सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

#कल्पना और पांच #तत्व आन्तरिक बल Imagination and the Five #Elements #Internal Force


आन्तरिक बल 1389

-आज्ञा चक्र -89- अवचेतन मन -2

-अवचेतन मन आंखो का इस्तेमाल किये बिना देखता  है

-इस में अतिइंद्रिय दृष्टि और अतिइँद्रिय श्रवण क्षमता है

स्वामी अशोक भारती कल्पना शक्ति की चमत्कारिक संभावनाओं पर


-अवचेतन मन शरीर को छोड़ सकता है और दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा  सच्ची जानकारी ले कर लौट सकता है ।

-अवचेतन मन के जरिये दूसरो के सूक्ष्म विचार  पढ़  सकते हैं ।

-आप बंद लिफाफे में और बंद तिजोरियों  के विवरणों को भी जान  सकते हैं ।

-अवचेतन मन में संचार के समान्य वस्तुपूरक साधनों का उपयोग किये बिना दूसरे के विचार  समझने की योग्यता होती है ।

-भगवान को याद करने की, प्रार्थना की सच्ची कला सीखने के लिये चेतन और अवचेतन मन की अंतर्क्रिया को समझ लें  ।

-अवचेतन मन में दुनियां को हिलाने की शक्ति है ।

-मस्तिष्क एक छोटी सी कोशिका से मिल कर बना है । अवचेतन मस्तिष्क ने शरीर को बनाया है । इस लिये वह शरीर को दुबारा बना सकता है ।

-जैसा  भीतर, वैसा बाहर, जैसा  ऊपर वैसा नीचे । मन में जो विचार  करेगें वह बाहर प्रकट होंगे । जो मुख से बोलेंगे वह मन पर असर  करेगा ।

-जब हम सो  जाते हैं  तब भी  अवचेतन मन कार्य करता  है, सांस को कंट्रोल करता है, हृदय को, खून को, नाड़ी को नियंत्रित करता है ।

-आप का पाला हर समय अवचेतन के बजाये चेतन मन से पड़ता  है ।

-चेतन मन से सर्वश्रेष्ट की कामना करते रहो ।

-पानी उसी पाईप  का आकार  ले लेता है जिस में बहता है ।

-आप के विचार अनुसार मन रुप धारण  करता जायेगा ।

-भाषण देने से पहले हमेशा तस्वीर की तकनीक  आजमाता है ।

-अपनी कल्पना में यह देखते रहो कि लोग कह रहे है, मै ठीक हो गया हूं ।


जीवन को नई दिशा देने वाली  - आन्तरिक बल ( भाग -1 ) -  पुस्तक लेने  के लिए  संपर्क करें ! आप अपना नाम, पूरा पोस्टल पता , पिन नम्बर और फोन नम्बर मेरे  व्हाटसअप नम्बर पर लिख कर भेजें ! मैं आप को कोरियर से पुस्तक भेज दूंगा !


आंतरिक बल 787

-कल्पना और पांच तत्व 

- यह ब्रह्मांड  5 तत्वों से बना है । 

-जल,  पृथ्वी,  वायु,  अग्नि और आकाश  । 

-प्रत्येक तत्व  बाकी के  चार तत्वों से मिल कर बना है । 

-जल तत्व 

-इस तत्व मेंं पृथ्वी,   वायु,  अग्नि और  आकाश तत्व  एक निछचित  अनुपात मेंं समाए हुए हैँ  । 

-पृथ्वी तत्व।

-इस तत्व मेंं जल,  वायु,  अग्नि और आकाश समाए हुए है । 

-वायु तत्व 

-यह जल,  अग्नि,  आकाश और  पृथ्वी तत्व से मिल कर बना है । 

-अग्नि तत्व 

-यह  जल,  पृथ्वी,  वायु  और आकाश तत्व से मिल कर बना है । 

-आकाश तत्व 

-यह जल,  पृथ्वी,   वायु और अग्नि तत्व से मिल कर   बना  है । 

-साकार मेंं हम कोई  भी व्यक्ति, कोई भी  जीव, सभी  पेड़ पौधे, कोई भी तरल पदार्थ,   कोई भी स्थूल व सूक्ष्म पदार्थ हम देखतें है   उन सब मेंं पांच तत्व एक निछचित अनुपात मेंं समाए हुए हैं ! 

-मनुष्य शरीर भी पांच तत्वों से मिल कर  बना है । 

-मनुष्य शरीर मेंं 70 % जल है । 

-मन अर्थात हमारे विचार जल को सब से ज्यादा प्रभावित  करते  हैं । 

-अगर कोई कल्पना करते है तॊ वह विचार भी जल को प्रभावित करते हैं  । 

-जल शरीर मेंं स्थित बाकी के चार तत्वों को प्रभावित  करता है ।  जिस से शरीर मेंं स्थित   सभी तत्व  संतुलित या असंतुलित हो जाते  हैं  ।  जिनके परिणाम स्वरूप शरीर मेंं रोग हो जाते हैं  या हम  निरोगी हो जाते हैं  ।  

- शुगर,  केंसर,  बी.पी,  हृदय रोग आदि  पांच तत्वों के असंतुलन  के  कारण  पैदा होते हैं । 

-अगर हम अच्छी कल्पनाएं करते हैं  या भगवान को याद करते हैं  तॊ इस से  शरीर मेंं पांचो  तत्वों का संतुलन होने लगता है और धीरे धीरे  निरोगी हो जाते हैं  । 

-अगर बुरी कल्पनाएं करते हैं  तॊ पांचो तत्व असंतुलित हो जाते हैँ  ।  जिस से रोग पैदा हो जाते हैँ । 

-इसलिए चाहे कुछ  भी हो जाएँ हमें अच्छी बाते और अच्छी कल्पनाएं ही सोचनी  और करनी है  जिस से शरीर     निरोगी रहेगा । 

-
#कल्पना और पांच #तत्व आन्तरिक बल Imagination and the Five #Elements #Internal Force

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please Do not Enter Any Spam Link in the Comment Box.
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई स्पैम लिंक न डालें।

शास्त्रों के अनुसार मित्रता वाले नक्षत्र, शत्रुता वाले नक्षत्र एवं ग्रहों से सम्बन्ध

शास्त्रों के अनुसार किस नक्षत्र की किस नक्षत्र से मित्रता तथा किस नक्षत्र से शत्रुता एवं किस से सम भाव रहता है?   शास्त्रों में नक्षत्रों के...