मंगलवार, 21 मार्च 2023

क्या_पुराने_युगों_की_या_भ, #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

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शनिवार, 18 मार्च 2023

श्री_राम_चन्द्र_जी_का_जीवन #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन #श्रीरामचरित्रमानस



*श्रीरामचरित्रमानस के सात काण्ड मानव की उन्नति के सात सोपान:-*

*१) बालकाण्ड –*

बालक प्रभु को प्रिय है क्योंकि उसमेँ छल, कपट, नहीं होता विद्या, धन एवं प्रतिष्ठा बढ़ने पर भी जो अपना हृदय निर्दोष निर्विकारी बनाये रखता है, उसी को भगवान प्राप्त होते है। बालक जैसा निर्दोष निर्विकारी दृष्टि रखने पर ही राम के स्वरुप को पहचान सकते है। जीवन मेँ सरलता का आगमन संयम एवं ब्रह्मचर्य से होता है। बालक की भाँति अपने मान अपमान को भूलने से जीवन मेँ सरलता आती है बालक के समान निर्मोही एवं निर्विकारी बनने पर शरीर अयोध्या बनेगा। जहाँ युद्ध, वैर, ईर्ष्या नहीँ है, वही अयोध्या है।

*२) अयोध्याकाण्ड –*

यह काण्ड मनुष्य को निर्विकार बनाता है। जब जीव भक्ति रुपी सरयू नदी के तट पर हमेशा निवास करता है, तभी मनुष्य निर्विकारी बनता है। भक्ति अर्थात् प्रेम, अयोध्याकाण्ड प्रेम प्रदान करता है। राम का भरत प्रेम, राम का सौतेली माता से प्रेम आदि, सब इसी काण्ड मेँ है। राम की निर्विकारिता इसी मेँ दिखाई  देती है। अयोध्याकाण्ड का पाठ करने से परिवार मेँ प्रेम बढ़ता है। उसके घर मेँ लड़ाई झगड़े नहीँ होते। उसका घर अयोध्या बनता है। कलह का मूल कारण धन एवं प्रतिष्ठा है। अयोध्याकाण्ड का फल निर्वैरता है। सबसे पहले अपने घर की ही सभी प्राणियोँ मेँ भगवद् भाव रखना चाहिए।

*३) अरण्यकाण्ड –*

यह निर्वासन प्रदान करता है। इसका मनन करने से वासना नष्ट होगी। बिना अरण्यवास (जंगल) के जीवन मेँ दिव्यता नहीँ आती। रामचन्द्र राजा होकर भी सीता के साथ वनवास किया। वनवास मनुष्य हृदय को कोमल बनाता है। तप द्वारा ही कामरुपी रावण का बध होगा। इसमेँ सूपर्णखाँ (मोह) एवं शबरी (भक्ति) दोनों ही है। भगवान राम सन्देश देते हैँ कि मोह को त्यागकर भक्ति को अपनाओं।

*४) किष्किन्धाकाण्ड –*

जब मनुष्य निर्विकार एवं निर्वैर होगा तभी जीव की ईश्वर से मैत्री होगी। इसमें सुग्रीव और राम अर्थात् जीव और ईश्वर की मैत्री का वर्णन है। जब जीव सुग्रीव की भाँति हनुमान अर्थात् ब्रह्मचर्य का आश्रय लेगा तभी उसे राम मिलेँगे। जिसका कण्ठ सुन्दर है वही सुग्रीव है। कण्ठ की शोभा आभूषण से नहीं बल्कि राम नाम का जप करने से है। जिसका कण्ठ सुन्दर है, उसी की मित्रता राम से होती है किन्तु उसे हनुमान यानी ब्रह्मचर्य की सहायता लेनी पड़ेगी।

*५) सुन्दरकाण्ड –*

जब जीव की मैत्री राम से हो जाती है तो वह सुन्दर हो जाता है। इस काण्ड मेँ हनुमान को सीता के दर्शन होते है। सीताजी पराभक्ति है, जिसका जीवन सुन्दर होता है उसे ही पराभक्ति के दर्शन होते है। संसार समुद्र पार करने वाले को पराभक्ति सीता के दर्शन होते है। ब्रह्मचर्य एवं रामनाम का आश्रय लेने वाला संसार सागर को पार करता है। संसार सागर को पार करते समय मार्ग मेँ सुरसा बाधा डालने आ जाती है, अच्छे रस ही सुरसा है, नये नये रस की वासना रखने वाली जीभ ही सुरसा है। संसार सागर पार करने की कामना रखने वाले को जीभ को वश में रखना होगा। जहाँ पराभक्ति सीता है वहाँ शोक नहीं रहता, जहाँ सीता है वहाँ अशोक वन है।

*६) लंकाकाण्ड –*

जीवन भक्तिपूर्ण होने पर राक्षसों का संहार होता है काम क्रोधादि ही राक्षस हैँ। जो इन्हेँ मार सकता है, वही काल को भी मार सकता है। जिसे काम मारता है उसे काल भी मारता है लंका शब्द के अक्षरों को इधर उधर करने पर होगा कालं काल सभी को मारता है किन्तु हनुमान जी काल को भी मार देते हैँ। क्योँकि वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हैँ पराभक्ति का दर्शन करते है।

*७) उत्तरकाण्ड –*

इस काण्ड मेँ काकभुसुण्डि एवं गरुड़ संवाद को बार बार पढ़ना चाहिए। इसमेँ सब कुछ है। जब तक राक्षस, काल का विनाश नहीँ होगा तब तक उत्तरकाण्ड में प्रवेश नहीं मिलेगा, इसमेँ भक्ति की कथा है। भक्त कौन है? जो भगवान से एक क्षण भी अलग नहीं हो सकता वही भक्त है पूर्वार्ध में जो काम रुपी रावण को मारता है उसी का उत्तरकाण्ड सुन्दर बनता है, वृद्धावस्था मे राज्य करता है। जब जीवन के पूर्वार्ध में युवावस्था मे काम को मारने का प्रयत्न होगा तभी उत्तरार्ध – उत्तरकाण्ड सुधर पायेगा। अतः जीवन को सुधारने का प्रयत्न युवावस्था से ही करना चाहिए।

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*जय श्री राम⛳⛳*
*वन्देमातरम्⛳⛳*
                  *⚜⛳⚜*

 

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भूमि_तत्व_पर_महारत_कैसे_हासिल_करें। #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

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फिट_रहने_का_सद्_गुरु_का_न #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन, सद्गुरु #जग्गी #वासुदेव \

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थाइरोइड_प्रॉब्लम_क्यों_हो #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन, सद्गुरु #जग्गी #वासुदेव

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डिप्रेशन_का_मूल_कारण #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

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डिप्रेशन एक जटिल और बहुस्तरीय विकार है, जिसके मूल कारणों को वैज्ञानिक तार्किक दृष्टिकोण से निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

जैविक कारण

1. न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन: डोपामाइन, सेरोटोनिन और नॉरएपिनेफ्राइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटरों का असंतुलन।
2. हार्मोनल असंतुलन: थायराइड, एड्रीनल और पिट्यूटरी ग्रंथियों के हार्मोनल असंतुलन का प्रभाव।
3. जीनेटिक प्रवृत्ति: डिप्रेशन के लिए जीनेटिक प्रवृत्ति का महत्व।
4. मस्तिष्क की संरचनात्मक असामान्यताएं: मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में असामान्यताएं, जैसे कि हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला।

मनोवैज्ञानिक कारण

1. आत्म-सम्मान की कमी: आत्म-सम्मान की कमी और नकारात्मक आत्म-छवि।
2. स्ट्रेस और तनाव: दीर्घकालीन स्ट्रेस और तनाव का प्रभाव।
3. नकारात्मक सोच पैटर्न: नकारात्मक सोच पैटर्न और आत्म-विश्वास की कमी।
4. अनुभवों का प्रभाव: दुर्भाग्यपूर्ण अनुभवों, जैसे कि दुर्व्यवहार या हानि, का प्रभाव।

सामाजिक और पर्यावरणीय कारण

1. सामाजिक समर्थन की कमी: सामाजिक समर्थन की कमी और अकेलापन।
2. वित्तीय और आर्थिक तनाव: वित्तीय और आर्थिक तनाव का प्रभाव।
3. पारिवारिक और संबंधों की समस्याएं: पारिवारिक और संबंधों की समस्याएं।
4. मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और असुलझी समस्याएं।

अन्य कारण

1. नींद की कमी: नींद की कमी और अनियमितता।
2. व्यायाम की कमी: व्यायाम की कमी और शारीरिक निष्क्रियता।
3. पोषण और आहार: अस्वस्थ आहार और पोषण की कमी।
4. चिकित्सा स्थितियां: मधुमेह, हृदय रोग, और अन्य चिकित्सा स्थितियों का प्रभाव।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डिप्रेशन के कारण व्यक्ति-विशेष के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, और अक्सर कई कारण एक साथ मिलकर इसका कारण बनते हैं। वैज्ञानिक तार्किक दृष्टिकोण से डिप्रेशन के कारणों को समझने से इसके उपचार और प्रबंधन में मदद मिलती है।

डिप्रेशन (अवसाद) एक जटिल मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसका वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण से गहन विश्लेषण किया जा सकता है। इसके मूल कारण जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों के मिश्रण से उत्पन्न होते हैं। नीचे इसके विस्तृत कारण दिए गए हैं:


1. जैविक कारण (Biological Causes)

डिप्रेशन का संबंध मस्तिष्क के रसायनों और शारीरिक प्रक्रियाओं से है।

(a) मस्तिष्क में रसायनों का असंतुलन (Neurochemical Imbalance)

  • मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन, और नॉरएड्रेनालिन) डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
  • जब इन रसायनों का स्तर असंतुलित होता है, तो व्यक्ति उदासी, निराशा और ऊर्जा की कमी महसूस करता है।

(b) जेनेटिक प्रभाव (Genetic Factors)

  • जिन लोगों के परिवार में डिप्रेशन का इतिहास होता है, उनमें डिप्रेशन विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ जीन मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

(c) हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes)

  • हार्मोनल असंतुलन, जैसे थायरॉयड डिसफंक्शन, प्रेग्नेंसी के बाद हार्मोनल बदलाव या मेनोपॉज, डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।

(d) मस्तिष्क संरचना (Brain Structure)

  • डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के कुछ हिस्से (जैसे हिप्पोकैम्पस) सामान्य से छोटे हो सकते हैं।

2. मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes)

(a) अतीत के आघात (Past Trauma)

  • बचपन के मानसिक, भावनात्मक, या शारीरिक शोषण का अनुभव डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • पुरानी असफलताएँ या दर्दनाक अनुभव मनोवैज्ञानिक घाव बनाते हैं।

(b) नकारात्मक सोच (Negative Thought Patterns)

  • बार-बार नकारात्मक सोच, जैसे "मैं किसी काम का नहीं हूं" या "मेरा जीवन बेकार है", डिप्रेशन को बढ़ावा दे सकती है।
  • कैटस्ट्रॉफिक थिंकिंग (Catastrophic Thinking): छोटी समस्याओं को बड़ा समझना।

(c) परफेक्शनिज़्म (Perfectionism)

  • अत्यधिक आदर्शवादी अपेक्षाएं और खुद से असंतोष भी डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।

3. सामाजिक और पर्यावरणीय कारण (Social and Environmental Causes)

(a) तनावपूर्ण जीवन परिस्थितियाँ (Stressful Life Events)

  • नौकरी खोना, रिश्तों का टूटना, आर्थिक संकट, या किसी प्रियजन की मृत्यु जैसे तनावपूर्ण अनुभव।

(b) सामाजिक अलगाव (Social Isolation)

  • अकेलापन, दोस्तों और परिवार से दूरी, या समाज में अस्वीकार्यता का अनुभव।
  • सामाजिक समर्थन की कमी डिप्रेशन को बढ़ा सकती है।

(c) काम का बोझ और दबाव (Work Pressure)

  • अत्यधिक काम का बोझ और परिणामस्वरूप "बर्नआउट"।
  • कार्यस्थल पर असुरक्षा या असफलता का डर।

4. पर्यावरणीय और जीवनशैली कारण (Environmental and Lifestyle Causes)

(a) नींद की कमी (Lack of Sleep)

  • अपर्याप्त नींद मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है।

(b) पोषण संबंधी समस्याएं (Nutritional Deficiencies)

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी, और फोलिक एसिड की कमी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।

(c) नशे की लत (Substance Abuse)

  • शराब, ड्रग्स, और अन्य मादक पदार्थों का सेवन डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ा सकता है।

(d) मौसमी प्रभाव (Seasonal Affective Disorder - SAD)

  • सर्दियों में कम धूप के कारण मूड बिगड़ना। इसे "सीजनल डिप्रेशन" भी कहा जाता है।

5. व्यक्तिगत विशेषताएँ (Personal Traits)

(a) अत्यधिक संवेदनशीलता (High Sensitivity)

  • भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील व्यक्ति डिप्रेशन के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

(b) कम आत्म-सम्मान (Low Self-Esteem)

  • जिन लोगों में आत्म-सम्मान की कमी होती है, वे असफलता और आलोचना को व्यक्तिगत रूप से लेते हैं।

6. डिप्रेशन को बढ़ाने वाले कारक (Risk Factors)

  • पुरानी बीमारियाँ: कैंसर, डायबिटीज़, या हृदय रोग।
  • दवाओं का दुष्प्रभाव: कुछ दवाइयाँ, जैसे स्लीपिंग पिल्स या हाई बीपी की दवाएँ।
  • पारिवारिक अस्थिरता: पारिवारिक कलह या तलाक।

निष्कर्ष

डिप्रेशन के मूल कारण जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों का मिश्रण हैं। इसे समझने और प्रबंधन करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. समस्या को पहचानें और इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करें।
  2. मनोचिकित्सक से सलाह लें: काउंसलिंग और थेरेपी उपयोगी हो सकती हैं।
  3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद।
  4. समाजिक संबंध बनाए रखें: परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।
  5. ध्यान और मेडिटेशन का अभ्यास करें।

डिप्रेशन से निपटना संभव है यदि इसे सही समय पर पहचाना जाए और तार्किक दृष्टिकोण अपनाया जाए।

 

सब_कुछ_किस_तरह_से_हासिल_करें #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

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जीवन में सब कुछ हासिल करना एक व्यापक लक्ष्य है और इसे पाने के लिए वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हर वस्तु को पाना संभव है, बल्कि यह कि अपने जीवन के लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जाए। नीचे वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण से इसका विस्तार दिया गया है:


1. स्पष्ट लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting)

  • SMART लक्ष्यों का उपयोग करें:
    अपने लक्ष्यों को Specific (विशिष्ट), Measurable (मापन योग्य), Achievable (प्राप्त करने योग्य), Relevant (प्रासंगिक) और Time-bound (समयबद्ध) बनाएं।
    उदाहरण: "मुझे अगले छह महीनों में 5 किलो वजन कम करना है।"
  • दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्य तय करें:
    दीर्घकालिक लक्ष्य बड़ा दृष्टिकोण देते हैं, जबकि अल्पकालिक लक्ष्य आपको छोटे कदमों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।

2. योजनाबद्ध दृष्टिकोण (Strategic Planning)

  • चरणबद्ध योजना बनाएं:
    किसी बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे चरणों में विभाजित करें।
    उदाहरण: नौकरी पाना है तो पहले कौशल सीखें, फिर रिज्यूमे बनाएं, फिर आवेदन करें।
  • पिछली गलतियों से सीखें:
    तार्किक दृष्टिकोण यह कहता है कि अतीत की असफलताओं का विश्लेषण करें और उन्हें सुधारने के लिए रणनीति बनाएं।

3. सतत सीखने की प्रवृत्ति (Continuous Learning)

  • नई चीजें सीखें:
    तकनीकी, सामाजिक, और व्यक्तिगत कौशल को नियमित रूप से सीखने का प्रयास करें।
    • स्रोत: पुस्तकें, ऑनलाइन कोर्स, पॉडकास्ट।
  • फीडबैक लें:
    अपने प्रदर्शन के बारे में ईमानदारी से फीडबैक लें और सुधार करें।
  • अनुभवों से सीखें:
    हर असफलता को सीखने का अवसर मानें।

4. प्राथमिकता देना (Prioritization)

  • महत्वपूर्ण कार्यों को पहले करें:
    आइजनहावर मैट्रिक्स का उपयोग करें (महत्व और तात्कालिकता के आधार पर कार्यों को विभाजित करना)।
  • डिजिटल डिस्ट्रैक्शन से बचें:
    फोकस बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया और अन्य व्यर्थ चीजों से दूरी बनाएं।

5. स्वास्थ्य का ध्यान रखें (Physical and Mental Well-being)

  • स्वस्थ शरीर:
    • नियमित व्यायाम करें।
    • पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
    • पर्याप्त नींद लें (7-8 घंटे)।
  • मानसिक स्वास्थ्य:
    • ध्यान (Meditation) और योग का अभ्यास करें।
    • सकारात्मक सोच और तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाएं।

6. समस्या समाधान कौशल (Problem-Solving Skills)

  • तार्किक विश्लेषण:
    किसी समस्या को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करें और चरणबद्ध समाधान खोजें।
  • डेटा-ड्रिवन निर्णय:
    निर्णय लेते समय तथ्यों और आंकड़ों का उपयोग करें।
  • क्रिएटिव थिंकिंग:
    समस्याओं को हल करने के लिए नए और अनोखे तरीकों को खोजें।

7. मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक नियंत्रण (Emotional Intelligence)

  • स्वयं की भावनाओं को समझें:
    भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करें और अपने उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित रखें।
  • दूसरों के साथ सामंजस्य बनाएं:
    सहानुभूति और प्रभावी संचार का उपयोग करें।

8. नेटवर्किंग और सहयोग (Networking and Collaboration)

  • सही लोगों के साथ जुड़ें:
    अपने क्षेत्र के अनुभवी और प्रेरणादायक लोगों से संपर्क करें।
  • टीमवर्क:
    जीवन के बड़े लक्ष्यों को पाने के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करें।

9. डिसिप्लिन और आत्म-प्रेरणा (Discipline and Self-Motivation)

  • रूटीन बनाएं:
    नियमित और अनुशासित दिनचर्या बनाएं।
  • मोटिवेशन का स्त्रोत खोजें:
    प्रेरक किताबें, पॉडकास्ट या जीवन से जुड़े उद्देश्य से प्रेरित रहें।
  • लघु सफलता का जश्न मनाएं:
    छोटे-छोटे मील के पत्थर को सेलिब्रेट करें।

10. परिवर्तन के लिए तैयार रहें (Adaptability)

  • परिवर्तन को स्वीकारें:
    यदि स्थिति बदलती है तो अपने लक्ष्यों और योजनाओं को बदलने में हिचकिचाएं नहीं।
  • लचीलापन विकसित करें:
    असफलताओं से जल्दी उबरें और आगे बढ़ें।

11. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Mindset)

  • आत्मविश्वास बनाए रखें:
    हर परिस्थिति में खुद पर भरोसा करें।
  • आशावादी बनें:
    नकारात्मकता से बचें और हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखें।

12. समय प्रबंधन (Time Management)

  • डे टू डे प्लानिंग:
    अपने दिन को पहले से प्लान करें।
  • कार्य समय सीमा तय करें:
    हर कार्य को एक समय सीमा के भीतर पूरा करें।

 मानसिक तैयारी

1. स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें: अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए योजना बनाएं।
2. आत्म-विश्वास बढ़ाएं: आत्म-विश्वास को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक आत्म-बातचीत और आत्म-प्रोत्साहन का अभ्यास करें।
3. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें: नियमित व्यायाम, ध्यान और पर्याप्त नींद के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

शिक्षा और ज्ञान

1. निरंतर शिक्षा: नई चीजों को सीखने के लिए निरंतर प्रयास करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं।
2. विशेषज्ञता प्राप्त करें: अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त करें।
3. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालें।

समय प्रबंधन

1. प्राथमिकता निर्धारित करें: अपने कार्यों को प्राथमिकता दें और सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को पहले पूरा करें।
2. नियमित अनुसूची: नियमित अनुसूची के माध्यम से अपने कार्यों को पूरा करें।
3. समय का सदुपयोग: समय का सदुपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास करें।

सामाजिक और व्यक्तिगत संबंध

1. सकारात्मक संबंध बनाएं: सकारात्मक संबंध बनाने के लिए दूसरों के साथ सहानुभूति और समझ का प्रदर्शन करें।
2. नेटवर्किंग: अपने क्षेत्र में नेटवर्किंग करने के लिए प्रयास करें।
3. व्यक्तिगत विकास: व्यक्तिगत विकास के लिए निरंतर प्रयास करें।

आर्थिक प्रबंधन

1. आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करें: आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए योजना बनाएं।
2. निवेश करें: निवेश करने के लिए समझदारी से निर्णय लें।
3. आर्थिक अनुशासन: आर्थिक अनुशासन बनाए रखने के लिए नियमित बजट और व्यय का ध्यान रखें।

स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती

1. नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने के लिए प्रयास करें।
2. स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेने के लिए प्रयास करें।
3. पर्याप्त नींद: पर्याप्त नींद लेने के लिए प्रयास करें।

आत्म-मूल्यांकन

1. आत्म-मूल्यांकन करें: नियमित आत्म-मूल्यांकन करें और अपनी कमियों को दूर करने के लिए प्रयास करें।
2. आत्म-सुधार: आत्म-सुधार के लिए निरंतर प्रयास करें।
3. आत्म-विश्वास बढ़ाएं: आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए सकारात्मक आत्म-बातचीत और आत्म-प्रोत्साहन क

निष्कर्ष

जीवन में सब कुछ हासिल करने का वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण योजनाबद्ध, अनुशासित और सतत प्रयासों पर आधारित है। इसका आधार स्पष्ट लक्ष्य, सही रणनीति, निरंतर सीखने की प्रक्रिया और कठिन परिश्रम है। सबसे महत्वपूर्ण है सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना और असफलताओं से सीखते हुए आगे बढ़ते रहना।

 

 

सद्गुरु और कारण जौहर #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

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शुक्रवार, 17 मार्च 2023

वैराग्य_का_क्या_अर्थ_होता #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन

वैराग्य_का_क्या_अर्थ_होता  #Sadhguru Hindi #सद्‌गुरु के #प्रवचन



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शास्त्रों के अनुसार मित्रता वाले नक्षत्र, शत्रुता वाले नक्षत्र एवं ग्रहों से सम्बन्ध

शास्त्रों के अनुसार किस नक्षत्र की किस नक्षत्र से मित्रता तथा किस नक्षत्र से शत्रुता एवं किस से सम भाव रहता है?   शास्त्रों में नक्षत्रों के...