*त्राटक साधना कैसे करें,*
इस साधना के कई प्रकार है| कुछ प्रमुख प्रकारों का वर्णन नीचे दिया जा रहा है| आप अपनी रुचि के अनुसार इनमे से कोई एक चुन सकते हैं| एक बार मे एक ही विधि चुने| उक्त विधि कष्टप्रद हो तो कुछ दिन विश्राम करें| पुनः अन्य विधि से प्रारम्भ करें| एकान्त कक्ष में एक ऐसा कैनवास रखें जिसमे काले पृष्ठभुमि पर लाल अथवा सफ़ेद बिन्दु हो| स्नान के बाद प्रातः काल स्वच्छ आसन पर बैठें तथा उस बिन्दु पर अपना ध्यान केन्द्रित करें| कुछ देर बार वह बिन्दु चमकीली नज़र आएगी| आपको अपने शरीर का भान समाप्त हो जाएगा| प्रारम्भ में एक मिनट का लक्ष्य रखें| फिर इसे धीरे धीरे बढ़ा दें|
दूसरी विधि में ध्यान के लिए दीपक का सहारा लिया जा सकता है| आकार में बड़े दीपक को जलाकर उसके समक्ष बैठ जाएँ तथा उस पर ध्यान केन्द्रित करें| ध्यान से पहले कक्ष की बत्ती बुझा दें| ध्यान रखें लौ में किसी प्रकार का कंपन न हो| प्रारम्भ में ध्यान भटकते ही छोड़ दें| अगले दिन पुनः प्रयास करें|
तीसरी विधि में आईने की सहाता से त्राटक साधना की जा सकती है| आईना कम से कम 6 इंच चौड़ा तथा 8 इंच लंबा हो तो अतिउत्तम| एकांत कक्ष में बैठकर आईना अपने सामने रखें तथा खुद से नज़र मिलाएँ| धीरे-धीरे अपनी ही आँखों की पुतलियों पर ध्यान केन्द्रित करें| एक स्थिति ऐसी आएगी जिसमे आपको खुद का चेहरा दिखाई देना बंद हो जाएगा| अंत में वह पुतली भी नहीं दिखेगी|
इस साधना के कई प्रकार है| कुछ प्रमुख प्रकारों का वर्णन नीचे दिया जा रहा है| आप अपनी रुचि के अनुसार इनमे से कोई एक चुन सकते हैं| एक बार मे एक ही विधि चुने| उक्त विधि कष्टप्रद हो तो कुछ दिन विश्राम करें| पुनः अन्य विधि से प्रारम्भ करें| एकान्त कक्ष में एक ऐसा कैनवास रखें जिसमे काले पृष्ठभुमि पर लाल अथवा सफ़ेद बिन्दु हो| स्नान के बाद प्रातः काल स्वच्छ आसन पर बैठें तथा उस बिन्दु पर अपना ध्यान केन्द्रित करें| कुछ देर बार वह बिन्दु चमकीली नज़र आएगी| आपको अपने शरीर का भान समाप्त हो जाएगा| प्रारम्भ में एक मिनट का लक्ष्य रखें| फिर इसे धीरे धीरे बढ़ा दें|
दूसरी विधि में ध्यान के लिए दीपक का सहारा लिया जा सकता है| आकार में बड़े दीपक को जलाकर उसके समक्ष बैठ जाएँ तथा उस पर ध्यान केन्द्रित करें| ध्यान से पहले कक्ष की बत्ती बुझा दें| ध्यान रखें लौ में किसी प्रकार का कंपन न हो| प्रारम्भ में ध्यान भटकते ही छोड़ दें| अगले दिन पुनः प्रयास करें|
तीसरी विधि में आईने की सहाता से त्राटक साधना की जा सकती है| आईना कम से कम 6 इंच चौड़ा तथा 8 इंच लंबा हो तो अतिउत्तम| एकांत कक्ष में बैठकर आईना अपने सामने रखें तथा खुद से नज़र मिलाएँ| धीरे-धीरे अपनी ही आँखों की पुतलियों पर ध्यान केन्द्रित करें| एक स्थिति ऐसी आएगी जिसमे आपको खुद का चेहरा दिखाई देना बंद हो जाएगा| अंत में वह पुतली भी नहीं दिखेगी|
चौथी विधि में सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उगते हुए सूर्य पर ध्यान केन्द्रित करें| स्मरण रखें ध्यान केन्द्रित करें का आशय उसे एक तक देखते रहने से हैं| इस त्राटक विधि से सूर्य की लालिमा साधक को कान्ति प्रदान करती है तथा स्वाभाविक ऊर्जा से भर देती है|
इसके अलावा सरलता से उपलब्ध किसी भी वस्तु को एकटक देखते हुए यह साधना की जा सकती है| जैसे दीवार पर टंगी कोई तस्वीर, गमला आदि|
इसके अलावा सरलता से उपलब्ध किसी भी वस्तु को एकटक देखते हुए यह साधना की जा सकती है| जैसे दीवार पर टंगी कोई तस्वीर, गमला आदि|
*कोई भी साधना करने से पहले उचित गुरु का मार्गदर्शन जरूर लें अन्यथा आप को नुकसान भी हो सकता है किसी भी जटिल समस्या के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं तंत्र मंत्र यंत्र द्वारा*
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