*प्रश्न - मन मे उठ्ते बुरे भावो को किस प्रकार रोका जाए ?*
यदि रोकना है, तो रोकना हीं नहीं। रोका कि वो आये। उनके लिए निषेध सदा निमंत्रण है। और दमन से उनकी शक्ति कम नहीं होती,वरन और बढ़ती है। क्योंकि दमन से वे मन की और भी गहराइयों मे चले जाते है। और न ही उन भावो को बुरा कहना। क्योंकि बुरा कहते ही उनसे शत्रुता और संघर्ष शुरू हो जाता है। और स्वयं मे, स्वयं से संघर्ष संताप का जनक है। ऐसे संघर्ष से शक्ति भर अकारण अपव्यय होती है और व्यक्ति निर्बल हो जाता है। फिर क्या करें ?
पहली बात - जाने कि न कुछ बुरा है, न भला है। बस भाव है, उन पर मूल्यांकन न जोड़े। क्योंकि तभी तटस्थता संभव है।
दूसरी बात - रोकें नहीं, देखें। कर्ता नहीं, द्रष्टा बने, क्योंकि तभी संघर्ष से विरत हो सकते हैं।
तीसरी बात - जो है, है उसे बदलना नहीं है, स्वीकार करना है। जो है, सब परमात्मा का है।
इसलिए आप बीच मे न आये, तो अच्छा है। आपके बीच मे आने से हीं अशांति है और अशांति मे कोई रुपांतरण संभव नहीं।
समग्र स्वीकृति का अर्थ है कि आप बीच से हट गए हैं। और आपके हटते ही क्रांति है। जैसे अंधेरे मे अचानक दिया जल उठे, बस ऐसे ही सब कुछ बदल जाता है।
*Osho✍*
मन में उठते बुरे और फालतू विचार कैसे रोके! Clear Your Mind Of Negative Thought अगर दिमाग मे हर वक्त चलते है गलत विचार तो जरूर देखे ये विडियो | by Sandeep Maheshwari
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please Do not Enter Any Spam Link in the Comment Box.
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई स्पैम लिंक न डालें।