बुधवार, 27 जून 2018

राहु और केतु - शनिदेव का इलाज

राहु और केतु
लाल किताब के अनुसार ऐसे करें बिगड़े राहु और केतु का इलाज

राहु-केतु

राहु-केतु, ये दो ऐसे ग्रह हैं जिनका नाम किसी को भी डरा सकता है। कुंडली में बाकी ग्रह कैसे हैं...शायद इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती लेकिन राहु-केतु का जीवन पर क्या प्रभाव होने वाला है, या वे किस तरह से जीवन को प्रभावित करेंगे ये जानने की उत्सुकता हर किसी को रहती है।
अपनी आदतों से जानें शनिदेव की कितनी कृपा है आप पर
जानें शनिदेव की कितनी कृपा है आप पर
आपकी आदतें और शनिदेव की कृपा
सूर्य के पुत्र शनि उन ग्रहों में से हैं जिनकी क्रूर दृष्टि किसी को बर्बाद कर सकती है, लेकिन उनकी अच्छी दृष्टि अगर किसी पर एक बार पड़ जाए तो उसके सारे काम बन जाते हैं और उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती।
सूर्य के पुत्र हैं शनि
शनिदेव सूर्य से काफी दूरी पर हैं और यही कारण है कि शनि प्रकाशहीन हैं। भगवान शनि के प्रकाशहीन होने की वजह से कई लोग उन्हें निर्दयी, क्रोधी, भावहीन और उत्साहहीन भी मान लेते हैं लेकिन वो ये नहीं जानते कि शनि अगर किसी से प्रसन्न होते हैं तो उसे वैभव और धन से भर देते हैं।
शनि की नाराजगी मतलब आफत
शास्त्रों के मुताबिक शनि का अप्रसन्न होने का अर्थ है मुसीबतों का मार्ग खुलना, लेकिन कैसे जानें कि शनि आपसे प्रसन्न हैं या अप्रसन्न? आपको जानकर हैरानी होगी कि रोजाना जीवन में आपकी कुछ आदतों से पता चलता है कि शनि भगवान आप पर प्रसन्न हैं।
किससे होंगे शनिदेव प्रसन्न ?
जी हैं, ये कुछ ऐसी आदतें हैं जो इस बात का इशारा करती हैं कि शनि की कृपा आप पर अभी है और उनकी कृपा से आप आगे के जीवन में धन-समृद्धि सफलता पाएंगे। इसलिए अगर ये आदतें बिगड़ने लगें तो समझें कि निकट भविष्य में आप शनि के कोप का भाजन बन सकते हैं और आपको मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। आगे हम आपको उन आदतों के बारे में बता रहे हैं....
नाखून को काटना
जो लोग रोज अपने नाखून काटते हैं और उन्हें साफ भी रखते हैं, शनि ऐसा करने वालों का हमेशा खयाल रखते हैं। इसलिए अचानक अगर आप अपने नाखून काटने में आलस करने लगें या आपके नाखून गंदे रहने लगें तो समझें कि आपको शनि दशा सुधारने के लिए उपाय करने चाहिए।
गरीबों को दान
अगर आपका दिल गरीबों, जरूरतमंदों को देखकर पसीज जाता है और हर पर्व-त्यौहार पर या गरीब जरूरतमंद की आप हमेशा मदद करते हैं तो समझें शनिदेव की आप पर विशेष कृपा है। ऐसे लोग पौष माह में गरीबों को काले चने, काले तिल उड़द दाल और काले कपड़े सच्चे मन से दान करते हैं, इसलिए शनिदेव भी उनका सदैव कल्याण करते हैं।
काले छातों का दान
जेष्ठा माह में धूप से बचने के लिए काले छाते दान करने वालों पर शनिदेव की छत्र-छाया हमेशा बनी रहती है। जब आपकी यह आदत बदलने लगे तो समझें शनिदेव कुपित हो रहे हैं आपसे।
कुत्तों की सेवा
कुत्तों की सेवा करने वालों से भगवान शनि हमेशा प्रसन्न होते हैं। कुत्तों को खाना देने वालों और उनको कभी ना सताने वालों के शनिदेव सभी कष्ट दूर करते हैं। इसलिए अगर आपको भी ऐसी आदतें हैं तो जीवन में शनि कोप से मिलने वाली मुश्किलों से हमेश बचे रहेंगे।
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नेत्रहीन को राह दिखाना
किसी भी नेत्रहीन व्यक्ति को राह दिखाना, उनकी मदद करना शनि को खुश करने में सहायक सिद्ध होता है। जो लोग भी नेत्रहीन लोगों की अनदेखी नहीं करते, उनकी नि:स्वार्थ मदद करते हैं, शनिदेव उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं और उनकी सफलता-उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
शनिवार का उपवास
शनिवार का उपवास रखकर अपने हिस्से का भोजन गरीबों को देने की आदत है तो समझें शनि की कृपा से अन्न के भंडार आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे। ऐसे व्यक्ति अगर जीवन भर इस नियम का पालन करते हैं तो उन्हें कभी धन-संपदा की कमी नहीं होती।
मछलियों की सेवा
मांस-मछली, मदिरा के सेवन से जो दूर रहते हैं, मछलियों को खाना खिलाते हैं उनसे शनि हमेशा प्रसन्न रहते हैं। इसलिए अगर आपको भी मछलियों को दाना खिलाने की आदत है तो खुशकिस्मत हैं आप, अपनी इस आदत को छूटने ना दें।
नित्य स्नान
प्रतिदिन स्नान कर खुद को साफ रखने वालों पर शनि की कृपा होती है। पवित्र रहने वालों की शनि हमेशा मदद करते हैं।
सफाई-कर्मियों की मदद
जो सफाई-कर्मियों का सम्मान करते हैं और उनकी आर्थिक मदद भी करते हैं, शनिदेव उनका साथ कभी नहीं छोड़ते। इसलिए अपकी यह आदत आपको शनि की कृपा का पात्र बनाकर भाग्यशाली बनाता है।
ईमानदारी
जो लोग मेहनतकश लोगों का हक नहीं मारते बल्कि उनकी हर संभव मदद करते हैं, वे शनि को बेहद पसंद होते हैं। शविदेव उनके सारे कष्ट हर लेते हैं।
वृद्धों का सम्मान
वृद्ध माता-पिता तथा स्त्रियों को मां समान मानकर उनका सम्मान करने वालों की शनिदेव हमेशा सहायता करते हैं।
पीपल, बरगद का पूजन
पेड़ों का पूजन शनि भगवान को खुश करने के लिए बहुत जरूरी है। जो लोग पीपल और बरगद की पूजा करते हैं उनपर शनि अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
शिवलिंग की पूजा
भगवान शिव की पूजा शनि को प्रसन्न करती है। रोज शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने वालों का शनि सदैव ध्यान रखते हैं।
श्राद्ध
जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं उनसे प्रसन्न होकर शनिदेव उनके कष्ट दूर करते हैं। इसलिए यह आदत हमेश बरकरार रखें।
धर्म के मार्ग से कमाई
ऐसे लोग जो बिना किसी को नुकसान पहुंचाए, सही और धर्म की राह पर चलकर धन अर्जित करते हैं उन्हें शनि अपार लक्ष्मी का वर देते हैं।
ईष्ट भगवान हनुमान
जिनके ईष्ट ‘भगवान हनुमान’ होते हैं या जो हनुमान को ईष्ट देवता बनाता है शनिदेव उसके रक्षक बनकर सदैव उनकी रक्षा करते हैं।
ईष्ट भगवान कृष्ण
जो श्रीकृष्ण को अपना ईष्ट भगवान मानते हैं शनि उनके दोस्त बन जाते हैं और कभी उनपर कोई विपत्ति नहीं आने देते।
विकलांगो की मदद
विकलांगो की सहायता करना शनिदेव को प्रसन्न करता है। ऐसे लोगों का शनि सदैव कल्याण करते हैं।
शराब से दूरी
शराब का सेवन शनिदेव को नाराज करता है। जो लोग मदिरापान से दूर रहते हैं शनिदेव की कृपा उनपर बनी रहती है।
शाकाहारियों का कल्याण
जो लोग शाकाहार का सेवन करते हैं और मांस, मछली, मीट से दूर रहते हैं उनसे शनिदेव प्रसन्न होकर उनके परिवार समेत उनका भी भला करते हैं।
सातमुखी रुद्राक्ष
सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों के शनिदेव भाग्य खोल देते हैं। इसलिए जिन्हें रुद्राक्ष पसंद हो या रुद्राक्ष पहनने की आदत हो, वे शनिदेव से शुभ फल पाते हैं।
ब्याजखोरी से दूरी
जो लोग ब्याजखोरी करते हैं, उनसे शनि रुष्ट हो जाते हैं। ब्याजखोरी से बचने वालों की शनि हमेशा सहायता करते हैं।
कोढ़ियों की सेवा
कोढ़ रोग से ग्रसित लोगों की सेवा करना पुण्य का काम माना गया है। शनि भी ऐसे लोगों से प्रसन्न होते हैं जो कोढ़ियों की सेवा करते हैं। ऐसे लोगों के सारे कष्टों, परेशानियों से शनिदेव उन्हें बचाते हैं।
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छाया ग्रह
ज्योतिष की भाषा में राहु-केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। लेकिन असल बात यह है कि ये छाया ग्रह भी अपना शुभ-अशुभ फल देने में जरा भी देर नहीं लगाते। राहु-केतु राजयोग भी बना सकते हैं और अगर किसी जातक की कुंडली में इनकी स्थिति सही नहीं है, तो यह उसे अर्श से फर्श पर भी लेकर आ सकते हैं।

ज्योतिष
ज्योतिष के अंतर्गत राहु-केतु को शांत और उन्हें प्रसन्न रखने से बहुत से उपाय मौजूद हैं जो आपकी कुंडली के आधार पर ही उपयुक्त साबित हो सकते हैं। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि लाल किताब के अंतर्गत राहु-केतु के प्रभाव और उनसे संबंधित उपायों की क्या विवेचना की गई है।

सरस्वती
लाल किताब के अंतर्गत राहु को ‘सरस्वती’ का नाम भी दिया गया है, क्योंकि यह बुरे के साथ-साथ अच्छे विचार विचारों का भी कारक ग्रह है। यह नीले रंग का है और बुध, शनि, केतु इसके मित्र ग्रह हैं। वहीं शत्रु ग्रह में सूर्य और मंगल शामिल हैं। बृहस्पति और चंद्रमा राहु के सम ग्रह हैं।

लाल किताब
लाल किताब की भाषा में राहु को ‘कड़कती हुई बिजली’ की संज्ञा दी गई है, जो किसी को भी जलाकर खाक कर सकती है। राहु के लिए 3,4,5,6,10 शुभ माना गया है और अगर इसकी बैठकी 1, 2, 7, 8, 9, 11 या 12 भाव में है तो यह अशुभ फल देता है।

सूर्य
अगर राहु की बैठकी सूर्य के साथ होती है या यह सूर्य के साथ दृष्टि संबंध बनाता है तो यह ग्रहण बना देता है। अगर राहु चंद्रमा के साथ यह संबंध बनाता है तो इसका प्रभाव कम हो जाता है।

मंगल
अगर राहु की बैठकी मंगल के साथ होती है तो यह जातक को अत्याधिक कठोर दिल का बना देता है। अगर शुक्र के साथ है तो शादी में देरी के साथ-साथ यह चरित्र को भी कमजोर करता है।

बुध
लाल किताब के अनुसार अगर राहु बुध के साथ है तो यह शुभ फलदायी होता है, लेकिन बृहस्पति के साथ इसकी बैठकी अशुभ फल देने वाली होती है। अगर राहु शनि के साथ बैठा है तो यह शनि के गुलाम के तौर पर उसके अनुसरा ही कार्य करता है।

लाल किताब
लाल किताब के अनुसार राहु को शांत या प्रसन्न करने के भी उपाय मौजूद हैं। यदि कुंडली में राहु अशुभ है तो हर बृहस्पतिवार के दिन मूली दान करें और कच्चे कोयले को चलते पानी में बहा दें।

चांदी का टुकड़ा
राहु के दुष्प्रभाव को को कम करने के लिए अपने पास चांदी का टुकड़ा रखें, इसके अलावा प्रत्येक दिन सूर्ख रंग की मसूर दाल को सफाई कर्मचारियों को दान करें।

बीमारी के लिए जिम्मेदार
यदि आपकी कुंडली का राहु बीमारी के लिए जिम्मेदार है तो आपको मरीज के वजन के अनुसार जौं को बहते पानी में प्रवाहित करें या फिर किसी गरीब को दान करें। आपको संयुक्त परिवार में ही रहना चाहिए।

आर्थिक संकट
अगर आपकी कुंडली में राहु सूर्य के साथ बैठा है तो यह व्यक्ति को आर्थिक संकट में डालता है। यह उसके परिवार के लिए भी खतरनाक होता है।

राहु और केतु
राहु और केतु लगभग एक ही तरह से कार्य करते हैं। परंतु इनकी शांति के लिए अपनाए जाने वाले उपाय अलग हैं।

राहु की शांति
राहु की शांति के लिए आपको उड़द की दाल, कपड़े, सरसों, कोई काला फूल, राई, तेल, कुल्फी आदि को सामर्थ्य अनुसार गरीबों को दान करें। ऐसा करने से आपको अपने सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। शनिवार को राहु का दिन कहा गया है, इसलिए यह दान शनिवार को ही करें तो बेहतर होगा।

चितकबरा ग्रह
केतु को चितकबरा ग्रह माना गया है और इसका दिन रविवार है। केतु के मित्र राहु और चंद्र ग्रह है, लेकिन मंगल इसका शत्रु ग्रह माना गया है। सूर्य, बुध, बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह हैं। कुंडली का छठे भाव को केतु का अपना भाव माना गया है।

केतु
भांजा, टांगे, चारपाई, चूहा, चिड़िया, गुप्तांग, तिल, रीढ़ की हड्डी, प्याज और लहसून का संबंध केतु के साथ है।

चंद्रमा
लाल किताब की भाषा में चंद्रमा को दूध और केतु को नींबू कहा गया है, इन दोनों का आपस में कोई मेल नहीं है। चंद्रमा के साथ केतु का बैठना ग्रहण योग बनाता है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है और चंद्रमा के साथ केतु का बैठना मन की शांति को भंग कर देता है।

मंगल और केतु
मंगल और केतु का एक ही बहव में होना दोनों को ही दुष्प्रभाव देने के लिए बाध्य करता है। इसके अलावा बुध और केतु का भी एक ही भाव में होना अशुभ होता है। लेकिन अगर केतु की बैठकी बृहस्पति के साथ है तो यह प्राय: बुरा फल कदापि नहीं देता।

केतु
केतु के लिए 1, 2, 5, 7, 10, 12 भावों जो शुभ और 3, 4, 6, 8, 9, 11 भावों को अशुभ माना गया है।

शांति के उपाय
लाल किताब के अंतर्गत केतु की शांति के लिए विभिन्न उपाय भी मौजूद हैं।

लग्न
लाल किताब के अनुसार अगर केतु की बैठकी लग्न में है तो आपको लोहे की गोली बनाकर उसे लाल रंग में रंगकर अपने पास रखना चाहिए।

उपाय
अगर राहु की बैठकी तीसरे भाव में है तो चले की दाल को बहते पानी में प्रवाहित करने से लाभ होता है। कुंडली के चौथे भाव में राहु के होने पर किसी पुजारी को पीले रंग की वस्तुएं दान करें।

उपाय
केतु अगर पांचवें भाव में है तो आपको रात के समय गाजर और मूली अपने रसिरहाने रखकर सोना चाहिए और सुबह उसे मंदिर में दान करना चाहिए।

उपाय
केतु छठे भाव में मौजूद हो तो आपको 6 प्याज जमीन में दबा दें, यह घर के बाहर ही करें।

उपाय
सातवां घर शुक्र का अपना घर है और केतु-शुक्र आपस में मित्र हैं। सातवें भाव में केतु का बैठना ठीकठाक फल प्रदान करता है।

उपाय
आठवां घर मंगल का है और मंगल-केतु आपस में शत्रु हैं। यहां केतु का बैठना बहुत अशुभ होता है। अगर इस स्थान पर केतु है तो आपको नियमित तौर पर गणेश पूजन करना चाहिए।
उपाय
केतु का बारहवें भाव में बैठना संतान पर बुरा प्रभाव डालता है। ऐसा व्यक्ति अगर कुत्तों को भी परेशान करता है तो अशुभ होता है। ऐसी स्थिति में दूध में अंगूठा डालकर चूसना अच्छा उपाय है।
भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह की परिभाषा अलग है।
यहां आपके लिए प्रस्तुत है राहु के बारे में रोचक जानकारी...
* राहु तमस असुर है।
* राहु काल को अशुभ माना जाता है।
* राहु, आरोही/उत्तर चंद्र आसंधि के देवता हैं।
* राहु, राक्षसी सांप का मुखिया है।
* हिन्दू शास्त्रों के अनुसार राहु सूर्य या चंद्रमा को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है।
* राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पड़ने वाली छाया। छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है।
* राहु को चित्रकला में एक ड्रैगन के रूप में दर्शाया गया है जिसका कोई सिर नहीं है और जो 8 काले घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार हैं।
* धर्मस्थान पर राहु का रूप साफ-सफाई करने वाले व्यक्ति के रूप में होता है।
* राहू के दोषों में लाभ पाना है तो घर में रॉक सॉल्ट लैंप रखें।
* अगर राहु परेशान कर रहा है तो उस स्थिति में प्रतिदिन रात्रि के समय सोने से पहले गुनगुने पानी में नमक मिलाएं और उस पानी से हाथ-पैर धोकर फिर सोएं।
* राहु का परिवर्तन और दुर्घटनाओं के कारक भी होते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी घटनाएं अशुभ हों, कुछ घटनाएं शुभ भी होती हैं।
* राहु एवं केतु की शांति के लिए तारा सहस्रनाम के पाठ कर सकते हैं।
* मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः है।

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