर में सफेद वस्त्र, चावल और दूध का दान करें।

4. चंद्र ग्रह से जुड़े टोटके

  1. मानसिक शांति के लिए:
    • सोमवार को सफेद चीजें जैसे दूध, चावल, शक्कर, मोती दान करें।
  2. माता से संबंध सुधारने के लिए:
    • हर सोमवार को माता के चरण छूकर आशीर्वाद लें।
  3. जल तत्व को संतुलित करने के लिए:
    • गंगाजल का सेवन करें और स्नान करें।
  4. चंद्र दोष निवारण के लिए:
    • हर पूर्णिमा को खीर बनाकर गरीबों को बांटें।

5. कुंडली में चंद्र ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव

(क) चंद्र का 12 भावों में फल

  1. प्रथम भाव (लग्न): मनोबल ऊंचा, लेकिन भावुकता अधिक।
  2. द्वितीय भाव: मीठी वाणी, लेकिन धन की अस्थिरता।
  3. तृतीय भाव: भाइयों से अच्छा संबंध, लेकिन मानसिक द्वंद्व।
  4. चतुर्थ भाव: माता से प्रेम, घर में सुख-शांति।
  5. पंचम भाव: कल्पनाशीलता, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
  6. षष्ठम भाव: स्वास्थ्य संबंधी चिंता, पेट संबंधी रोग।
  7. सप्तम भाव: जीवनसाथी से प्रेम, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
  8. अष्टम भाव: गूढ़ ज्ञान, अचानक परिवर्तन।
  9. नवम भाव: भाग्यशाली, धार्मिक प्रवृत्ति।
  10. दशम भाव: सरकारी नौकरी, प्रतिष्ठा।
  11. एकादश भाव: अच्छी आय, भावनात्मक संतुलन।
  12. द्वादश भाव: विदेश यात्रा, मानसिक तनाव।

6. चंद्र ग्रह की विभिन्न राशियों में स्थिति का प्रभाव

  1. मेष: ऊर्जा अधिक, लेकिन भावनात्मक अस्थिरता।
  2. वृषभ: शुभ, धैर्यवान और धनवान।
  3. मिथुन: बुद्धिमान, लेकिन अस्थिर विचार।
  4. कर्क: उच्च स्थिति, मानसिक शांति।
  5. सिंह: आत्मविश्वास, लेकिन क्रोध अधिक।
  6. कन्या: विश्लेषणात्मक सोच, लेकिन मानसिक चिंता।
  7. तुला: संतुलित स्वभाव, लेकिन भावुकता अधिक।
  8. वृश्चिक: गूढ़ ज्ञान, लेकिन मानसिक द्वंद्व।
  9. धनु: भाग्यशाली, आध्यात्मिक झुकाव।
  10. मकर: जिम्मेदार, लेकिन कम भावुकता।
  11. कुंभ: नवाचार, लेकिन मूडी स्वभाव।
  12. मीन: आध्यात्मिक, कल्पनाशील।

7. चंद्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का प्रभाव

  1. चंद्र + सूर्य: मानसिक स्थिरता, लेकिन अहंकार।
  2. चंद्र + मंगल: गुस्सा, ऊर्जा अधिक।
  3. चंद्र + बुध (चंद्र-बुद्धि योग): बुद्धिमान, संचार में कुशल।
  4. चंद्र + गुरु: धार्मिक प्रवृत्ति, ज्ञानवान।
  5. चंद्र + शुक्र: कला, सौंदर्य प्रेम।
  6. चंद्र + शनि: मानसिक तनाव, चिंता।
  7. चंद्र + राहु: भ्रम, मानसिक अस्थिरता।
  8. चंद्र + केतु: आध्यात्मिक, अंतर्ज्ञान प्रबल।

8. चंद्र ग्रह के कमजोर होने के लक्षण

  • मानसिक तनाव और चिंता।
  • माता से संबंध खराब।
  • नींद की समस्या।
  • त्वचा और जल तत्व संबंधी रोग।

9. चंद्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय

  1. रत्न: मोती (पर्ल) चांदी में धारण करें।
    • धारण मंत्र: ॐ सोम सोमाय नमः।
    • दिन: सोमवार, चंद्र होरा में।
  2. दान:
    • सफेद वस्त्र, दूध, चावल, शंख दान करें।
  3. व्रत:
    • सोमवार को व्रत रखें, दूध और फलाहार लें।
  4. जल अर्घ्य:
    • चंद्रमा को दूध और जल अर्पित करें।
    •  चंद्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

      वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह मन, मॉं और सुंदरता का कारक होता है। चंद्र ग्रह शांति से संबंधित कई उपाय हैं। इनमें सोमवार का व्रत, चंद्र यंत्र, चंद्र मंत्र, चंद्र ग्रह से संबंधित वस्तु का दान, खिरनी की जड़ और दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना समेत कई उपाय हैं। कुंडली में चंद्रमा की शुभ स्थिति से जीवन में प्रसन्नता, सुख, माता का बेहतर स्वास्थ्य और अच्छा जीवन साथी प्राप्त होता है। वहीं चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से मानसिक विकार, मन का भटकना, माता को कष्ट आदि परेशानी आती है। यदि कुंडली में चंद्रमा किसी बुरे ग्रह से पीड़ित है, तो चंद्र ग्रह से संबंधित कार्यों को अवश्य करना चाहिए। इन उपायों को करने से चंद्रमा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा से संबंधित वस्त्र और उत्पाद आदि को ग्रहण और धारण करना भी चंद्र ग्रह से जुड़े अहम उपाय हैं।
      वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े चंद्र ग्रह शांति के उपाय
      चंद्र ग्रह शांति के लिये उपाय

      सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
      माता जी, सास एवं बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान करें।
      रात को दूध का सेवन करें।
      चाँदी के बर्तनों का प्रयोग करें।
      विशेषतः सुबह किये जाने वाले चंद्र ग्रह के उपाय

      माँ दुर्गा की पूजा करें।
      भगवान शिव की आराधना करें।
      भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
      शिव चालिसा/दुर्गा चालिसा का जाप करें।
      चंद्र ग्रह के लिये व्रत

      शुभ चंद्र सुख, शांति, समृद्धि और दयालुता का द्यौतक है। चंद्र ग्रह की कृपा दृष्टि पाने के लिए सोमवार को उपवास रखें।
      चंद्र ग्रह शांति के लिये दान करें

      चंद्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान सोमवार को चंद्र की होरा और चंद्र के नक्षत्रों (रोहिणी, हस्त, श्रवण) में प्रातः किया जाना चाहिए।

      दान करने वाली वस्तुएँ- दूध, चावल, चांदी, मोती, सफेद कपड़े, सफेद पुष्प एवं शंख आदि।
      चंद्रमा के लिए रत्न

      ज्योतिष में चंद्र ग्रह के लिए मोती रत्न को धारण करने का विधान है। यदि किसी जातक की कर्क राशि है तो उसे मोती को धारण करना चाहिए। इससे जातक को चंद्रमा के अच्छे फल प्राप्त होंगे।
      श्री चंद्र यंत्र

      चंद्र ग्रह शांति के लिए चंद्र यंत्र को सोमवार को चंद्र की होरा और चंद्र के नक्षत्रों के समय धारण करें।
      चंद्र के लिये जड़ी

      खिरनी की जड़ को धारण करने से आप चंद्र ग्रह से शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इस जड़ को सोमवार के दिन चंद्र की होरा एवं चंद्र के नक्षत्रों में धारण करें।
      चंद्र के लिये रुद्राक्ष

      चंद्र के लिए 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
      दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
      ॐ नमः।
      ॐ श्रीं ह्रीं क्षौं व्रीं।।
      चंद्र मंत्र

      चंद्र देव की कृपा दृष्टि पाने के लिए आपको चंद्र बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र - ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः!

      11000 बार चंद्र मंत्र का उच्चारण करें। हालाँकि देश-काल-पात्र के सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को (11000X4) 44000 बार जपने की सलाह दी गई है।

      आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ सों सोमाय नमः!

      इस आलेख में दिए गए चंद्र ग्रह शांति के उपाय वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, जो कि बहुत ही कारगर और आसान हैं। यदि आप चंद्र को मजबूत करने के उपाय को विधि पूर्वक करते हैं तो इससे आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा। चंद्र ग्रह शांति मंत्र मन में सकारात्मक विचारों को जन्म देता है जिससे व्यक्ति सही दिशा में सोचकर आगे की ओर क़दम बढ़ाता है। चंद्र दोष के उपाय से जातक को माता का सुख प्राप्त होता है। चंद्रमा मजबूत होने से माता को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

      वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रह को कर्क राशि का स्वामी कहा जाता है। अतः इस राशि के जातक चंद्र ग्रह के उपाय कर सकते हैं। कई बार लोगों को यह लगता है कि कुंडली में ग्रह के कमज़ोर होने पर ही ग्रह शांति के उपाय करने चाहिए। लेकिन यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत है तो इसके शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए आप चंद्र ग्रह शांति के उपाय भी कर सकते हैं। इस लेख में चंद्र ग्रह के उपाय जैसे चंद्र ग्रह का मंत्र जाप, चंद्र ग्रह के लिए दान, चंद्र व्रत आदि को करने की विधि भी बहुत सरल तरीके से बतायी गई है।

निष्कर्ष:

चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए इसे शांत और स्थिर रखना आवश्यक है। इसके लिए चंद्र मंत्र जाप करें, सफेद वस्तुओं का दान करें, मोती धारण करें, और पूर्णिमा को विशेष रूप से चंद्र पूजन करें।

 

चन्द्र ग्रह को प्रबल बनाने के उपाय:

चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता है। इसे मजबूत करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

फल:

  • खीरा
  • तरबूज
  • खरबूजा

सब्जी:

  • कद्दू
  • लौकी
  • खीरा

वस्तु:

  • चावल
  • दूध
  • दही
  • चांदी
  • मोती
  • सफेद वस्त्र

पक्षी:

  • बत्तख

पशु:

  • गाय

रत्न:

  • मोती (सबसे प्रभावशाली)
  • चन्द्रमणि
  • मूनस्टोन

योग:

  • चन्द्र मंत्र का जाप
  • चन्द्र स्तोत्र का पाठ
  • शिव जी की पूजा

मुद्रा:

  • चन्द्र मुद्रा (कनिष्ठा अंगुली को अंगूठे के मूल में लगाकर बाकी अंगुलियों को सीधा रखें)

धातु:

  • चांदी

एक्यूपंक्चर बिन्दु:

  • पैर के अंगूठे के नीचे स्थित बिंदु

मंत्र:

  • "ॐ श्रां श्रीं श्रूं सः चन्द्रमसे नमः"

तंत्र:

  • चन्द्र यंत्र की स्थापना और पूजा
  • चांदी का कड़ा धारण करना

यंत्र:

  • चन्द्र यंत्र

अन्य गुप्त उपाय:

  • सोमवार के दिन व्रत रखें
  • गरीबों को दान करें
  • जरूरतमंदों की मदद करें
  • अपनी माता का सम्मान करें
  • चन्द्र देव के मंदिर में जाकर पूजा करें
  • चन्द्र देव को सफेद वस्तुएं अर्पित करें
  • सफेद रंग के वस्त्र धारण करें
  • पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें
  • चन्द्र के मंत्रों का जाप करें
  • चन्द्र के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिषीय सलाह लें

विशेष:

  • चन्द्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपनी माता का सम्मान करना और जरूरतमंदों की मदद करना।
  • इन उपायों के साथ-साथ, अपने मन को शांत और स्थिर रखने का प्रयास करें।
  • चन्द्र ग्रह की शांति के लिए, आप ज्योतिषीय परामर्श भी ले सकते हैं।

चन्द्र ग्रह से सम्बन्ध रखने वाले फल, सब्जी, वस्तु, पक्षी, पशु, रत्न, योग, मुद्रा, धातु, एक्यूपन्चर बिन्दु, मंत्र, तंत्र, यंत्र व अन्य गुप्त उपाय:-

चंद्रमा मन, भावनाओं, शांति, स्मरण शक्ति, माता, मानसिक स्थिरता, जल तत्व और सौम्यता का कारक ग्रह है। यदि चंद्र कमजोर हो, तो व्यक्ति में मानसिक तनाव, अनिर्णय, अस्थिरता, चिंता, अनिद्रा, माता से मतभेद, जल संबंधी रोग और स्मरण शक्ति की कमजोरी आ सकती है। चंद्र को मजबूत करने के लिए नीचे दिए गए उपाय अत्यंत प्रभावी हैं।


1. खाद्य पदार्थ (फल, सब्जी, अनाज, मसाले, पेय)

(क) फल:

  • केला (Banana)
  • नारियल (Coconut)
  • ककड़ी (Cucumber)
  • नाशपाती (Pear)
  • खरबूजा (Muskmelon)

(ख) सब्जियां:

  • लौकी (Bottle Gourd)
  • गोभी (Cabbage)
  • पालक (Spinach)
  • तुरई (Ridge Gourd)
  • सफेद मूली (White Radish)

(ग) अनाज:

  • चावल (Rice)
  • सफेद तिल (White Sesame)
  • दूध से बने पदार्थ
  • जौ (Barley)

(घ) मसाले व पेय:

  • इलायची (Cardamom)
  • मिश्री (Rock Sugar)
  • ठंडा दूध (Cold Milk)
  • सौंफ का पानी (Fennel Water)

2. धातु एवं वस्त्र

  • धातु: चाँदी (Silver)
  • वस्त्र: सफेद, हल्के नीले या हल्के क्रीम रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

3. रत्न एवं उपरत्न

  • मुख्य रत्न: मोती (Pearl - 5 से 7 कैरेट)
  • उपरत्न: मूनस्टोन (Moonstone), सफेद हकीक (White Agate)
  • धारण करने की विधि: चाँदी की अंगूठी में बनवाकर सोमवार को धारण करें।

4. पक्षी एवं पशु

  • पक्षी: हंस (Swan), बगुला (Crane)
  • पशु: गाय (Cow), खरगोश (Rabbit), मछली (Fish)

5. योग एवं मुद्रा

योग:

  • चंद्र नमस्कार (Chandra Namaskar)
  • बालासन (Balasana)
  • मकरासन (Makarasana)
  • शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama)

मुद्रा:

  • चंद्र मुद्रा (Chandra Mudra)
  • ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra)

6. एक्यूपंक्चर बिंदु (Acupressure Points)

  • हथेली: कनिष्ठा उंगली (Little Finger) के नीचे दबाव दें।
  • पैर: पैर के तलवे के मध्य भाग में हल्का दबाव दें और मालिश करें।

7. मंत्र, तंत्र एवं यंत्र

(क) मंत्र:

ॐ सों सोमाय नमः (108 बार जप करें)
"ॐ चंद्राय नमः"

(ख) तंत्र:

  • सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध और सफेद फूल अर्पित करें।
  • माता का आदर करें और उनकी सेवा करें।
  • पानी से भरे पात्र में चाँदी का सिक्का डालकर घर में रखें।

(ग) यंत्र:

  • चंद्र यंत्र घर में स्थापित करें।
  • सोमवार को चंद्र यंत्र की पूजा करें।

8. अन्य गुप्त उपाय

  • सोमवार का व्रत करें।
  • रात में दूध पीकर सोएं।
  • सफेद गाय को रोटी खिलाएं।
  • पानी से जुड़े कार्यों (जैसे स्विमिंग, बोटिंग) में भाग लें।
  • घर के उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) में चंद्र से संबंधित प्रतीक रखें।
  • सोने से पहले चंद्रमा को देखें और मानसिक रूप से शांति का अनुभव करें।
  • सात सोमवार तक सफेद वस्त्र या दूध का दान करें।

निष्कर्ष:

चंद्र को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन चंद्रमा को देखना, मोती या मूनस्टोन धारण करना, चंद्र मंत्र का जाप करना, माता की सेवा करना और शीतल खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत लाभकारी होगा।

 

 

#सूर्य ग्रह (#Sun) का #ज्योतिषीय विवरण

सूर्य ग्रह (Sun) का ज्योतिषीय विवरण एवं उपाय

सूर्य ग्रह आत्मा, आत्मविश्वास, नेतृत्व, ऊर्जा, स्वास्थ्य, और पिता का कारक ग्रह है। यदि सूर्य शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को प्रसिद्धि, सत्ता, उन्नति और आत्मबल प्रदान करता है। किंतु यदि अशुभ स्थिति में हो तो अहंकार, क्रोध, सरकारी मामलों में बाधा, पिता से मतभेद, और स्वास्थ्य समस्याएं देता है।


हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में सूर्य ग्रह

सूर्य को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता माना गया है जिसके अनुसार, सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मा स्वरूप हैं। इसके द्वारा व्यक्ति को जीवन, ऊर्जा एवं बल की प्राप्ति होती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। माता का नाम अदिति होने के कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

हिन्दू ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है। इस दौरान लोग आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्य की उपासना करते हैं। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं। राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है। सूर्य हमारे जीवन से अंधकार को नष्ट करके उसे प्रकाशित करता है। यह हमें सदैव सकारात्मक चीज़ों की ओर प्रेरित करता है। इसकी किरण मनुष्यों के लिए आशा की किरण होती हैं। साथ ही यह हमें ऊर्जावान रहने की प्रेरणा देता है जिससे हम अपने उद्देश्य को पाने के लिए अनवरत रूप से कार्य करते रहे हैं।

सूर्य के विभिन्न नाम : आदित्य, अर्क, अरुण, भानु, दिनकर, रवि, भास्कर आदि।

सूर्य की प्रकृति: सूर्य नारंगी रंग का शुष्क, गर्म, आग्नेय और पौरुष प्रवृत्ति वाला ग्रह है। दिशाओं में यह पूर्व दिशा का स्वामी होता है जबकि धातुओं में यह तांबा और सोने का स्वामी होता है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य का महत्व

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है।

शारीरिक रूपरेखा: जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न में हो तो उसका चेहरा बड़ा और गोल होता है। उसकी आँखों का रंग शहद के रंग जैसा होता है। व्यक्ति के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। इसलिए काल पुरुष कुंडली में सिंह राशि हृदय को दर्शाती है। सूर्य पुरुषों की दायीं आँख और स्त्रियों की बायीं आँख को दर्शाता है।

रोग: यदि जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आँख से संबंधित रोगों को जन्म देता है। यदि सूर्य शनि ग्रह से पीड़ित हो तो यह निम्न रक्त दाब जैसी बीमारी को पैदा करता है। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। यह चेहरे में मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी, पित्त की शिकायत आदि बीमारियों का कारक होता है।
सूर्य की विशेषताएँ

यदि जन्मपत्री में सूर्य शुभ स्थान पर अवस्थित हो तो जातक को इसके शुभ परिणाम परिणाम मिलते हैं। सूर्य की यह स्थिति जातकों के लिए सकारात्मक होती है। इसके प्रभाव से लोगों को मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जातक स्वयं के अच्छे कार्यों से प्रेरित होते हैं। जातक का स्वयं पर पूरा नियंत्रण होता है।

बली सूर्य: ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है।

बली सूर्य के प्रभाव: लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति आदि को प्रदान करता है।

पीड़ित सूर्य के प्रभाव: अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है।

सूर्य से संबंधित कार्य/व्यवसाय: सामान्य तौर पर सूर्य जीवन में स्थायी पद का कारक होता है। यह हमारी जन्मपत्री में सरकारी नौकरी को दर्शाता है। यदि जिस नौकरी में सुरक्षा भाव सुनिश्चित होता है, वहाँ पर सूर्य का आधिपत्य भी सुनिश्चित होता है। कार्यक्षेत्र में सूर्य स्वतंत्र व्यवसाय को दर्शाता है। हालाँकि किसी व्यक्ति का करियर कैसा होगा, यह सूर्य की दूसरे ग्रहों से युति या संबंध से ज्ञात होता है। यहाँ कुछ ऐसे कार्य व व्यवसायिक क्षेत्र हैं जो सूर्य से संबंधित हैं - प्रशासनिक अधिकारी, राजा, अथवा तानाशाह।

उत्पाद: चावल, बादाम, मिर्च, विदेशी मुद्रा, मोती, केसरिया, जड़ी आदि।

बाज़ार: सरकारी देनदारी, स्वर्ण, रिज़र्व बैंक, शेयर बाज़ार आदि।

पेड़ पौधे: कांटेदार पेड़, घास, नारंगी के पेड़, औषधीय जड़ी बूटियों आदि।

स्थान: वन, पहाड़, किले, सरकारी भवन इत्यादि।

जानवर और पक्षी: शेर, घोड़ा, सूअर, नागिन, हंस आदि।

जड़: बेल मूल।

रत्नः माणिक्य।

रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष।

यंत्र: सूर्य यंत्र।

रंग: केसरिया
सूर्य के मंत्र

ज्योतिष में सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं। जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं।
सूर्य का वैदिक मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः

सूर्य का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

ज्योतिष में सूर्य ग्रह कितना महत्वपूर्ण है, यह आपने समझ ही लिया होगा। हमारी पृथ्वी पर सूर्य के द्वारा जीवन संभव है। इसी कारण सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा जाता है।
 


1. सूर्य ग्रह के मंत्र

सूर्य को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

(क) सूर्य बीज मंत्र

👉 ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।

(ख) सूर्य गायत्री मंत्र

👉 ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।

(ग) सूर्य वेद मंत्र

👉 जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥

(घ) आदित्य हृदय स्तोत्र

  • यह मंत्र सूर्य देवता की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे प्रभावी है।
  • प्रतिदिन 11 बार पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

👉 जाप संख्या: 7,000 / 10,000 बार
👉 समय: प्रातःकाल, सूर्योदय के समय
👉 माला: रुद्राक्ष माला


2. सूर्य यंत्र

सूर्य यंत्र को धारण या पूजन करने से सूर्य ग्रह की कृपा मिलती है।

  • यंत्र निर्माण का समय: रविवार को, पुष्य नक्षत्र या रविपुष्य योग में।
  • यंत्र धातु: तांबे या सोने की प्लेट पर बनाएं।
  • यंत्र का स्वरूप:
     
     
  • स्थापना विधि:
    1. सूर्य यंत्र को गंगाजल और केसर मिले जल से स्नान कराएं।
    2. इसे लाल कपड़े पर रखें।
    3. दीपक जलाकर "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।

3. सूर्य ग्रह से संबंधित तांत्रिक उपाय (तंत्र)

  1. सूर्य ग्रह के लिए तांत्रिक प्रयोग:
    • रविवार को पीपल के वृक्ष के नीचे 12 बार "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
    • गुड़, गेहूं, और तांबे के टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित करें।
  2. पितृ दोष निवारण हेतु:
    • हर अमावस्या को तर्पण करें।
    • पिता और बुजुर्गों का सम्मान करें।
  3. रोग निवारण तांत्रिक उपाय:
    • एक तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

4. सूर्य ग्रह से जुड़े टोटके

  1. स्वास्थ्य सुधार के लिए:
    • प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
  2. पिता से संबंध सुधारने के लिए:
    • रविवार को गुड़ और गेहूं का दान करें।
  3. सरकारी नौकरी प्राप्ति के लिए:
    • नित्य आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  4. नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए:
    • प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें।
  5. सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए:
    • हर रविवार को सूर्य मंदिर में तांबे का दीपक जलाएं।

5. कुंडली में सूर्य ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव

(क) सूर्य का 12 भावों में फल

  1. प्रथम भाव (लग्न): आत्मविश्वासी, नेतृत्व क्षमता, लेकिन अहंकार।
  2. द्वितीय भाव: वाणी प्रभावशाली, धन संचय में बाधा।
  3. तृतीय भाव: साहसी, लेकिन भाइयों से संबंध तनावपूर्ण।
  4. चतुर्थ भाव: माता से मतभेद, घर में शांति की कमी।
  5. पंचम भाव: संतान को लाभ, उच्च शिक्षा में सफलता।
  6. षष्ठम भाव: शत्रुओं पर विजय, लेकिन पेट संबंधी रोग।
  7. सप्तम भाव: दांपत्य जीवन में अहंकार की समस्या।
  8. अष्टम भाव: दुर्घटना या अचानक धन हानि का योग।
  9. नवम भाव: धर्म-कर्म में रुचि, भाग्य प्रबल।
  10. दशम भाव: सरकारी नौकरी, उच्च पद की प्राप्ति।
  11. एकादश भाव: धन लाभ, आय के अच्छे स्रोत।
  12. द्वादश भाव: विदेश यात्रा, खर्च अधिक।

6. सूर्य ग्रह की विभिन्न राशियों में स्थिति का प्रभाव

  1. मेष: ऊर्जावान, लेकिन गुस्सैल।
  2. वृषभ: स्थिरता, लेकिन जिद्दी स्वभाव।
  3. मिथुन: बुद्धिमान, लेकिन अस्थिर विचार।
  4. कर्क: भावुक, माता से प्रेम।
  5. सिंह: अत्यंत शुभ, राजसी ठाट-बाट।
  6. कन्या: बुद्धिमत्ता, लेकिन अहंकार।
  7. तुला: कमजोर, स्वास्थ्य संबंधी समस्या।
  8. वृश्चिक: गूढ़ ज्ञान, रिसर्च में सफलता।
  9. धनु: धार्मिक प्रवृत्ति, भाग्यशाली।
  10. मकर: मेहनती, लेकिन संघर्ष अधिक।
  11. कुंभ: क्रांतिकारी विचार, लेकिन अहंकारी।
  12. मीन: आध्यात्मिक, लेकिन कम आत्मविश्वास।

7. सूर्य ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का प्रभाव

  1. सूर्य + चंद्र: मानसिक स्थिरता, उच्च पद।
  2. सूर्य + मंगल: गुस्सैल, सेनापति स्वभाव।
  3. सूर्य + बुध (बुद्धादित्य योग): बुद्धिमान, प्रशासनिक सफलता।
  4. सूर्य + गुरु: धर्म और ज्ञान में रुचि।
  5. सूर्य + शुक्र: भोग-विलास की अधिकता।
  6. सूर्य + शनि: पिता से तनाव, सरकारी समस्या।
  7. सूर्य + राहु: अहंकार, अचानक उन्नति।
  8. सूर्य + केतु: आध्यात्मिक झुकाव।

8. सूर्य ग्रह के कमजोर होने के लक्षण

  • आत्मविश्वास की कमी।
  • सरकारी कार्यों में बाधा।
  • पिता से संबंध खराब।
  • आंखों और हृदय संबंधी रोग।

9. सूर्य ग्रह को मजबूत करने के उपाय

  1. रत्न: माणिक्य (रूबी) सोने या तांबे में धारण करें।
    • धारण मंत्र: ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
    • दिन: रविवार, सूर्योदय के समय।
  2. दान:
    • गेहूं, गुड़, और तांबे का दान करें।
    • सूर्यमुखी फूल अर्पित करें।
  3. व्रत:
    • रविवार को व्रत रखें, नमक न खाएं।
  4. सूर्य को अर्घ्य:
    • हर दिन जल में गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
    •  सूर्य ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

      वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के प्रभाव से मनुष्य को सम्मान और सफलता मिलती है। सूर्य ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गए हैं। सूर्य मंत्र, सूर्य यंत्र और सूर्य नमस्कार समेत कई उपायों को करने से लाभ मिलता है। हर दिन नियमित रूप से सूर्य मंत्र उच्चारित करने और सूर्य नमस्कार करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य ग्रह सरकारी एवं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च सेवा का कारक माना गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति व्यक्ति को जीवन में उन्नति प्रदान करती है लेकिन यदि सूर्य अशुभ प्रभाव देता है, तो सम्मान की हानि, पिता को कष्ट, उच्च पद प्राप्ति में बाधा, ह्रदय और नेत्र संबंधी रोग होते हैं। जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित किसी भी परेशानी के समाधान के लिए करें सूर्य ग्रह से जुड़े विभिन्न उपाय।
      वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े सूर्य ग्रह शांति के उपाय
      सूर्य ग्रह शांति के लिये उपाय

      लाल और केसरिया रंग के वस्त्र धारण करें।
      पिता जी, सरकार एवं उच्च अधिकारियों का सम्मान करें।
      प्रातः सूर्योदय से पहले उठें और अपनी नग्न आँखों से उगते हुए सूरज का दर्शन करें।
      विशेषतः सुबह किये जाने वाले सूर्य के उपाय

      भगवान विष्णु की पूजा करें।
      सूर्य देव की पूजा करें।
      भगवान राम की पूजा करें।
      आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करें।
      सूर्य देव के लिये व्रत

      सूर्य देव का आशीर्वाद पाने हेतु रविवार को व्रत धारण किया जाता है।
      सूर्य ग्रह शांति के लिये दान करें

      सूर्य ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान रविवार को सूर्य की होरा और सूर्य के नक्षत्रों (कृतिका, उत्तरा-फाल्गुनी, उत्तरा षाढ़ा) में प्रातः 10 बजे से पूर्व किया जाना चाहिए।

      दान करने वाली वस्तुएँ: गुड़, गेहूँ, तांबा, माणिक्य रत्न, लाल पुष्प, खस, मैनसिल आदि।
      सूर्य ग्रह के लिए रत्न

      वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह के लिए रूबी माणिक्य को धारण किया जाता है। यदि किसी जातक की सूर्य प्रधान राशि सिंह है तो उसे माणिक्य रत्न को पहनना चाहिए।
      श्री सूर्य यंत्र

      सूर्य ग्रह शांति के लिए रविवार के दिन सूर्य यंत्र को सूर्य की होरा एवं इसके नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
      सूर्य के लिये जड़ी

      सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए बेल मूल धारण करें। इस जड़ को रविवार के दिन सूर्य की होरा अथवा सूर्य के नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
      सूर्य के लिये रुद्राक्ष

      सूर्य के लिए 1 मुखी रुद्राक्ष / 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।

      एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए मंत्र:
      ॐ ह्रीं नमः।
      ॐ यें हं श्रों ये।।

      तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
      ॐ क्लीं नमः।
      ॐ रें हूं ह्रीं हूं।।

      बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
      ॐ क्रों श्रों रों नमः।
      ॐ ह्रीं श्रीं घृणि श्रीं।।
      सूर्य मंत्र

      सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप सूर्य बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।

      वैसे तो सूर्य बीज मंत्र को 7000 बार जपना चाहिए परंतु देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र का (7000x4) 28000 बार उच्चारण करना चाहिए।

      आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ घृणि सूर्याय नमः!

      सूर्य ग्रह शांति के उपाय करने से जातकों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। चूंकि सूर्य आत्मा, राजा, कुलीनता, उच्च पद, सरकारी नौकरी का कारक है। अतः सूर्य ग्रह शांति मंत्र का जाप अथवा सूर्य यंत्र को स्थापित करने से जातक एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। वह सरकारी क्षेत्र में प्रशासनिक स्तर का पद पाता है। इस लेख में दिए गए सूर्य दोष के उपाय वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, जो बहुत ही कारगर और सरल हैं।

      वैदिक ज्योतिष में सूर्य को एक क्रूर ग्रह माना गया है। इसके नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति अहंकारी, आत्म केन्द्रित, ईर्ष्यालु और क्रोधी स्वभाव का हो जाता है और स्वास्थ्य जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में सूर्य शांति के उपाय करने से जातकों को लाभ होता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। अतः सिंह राशि वाले जातकों के लिए सूर्य मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। सूर्य ग्रह के उच्च होने पर भी आपको सूर्य को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। इससे आपको दोगुना लाभ होगा।

      आशा करते हैं कि सूर्य ग्रह शांति से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
       

 

सूर्य ग्रह को प्रबल बनाने के उपाय:

सूर्य ग्रह को प्रबल बनाने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं:

फल:

  • लाल फल जैसे सेब, अनार, चेरी

सब्जी:

  • लाल सब्जियां जैसे टमाटर, गाजर, चुकंदर

वस्तु:

  • गेहूं
  • गुड़
  • लाल वस्त्र
  • तांबा
  • माणिक

पक्षी:

  • गरुड़

पशु:

  • शेर

रत्न:

  • माणिक (सबसे प्रभावशाली)
  • लाल गार्नेट
  • लाल जिरकॉन

योग:

  • सूर्य मंत्र का जाप
  • सूर्य स्तोत्र का पाठ
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
  • सूर्य नमस्कार

मुद्रा:

  • सूर्य मुद्रा (अनामिका अंगुली को अंगूठे के मूल में लगाकर बाकी अंगुलियों को सीधा रखें)

धातु:

  • तांबा

एक्यूपंक्चर बिन्दु:

  • पैर के अंगूठे के ऊपर स्थित बिंदु

मंत्र:

  • "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं सः सूर्याय नमः"

तंत्र:

  • सूर्य यंत्र की स्थापना और पूजा
  • लाल रंग का धागा धारण करना

यंत्र:

  • सूर्य यंत्र

अन्य गुप्त उपाय:

  • रविवार के दिन व्रत रखें
  • गरीबों को दान करें
  • जरूरतमंदों की मदद करें
  • अपने पिता का सम्मान करें
  • सूर्य देव के मंदिर में जाकर पूजा करें
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें
  • लाल रंग के वस्त्र धारण करें
  • उगते हुए सूर्य को देखें
  • सूर्य के मंत्रों का जाप करें
  • सूर्य के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिषीय सलाह लें

विशेष:

  • सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने पिता का सम्मान करना और जरूरतमंदों की मदद करना।
  • इन उपायों के साथ-साथ, अपने जीवन में साहस, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को अपनाएं।
  • सूर्य ग्रह की शांति के लिए, आप ज्योतिषीय परामर्श भी ले सकते हैं।

निष्कर्ष:
सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास बनाए रखें, सत्य बोलें, पिता का सम्मान करें और नियमित सूर्य आराधना करें। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो विशेष रूप से माणिक्य धारण करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

सूर्य  ग्रह से सम्बन्ध रखने वाले फल, सब्जी, वस्तु, पक्षी, पशु, रत्न, योग, मुद्रा, धातु, एक्यूपन्चर बिन्दु, मंत्र, तंत्र, यंत्र व अन्य गुप्त उपाय:-

 

सोमवार, 27 जनवरी 2025

शनि ग्रह (Saturn) #ज्योतिष में विशेष महत्व

शनि ग्रह (Saturn) #ज्योतिष में विशेष महत्व 

शनि ग्रह (Saturn) ज्योतिष में कर्म, अनुशासन, न्याय, और संघर्ष का कारक है। इसे धीमी गति से फल देने वाला ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है। यदि शनि शुभ स्थिति में हो तो यह स्थिरता, समृद्धि, और धैर्य देता है, जबकि अशुभ स्थिति में यह बाधाएं, रोग, और मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकता है। शनि से संबंधित मंत्र, यंत्र, तंत्र, टोटके, और कुंडली में इसके प्रभाव का विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है:


1. शनि ग्रह के मंत्र

शनि के दोषों को शांत करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:

  • बीज मंत्र:
    ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  • वेद मंत्र:
    नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
  • तांत्रिक मंत्र:
    ॐ ह्रीं शं शनैश्चराय नमः।
  • जाप संख्या:
    23,000 बार (रुद्राक्ष माला से)।
  • जाप का समय:
    शनिवार, सूर्यास्त के बाद।

2. शनि ग्रह यंत्र

शनि ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि यंत्र का निर्माण और पूजा करें।

  • यंत्र निर्माण का समय:
    शनिवार के दिन, शुभ मुहूर्त में।
  • यंत्र का स्वरूप:
    चांदी, तांबा, या भुर्जपत्र पर निम्नलिखित यंत्र बनाएं:

    हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।

         स्नेहकाँक्षी परिवार :- #मधुकर, #किरन, #शिवाँशी, #लक्षिता 

    उक्त जगह पर तथा यंत्र के नीचे अपने परिवार का नाम लिखें

  • स्थापना की विधि:
    1. यंत्र को शुद्ध जल, गंगाजल, और पंचामृत से स्नान कराएं।
    2. इसे नीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
    3. दीपक जलाएं और ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें।

3. तांत्रिक उपाय (तंत्र)

  1. शनि ग्रह की शांति के लिए:
    • शनि दोष शांति यज्ञ कराएं।
    • हवन सामग्री में काले तिल, सरसों का तेल, गुड़, और लोहे के टुकड़ों का उपयोग करें।
  2. विशेष तांत्रिक उपाय:
    • शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
    • "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करते हुए शनि को तेल अर्पित करें।

4. शनि ग्रह से जुड़े टोटके

  1. साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए:
    • काले तिल, सरसों का तेल, और लोहे की वस्तु का दान करें।
  2. स्वास्थ्य सुधार के लिए:
    • प्रतिदिन "हनुमान चालीसा" का पाठ करें।
    • शनिवार को बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं।
  3. धन और नौकरी में बाधा दूर करने के लिए:
    • हर शनिवार काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करें।
  4. विवाह में देरी के लिए:
    • शनि स्तोत्र का पाठ करें और काले तिल का दीपक जलाएं।

5. कुंडली में शनि ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव

प्रत्येक भाव में शनि का प्रभाव:

  1. प्रथम भाव (लग्न):
    • गंभीर और अनुशासित स्वभाव, लेकिन जीवन में संघर्ष।
  2. द्वितीय भाव:
    • धन संचय में बाधा; वाणी कठोर हो सकती है।
  3. तृतीय भाव:
    • साहस, परिश्रम, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. चतुर्थ भाव:
    • माता से संबंध में दूरी, लेकिन स्थायी संपत्ति का लाभ।
  5. पंचम भाव:
    • शिक्षा में बाधा, लेकिन गहराई से अध्ययन में रुचि।
  6. षष्ठम भाव:
    • शत्रु और रोगों पर विजय।
  7. सप्तम भाव:
    • वैवाहिक जीवन में देरी या संघर्ष।
  8. अष्टम भाव:
    • गुप्त ज्ञान, शोध, और अचानक लाभ।
  9. नवम भाव:
    • भाग्य में देरी, लेकिन धार्मिक कार्यों में रुचि।
  10. दशम भाव:
  • करियर में सफलता, विशेष रूप से लोहे, तेल, या न्याय के क्षेत्र में।
  1. एकादश भाव:
  • आर्थिक लाभ और स्थायी आय।
  1. द्वादश भाव:
  • व्यय और मानसिक तनाव में वृद्धि।

6. शनि ग्रह की राशियों में स्थिति का प्रभाव

  1. मेष:
    • संघर्ष और मानसिक तनाव।
  2. वृषभ:
    • स्थिरता और धन का योग।
  3. मिथुन:
    • बुद्धिमत्ता और परिश्रम में वृद्धि।
  4. कर्क:
    • मानसिक अस्थिरता और पारिवारिक समस्याएं।
  5. सिंह:
    • नेतृत्व क्षमता, लेकिन संघर्ष।
  6. कन्या:
    • नौकरी और स्वास्थ्य में सफलता।
  7. तुला (मूल त्रिकोण):
    • अत्यंत शुभ; स्थायी लाभ और समृद्धि।
  8. वृश्चिक:
    • साहस और मानसिक ताकत।
  9. धनु:
    • धार्मिक प्रवृत्ति और स्थिरता।
  10. मकर (स्वग्रही):
  • मेहनत से सफलता।
  1. कुंभ (मूल त्रिकोण):
  • समाज में प्रतिष्ठा और धन।
  1. मीन:
  • आध्यात्मिकता और व्यय।

7. शनि ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति और प्रभाव

  1. सूर्य के साथ:
    • पिता से तनाव; आत्मविश्वास में कमी।
  2. चंद्रमा के साथ:
    • मानसिक अस्थिरता।
  3. मंगल के साथ:
    • दुर्घटनाओं और संघर्ष का योग।
  4. बुध के साथ:
    • तर्क और व्यवसाय में सफलता।
  5. गुरु के साथ:
    • धन और धार्मिक कार्यों में प्रगति।
  6. शुक्र के साथ:
    • विलासिता और सुख-सुविधाओं का लाभ।
  7. राहु/केतु के साथ:
    • मानसिक भ्रम और अचानक लाभ या हानि।

8. शनि ग्रह के कमजोर होने के लक्षण

  • जीवन में बार-बार असफलता।
  • नौकरी या व्यवसाय में बाधा।
  • स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे जोड़ों का दर्द।
  • मानसिक तनाव और अकेलापन।

9. शनि ग्रह को मजबूत करने के उपाय

  1. रत्न:
    • नीलम (ब्लू सफायर) पंचधातु या चांदी में पहनें।
    • धारण मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  2. दान:
    • काले तिल, काले कपड़े, और सरसों का तेल दान करें।
  3. व्रत:
    • शनिवार को उपवास रखें।
  4. हनुमान पूजा:
    • नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  5. पीपल की पूजा:
    • शनिवार को पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें।

 ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व
शनि को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैवैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।

समाज में शनि ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। लोग इसके नाम से भयभीत होने लगते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है परंतु यह पीड़ित होने पर ही जातकों को नकारात्मक फल देता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो तो वह उसे रंक से राज बना सकता है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।

ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रूप रेखा - ज्योतिष में शनि ग्रह को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह लग्न भाव में होता है तो सामान्यतः अनुकूल नहीं माना जाता है। लग्न भाव में शनि जातक को आलसी, सुस्त और हीन मानसिकता का बनाता है। इसके कारण व्यक्ति का शरीर व बाल खुश्क होते हैं। शरीर का वर्ण काला होता है। हालाँकि व्यक्ति गुणवान होता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति एकान्त में रहना पसंद करेगा।

बली शनि - ज्योतिष में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि तुला राशि में शनि उच्च का होता है। यहाँ शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है। इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता प्रदान मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान बनाता है और जीवन में स्थिरता बनाए रखता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की उम्र में वृद्धि होती है।

पीड़ित शनि - वहीं पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करता है। यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातकों के लिए दुर्घटना और कारावास जैसी परिस्थितियों का योग बनाता है। इस दौरान जातकों को शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि के उपाय करना चाहिए।

रोग - ज्योतिष में शनि ग्रह को कैंसर, पैरालाइसिस, जुक़ाम, अस्थमा, चर्म रोग, फ्रैक्चर आदि बीमारियों का जिम्मेदार माना जात है।

कार्यक्षेत्र - ऑटो मोबाईल बिजनेस, धातु से संबंधित व्यापार, इंजीनियरिंग, अधिक परिश्रम करने वाले कार्य आदि कार्यक्षेत्रों को ज्योतिष में शनि ग्रह के द्वारा दर्शाया गया है।

उत्पाद - मशीन, चमड़ा, लकड़ी, आलू, काली दाल, सरसों का तेल, काली वस्तुएँ, लोहा, कैमिकल प्रॉडक्ट्स, ज्वलनशील पदार्थ, कोयला, प्राचीन वस्तुएँ आदि का संबंध ज्योतिष में शनि ग्रह से है।

स्थान - फैक्टी, कोयला की खान, पहाड़, जंगल, गुफाएँ, खण्डहर, चर्च, मंदिर, कुंआ, मलिन बस्ती और मलिन जगह का संबंध शनि ग्रह से है।

जानवर तथा पशु-पक्षी - ज्योतिष में शनि ग्रह बिल्ली, गधा, खरगोश, भेड़िया, भालू, मगरमच्छ, साँप, विषैले जीव, भैंस, ऊँट जैसे जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है। यह समुद्री मछली, चमगादड़ और उल्लू जैसे पक्षियों का भी प्रतिनिधित्व करता है।

जड़ी - धतूरे की जड़ का संबंध शनि ग्रह से है।

रत्न - नीलम रत्न शनि ग्रह की शांति के लिए धारण किया जाता है।

रुद्राक्ष - सात मुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह के लिए धारण किया जाता है।

यंत्र - शनि यंत्र।

मंत्र -
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।

शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
धार्मिक दृष्टि से शनि ग्रह का महत्व
हिन्दू धर्म में शनि ग्रह शनि देव के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक शास्त्रों में शनि को सूर्य देव का पुत्र माना गया है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है कि सूर्य ने श्याम वर्ण के कारण शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। तभी से शनि सूर्य से शत्रु का भाव रखते हैं। हाथी, घोड़ा, मोर, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा, गिद्ध और काैआ शनि की सवारी हैं। शनि इस पृथ्वी में सामंजस्य को बनाए रखता है और जो व्यक्ति के बुरे कर्म करता है वह उसको दण्डित करता है। हिन्दू धर्म में शनिवार के दिन लोग शनि देव की आराधना में व्रत धारण करते हैं तथा उन्हें सरसों का तेल अर्पित करते हैं।

खगोलीय दृष्टि से शनि ग्रह का महत्व
खगोल विज्ञान के अनुसार शनि एक ऐसा ग्रह है जिसके चारो ओर वलय (छल्ला) हैं। यह सूर्य से छठा तथा सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह पीले रंग का ग्रह। शनि के वायुमंडल में लगभग 96 प्रतिशत हाइड्रोजन और 3 प्रतिशत हीलियम गैस है। खगोल शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह के छल्ले पर सैकड़ों प्राकृतिक उपग्रह स्थित हैं। हालाँकि आधिकारिक रूप से इसके 53 उपग्रह हैं।

 शनि ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को क्रूर ग्रह बताया जाता है, लेकिन शनि शत्रु नहीं बल्कि मित्र है। शनि देव कलयुग के न्यायाधीश हैं और लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि ग्रह शांति के लिए कई उपाय किये जाते हैं। इनमें शनिवार का व्रत, हनुमान जी की आराधना, शनि मंत्र, शनि यंत्र, छायापात्र दान करना आदि प्रमुख उपाय हैं। शनि कर्म भाव का स्वामी है इसलिए शनि के शुभ प्रभाव से नौकरी और व्यवसाय में तरक्की मिलती है। वहीं कुंडली में शनि के कमजोर होने से बिजनेस में परेशानी, नौकरी का छूटना, अनचाही जगह पर ट्रांसफर, पदोन्नति में बाधा और कर्ज आदि समस्या आती हैं। यदि आप इस तरह की समस्या से परेशान हैं, तो आपको शनि ग्रह शांति के लिए उपाय अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इन कार्यों को करने से शनि देव से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव समाप्त होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े शनि ग्रह शांति के उपाय
शनि ग्रह शांति के लिये उपाय

काले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें।
मामा एवं बुजुर्ग लोगों का सम्मान करें।
कर्मचारिओं अथवा नौकरों को हमेशा ख़ुश रखें।
शराब एवं मांस का सेवन न करें।
रात को दूध न पिएँ।
शनिवार को रबर, लोहा से संबंधित चीज़ें न ख़रीदें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले शनि ग्रह के उपाय

शनि देव की पूजा करें।
श्री राधे-कृष्ण की आराधना करें।
हनुमान जी की पूजा करें।
कूर्म देव की पूजा करें।
शनिदेव के लिये व्रत

दंडाधिकारी शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का व्रत करके शनिदेव की विशेष पूजा, शनि प्रदोष व्रत, शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना आदि विधि विधान से करें।
शनि शांति के लिये दान करें

शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान शनिवार के दिन शनि की होरा एवं शनि ग्रह के नक्षत्रों (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद) में दोपहर अथवा शाम को करना चाहिए।

दान करने वाली वस्तुएँ- साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े आदि।
शनि के लिए रत्न

शनि के लिए नीलम रत्न को पहना जाता है। इस रत्न को मकर और कुंभ राशि के जातक धारण कर सकते हैं। यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है।
शनि यंत्र

जीवन में शांति, कार्य सिद्धि और समृद्धि के लिए शुभ शनि यंत्र की पूजा करें। शनि यंत्र को शनिवार के दिन शनि की होरा एवं शनि के नक्षत्र में धारण करें।
शनि के लिये जड़ी

शनि शांति के लिए बिच्छू जड़ अथवा धतूरे की जड़ को शनिवार के दिन शनि होरा अथवा शनि के नक्षत्र में धारण करें।
शनि के लिये रुद्राक्ष

शनि के लिये 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ हूं नमः।
ॐ ह्रां क्रीं ह्रीं सौं।।
शनि मंत्र

शनि दोष निवारण के लिए शनि बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः!

23000 बार इस शनि मंत्र का जाप करें। देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र का 92000 बार उच्चारण करना चाहिए।

शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं- ॐ शं शनिश्चरायै नमः!

इस आलेख में बताए गए शनि ग्रह शांति के उपाय बहुत ही कारगर हैं। यदि आप मजबूत शनि के उपाय विधि पूर्वक करते हैं तो आपको इससे बहुत लाभ प्राप्त होगा। यदि आप शनि बीज मंत्र का उच्चारण और शनि यंत्र की स्थापना के पश्चात पूजा करेंगे तो आप स्वयं में एक अद्भुत परिवर्तन का अनुभव करेंगे। विविध क्षेत्रों में आपको सफल परिणाम प्राप्त होंगे। शनि शांति के टोटके आपको शनि की बुरी नज़र से बचाएंगे।

ज्योतिष में शनि को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। परंतु इसके परिणाम सदैव बुरे नहीं होते हैं। यह जातकों को उनके कर्मों के आधार पर फल देता है। हालाँकि शनि की चाल बहुत धीमी है। इसलिए जातकों को इसके परिणाम देरी से प्राप्त होते हैं। शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। अतः इन राशियों के जातकों को शनि दोष के उपाय अवश्य करने चाहिए। यदि आपकी कुंडली में शनि उच्च का है तो भी आप शनि मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे शनि के शुभ फलों में वृद्धि होगी।

हम यह आशा करते हैं कि शनि ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
 

अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति विशिष्ट समस्या उत्पन्न कर रही है, तो कुंडली के आधार पर सटीक उपाय बताए जा सकते हैं।

शनि ग्रह से सम्बन्ध रखने वाले फल, सब्जी, वस्तु, पक्षी, पशु, रत्न, योग, मुद्रा, धातु, एक्यूपन्चर बिन्दु, मंत्र, तंत्र, यंत्र व अन्य गुप्त उपाय:-

शनि ग्रह कर्म, अनुशासन, धैर्य, न्याय और स्थिरता का कारक ग्रह है। यदि कुंडली में शनि कमजोर हो या अशुभ स्थिति में हो, तो जीवन में बाधाएँ, देरी, आर्थिक कठिनाइयाँ, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ आ सकती हैं। शनि को मजबूत करने के लिए नीचे दिए गए उपाय लाभकारी हो सकते हैं:


1. खाद्य पदार्थ (फल, सब्जी, अनाज, मसाले, पेय)

(क) फल:

  • काले अंगूर (Black Grapes)
  • जामुन (Black Plum)
  • अनार (Pomegranate)
  • अंजीर (Fig)
  • नारियल (Coconut)

(ख) सब्जियां:

  • बैंगन (Brinjal)
  • काली गाजर (Black Carrot)
  • शकरकंद (Sweet Potato)
  • भिंडी (Ladyfinger)
  • काले चने के अंकुरित दाने

(ग) अनाज:

  • काला तिल (Black Sesame)
  • जौ (Barley)
  • रागी (Ragi)
  • उड़द की दाल (Black Gram)

(घ) मसाले व पेय:

  • सरसों (Mustard)
  • अजवाइन (Carom Seeds)
  • काली मिर्च (Black Pepper)
  • नींबू पानी (Lemon Water)
  • तिल का तेल (Sesame Oil)

2. धातु एवं वस्त्र

  • धातु: लोहा (Iron), स्टील (Steel) और शीशा (Lead)
  • वस्त्र: काले, नीले और गहरे भूरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

3. रत्न एवं उपरत्न

  • मुख्य रत्न: नीलम (Blue Sapphire - 5 से 7 कैरेट)
  • उपरत्न: अमेथिस्ट (Amethyst), काला हकीक (Black Agate)
  • धारण करने की विधि: चाँदी या स्टील में बनवाकर शनिवार को धारण करें।

4. पक्षी एवं पशु

  • पक्षी: कौआ (Crow), कबूतर (Pigeon)
  • पशु: कछुआ (Tortoise), हाथी (Elephant), घोड़ा (Horse)

5. योग एवं मुद्रा

योग:

  • वज्रासन (Vajrasana)
  • शवासन (Shavasana)
  • प्राणायाम (कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी)

मुद्रा:

  • शून्य मुद्रा (Shunya Mudra)
  • प्राण मुद्रा (Prana Mudra)

6. एक्यूपंक्चर बिंदु (Acupressure Points)

  • हथेली: मध्यमा उंगली (Middle Finger) के नीचे दबाव दें।
  • पैर: एड़ी और तलवे के मध्य हल्का दबाव दें और मालिश करें।

7. मंत्र, तंत्र एवं यंत्र

(क) मंत्र:

ॐ शं शनैश्चराय नमः (108 बार जप करें)
"ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"

(ख) तंत्र:

  • शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • काले तिल और उड़द की दाल का दान करें।
  • शनि से जुड़े दीन-दुखियों, सफाई कर्मचारियों को भोजन कराएं।

(ग) यंत्र:

  • शनि यंत्र घर में स्थापित करें।
  • शनिवार को शनि यंत्र की पूजा करें।

8. अन्य गुप्त उपाय

  • शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
  • कौवे को गुड़-रोटी दें।
  • लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में धारण करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में लोहे का कोई सामान रखें।
  • रात्रि में पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें।
  • सात शनिवार तक काले तिल का दान करें।

    शनि ग्रह कर्म, अनुशासन, धैर्य, न्याय और स्थिरता का कारक ग्रह है। यदि कुंडली में शनि कमजोर हो या अशुभ स्थिति में हो, तो जीवन में बाधाएँ, देरी, आर्थिक कठिनाइयाँ, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ आ सकती हैं। शनि को मजबूत करने के लिए नीचे दिए गए उपाय लाभकारी हो सकते हैं:


    1. खाद्य पदार्थ (फल, सब्जी, अनाज, मसाले, पेय)

    (क) फल:

  • काले अंगूर (Black Grapes)
  • जामुन (Black Plum)
  • अनार (Pomegranate)
  • अंजीर (Fig)
  • नारियल (Coconut)

(ख) सब्जियां:

  • बैंगन (Brinjal)
  • काली गाजर (Black Carrot)
  • शकरकंद (Sweet Potato)
  • भिंडी (Ladyfinger)
  • काले चने के अंकुरित दाने

(ग) अनाज:

  • काला तिल (Black Sesame)
  • जौ (Barley)
  • रागी (Ragi)
  • उड़द की दाल (Black Gram)

(घ) मसाले व पेय:

  • सरसों (Mustard)
  • अजवाइन (Carom Seeds)
  • काली मिर्च (Black Pepper)
  • नींबू पानी (Lemon Water)
  • तिल का तेल (Sesame Oil)

2. धातु एवं वस्त्र

  • धातु: लोहा (Iron), स्टील (Steel) और शीशा (Lead)
  • वस्त्र: काले, नीले और गहरे भूरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

3. रत्न एवं उपरत्न

  • मुख्य रत्न: नीलम (Blue Sapphire - 5 से 7 कैरेट)
  • उपरत्न: अमेथिस्ट (Amethyst), काला हकीक (Black Agate)
  • धारण करने की विधि: चाँदी या स्टील में बनवाकर शनिवार को धारण करें।

4. पक्षी एवं पशु

  • पक्षी: कौआ (Crow), कबूतर (Pigeon)
  • पशु: कछुआ (Tortoise), हाथी (Elephant), घोड़ा (Horse)

5. योग एवं मुद्रा

योग:

  • वज्रासन (Vajrasana)
  • शवासन (Shavasana)
  • प्राणायाम (कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी)

मुद्रा:

  • शून्य मुद्रा (Shunya Mudra)
  • प्राण मुद्रा (Prana Mudra)

6. एक्यूपंक्चर बिंदु (Acupressure Points)

  • हथेली: मध्यमा उंगली (Middle Finger) के नीचे दबाव दें।
  • पैर: एड़ी और तलवे के मध्य हल्का दबाव दें और मालिश करें।

7. मंत्र, तंत्र एवं यंत्र

(क) मंत्र:

ॐ शं शनैश्चराय नमः (108 बार जप करें)
"ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"

(ख) तंत्र:

  • शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • काले तिल और उड़द की दाल का दान करें।
  • शनि से जुड़े दीन-दुखियों, सफाई कर्मचारियों को भोजन कराएं।

(ग) यंत्र:

  • शनि यंत्र घर में स्थापित करें।
  • शनिवार को शनि यंत्र की पूजा करें।

8. अन्य गुप्त उपाय

  • शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
  • कौवे को गुड़-रोटी दें।
  • लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में धारण करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में लोहे का कोई सामान रखें।
  • रात्रि में पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें।
  • सात शनिवार तक काले तिल का दान करें।
  •  
  • फल:

  • जामुन
  • काले अंगूर
  • आलूबुखारे

सब्जी:

  • बैंगन
  • प्याज
  • लहसुन

वस्तु:

  • काला तिल
  • उड़द की दाल
  • सरसों का तेल
  • लोहा
  • नीलम
  • काला कपड़ा

पक्षी:

  • कौवा
  • काला कबूतर

पशु:

  • भैंस
  • काला कुत्ता

रत्न:

  • नीलम (सबसे प्रभावशाली)
  • नीली
  • जमुनिया

योग:

  • शनि मंत्र का जाप
  • शनि स्तोत्र का पाठ
  • पीपल के पेड़ की पूजा
  • हनुमान जी की पूजा
  • भैरव जी की पूजा

मुद्रा:

  • शनि मुद्रा (मध्यमा अंगुली को अंगूठे के मूल में लगाकर बाकी अंगुलियों को सीधा रखें)

धातु:

  • लोहा

एक्यूपंक्चर बिन्दु:

  • पैर के बाहरी हिस्से पर स्थित बिंदु

मंत्र:

  • "ॐ प्रां प्रीं प्रूं सः शनैश्चराय नमः"

तंत्र:

  • शनि यंत्र की स्थापना और पूजा
  • काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करना

यंत्र:

  • शनि यंत्र

अन्य गुप्त उपाय:

  • शनिवार के दिन व्रत रखें
  • गरीबों को दान करें
  • जरूरतमंदों की मदद करें
  • अपने कर्मों को शुद्ध रखें
  • शनि देव के मंदिर में जाकर पूजा करें
  • शनि देव को तेल अर्पित करें
  • काले रंग के वस्त्र धारण करें
  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं
  • शनि के मंत्रों का जाप करें
  • शनि के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिषीय सलाह लें

विशेष:

  • शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने कर्मों को शुद्ध रखना और जरूरतमंदों की मदद करना।
  • इन उपायों के साथ-साथ, अपने जीवन में अनुशासन, ईमानदारी और न्याय को अपनाएं।
  • शनि ग्रह की शांति के लिए, आप ज्योतिषीय परामर्श भी ले सकते हैं।
  •  

#शुक्र ग्रह (#Venus) का #ज्योतिष में विशेष महत्व

#शुक्र ग्रह (#Venus) का #ज्योतिष में विशेष महत्व 

शुक्र ग्रह (Venus) का ज्योतिष में विशेष महत्व है। यह सौंदर्य, प्रेम, विलासिता, कला, संगीत, विवाह, भौतिक सुख-सुविधाओं और रोमांस का कारक ग्रह है। यह धन, वैवाहिक जीवन, और रचनात्मकता का भी प्रतीक है। कुंडली में शुक्र का प्रभाव और उसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन में इन पहलुओं को गहराई से प्रभावित करती है। नीचे शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्र, यंत्र, तंत्र, टोटके, और कुंडली में इसके विभिन्न भावों और राशियों में स्थित होने के प्रभाव का विस्तृत विवरण दिया गया है।


1. शुक्र ग्रह के मंत्र

शुक्र ग्रह के दोष निवारण और शुभ फलों को प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:

  • बीज मंत्र:
    ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
  • वेद मंत्र:
    हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवमुपमाह्यहम्॥
  • तांत्रिक मंत्र:
    ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः।
  • जाप संख्या: 16,000 बार (कमल गट्टे की माला से)।
  • जाप का समय: सुबह के समय, शुक्र ग्रह की होरा में।

2. शुक्र ग्रह यंत्र

  • यंत्र निर्माण का समय:
    शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त में, विशेषतः शुक्र नक्षत्र में।

  • यंत्र का स्वरूप:
    चांदी या तांबे की प्लेट पर शुक्र यंत्र बनवाएं।
    यंत्र का स्वरूप निम्न प्रकार हो सकता है:


    हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।

         स्नेहकाँक्षी परिवार :- #मधुकर, #किरन, #शिवाँशी, #लक्षिता 

    उक्त जगह पर तथा यंत्र के नीचे अपने परिवार का नाम लिखें

     

  • यंत्र स्थापना की विधि:

    • शुक्रवार को स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें।
    • यंत्र को गुलाबजल और गंगाजल से पवित्र करें।
    • इसे सफेद कपड़े पर स्थापित करें।
    • दीपक जलाएं और ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।

3. तांत्रिक उपाय (तंत्र)

  1. शुक्र ग्रह की शांति के लिए:
    • शुक्र ग्रह की हवन सामग्री में कपूर, चंदन, गुलाब की पंखुड़ियां और केसर का उपयोग करें।
    • हवन के दौरान "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।" मंत्र का जाप करें।
  2. विशेष उपाय:
    • शुक्रवार को गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
    • लक्ष्मीजी की पूजा करें और सफेद मिष्ठान्न चढ़ाएं।

4. शुक्र ग्रह से जुड़े टोटके

  1. विवाह में देरी के लिए:
    • हर शुक्रवार देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें।
    • कन्याओं को सफेद वस्त्र और मिष्ठान्न का दान करें।
  2. धन और भौतिक सुख के लिए:
    • शुक्रवार को कंजकों को खीर और मिश्री का प्रसाद बांटें।
  3. सौंदर्य और आकर्षण के लिए:
    • रोजाना तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।

5. कुंडली में शुक्र ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव

प्रत्येक भाव में शुक्र का प्रभाव

  1. प्रथम भाव (लग्न):
    • व्यक्ति आकर्षक, सौंदर्य-प्रेमी, और कला में रुचि रखने वाला होता है।
  2. द्वितीय भाव:
    • धन का योग बनता है। व्यक्ति की वाणी में मधुरता होती है।
  3. तृतीय भाव:
    • रचनात्मकता और कला क्षेत्र में सफलता।
  4. चतुर्थ भाव:
    • घर, वाहन, और सुख-सुविधा की प्राप्ति।
  5. पंचम भाव:
    • प्रेम संबंधों में सफलता और सृजनात्मकता में वृद्धि।
  6. षष्ठम भाव:
    • शुक्र कमजोर होता है; स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  7. सप्तम भाव:
    • विवाह और वैवाहिक जीवन में समृद्धि।
  8. अष्टम भाव:
    • गुप्त धन और अध्यात्म में रुचि।
  9. नवम भाव:
    • भाग्य और धर्म क्षेत्र में उन्नति।
  10. दशम भाव:
  • करियर में रचनात्मकता और भौतिक सुख।
  1. एकादश भाव:
  • धन वृद्धि और मित्रों से सहयोग।
  1. द्वादश भाव:
  • विदेश यात्रा, विलासिता और आध्यात्मिक विकास।

6. कुंडली में शुक्र की राशियों में स्थिति का प्रभाव

  1. मेष:
    • अधिक खर्च और भौतिक सुखों की कमी।
  2. वृषभ (मूल त्रिकोण):
    • अत्यधिक शुभ। व्यक्ति विलासप्रिय और धनी होता है।
  3. मिथुन:
    • संचार और रचनात्मकता में वृद्धि।
  4. कर्क:
    • परिवार और प्रेम में अस्थिरता।
  5. सिंह:
    • नेतृत्व क्षमता और कला में रुचि।
  6. कन्या (नीच का शुक्र):
    • वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
  7. तुला (स्वग्रही):
    • अत्यंत शुभ। व्यक्ति सभी भौतिक सुखों का अनुभव करता है।
  8. वृश्चिक:
    • गुप्त प्रेम संबंध और संघर्ष।
  9. धनु:
    • धार्मिक कार्यों में रुचि।
  10. मकर:
  • व्यावसायिक सफलता।
  1. कुंभ:
  • व्यक्ति कलात्मक और दूरदर्शी होता है।
  1. मीन (उच्च का शुक्र):
  • अत्यंत शुभ। व्यक्ति कला और धन के क्षेत्र में सफल होता है।

7. शुक्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति और प्रभाव

  1. सूर्य के साथ:
    • व्यक्ति रचनात्मक और भौतिकवादी होता है।
  2. चंद्रमा के साथ:
    • सौंदर्य, प्रेम और भावनात्मक आकर्षण।
  3. मंगल के साथ:
    • वाणी में तेज, लेकिन वैवाहिक जीवन में संघर्ष।
  4. बुध के साथ:
    • कला और लेखन में निपुणता।
  5. गुरु के साथ:
    • धन और आध्यात्मिकता का संतुलन।
  6. शनि के साथ:
    • विलासिता और अनुशासन का मिश्रण।
  7. राहु/केतु के साथ:
    • भौतिक सुख और मानसिक भ्रम।

8. शुक्र ग्रह के कमजोर होने के लक्षण

  • वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
  • भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी।
  • सौंदर्य और आकर्षण में कमी।
  • आर्थिक समस्याएं।

9. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय

  1. रत्न:
    • हीरा या ओपल (पंचधातु या चांदी में, मध्यमा अंगुली में पहनें)।
  2. दान:
    • सफेद चंदन, चावल, चीनी, और मिश्री का दान करें।
  3. व्रत:
    • हर शुक्रवार को व्रत रखें।
  4. सफेद वस्त्र:
    • सफेद कपड़े पहनें और दान करें।

  शुक्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को लाभदाता ग्रह कहा जाता है। यह प्रेम, जीवनसाथी, सांसारिक वैभव, प्रजनन और कामुक विचारों का कारक है। शुक्र ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन्हें जीवन में भौतिक संसाधनों का आनंद प्राप्त होता है। वहीं कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर होने से आर्थिक कष्ट, स्त्री सुख में कमी, डायबिटीज़ और सांसारिक सुखों में कमी आने लगती है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह शांति के लिए दान, पूजा-पाठ और रत्न धारण किये जाते हैं। शुक्र से जुड़े इन उपायों में शुक्रवार का व्रत, दुर्गाशप्तशी का पाठ, चावल और श्वेत वस्त्र का दान आदि करने का विधान है। अगर आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो उन उपायों को अवश्य करें। इन कार्यों को करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव दूर होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े शुक्र ग्रह शांति के उपाय
शुक्र ग्रह शांति के लिये उपाय

चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें।
प्रियतम एवं अन्य महिलाओं का सम्मान करें। यदि आप पुरुष हैं तो अपनी पत्नी का आदर करें।
कलात्मक क्रियाओं का विकास करें।
चरित्रवान बनें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले शुक्र ग्रह के उपाय

माँ लक्ष्मी अथवा जगदम्बे माँ की पूजा करें।
भगवान परशुराम की आराधना करें।
श्री सूक्त का पाठ करें।
शुक्र के लिये व्रत

अशुभ शुक्र की शांति के लिए शुक्रवार के दिन उपवास रखें।
शुक्र शांति के लिये दान करें

पीड़ित शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा एवं इसके नक्षत्रों (भरानी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा) के समय दान करना चाहिए।

दान करने वाली वस्तुएँ- दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि।
शुक्र के लिए रत्न

शुक्र ग्रह के लिए हीरा धारण किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार वृषभ और तुला दोनों शुक्र की राशि हैं। अतः इन राशि के जातकों के लिए हीरा पहनना शुभ होता है।
शुक्र यंत्र

शुक्र यंत्र की पूजा से प्रेम जीवन, व्यापार और धनलाभ में वृद्धि होती है। शुक्र यंत्र को शुक्रवार को शुक्र की होरा एवं शुक्र के नक्षत्र के समय धारण करें।
शुक्र ग्रह के लिये जड़ी

शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अरंड मूल अथवा सरपंखा मूल धारण करें। अरंड मूल/सरपंखा मूल को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा अथवा शुक्र के नक्षत्र में धारण किया जा सकता है।
शुक्र के लिये रुद्राक्ष

शुक्र के लिये 6 मुखी रुद्राक्ष / 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ रं मं यं ॐ।
शुक्र मंत्र

जीवन में आर्थिक संपन्नता, प्रेम और आकर्षण में बढ़ोत्तरी के लिए शुक्र बीज मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः" का उच्चारण करना चाहिए।

इस मंत्र को कम से कम 16000 बार उच्चारण करना चाहिए और देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को 64000 बार जपने के लिए कहा गया है।

आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ शुं शुक्राय नमः।

वैदिक ज्योतिष में दिए गए शुक्र शांति के उपाय को नियम के अनुसार करने से जातकों को भौतिक सुखों का आनंद प्राप्त होता है। इसके साथ ही जातकों के जीवन में ऐश्वर्य, धन, एवं समृद्धि का आगमन होता है और व्यक्ति के कलात्मक गुणों का विकास होता है। चूंकि ज्योतिष में शुक्र का संबंध कला से जोड़ा गया है। अतः जो व्यक्ति कला की विभिन्न विधाओं से जुड़ा है तो ऐसे लोगों को शुक्र दोष के उपाय करने चाहिए। इससे उन्हें इस क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होगी। इस आलेख में मजबूत शुक्र के टोटके बहुत ही सरल रूप में बताए गए हैं जिन्हें आप आसानी से कर सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला का स्वामी कहा जाता है। अर्थात इन राशियों के जातकों को शुक्र ग्रह के आसान उपाय करने चाहिए। शास्त्रो में कहा गया है कि शुक्र ग्रह माँ लक्ष्मी जी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जो व्यक्ति शुक्र व्रत का पालन करता है उसे माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
शुक्र को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैवैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।

ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रूपरेखा एवं स्वभाव - हिन्दू ज्योतिष में शुक्र ग्रह जिस व्यक्ति के लग्न भाव में होता है वह जातक रूप-रंग से सुंदर होता है। उसका व्यक्तित्व विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। शुक्र के प्रभाव से वह दीर्घायु होता है और स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है। लग्न में शुक्र व्यक्ति को गायन, वादन, नृत्य, चित्र कला के प्रति रूचि पैदा कराता है। शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति काम-वासना, भोग विलास संबंधी चीज़ों को अधिक प्राथमिकता देता है। जिस जातक की कुंडली में शुक्र प्रथम भाव में स्थित होता है वह चित्रकार, गायक, नर्तक, कलाकार, अभिनेता आदि बनता है।

बली शुक्र - बली शुक्र व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को सुखी बनाता है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है। वहीं प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस में वृद्धि करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होता है वह व्यक्ति जीवन में भौतिक सुखों का आनंद लेता है। बली शुक्र के कारण व्यक्ति साहित्य एवं कला में रुचि लेता है।

पीड़ित शुक्र - पीड़ित शुक्र के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ आती हैं। पती-पत्नि के बीच मतभेद होते हैं। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है और वह भौतिक सुखों के अभाव में जीता है। यदि जन्म कुंडली में शुक्र कमज़ोर होता है तो जातक को कई प्रकार की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। पीड़ित शुक्र के प्रभाव से बचने के लिए जातकों को शुक्र ग्रह के उपाय करने चाहिए।

रोग - कमज़ोर शुक्र के कारण जातक की कामुक शक्ति कमज़ोर होती है। इसके प्रभाव से व्यक्तियों को किडनी से संबंधित बीमारी होने का ख़तरा रहता है। व्यक्ति को आँखों से सबंधित वहीं स्त्री जातकों के लिए शुक्र गर्भपात का कारण बनता है।

कार्यक्षेत्र - ज्योतिष में शुक्र ग्रह कोरियोग्राफी, संगीतकार, पेंटर, फैशन, डिज़ाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, कपड़ा संबंधी व्यवसाय, होटल, रेस्ट्रोरेंट, टूर एंड ट्रेवल, थिएटर, साहित्यकार, फिल्म इंडस्ट्री आदि कार्यक्षेत्र को दर्शाता है।

उत्पाद - ज्योतिष में शुक्र ग्रह सौन्दर्य उत्पाद, विद्युत उत्पाद, फैन्सी प्रोडक्ट्स, इत्र, कन्फेक्शनरी, फूल, चीनी, कार, शिप, हवाई जहाज़, पेट्रोल आदि वस्तुओं को दर्शाता है।

स्थान - शयन कक्ष, सिनेमा, बगीचा, बैंकेट हॉल, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, बंदरगाह, हवाई हड्डा, खादानें, देह व्यापार क्षेत्र आदि

जानवर व पक्षी - बकरी, बैल, बत्तक, चिड़िया, तेंदुआ आदि।

जड़ी - अरंड मूल।

रत्न - हीरा।

रुद्राक्ष - छः मुखी रुद्राक्ष।

रंग - गुलाबी।

यंत्र - शुक्र यंत्र।

शुक्र ग्रह के मंत्र -
शुक्र का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।

शुक्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः

शुक्र का बीज मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
धार्मिक दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शुक्र ग्रह असुरों के गुरू हैं इसलिए इन्हें शुक्राचार्य भी कहा जाता है। भागवत पुराण में लिखा गया है कि शुक्र महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं और बचपन में इन्हें कवि या भार्गव नाम से भी जाना जाता था। शास्त्रों में शुक्र देव के रूप का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है - शुक्र श्वेत वर्ण के हैं और ऊँट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार होते हैं। इनके हाथों में दण्ड, कमल, माला और धनुष-बाण भी है। शुक्र ग्रह का संबंध धन की देवी माँ लक्ष्मी जी से है, इसलिए हिन्दू धर्म के अनुयायी धन-वैभव और ऐश्वर्य की कामना के लिए शुक्रवार के दिन व्रत धारण करते हैं।

खगोलीय दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
खगोल विज्ञान के अनुसार, शुक्र एक चमकीला ग्रह है। अंग्रेज़ी में इसे वीनस के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थलीय ग्रह है। शुक्र आकार तथा दूरी में पृथ्वी के निकटतम है। कई बार इसे पृथ्वी की बहन भी कहते हैं। इस ग्रह के वायु मंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई ऑक्साइड गैस भरी हुई है। इस ग्रह से संबंधित दिलचस्प बात यह है कि शुक्र सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए सबसे तेज़ चमकता है। इसी कारण इसे भोर का तारा या सांझ का तारा कहा जाता है।

इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि खगोलीय और धार्मिक दृष्टि के साथ साथ ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित 12 भाव उसके संपूर्ण जीवन को दर्शाते हैं और जब उन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति के जीवन में उसका असर भी दिखाई देता है।

हम यह आशा करते हैं कि शुक्र ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।

आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह की विशेष स्थिति का विश्लेषण करके और अधिक सटीक उपाय सुझाए जा सकते हैं।

शुक्र ग्रह से सम्बन्ध रखने वाले फल, सब्जी, वस्तु, पक्षी, पशु, रत्न, योग, मुद्रा, धातु, एक्यूपन्चर बिन्दु, मंत्र, तंत्र, यंत्र व अन्य गुप्त उपाय:-

शुक्र ग्रह भौतिक सुख, सौंदर्य, ऐश्वर्य, प्रेम, कला, विवाह, संगीत और आनंद का कारक ग्रह है। यदि कुंडली में शुक्र कमजोर हो तो व्यक्ति को दांपत्य जीवन, वित्तीय स्थिरता, वैवाहिक सुख और शारीरिक आकर्षण से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शुक्र को बलशाली बनाने के लिए नीचे दिए गए उपाय लाभकारी हो सकते हैं:


1. खाद्य पदार्थ (फल, सब्जी, अनाज, मसाले, पेय)

(क) फल:

  • अनार (Pomegranate)
  • केला (Banana)
  • चीकू (Sapota)
  • स्ट्रॉबेरी (Strawberry)
  • नारियल (Coconut)

(ख) सब्जियां:

  • शकरकंद (Sweet Potato)
  • लौकी (Bottle Gourd)
  • टमाटर (Tomato)
  • फूलगोभी (Cauliflower)

(ग) अनाज:

  • चावल (Rice)
  • सफेद तिल (White Sesame)
  • गेहूं (Wheat)
  • दूध से बनी चीजें (दूध, दही, मक्खन)

(घ) मसाले व पेय:

  • इलायची (Cardamom)
  • केसर (Saffron)
  • मिश्री (Rock Sugar)
  • गुलाब जल (Rose Water)
  • मीठे पेय (Milkshake, Fruit Juice)

2. धातु एवं वस्त्र

  • धातु: चाँदी (Silver) और प्लेटिनम (Platinum)
  • वस्त्र: सफेद, गुलाबी, हल्के नीले और क्रीम रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

3. रत्न एवं उपरत्न

  • मुख्य रत्न: हीरा (Diamond - 0.5 से 1 कैरेट)
  • उपरत्न: ओपल (Opal), जिरकॉन (Zircon) या सफेद टोपाज़ (White Topaz)
  • धारण करने की विधि: चाँदी या प्लेटिनम में बनवाकर शुक्रवार को धारण करें।

4. पक्षी एवं पशु

  • पक्षी: हंस (Swan), कबूतर (Pigeon)
  • पशु: गाय (Cow), घोड़ा (Horse)

5. योग एवं मुद्रा

योग:

  • भद्रासन (Bhadrasana)
  • सुप्त बद्धकोणासन (Supta Baddha Konasana)
  • विपरीत करणी मुद्रा (Viparita Karani)

मुद्रा:

  • शक्ति मुद्रा (Shakti Mudra)
  • अपान मुद्रा (Apana Mudra)

6. एक्यूपंक्चर बिंदु (Acupressure Points)

  • हाथ: अनामिका उंगली (Ring Finger) के नीचे दबाव दें।
  • पैर: एड़ी के पास हल्का दबाव दें और मालिश करें।

7. मंत्र, तंत्र एवं यंत्र

(क) मंत्र:

ॐ शुं शुक्राय नमः (108 बार जप करें)
"ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः"

(ख) तंत्र:

  • शुक्रवार को चाँदी का दान करें।
  • सफेद गाय को रोटी खिलाएं।
  • गरीब कन्याओं को सुहाग सामग्री दें।

(ग) यंत्र:

  • शुक्र यंत्र घर में स्थापित करें।
  • शुक्र यंत्र को चाँदी के ताबीज में पहनें।

8. अन्य गुप्त उपाय

  • शुक्रवार के दिन सुगंधित इत्र (Perfume) का प्रयोग करें।
  • घर में ताजे फूल (गुलाब, चमेली) लगाएं।
  • संगीत, नृत्य, चित्रकला, फैशन, सुंदरता से जुड़े कार्यों में रुचि लें।
  • घर के उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) में क्रिस्टल बॉल या चाँदी का शोपीस रखें।
  • रात्रि में चंद्रमा को दूध मिश्रित जल अर्पित करें।
  • शुक्र से जुड़े देवी-देवताओं जैसे लक्ष्मी जी और संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।

 

शुक्र ग्रह को प्रबल बनाने के उपाय:

शुक्र ग्रह को प्रबल बनाने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं:

फल:

  • केला
  • संतरा
  • नींबू
  • अनार

सब्जी:

  • कद्दू
  • खीरा
  • परवल

वस्तु:

  • चावल
  • चीनी
  • मिश्री
  • सफेद वस्त्र
  • चांदी
  • हीरा
  • मोती

पक्षी:

  • कबूतर

पशु:

  • गाय

रत्न:

  • हीरा (सबसे प्रभावशाली)
  • जिरकॉन
  • स्फटिक

योग:

  • शुक्र मंत्र का जाप
  • शुक्र स्तोत्र का पाठ
  • लक्ष्मी जी की पूजा

मुद्रा:

  • शुक्र मुद्रा (अंगूठे को अनामिका अंगुली के मूल में लगाकर बाकी अंगुलियों को सीधा रखें)

धातु:

  • चांदी

एक्यूपंक्चर बिन्दु:

  • पैर के अंगूठे के नीचे स्थित बिंदु

मंत्र:

  • "ॐ द्रां द्रीं द्रूं सः शुक्राय नमः"

तंत्र:

  • शुक्र यंत्र की स्थापना और पूजा
  • सफेद रंग का धागा धारण करना

यंत्र:

  • शुक्र यंत्र

अन्य गुप्त उपाय:

  • शुक्रवार के दिन व्रत रखें
  • गरीबों को दान करें
  • जरूरतमंदों की मदद करें
  • अपने जीवन में सौंदर्य, कला और प्रेम को महत्व दें
  • शुक्र देव के मंदिर में जाकर पूजा करें
  • शुक्र देव को सफेद वस्तुएं अर्पित करें
  • सफेद रंग के वस्त्र धारण करें
  • गुलाब के फूल की पूजा करें
  • शुक्र के मंत्रों का जाप करें
  • शुक्र के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिषीय सलाह लें

विशेष:

  • शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने जीवन में सौंदर्य, कला और प्रेम को महत्व देना और जरूरतमंदों की मदद करना।
  • इन उपायों के साथ-साथ, अपने जीवन में सुख, समृद्धि और विलासिता को अपनाएं।
  • शुक्र ग्रह की शांति के लिए, आप ज्योतिषीय परामर्श भी ले सकते हैं।

#योग के प्रकार महत्त्व एवं इनके द्वारा जीवन विकास

योग के प्रकार महत्त्व एवं इनके द्वारा जीवन विकास 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ योग का वर्णन वेदों में, फिर उपनिषदों में और फिर गीता में...