शनि ग्रह (Saturn) #ज्योतिष में विशेष महत्व
शनि ग्रह (Saturn) ज्योतिष में कर्म, अनुशासन, न्याय, और संघर्ष का कारक है। इसे धीमी गति से फल देने वाला ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है। यदि शनि शुभ स्थिति में हो तो यह स्थिरता, समृद्धि, और धैर्य देता है, जबकि अशुभ स्थिति में यह बाधाएं, रोग, और मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकता है। शनि से संबंधित मंत्र, यंत्र, तंत्र, टोटके, और कुंडली में इसके प्रभाव का विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है:
1. शनि ग्रह के मंत्र
शनि के दोषों को शांत करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:
- बीज मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- वेद मंत्र:
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
- तांत्रिक मंत्र:
ॐ ह्रीं शं शनैश्चराय नमः।
- जाप संख्या:
23,000 बार (रुद्राक्ष माला से)। - जाप का समय:
शनिवार, सूर्यास्त के बाद।
2. शनि ग्रह यंत्र
शनि ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि यंत्र का निर्माण और पूजा करें।
- यंत्र निर्माण का समय:
शनिवार के दिन, शुभ मुहूर्त में। - यंत्र का स्वरूप:
चांदी, तांबा, या भुर्जपत्र पर निम्नलिखित यंत्र बनाएं:हे महाबली देवी - देवता मेरी व मेरी पत्नी एवं पुत्रियों हमारी सहित रक्षा एवं सुरक्षा करते हुये हमारे धन-सम्पत्ति, सौभाग्य में वृद्धि करें हम लोगों के माध्यम से पुण्य कर्म, देव कर्म करायें और हमारे माध्यम से सुख शान्ती का भोग करें, इसके लिए हम लोगो को बुद्धि विद्या बल एवं धन-सम्पत्ति से सम्पन्न करें।
स्नेहकाँक्षी परिवार :- #मधुकर, #किरन, #शिवाँशी, #लक्षिता
उक्त जगह पर तथा यंत्र के नीचे अपने परिवार का नाम लिखें
- स्थापना की विधि:
- यंत्र को शुद्ध जल, गंगाजल, और पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसे नीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
मंत्र का जाप करें।
3. तांत्रिक उपाय (तंत्र)
- शनि ग्रह की शांति के लिए:
- शनि दोष शांति यज्ञ कराएं।
- हवन सामग्री में काले तिल, सरसों का तेल, गुड़, और लोहे के टुकड़ों का उपयोग करें।
- विशेष तांत्रिक उपाय:
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करते हुए शनि को तेल अर्पित करें।
4. शनि ग्रह से जुड़े टोटके
- साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए:
- काले तिल, सरसों का तेल, और लोहे की वस्तु का दान करें।
- स्वास्थ्य सुधार के लिए:
- प्रतिदिन "हनुमान चालीसा" का पाठ करें।
- शनिवार को बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं।
- धन और नौकरी में बाधा दूर करने के लिए:
- हर शनिवार काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करें।
- विवाह में देरी के लिए:
- शनि स्तोत्र का पाठ करें और काले तिल का दीपक जलाएं।
5. कुंडली में शनि ग्रह का विभिन्न भावों में प्रभाव
प्रत्येक भाव में शनि का प्रभाव:
- प्रथम भाव (लग्न):
- गंभीर और अनुशासित स्वभाव, लेकिन जीवन में संघर्ष।
- द्वितीय भाव:
- धन संचय में बाधा; वाणी कठोर हो सकती है।
- तृतीय भाव:
- साहस, परिश्रम, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
- चतुर्थ भाव:
- माता से संबंध में दूरी, लेकिन स्थायी संपत्ति का लाभ।
- पंचम भाव:
- शिक्षा में बाधा, लेकिन गहराई से अध्ययन में रुचि।
- षष्ठम भाव:
- शत्रु और रोगों पर विजय।
- सप्तम भाव:
- वैवाहिक जीवन में देरी या संघर्ष।
- अष्टम भाव:
- गुप्त ज्ञान, शोध, और अचानक लाभ।
- नवम भाव:
- भाग्य में देरी, लेकिन धार्मिक कार्यों में रुचि।
- दशम भाव:
- करियर में सफलता, विशेष रूप से लोहे, तेल, या न्याय के क्षेत्र में।
- एकादश भाव:
- आर्थिक लाभ और स्थायी आय।
- द्वादश भाव:
- व्यय और मानसिक तनाव में वृद्धि।
6. शनि ग्रह की राशियों में स्थिति का प्रभाव
- मेष:
- संघर्ष और मानसिक तनाव।
- वृषभ:
- स्थिरता और धन का योग।
- मिथुन:
- बुद्धिमत्ता और परिश्रम में वृद्धि।
- कर्क:
- मानसिक अस्थिरता और पारिवारिक समस्याएं।
- सिंह:
- नेतृत्व क्षमता, लेकिन संघर्ष।
- कन्या:
- नौकरी और स्वास्थ्य में सफलता।
- तुला (मूल त्रिकोण):
- अत्यंत शुभ; स्थायी लाभ और समृद्धि।
- वृश्चिक:
- साहस और मानसिक ताकत।
- धनु:
- धार्मिक प्रवृत्ति और स्थिरता।
- मकर (स्वग्रही):
- मेहनत से सफलता।
- कुंभ (मूल त्रिकोण):
- समाज में प्रतिष्ठा और धन।
- मीन:
- आध्यात्मिकता और व्यय।
7. शनि ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति और प्रभाव
- सूर्य के साथ:
- पिता से तनाव; आत्मविश्वास में कमी।
- चंद्रमा के साथ:
- मानसिक अस्थिरता।
- मंगल के साथ:
- दुर्घटनाओं और संघर्ष का योग।
- बुध के साथ:
- तर्क और व्यवसाय में सफलता।
- गुरु के साथ:
- धन और धार्मिक कार्यों में प्रगति।
- शुक्र के साथ:
- विलासिता और सुख-सुविधाओं का लाभ।
- राहु/केतु के साथ:
- मानसिक भ्रम और अचानक लाभ या हानि।
8. शनि ग्रह के कमजोर होने के लक्षण
- जीवन में बार-बार असफलता।
- नौकरी या व्यवसाय में बाधा।
- स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे जोड़ों का दर्द।
- मानसिक तनाव और अकेलापन।
9. शनि ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- रत्न:
- नीलम (ब्लू सफायर) पंचधातु या चांदी में पहनें।
- धारण मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- दान:
- काले तिल, काले कपड़े, और सरसों का तेल दान करें।
- व्रत:
- शनिवार को उपवास रखें।
- हनुमान पूजा:
- नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- पीपल की पूजा:
- शनिवार को पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें।
ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व
शनि को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैवैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।
समाज में शनि ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। लोग इसके नाम से भयभीत होने लगते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है परंतु यह पीड़ित होने पर ही जातकों को नकारात्मक फल देता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो तो वह उसे रंक से राज बना सकता है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।
ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
शारीरिक रूप रेखा - ज्योतिष में शनि ग्रह को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह लग्न भाव में होता है तो सामान्यतः अनुकूल नहीं माना जाता है। लग्न भाव में शनि जातक को आलसी, सुस्त और हीन मानसिकता का बनाता है। इसके कारण व्यक्ति का शरीर व बाल खुश्क होते हैं। शरीर का वर्ण काला होता है। हालाँकि व्यक्ति गुणवान होता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति एकान्त में रहना पसंद करेगा।
बली शनि - ज्योतिष में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि तुला राशि में शनि उच्च का होता है। यहाँ शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है। इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता प्रदान मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान बनाता है और जीवन में स्थिरता बनाए रखता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की उम्र में वृद्धि होती है।
पीड़ित शनि - वहीं पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करता है। यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातकों के लिए दुर्घटना और कारावास जैसी परिस्थितियों का योग बनाता है। इस दौरान जातकों को शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि के उपाय करना चाहिए।
रोग - ज्योतिष में शनि ग्रह को कैंसर, पैरालाइसिस, जुक़ाम, अस्थमा, चर्म रोग, फ्रैक्चर आदि बीमारियों का जिम्मेदार माना जात है।
कार्यक्षेत्र - ऑटो मोबाईल बिजनेस, धातु से संबंधित व्यापार, इंजीनियरिंग, अधिक परिश्रम करने वाले कार्य आदि कार्यक्षेत्रों को ज्योतिष में शनि ग्रह के द्वारा दर्शाया गया है।
उत्पाद - मशीन, चमड़ा, लकड़ी, आलू, काली दाल, सरसों का तेल, काली वस्तुएँ, लोहा, कैमिकल प्रॉडक्ट्स, ज्वलनशील पदार्थ, कोयला, प्राचीन वस्तुएँ आदि का संबंध ज्योतिष में शनि ग्रह से है।
स्थान - फैक्टी, कोयला की खान, पहाड़, जंगल, गुफाएँ, खण्डहर, चर्च, मंदिर, कुंआ, मलिन बस्ती और मलिन जगह का संबंध शनि ग्रह से है।
जानवर तथा पशु-पक्षी - ज्योतिष में शनि ग्रह बिल्ली, गधा, खरगोश, भेड़िया, भालू, मगरमच्छ, साँप, विषैले जीव, भैंस, ऊँट जैसे जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है। यह समुद्री मछली, चमगादड़ और उल्लू जैसे पक्षियों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
जड़ी - धतूरे की जड़ का संबंध शनि ग्रह से है।
रत्न - नीलम रत्न शनि ग्रह की शांति के लिए धारण किया जाता है।
रुद्राक्ष - सात मुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह के लिए धारण किया जाता है।
यंत्र - शनि यंत्र।
मंत्र -
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
धार्मिक दृष्टि से शनि ग्रह का महत्व
हिन्दू धर्म में शनि ग्रह शनि देव के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक शास्त्रों में शनि को सूर्य देव का पुत्र माना गया है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है कि सूर्य ने श्याम वर्ण के कारण शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। तभी से शनि सूर्य से शत्रु का भाव रखते हैं। हाथी, घोड़ा, मोर, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा, गिद्ध और काैआ शनि की सवारी हैं। शनि इस पृथ्वी में सामंजस्य को बनाए रखता है और जो व्यक्ति के बुरे कर्म करता है वह उसको दण्डित करता है। हिन्दू धर्म में शनिवार के दिन लोग शनि देव की आराधना में व्रत धारण करते हैं तथा उन्हें सरसों का तेल अर्पित करते हैं।
खगोलीय दृष्टि से शनि ग्रह का महत्व
खगोल विज्ञान के अनुसार शनि एक ऐसा ग्रह है जिसके चारो ओर वलय (छल्ला) हैं। यह सूर्य से छठा तथा सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह पीले रंग का ग्रह। शनि के वायुमंडल में लगभग 96 प्रतिशत हाइड्रोजन और 3 प्रतिशत हीलियम गैस है। खगोल शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह के छल्ले पर सैकड़ों प्राकृतिक उपग्रह स्थित हैं। हालाँकि आधिकारिक रूप से इसके 53 उपग्रह हैं।
शनि ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को क्रूर ग्रह बताया जाता है, लेकिन शनि शत्रु नहीं बल्कि मित्र है। शनि देव कलयुग के न्यायाधीश हैं और लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि ग्रह शांति के लिए कई उपाय किये जाते हैं। इनमें शनिवार का व्रत, हनुमान जी की आराधना, शनि मंत्र, शनि यंत्र, छायापात्र दान करना आदि प्रमुख उपाय हैं। शनि कर्म भाव का स्वामी है इसलिए शनि के शुभ प्रभाव से नौकरी और व्यवसाय में तरक्की मिलती है। वहीं कुंडली में शनि के कमजोर होने से बिजनेस में परेशानी, नौकरी का छूटना, अनचाही जगह पर ट्रांसफर, पदोन्नति में बाधा और कर्ज आदि समस्या आती हैं। यदि आप इस तरह की समस्या से परेशान हैं, तो आपको शनि ग्रह शांति के लिए उपाय अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इन कार्यों को करने से शनि देव से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव समाप्त होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े शनि ग्रह शांति के उपाय
शनि ग्रह शांति के लिये उपाय
काले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें।
मामा एवं बुजुर्ग लोगों का सम्मान करें।
कर्मचारिओं अथवा नौकरों को हमेशा ख़ुश रखें।
शराब एवं मांस का सेवन न करें।
रात को दूध न पिएँ।
शनिवार को रबर, लोहा से संबंधित चीज़ें न ख़रीदें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले शनि ग्रह के उपाय
शनि देव की पूजा करें।
श्री राधे-कृष्ण की आराधना करें।
हनुमान जी की पूजा करें।
कूर्म देव की पूजा करें।
शनिदेव के लिये व्रत
दंडाधिकारी शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का व्रत करके शनिदेव की विशेष पूजा, शनि प्रदोष व्रत, शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना आदि विधि विधान से करें।
शनि शांति के लिये दान करें
शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान शनिवार के दिन शनि की होरा एवं शनि ग्रह के नक्षत्रों (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद) में दोपहर अथवा शाम को करना चाहिए।
दान करने वाली वस्तुएँ- साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े आदि।
शनि के लिए रत्न
शनि के लिए नीलम रत्न को पहना जाता है। इस रत्न को मकर और कुंभ राशि के जातक धारण कर सकते हैं। यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है।
शनि यंत्र
जीवन में शांति, कार्य सिद्धि और समृद्धि के लिए शुभ शनि यंत्र की पूजा करें। शनि यंत्र को शनिवार के दिन शनि की होरा एवं शनि के नक्षत्र में धारण करें।
शनि के लिये जड़ी
शनि शांति के लिए बिच्छू जड़ अथवा धतूरे की जड़ को शनिवार के दिन शनि होरा अथवा शनि के नक्षत्र में धारण करें।
शनि के लिये रुद्राक्ष
शनि के लिये 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ हूं नमः।
ॐ ह्रां क्रीं ह्रीं सौं।।
शनि मंत्र
शनि दोष निवारण के लिए शनि बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः!
23000 बार इस शनि मंत्र का जाप करें। देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र का 92000 बार उच्चारण करना चाहिए।
शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं- ॐ शं शनिश्चरायै नमः!
इस आलेख में बताए गए शनि ग्रह शांति के उपाय बहुत ही कारगर हैं। यदि आप मजबूत शनि के उपाय विधि पूर्वक करते हैं तो आपको इससे बहुत लाभ प्राप्त होगा। यदि आप शनि बीज मंत्र का उच्चारण और शनि यंत्र की स्थापना के पश्चात पूजा करेंगे तो आप स्वयं में एक अद्भुत परिवर्तन का अनुभव करेंगे। विविध क्षेत्रों में आपको सफल परिणाम प्राप्त होंगे। शनि शांति के टोटके आपको शनि की बुरी नज़र से बचाएंगे।
ज्योतिष में शनि को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। परंतु इसके परिणाम सदैव बुरे नहीं होते हैं। यह जातकों को उनके कर्मों के आधार पर फल देता है। हालाँकि शनि की चाल बहुत धीमी है। इसलिए जातकों को इसके परिणाम देरी से प्राप्त होते हैं। शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। अतः इन राशियों के जातकों को शनि दोष के उपाय अवश्य करने चाहिए। यदि आपकी कुंडली में शनि उच्च का है तो भी आप शनि मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे शनि के शुभ फलों में वृद्धि होगी।
हम यह आशा करते हैं कि शनि ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति विशिष्ट समस्या उत्पन्न कर रही है, तो कुंडली के आधार पर सटीक उपाय बताए जा सकते हैं।
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