ओशो की ओर से
सबसे पहले, रजनीशइज़्म (रजनिशवाद) की किताब न मेरा लेखन है, न ही मेरे प्रवचन; यह शीला और उसके समूह की रचना थी, इसलिए इसे फिर से नही छापां जाना चाहिए।
रजनीशइज़्म जैसी कोई चीज नहीं है - क्योंकि फिर यह एक दूसरा ईसाईवाद, एक अन्य साम्यवाद, एक और हिंदूवाद बन जाता है।
मैं अपना पूरा जीवन सभी "वाद" (isms) के खिलाफ लड़ता आया हूँ और इन लोगों ने मुझ से ही "वाद" (इज़्म) खड़ा कर दिया!
उन्होनें यह "रजनीशी" शब्द घड़ा।
आपको उस शब्द को छोड़ना होगा; अन्यथा एक ईसाई, एक यहूदी और एक राजनिशी के बीच क्या अंतर है? मैं चाहता हूं कि तुम स्वयम बने रहो, न कि एक रजनीशी।
आप मुझसे प्यार करते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपको एक रजनीशी बनना होगा। रजनीशी बने बिना आप मुझसे प्यार कर सकते हैं।
और ये रजनीशी ने क्या किया है,
बीस रजनीशी के इस गिरोह ने जो किया है पर्याप्त है इस शब्द की निंदा करने के लिए।
बीस रजनीशी के इस गिरोह ने जो किया है पर्याप्त है इस शब्द की निंदा करने के लिए।
तो अब, अब कोई रजनीशी नहीं हैं आप व्यक्ति हैं, पूरी तरह से
मुक्त व्यक्ति। अपनी स्वतंत्रता और प्रेम के कारण आप यहाँ हो। कोई बंधन नहीं है, कोई अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) नहीं है, कोई आत्मसमर्पण नहीं है, कोई श्रद्धा नहीं है।
मुक्त व्यक्ति। अपनी स्वतंत्रता और प्रेम के कारण आप यहाँ हो। कोई बंधन नहीं है, कोई अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) नहीं है, कोई आत्मसमर्पण नहीं है, कोई श्रद्धा नहीं है।
और आज मैं कुछ बेहद महत्वपूर्ण घोषित करना चाहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि शायद इस वजह से शीला और उसके लोगों को आपका फायदा उठाने में मदद मिली। मुझे नहीं पता कि कल मैं यहाँ होऊंगा या नहीं, इसलिए यह बेहतर है की मेरी मोजुदगी में, जब मैं यहाँ हूँ तब ही आपको मुक्क्त कर दूं ऐसे फासीवादी शासन की किसी अन्य संभावना से।
तो आज से, आप किसी भी रंग के कपड़े उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। अगर आपको लाल रंग के कपड़े उपयोग करने का भाव है तो यह आप पर है।
और यह संदेश दुनिया भर में भेजा जाना चाहिए, सभी कम्यूनों को।
यह अधिक सुंदर होगा अगर हमारे पास सभी रंग हो।
यह अधिक सुंदर होगा अगर हमारे पास सभी रंग हो।
मैंने हमेशा आप सभी को इंद्रधनुष के रंगों में देखने का ख्वाब देखा है।
आज इंद्रधनुष को अपना रंग होने के का दावा करते हैं।
दूसरी बात: अगर आप अन्यथा नहीं चाहते हैं तो आप अपनी माला वापस लोटा दें। यह तुम्हारी पसंद है, लेकिन अब यह एक आवश्यकता नहीं है। आप अपनी माला को प्रेजिडेंट हास्या को दें दें। लेकिन अगर आप इसे रखना चाहते है तो यह आप पर है।
तीसरी चीज: अब से आगे, जो भी संन्यास में दीक्षा लेना चाहता है उसे कोई माला नहीं दि जायेगी और लाल कपड़े बदलने के लिए
कहा नहीं जाएगा - तो हम दुनिया को अधिक आसानी से अब शामिल कर सकते हैं! Un
कहा नहीं जाएगा - तो हम दुनिया को अधिक आसानी से अब शामिल कर सकते हैं! Un
Osho, From Bondage to Freedom CHAPTER 12
नॉट: यह बात अंग्रेजी किताब से अनुवादित है।
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